सावरकर माठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ के सचà¥à¤šà¥‡ वीर सिपाही थे
Author
Rajeev ChoudharyDate
28-Feb-2018Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
HindiTotal Views
1556Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
27-Feb-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- कया आपको याद है?
- स�वामी श�रद�धानंद जी का महान जीवन कथन
- सनामी राहत कारय 2004
- सवामी दरशनाननद जी महाराज
- सवामी शरदधाननद जी का हिंदी परेम
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
सावरकर माठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ के सचà¥à¤šà¥‡ वीर सिपाही थे
मराठी चितà¥à¤ªà¤¾à¤µà¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ परिवार में 28 मई, 1883 को जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ विनायक दामोदर सावरकर जब मातà¥à¤° नौ साल के थे तब उनकी माता राधाबाई सावरकर का देहांत हो गया था. उनका परिवार महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के नाशिक शहर के पास à¤à¤—à¥à¤° गà¥à¤°à¤¾à¤® में रहता था. उनके और तीन à¤à¤¾à¤ˆ-बहन à¤à¥€ थे, जिनमे से दो à¤à¤¾à¤ˆ गणेश और नारायण à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• बहन मैना थी. माता के देहांत करीब सात वरà¥à¤· बाद, वरà¥à¤· 1899 में पà¥à¤²à¥‡à¤— महामारी के चलते उनके पिताजी का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वास हो गया. पिता की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद परिवार चलाने का कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° बड़े à¤à¤¾à¤ˆ गणेश सावरकर ने संà¤à¤¾à¤² लिया था. 1901 में विनायक का विवाह रामचंदà¥à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤‚बक चिपलूनकर की बेटी यमà¥à¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ से हà¥à¤†, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ही विनायक की यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ पढाई में सहायता की थी.
अपनी डिगà¥à¤°à¥€ की पढाई पूरी करने के बाद, महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के परम शिषà¥à¤¯ शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£à¤¾ वरà¥à¤®à¤¾ ने कानून की पढाई पूरी करने हेतॠविनायक को इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ में सहायता की, लंदन ‘इंडिया हाउस’ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों का तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² था. वहाठजाकर इनहोने कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के लिठसà¤à¤¾à¤à¤‚ की, परà¥à¤šà¥‡ व पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ बांटनी शà¥à¤°à¥‚ कर दी. यदि शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£ वरà¥à¤®à¤¾ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विदेश न बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ तो ये जलà¥à¤¦à¥€ ही गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° होने वाले थे. लनà¥à¤¦à¤¨ में अà¤à¤¿à¤¨à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की कà¥à¤› ही दिनों में लंदन में ‘अà¤à¤¿à¤¨à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤’ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति में à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ बन गयी कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ इसे कà¥à¤šà¤²à¤¨à¥‡ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ रही. लंदन के ‘इंडिया हाउस में ही वीर सावरकर जी ने मातà¥à¤° 23 साल की अवसà¥à¤¥à¤¾ में à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी ‘1857 का सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¥à¤¯ समर’ यह संसार का पà¥à¤°à¤¥à¤® गà¥à¤°à¤‚थ था जो पूरà¥à¤£ होने और छपने से पूरà¥à¤µ ही जबà¥à¤¤ कर लिया गया. इस गà¥à¤°à¤‚थ को कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी ढंग से गà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से ही छापा गया व इसकी सैकड़ों पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ पहà¥à¤‚चाई गयी. इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की खोज में अनेकों उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¥€ कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ यà¥à¤µà¤• रहते थे.
à¤à¤—तसिंह व उनके साथियों ने यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• गà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से रातों-रात छापकर बांटी थी. लेकिन इनà¥à¤¹à¥€ दिनो इनके à¤à¤¾à¤ˆ गणेश सावरकर को à¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने के आरोप में देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ करार देकर काला-पानी की सजा दी गयी. बाद में सावरकर जी को à¤à¥€ 23 सितंबर, 1910 को आजीवन कारावास व काला-पानी की सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ गयी, साथ में समसà¥à¤¤ संपतà¥à¤¤à¤¿ जबà¥à¤¤ करने की सजा à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ. वे संसार के à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी रहे है कि जिनको दो जीवन के कारावास की सजा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ. 31 जनवरी, 1911 में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंडेमान à¤à¥‡à¤œ दिया गया. वहाठउनके साथ निरà¥à¤®à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° किया गया. तेल निकालने के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोलà¥à¤¹à¥‚ के बैल की तरह जोता जाता था. छोटी-छोटी कोठरिया थी. पीने के लिठ3 मग काला-कड़वा पानी मिलता था. इनके कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को लिखते हà¥à¤ à¤à¥€ हाथ काà¤à¤ª उठते है. किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी महापà¥à¤°à¥à¤· ने इतने कषà¥à¤Ÿ नहीं सहे होंगे वो à¤à¥€ इतने लंबे समय तक. उनके à¤à¤¾à¤ˆ गणेश सावरकर à¤à¥€ इसी जेल में थे. दà¥à¤– की बात यह थी कि कोई à¤à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी आपस में इशारों से à¤à¥€ बात नहीं कर सकता था.
