विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के उपाय
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Naveen AryaDate
07-Feb-2018Category
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RajeevUpload Date
07-Feb-2018Download PDF
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विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के उपाय
चतà¥à¤°à¥à¤à¤¿à¤ƒ च पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥ˆà¤ƒ विदà¥à¤¯à¤¾ उपयà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤¤à¤¿ आगमकालेन सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥‡à¤¨ पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¤•à¤¾à¤²à¥‡à¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤²à¥‡à¤¨ इति (महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯.) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चार पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से विदà¥à¤¯à¤¾ आती है, आगम काल, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ काल, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ काल और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल के माधà¥à¤¯à¤® से ।
आगम काल :- शà¥à¤°à¤µà¤£ काल को ही आगम काल कहते हैं, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जब अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, गà¥à¤°à¥, आचारà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ कर रहे हों, पà¥à¤¾ रहे हों, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ कर रहे हों तो अपने मन को शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ कान के साथ और कान को अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ संयà¥à¤•à¥à¤¤ करे तथा उन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को अरà¥à¤¥ सहित मन में संचित करते जाये, इसी को आगम काल कहा जाता है ।
सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ काल :- जब हम गà¥à¤°à¥ जी से पॠलेते हैं, उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ उस पà¥à¥€ हà¥à¤ˆ विदà¥à¤¯à¤¾ को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आवृतà¥à¤¤à¤¿ करें, विचार करें, चिनà¥à¤¤à¤¨ करें तो इसी को सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ काल कहा जाता है । शà¥à¤°à¤µà¤£ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त यह दूसरा ‘मनन’ कहलाता है ।
पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ काल :- गà¥à¤°à¥ जी के मà¥à¤– से पà¥à¥€ हà¥à¤ˆ विदà¥à¤¯à¤¾ को अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¤µà¤£ करके, उसको पà¥à¤¨à¤ƒ अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन पूरà¥à¤µà¤• सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ करके उस विदà¥à¤¯à¤¾ को दूसरों के उपकार या लाठके लिठउपदेश करना या पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ है उसको पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ काल कहा जाता है ।
वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल :- जब तीनों सà¥à¤¤à¤° को पार कर लेते हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤¯à¤¾ को à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं, चिंतन-मनन करते हैं, दूसरों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हेतॠउस विदà¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤¾à¤¤à¥‡, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ करते हैं तो उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ सबसे अंत में बताया गया है कि उस विदà¥à¤¯à¤¾ को अपने जीवन वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में उतार लेना ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल कहलाता है ।
इन चारों को शà¥à¤°à¤µà¤£ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ के नाम से अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ शà¥à¤°à¤µà¤£, मनन, निदिधà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¨ और साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ कहते हैं ।
इस विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के चार उपायों को à¤à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥à¤¤ के माधà¥à¤¯à¤® से समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करेंगे ।
à¤à¤• आचारà¥à¤¯ ने पहले दिन अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उपदेश किया, पाठपढाया, कि ‘सतà¥à¤¯ बोलना चाहिऒ । गà¥à¤°à¥‚जी ने आदेश à¤à¥€ दिया कि इस पाठको याद (कंठसà¥à¤¥) करके ले आना । अगले दिन सà¤à¥€ शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उस पाठको कंठसà¥à¤¥ करके गà¥à¤°à¥ जी को सà¥à¤¨à¤¾ दिया कि ‘सतà¥à¤¯ बोलना चाहिऒ । इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दूसरे दिन आचारà¥à¤¯ ने पाठपढाया कि ‘कà¥à¤°à¥‹à¤§ नहीं करना चाहिऒ और यह आदेश दिया कि इस पाठको à¤à¥€ याद करके ले आना । अगले दिन à¤à¥€ सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ककà¥à¤·à¤¾ में पहà¥à¤à¤š गठऔर à¤à¤• के बाद à¤à¤• अपना कंठसà¥à¤¥ किया हà¥à¤† पाठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ लगे ।
