विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला 2018 में मेरा अनà¥à¤à¤µ
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Naveen AryaDate
07-Feb-2018Category
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RajeevUpload Date
07-Feb-2018Download PDF
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विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला 2018 में मेरा अनà¥à¤à¤µ
लेख :- आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वरà¥à¤· की à¤à¤¾à¤‚ति इस वरà¥à¤· à¤à¥€ विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला का आयोजन दिलà¥à¤²à¥€ के पà¥à¤°à¤—ति मैदान पर किया गया था, जो कि 6 से 14 जनवरी तक लगा हà¥à¤† था और सà¥à¤¬à¤¹ 11 बजे से आरमà¥à¤ होकर शाम 8 बजे तक चला करता था । अनà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की तरह इस वरà¥à¤· à¤à¥€ जाने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†, परनà¥à¤¤à¥ इस बार टिकट लेकर जाना नहीं पड़ा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि “दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾” की ओर से à¤à¤• पास (पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ पतà¥à¤°) मिला हà¥à¤† था । पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· की तरह इस वरà¥à¤· à¤à¥€ “दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾” की ओर से हॉल नमà¥à¤¬à¤° 12-A में 282-291वां सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² और 7 नमà¥à¤¬à¤° हॉल पर 161 नमà¥à¤¬à¤° सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• विकà¥à¤°à¤¯ या पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• वितरण किया जा रहा था ।
सà¤à¤¾ की ओर से मà¥à¤à¥‡ अवसर मिला सेवा देने का इस विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला में जिसमें मेरा मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ था लोगों को उनके विचार व आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लिठसà¥à¤à¤¾à¤µ देना तथा पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• विकà¥à¤°à¤¯ करना, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की विशेषता समà¤à¤¾à¤¨à¤¾, उनकी कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• सामाजिक तथा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विषयों से समà¥à¤¬à¤‚धित समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अथवा शंकायें हों तो उनका समाधान करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ । मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ “आरà¥à¤· साहितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ” से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤¤ अमर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ “सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶” को वितरण करने में बहà¥à¤¤ आननà¥à¤¦ आया, जो कि हर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या हर à¤à¤• परिवार में पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के मूलà¥à¤¯ में वितरित किया जा रहा था । 7 नमà¥à¤¬à¤° हॉल के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² में वितरण हेतॠलिठगठà¤à¤• à¤à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ हमने नहीं छोड़ा बलà¥à¤•à¤¿ मेला के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® कà¥à¤·à¤£ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ हम बांटते रहे ।
हमने तो यह विचार किया कि वैसे तो ऋषिऋण से उऋण होना कठिन ही है, उनकी हम सब के ऊपर हà¥à¤ˆ कृपावृषà¥à¤Ÿà¤¿ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤, परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› मातà¥à¤°à¤¾ में तो नà¥à¤¯à¥‚न किया ही जा सकता है, इस अमर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को घर-घर पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ के धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ से यà¥à¤•à¥à¤¤ इस सà¥à¤µà¤²à¥à¤ª पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ के माधà¥à¤¯à¤® से । जहाठà¤à¤• तरफ अनेक विषयों से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥€, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, ओडिया, तेलगà¥, बंगाली, उरà¥à¤¦à¥‚, और अनेक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ उपलबà¥à¤§ हो रही थी तो à¤à¤• तरफ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ जरà¥à¤®à¤¨à¥€, सà¥à¤ªà¥‡à¤¨à¤¿à¤¶, फà¥à¤°à¥‡à¤‚च, अरबिक, इटालियन, जापानीज आदि विदेशी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ à¤à¥€ पाठकों को उपलबà¥à¤§ हो रही थीं ।
पाठकों के लिठजहाठबाईबल और कà¥à¤°à¤¾à¤¨ जैसी अनारà¥à¤· गà¥à¤°à¤‚थों को à¤à¥€ उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ नि:शà¥à¤²à¥à¤• वितरित कर रहे थे तो हम सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेदजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा वेदानà¥à¤•à¥à¤² अनेक गà¥à¤°à¤‚थों को आरà¥à¤¯ समाज की ओर से दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में 10 से 25 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ की छूट में वितरित किये जा रहे थे। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सेवाà¤à¤¾à¤µà¥€ सà¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤—ण, यहाठतक कि माताà¤à¤ à¤à¥€ सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• बहà¥à¤¤ ही उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ व रूचि के साथ वितरित कर रहे थे।