जेल की यातनाओं को सावरकर जी ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘माà¤à¥€ जनà¥à¤®à¤ ेप’ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में लिखा. 12 वरà¥à¤· तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ काले-पानी की सजा काटी. उनका सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ खराब रहने लगा. पूरे देश से उनकी रिहाई के लिठसरकार पर दबाव पड़ने लगा. उनके छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¥‡ के लिठसतà¥à¤¤à¤° हजार हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-पतà¥à¤° सरकार को जनता ने à¤à¥‡à¤œà¤¾. साधारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से लेकर नेताओं तक ने हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° किठकिनà¥à¤¤à¥ गांधी ने हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° करने से इंकार कर दिया. 1921 में दोनों à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤¾à¤°à¤¤ लाये गà¤. 1924 में सावरकर जी नजरबनà¥à¤§ कर दिये गà¤. परंतॠचारों ओर से पड़ रहे दबाव के कारण व जमनादास जी के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के कारण उनको 10 मई, 1937 को मà¥à¤•à¥à¤¤ कर दिया गया. दो जनà¥à¤® के काले पानी के दणà¥à¤¡ पाये हà¥à¤ वीर सावरकर सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हो गà¤.
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° होने के बाद समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• काà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¸ का नेता बनने के बजाय दिसंबर 1937 में अहमदाबाद में हà¥à¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ महा समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में ‘हिनà¥à¤¦à¥‚ महासà¤à¤¾’ की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° की. हैदराबाद के निजाम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वहाठकी हिनà¥à¤¦à¥‚ जनता पर हो रहे अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिसंबर 1938 को आरà¥à¤¯ महासमà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में घोषित हैदराबाद का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आरà¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ ‘धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤¦à¥à¤§’ में वीर सावरकर जी ने हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¤à¤¾ की ओर से सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ बनकर सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ में सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ à¤à¥‹à¤‚क कर आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सहायता की. करीब 12 हजार आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ जà¥à¥œà¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ 4 हजार लोगों ने निजाम राजà¥à¤¯ की जेलों में कषà¥à¤Ÿ सहे. à¤à¤• बार वीर सावरकर जी ने महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ के बारे में कहा, हिनà¥à¤¦à¥‚ जाति की ठंडी रगों में उषà¥à¤£ रकà¥à¤¤ का संचार करने वाला गà¥à¤°à¤‚थ ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ अमर रहे. उनके जीवन काल में ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ आजाद हà¥à¤†. à¤à¤¾à¤°à¤¤ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ से उनको बहà¥à¤¤ ही कषà¥à¤Ÿ पहà¥à¤‚चा. 1948 में गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया गया परंतॠउन पर कोई आरोप साबित न होने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रिहा कर दिया गया. à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने जब 1965 में ताशकंद समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ में जीती हà¥à¤ˆ जमीन वापिस देने के लिठजब उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾ तो दà¥à¤–ी हृदय से बोल उठे, “हे मृतà¥à¤¯à¥! तू मà¥à¤à¥‡ आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर ले ताकि मà¥à¤à¥‡ देश की ओर दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ न देखनी पड़े.” वह बीमार रहने लगे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ दवा व खान-पान लेना तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया. 26 फरवरी, 1966 को वीर सावरकर यह नशà¥à¤µà¤° शरीर तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर चल दिये. देश की आजादी के लिठसही उनकी घोर कषà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¥€ यातनाओं को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° कà¤à¥€ नहीं à¤à¥‚लेगा. उनका तप, तà¥à¤¯à¤¾à¤— और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤® सदैव à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता रहेगा. मालाबार दंगे और उन पर लिखी सावरकर की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मोपला हर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ को जरà¥à¤° पढनी चाहिà¤. इस महान कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ को आरà¥à¤¯ समाज का शत-शत नमन...
ALL COMMENTS (0)