उनमें से à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने कहा कि ‘गà¥à¤°à¥ जी मà¥à¤à¥‡ पाठयाद नहीं हà¥à¤†’ । गà¥à¤°à¥ जी ने कहा ‘कोई बात नहीं कल याद करके सà¥à¤¨à¤¾ देना’ । अगले दिन à¤à¥€ यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ रही, विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने कहा कि ‘आज à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पाठयाद नहीं हà¥à¤†’ । फिर गà¥à¤°à¥ जी ने कहा कि à¤à¤• छोटा सा वाकà¥à¤¯ याद नहीं हो रहा है ?तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सà¤à¥€ सहपाठियों ने सà¥à¤¨à¤¾ दिया लेकिन तà¥à¤® कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं सà¥à¤¨à¤¾ पा रहे हो ? कल याद करके सà¥à¤¨à¤¾ देना, नहीं तो दणà¥à¤¡ मिलेगा । अगले दिन à¤à¥€ जब वह विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ककà¥à¤·à¤¾ में पहà¥à¤‚चा तो उसका उतà¥à¤¤à¤° यही था कि ‘गà¥à¤°à¥ जी पाठयाद नहीं हà¥à¤†’। फिर तो कà¥à¤¯à¤¾ था गà¥à¤°à¥ जी ने डंडे मंगवाये और उस विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को खूब ताड़ना की, तà¤à¥€ उस विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने कहा कि ‘गà¥à¤°à¥ जी अà¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पाठयाद हो गया’ ।
गà¥à¤°à¥ जी ने पूछा कि अबतक तो याद नहीं हà¥à¤† था फिर डंडे खाने से कैसे याद हो गया ? तà¤à¥€ उस विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने कहा कि ‘गà¥à¤°à¥ जी ! आपने पहले यह à¤à¥€ बताया था कि विदà¥à¤¯à¤¾ चार पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से आती है, शà¥à¤°à¤µà¤£, मनन, निदिधà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¨ और साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° इसका दूसरा नाम है आगम, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल, अतः आपने जो पढाया कि ‘कà¥à¤°à¥‹à¤§ नहीं करना चाहिऒ तो उसको मैंने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से सà¥à¤¨ à¤à¥€ लिया, फिर चिंतन-मनन à¤à¥€ कर लिया, अपने सहपाठियों को à¤à¥€ पà¥à¤¾ दिया या उपदेश कर दिया परनà¥à¤¤à¥ यह पाठमेरे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में अबतक नहीं आया था, जब आपने मà¥à¤à¥‡ दणà¥à¤¡ दिया फिर à¤à¥€ मेरे मन में कोई कà¥à¤°à¥‹à¤§ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हà¥à¤†, तो इससे मà¥à¤à¥‡ पता चला कि मà¥à¤à¥‡ पाठपूरी तरह याद हो गया ।
इस दृषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥à¤¤ से हम समठसकते हैं कि विदà¥à¤¯à¤¾ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° चार उपायों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की जाती है ? पहले सà¥à¤¨à¥‡à¤‚, उसको सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¥‡à¤‚, फिर दूसरों को पà¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ और अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में à¤à¥€ उतारें, तà¤à¥€ मान सकते हैं कि हमें वह विदà¥à¤¯à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अथवा पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ आ गयी ।
जब हम गà¥à¤°à¥ जी से पà¥à¤¤à¥‡ हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आगम काल को पूरà¥à¤£ करते हैं तब हमें केवल (10%) दस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ ही विदà¥à¤¯à¤¾ आती है । जब हम सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ काल को पूरा करते हैं तब हमें (20%) बीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण और दूसरे चरण का मिला कर 30% तीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती है । जब हम पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ काल को पूरा करते हैं तब हमें (30%) तीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दो चरण का 30 और तृतीय चरण का 30 मिलाकर (60%) साठपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ मिल जाती है । इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जब हम चौथे चरण में पहà¥à¤à¤š जाते हैं और विदà¥à¤¯à¤¾ को अपने जीवन वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में उतार लेते हैं तो विदà¥à¤¯à¤¾ (40%) चालीस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पूरà¥à¤µ के 60 और इस चौथे चरण का 40 मिलाकर 100% विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती है । इसका तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह हà¥à¤† कि जब हम वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में उस विदà¥à¤¯à¤¾ को उतार लेते हैं तà¤à¥€ हमें 100% विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है ।
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आगम काल – 10%
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सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ काल – 20%
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पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ काल – 30%
वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल – 40%
कà¥à¤²à¤¯à¥‹à¤— – 100%
यदि हम 100% विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहते हैं तो उस पà¥à¥€-सà¥à¤¨à¥€ हà¥à¤ˆ विदà¥à¤¯à¤¾ को हमें आगे के सà¥à¤¤à¤° में ले जाते हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° काल में पहà¥à¤‚चना होता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ यदि केवल हम सà¥à¤¨ कर के ही छोड़ देते हैं तो 10% विदà¥à¤¯à¤¾ ही रह जाती है । जब हम किसी विदà¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤¤à¥‡ हैं तो वह तब तक सारà¥à¤¥à¤• नहीं होती जब तक कि हम उसे अपने जीवन में, अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में उतार नहीं लेते अतः हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम इस विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के चार उपायों व सà¥à¤µà¤°à¥à¤ªà¥‹à¤‚ को ठीक ठीक समà¤à¥‡à¤‚ और अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कर जीवन को सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ करें ।
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