इस à¤à¤µà¥à¤¯ मेला में जहाठनये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ अनेक आरà¥à¤¯ समाजियों से मिलने का अवसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† वहीं à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के लोगों से à¤à¥€ मिलना हà¥à¤†, उनके विचारों को à¤à¥€ जानने-समà¤à¤¨à¥‡ का मौका मिला। à¤à¤¾à¤°à¤¤-à¤à¤° के अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से पधारे हà¥à¤ अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾-à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ ओडिया, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ आदि में वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª के साथ-साथ विदेशियों से à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª करते हà¥à¤ अपने वैदिक विचारों का आदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना आननà¥à¤¦à¤¦à¤¾à¤¯à¤• रहा। अपने सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² में सब के साथ मिल कर कारà¥à¤¯ करने से दूसरों से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¥€ मिली।
पहले ही दिन अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सेवाà¤à¤¾à¤µà¥€ आचारà¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को मैंने देखा कि अकेले ही पà¥à¤°à¤—ति मैदान के à¤à¤• नमà¥à¤¬à¤° गेट से अपने सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² तक à¤à¤• पानी के जार को कनà¥à¤§à¥‡ के ऊपर उठाकर ले आये थे जिससे उनका पूरा शरीर और कपड़े à¤à¥€à¤— गठथे। वह कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सेवाकारà¥à¤¯ में पीछे नहीं हटते थे, जैसे कि अनà¥à¤¤à¤¿à¤® दिवस में à¤à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ के 2 बजे तक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को गाड़ियों से उतारने में लगे रहे । यह तो à¤à¤• उदाहरण मातà¥à¤° है, à¤à¤¸à¥‡ ही अनेक कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के साथ सेवा दी और ऋषि के मिशन को आगे बढाया । उसमें छोटे छोटे बालकों से लेकर माताओं और बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सहयोग रहा ।
अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ मैंने कà¥à¤› पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ खरीदी उनमें से à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है “à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• परिषद॔ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ “सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦” जिसकी लेखिका हैं “कविता वसिषà¥à¤ ” । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› अचà¥à¤›à¥€ बातें à¤à¥€ लिखी है जिसके लिठवे धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ के पातà¥à¤° हैं परनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› सà¥à¤§à¤¾à¤° की à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है, जैसे कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की पृषà¥à¤ संखà¥à¤¯à¤¾ 23 में लिखा है कि – “à¤à¤• दिन à¤à¤¾à¤‚ग के नशे में सोठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¤• सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ देखा । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा कि शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª कर रहे हैं और इस वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª के विषय वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ हैं । पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी कह रही हैं कि दयाननà¥à¤¦ को विवाह कर लेना चाहिठ। महादेव ने इसका विरोध किया, जिसका कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दयाननà¥à¤¦ की à¤à¤¾à¤‚ग पीने की बà¥à¤°à¥€ आदत बताया । अपने इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µ शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी निंदा सà¥à¤¨à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की निदà¥à¤°à¤¾ खà¥à¤² गयी । उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घोर दà¥à¤ƒà¤– और गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ हà¥à¤ˆ”।
इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को देखने के बाद पता चला कि कई लेखक/लेखिका à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ होते हैं जो बिना किसी तथà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• गवेषणा के कà¥à¤› à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• बातें लिख देते हैं । महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने सà¥à¤µà¤²à¤¿à¤–ित आतà¥à¤® चरित में न कà¤à¥€ कोई à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया और न ही कोई à¤à¤¸à¥€ घटना उनके साथ होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि न ही शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ उनके इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µ थे और न ही उनको विवाह करने की इचà¥à¤›à¤¾ थी जिससे कि उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ आते । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनको बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही यह निशà¥à¤šà¤¯ हो गया था कि ये सचà¥à¤šà¥‡ शिव नहीं हैं, सचà¥à¤šà¤¾ शिव तो निराकार ईशà¥à¤µà¤° ही है जिसकी खोज करनी चाहिठऔर छोटी अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही वैरागà¥à¤¯ हो जाने के कारण विवाह आदि के लिठà¤à¥€ कोई इचà¥à¤›à¤¾ शेष नहीं रही थी अतः उनका लिखना अपà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक तथा अपà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• होने से मानने योगà¥à¤¯ नहीं है ।
इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होते हैं जिनका न कोई सिर होता है और न पैर । तरà¥à¤• व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से रहित, अवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, मनगढनà¥à¤¤, कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤•, असतà¥à¤¯, यथारà¥à¤¥à¤¤à¤¾ से दूर à¤à¤¸à¥‡ अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आपको मिलेंगे इस विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला में जिनको जन सामानà¥à¤¯ बिना सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ के निरà¥à¤£à¤¯ किये ही खरीद लेते हैं और अपने अमूलà¥à¤¯ समय, धन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि को नषà¥à¤Ÿ कर देते हैं । इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के करोड़ों लेखकों के लाखों पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के हजारों सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤•/दो ही à¤à¤¸à¥‡ आरà¥à¤¯ समाज से समà¥à¤¬à¤‚धित पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ या सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² होते हैं जो कि वेद तथा वेद के अनà¥à¤•à¥‚ल गà¥à¤°à¤‚थों के माधà¥à¤¯à¤® से सतà¥à¤¯ को जानने-जनाने के लिà¤, तथा उसके पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठतन, मन, धन से संलगà¥à¤¨ व समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहते हैं।
अतः हमें यह अवशà¥à¤¯ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पूरà¥à¤µà¤• निरà¥à¤£à¤¯ कर लेना चाहिठकि हमें किन गà¥à¤°à¤‚थों के ऊपर अपना समय, धन और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि वà¥à¤¯à¤¯ करना चाहिठजिससे हमारी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤—ति हो सके फिर उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शà¥à¤¦à¥à¤§ वैदिक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ वा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ में ही अधिक रूचि दिखानी चाहिठतथा औरों को à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देनी चाहिà¤à¥¤
मैंने à¤à¤• और विशेष बात देखी कि हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· और महिलाà¤à¤‚ तो विदेशी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठतथा सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होकर उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की à¤à¤¾à¤·à¤¾, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के जैसे वसà¥à¤¤à¥à¤° आदि धारण करने में रूचि दिखा रहे थे तो दूसरी ओर कà¥à¤› विदेशियों को देखा जो कि हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर हिनà¥à¤¦à¥€ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ सीखने के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ में आकर निवास कर रहे हैं, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ बोलते à¤à¥€ हैं और वसà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ जैसे पहनते हैं । यह सच में à¤à¤• आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात है कि जो वसà¥à¤¤à¥, जो मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾, सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, हमें सहज ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है, हमारा धरोहर है, हमारी पैतृक संपतà¥à¤¤à¤¿ है, उसको छोड़ कर हम अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की कामना कर रहे हैं अथवा उन अवैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के पीछे दौड़ लगा रहे हैं ।
इस अवसर पर “गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤•à¥à¤²à¤®à¥” हरिनगर, नईदिलà¥à¤²à¥€ से पधारे हà¥à¤ छोटे छोटे बालकों को देखा जो कि केवल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में ही वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª करते थे, हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ उनको कम आती अथवा बिलà¥à¤•à¥à¤² नहीं आती । उनके साथ à¤à¥€ मैंने कà¥à¤› समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किये । यह आचारà¥à¤¯ धनञà¥à¤œà¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी का ही अथक परिशà¥à¤°à¤® और लगन का परिणाम है कि उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ साथ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नाम की छोटी सी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में ही वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª करती हैं । कà¥à¤› लोगों ने आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ पूरà¥à¤µà¤• मà¥à¤à¥‡ यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया कि ये लोग गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² से बाहर जाकर कैसे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कर पाà¤à¤‚गे ? इनका जीवन तो अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤°à¤®à¤¯ हो जायेगा ? तो इसका समाधान करते हà¥à¤ मैंने कहा कि जैसे आप वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को हिनà¥à¤¦à¥€ से अथवा अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठसे जानकर उपयोग करते हैं, ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही ये लोग उस वसà¥à¤¤à¥ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में जानते हैं और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हैं । पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में जैसे ऋषि-महरà¥à¤·à¤¿ और सामानà¥à¤¯ जनता à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया करते थे वैसे ही आजकल à¤à¥€ वातावरण बनाया जा सकता है । इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यदि हम अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ दें, हमारी वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ आदि के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रूचि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करावें तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है कि हर परिवार सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर अपने जीवन पथ पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो सकें ।
इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला में इस वरà¥à¤· आरà¥à¤¯ समाज के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का आगमन नà¥à¤¯à¥‚न ही रहा । आरà¥à¤¯ समाज के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² पर बहà¥à¤¤ कम ही विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पधारे हà¥à¤ थे जो कि अनेक लोगों की शंकाओं का समाधान करते हà¥à¤ नजर आये थे । हॉल नमà¥à¤¬à¤° 8 में à¤à¤• दिन मसालों के बादशाह महाशय शà¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में दिलà¥à¤²à¥€ सà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ आचारà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी, महामनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ विनय आरà¥à¤¯ जी और अनेक आरà¥à¤¯ सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ दयाननà¥à¤¦ विहार, नईदिलà¥à¤²à¥€ के मंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ ईश नारंग जी ने यजà¥à¤ž की उपयोगिता, विशेषता तथा हवन के ऊपर हà¥à¤ अनेक अनà¥à¤¸à¤‚धानातà¥à¤®à¤• तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की जानकारी पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की । जैसे कि हमने देखा अनेक मत-पनà¥à¤¥-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ वाले पूरी तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ व लगन के साथ अपने अवैदिक और अपà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• विचारों को लोगों के अनà¥à¤¦à¤° थोपते जाते हैं, इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारे आरà¥à¤¯ समाज के वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ यदि पूरे समरà¥à¤ªà¤£ के साथ अपने वेद तथा वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सरल व वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ढंग से लोगों के सामने उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करते और जोर-शोर से पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करने में रूचि दिखाते तो हर à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तक अपने वैदिक विचारों को पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ का यही à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ अवसर होता है ।
हमने कà¥à¤› कॉलेज के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को à¤à¥€ देखा जो कि जगह-जगह नà¥à¤•à¥à¤•à¥œ नाटकों के माधà¥à¤¯à¤® से सामाजिक बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ के विरोध में अपने कà¥à¤› विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे थे । यदि आरà¥à¤¯ समाज के छोटे-छोटे बालक à¤à¥€ हर à¤à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को आकरà¥à¤·à¤• व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• ढंग से इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के नाटकों के माधà¥à¤¯à¤® से लोगों के सामने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ देते तो हजारों लोग आसानी से इन सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚, विचारों से अवगत हो जाते और हम ऋषि के मिशन को कà¥à¤› सीमा तक अगà¥à¤°à¤¸à¤° करने में सफल हो जाते ।
कà¥à¤°à¤¾à¤¨ और बाईबल के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में उनके कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ दिन à¤à¤° खड़े रहते हà¥à¤ आते-जाते लोगों को कà¥à¤°à¤¾à¤¨ और बाईबल तथा अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पतà¥à¤°à¤• आदि पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सामगà¥à¤°à¥€ मà¥à¤«à¥à¤¤ में ही वितरण किया करते थे, परनà¥à¤¤à¥ न हमारे पास à¤à¤¸à¥€ कोई पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सामगà¥à¤°à¥€ उपलबà¥à¤§ थी और न ही उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थे । हमारे आरà¥à¤¯ समाज के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² की संखà¥à¤¯à¤¾ हो अथवा कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ हो नà¥à¤¯à¥‚न होने के कारण जितने सà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ होना चाहिठथा उतना नहीं हो पाया, फिर à¤à¥€ परिणाम संतोष जनक ही रहा ।
हमारे कà¥à¤› गà¥à¤£à¥‹à¤‚ और कà¥à¤› दोषों को दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में रखते हà¥à¤ यह कà¥à¤› विशà¥à¤µ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेला में हà¥à¤ मेरे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को मैंने संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ रूप में उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया जिससे हम अपने गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को जान कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ और à¤à¥€ आगे बढायें और जो दोष हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤§à¤¾à¤° करें, उनको पà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ न करें तो वेद का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤—मता से करने में सफल हो सकें । धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ ।।
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