मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¥‡ के बाजार में अब आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• अंडे
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Rajeev ChoudharyDate
02-Apr-2018Category
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मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¥‡ के बाजार में अब आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• अंडे
जो अंडे अà¤à¥€ तक सिरà¥à¤« अंडे थे जिसे शाकाहार की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में नहीं रखा जा रहा था अब वे अचानक से आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• हो गये हैं। अंडे के फायदे, नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ और उपयोग को लेकर à¤à¤²à¥‡ ही सबके अपने-अपने दावे और तरà¥à¤• हों, पर सरदार वलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ पटेल कृषि à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤•à¥à¤•à¥à¤Ÿ अनà¥à¤¸à¤‚धान à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ केंदà¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनके अंडे को आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• इसलिठकहा जा रहा है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में मà¥à¤°à¥à¤—ियों को जो आहार दिया जाता है उसमें आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• जड़ी-बूटियों का मिशà¥à¤°à¤£ होता है। मतलब मà¥à¤°à¥à¤—ियों को मà¥à¤¨à¤•à¥à¤–ा, किशमिश, बादाम और छà¥à¤†à¤°à¥‡ आदि परोसे जा रहें तो उनसें पैदा होने वाले अंडे आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• कहे जा रहे है।
असल में आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• अणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ की बिकà¥à¤°à¥€ देश में शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•à¥€ है। तेलगॠसमाचार पतà¥à¤° इनाडॠमें पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ खबर की माने तो आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• अंडे की बिकà¥à¤°à¥€ तेलगॠà¤à¤¾à¤·à¥€ कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ बेंगलà¥à¤°à¥ में à¤à¥€ की जा रही है। सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पोलà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे आरà¥à¤¯à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• बताकर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बेचा जा रहा है। बात सिरà¥à¤« अंडे तक सीमित नहीं है समाचार पतà¥à¤° का दावा है कि अंडे ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• मà¥à¤°à¥à¤—ियों का मीट à¤à¥€ हैदराबाद में उपलबà¥à¤§ है।
इसे कà¥à¤› दूसरे तरीके से à¤à¥€ समà¤à¤¾ जा सकता है कि अà¤à¥€ तक मà¥à¤°à¥à¤—ियों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अंडे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठसà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¤¾à¥…यडà¥à¤¸, हारà¥à¤®à¥‹à¤¨à¥à¤¸ और à¤à¤‚टी-बायोटिकà¥à¤¸ ;पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥ˆà¤µà¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¤¦à¥à¤§ का इंजेकà¥à¤¶à¤¨ दिया जाता है। लेकिन इन मà¥à¤°à¥à¤—ियों को दिया जाने वाला आहार पूरी तरह आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• है, तो उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अंडे à¤à¥€ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• हो गये और उसका मांस à¤à¥€à¥¤
बकरी à¤à¥ˆà¤‚स à¤à¥€ घास-पात खेतों में खड़ी जड़ी-बूटियां खाती हैं तो इस तरह तो उसका मांस à¤à¥€ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• हो जायेगा? कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ हो सकता है कि कोई महिला शाकाहारी है। उसका खान-पान पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• है तो उसके बचà¥à¤šà¥‡ को आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• बचà¥à¤šà¤¾ कहा जाये? हो सकता है कल कहा जाये कि काजू, मखाने, पिसà¥à¤¤à¤¾ खाने वाली और शरबत पीने वाली गाय का बीफ à¤à¥€ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब बाजार पर पूंजीवाद हावी हो जाà¤, तो आगे à¤à¤¸à¥€ खबरें लोगों के लिठसà¥à¤¨à¤¨à¤¾ और पढना कोई नई बात नहीं रह जाà¤à¤—ी।
आरà¥à¤¯à¥à¤µà¥‡à¤¦ के संदरà¥à¤ में बात जब होती है तो मन में अपने आप उसकी महानता का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µ पैदा हो जाता है। विशà¥à¤µ की सà¤à¥€ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में, अपने देश की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ न सिरà¥à¤« पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ही है बलà¥à¤•à¤¿ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और बेजोड़ à¤à¥€ है। हमारी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ और आधार हैं वेद, जोकि मानव जाति के पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं और इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की à¤à¤• शाखा को आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¥€ कहा जाता है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के जनक के तौर पर जिन तीन आचारà¥à¤¯à¥‹ की गणना मà¥à¤–à¥à¤¯à¤°à¥‚प से होती है उनमें महरà¥à¤·à¤¿ चरक, सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤ के बाद महरà¥à¤·à¤¿ वागà¥à¤à¤Ÿ का नाम आता है। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ वेदों और )षियों के अà¤à¤¿à¤®à¤¤à¥‹à¤‚ तथा अनà¥à¤à¤µ के आधार पर किया गया है। कहा जाता है इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के पठन-पाठन, मनन à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने से निशà¥à¤šà¤¯ ही दीरà¥à¤˜ जीवन आरोगà¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, सà¥à¤– तथा यश की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है।
आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बहà¥à¤¤ ही विशाल है। इसमें ही à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है, जो मानव को निरोगी रहते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ लमà¥à¤¬à¥€ आयॠतक जीवित रहने की लिये मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ कराता है, जबकि मांसाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ में तमततà¥à¤¤à¥à¤µ की अधिकता होने के कारण मानव मन में अनेक अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ तामसिक विचार जैसे लैंगिक विचार, लोà¤, कà¥à¤°à¥‹à¤§ आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते हैं। शाकाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ में सतà¥à¤¤à¥à¤µ ततà¥à¤¤à¥à¤µ अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में होने के कारण वह आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• साधना के लिठपोषक होता है।
आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संदरà¥à¤ में यदि गहराई से à¤à¤¾à¤‚के तो अंडे खाने से मन पूरी तरह से आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का विरोध करता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ की अपने आप में à¤à¤• पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ है! आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अंडे पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• है खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ नहीं हैं। अंडे मà¥à¤°à¥à¤—ियों के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह हैं, कà¥à¤¯à¤¾ किसी का बचà¥à¤šà¤¾ खाना आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पवितà¥à¤° हो सकता है? आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में अपवितà¥à¤° खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं है और कोई मà¥à¤°à¥à¤—ी सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से अंडे नहीं देती है अंडा पाने के लिठमà¥à¤°à¥à¤—ियों के कà¥à¤› हारà¥à¤®à¥‹à¤¨à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ करने के लिठइंजेकà¥à¤Ÿ किया जाता है जोकि निःसंदेह अपà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• हैं।
à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठबेचे जाने वाले अंडे आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को विकसित करने के बजाय मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ कमाने के लिठआयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के नाम का सिरà¥à¤« घूंघट ओà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा हैं। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के नाम पर संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ बताकर बेचने वाले वेदों, उपवेदों का अपमान ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पाप à¤à¥€ कर रहें हैं। मांस के समान, अंडे तामासिक खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ हैं आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ अंडे खाने पर रोक लगाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह शारीरिक और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• उगà¥à¤°à¤¤à¤¾ को बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में जब कहीं à¤à¥€ मांस को à¤à¥‹à¤œà¤¨ या दवा की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में नहीं रखा है तो आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में अंडे कहाठसे आ गये?.......
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