वैदिक वाङà¥à¤®à¤¯ में शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾
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Natraj NachiketaDate
07-May-2018Category
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HindiTotal Views
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शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ कहते हैं। इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, तकनीक और नितà¥à¤¯à¥ काम आने वाले साधनों में होता है। शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° किले, मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, सेतà¥, वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°, आà¤à¥‚षण और अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ सामगà¥à¤°à¥€, नितà¥à¤¯ कारà¥à¤¯ के साधन, खिलौने, यातायात और संचार के साधन निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होते है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम देखते है कि शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ हमारे जीवन का महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अङà¥à¤— है। इस विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के बारे में वेदों और वैदिक वाङà¥à¤®à¤¯ में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से अनेकों निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ और उपदेश सङà¥à¤•à¤²à¤¿à¤¤ है। इस शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का मूल वेद ही है, वेदों में अनेकों मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का उपदेश किया है जैसे - शिलà¥à¤ªà¤¾ वैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¥à¤¯à¥‹ रोहिणà¥à¤¯à¤¤à¥à¤°à¥à¤¯à¤µà¤¯à¥‹ वाचेsविजà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾sअदितà¥à¤¯à¥ˆ सरूपा धातà¥à¤°à¥‡ वतà¥à¤¸à¤¤à¤°à¥à¤¯à¥‹ देवानां पतà¥à¤¨à¥€à¤à¥à¤¯ - यजà¥. 24.5
इसके à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने लिखा है कि वे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ से अनेकों यानादि बनावें।
वेदों से पृथकॠवà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£, जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, कलà¥à¤ª और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ शिलà¥à¤ª और शिलà¥à¤ªà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ के उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते है पाणिनी वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ और महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में शिलà¥à¤ª समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों से उस काल में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है -
अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ में अनेकों सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शिलà¥à¤ªà¤¿ पद पठित है - गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤ƒ शिलà¥à¤ªà¤¿à¤¨à¤ƒ - अ.6.2.62 इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤
महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° अपने समय में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का उदाहरण देकर सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सोने से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ आà¤à¥à¥‚षणों का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ करते हà¥à¤ लिखते है -
"तथा सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ कयाचिदाकृतà¥à¤¯à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤‚ पिणà¥à¤¡à¥‹ कटकाकृतिनà¥à¤ªà¤®à¥à¤¦à¥à¤¯ रूचकाः कियनà¥à¤¤à¥‡à¥¤ रूचकाकृतिमà¥à¤ªà¤®à¥à¤¦à¥à¤¯ कटकाः कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥‡à¥¤ कटकाकृतिमà¥à¤ªà¤®à¥à¤¦à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤ƒ कियनà¥à¤¤à¥‡à¥¤ पà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤ƒ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤ªà¤¿à¤£à¥à¤¡à¤ƒ पà¥à¤¨à¤°à¤ªà¤°à¤¯à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤ƒ खदिराङà¥à¤—ारसवरà¥à¤£à¥‡ कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥‡ à¤à¤µà¤¤à¤ƒ"। - महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ 1.1.1 (पसà¥à¤ªà¤¶.)
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ के पिणà¥à¤¡ को नषà¥à¤Ÿ करके रूचक बनाठजाते हैं। रूचकों को नषà¥à¤Ÿ करके कडे बनाठजाते हैं। कडों को नषà¥à¤Ÿ करके सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤• बनाठजाते है और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤• को नषà¥à¤Ÿ करके कà¥à¤£à¥à¤¡à¤² बनाठजाते है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ आà¤à¥‚षणों के माधà¥à¤¯à¤® से उस काल में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का हमें पता चलता है।
शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के महतà¥à¤¤à¥à¤µ को देखते हà¥à¤ ही शांखायà¥à¤¯à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ में कहा गया है - "तसà¥à¤®à¤¾à¤¦à¤µà¤¶à¤¿à¤²à¥à¤ªà¤¾à¤¨à¤¿ शसà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥‡ नेचà¥à¤›à¤¿à¤²à¥à¤ªà¥‡à¤à¥à¤¯à¥‹ गामेति - शांखà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ 30.3 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम कà¤à¥€ शिलà¥à¤ªà¥‹à¤‚ से पृथकॠन होवें।
इसमें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ वासà¥à¤¤à¥ से पृथकॠनृतà¥à¤¯, संगीत और वादà¥à¤¯à¤¯à¤‚तà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ को à¤à¥€ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है -
"तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥ƒà¤¦à¥à¤µà¥ˆ शिलà¥à¤ªà¤‚ नृतà¥à¤¯à¤‚ गीतं वादितमिति" - शाखà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ 29.5 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शिलà¥à¤ª तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤¦ है - नृतà¥à¤¯, गीत और वादà¥à¤¯à¥¤
इन तीनों में वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤° शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ से ही निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होते है, वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के विषय में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से à¤à¤°à¤¤à¤®à¥à¤¨à¤¿ के नाटà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤° और मतंग मà¥à¤¨à¤¿ के बृहदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ में पढ़ना चाहिà¤à¥¤ इनमें से वीणा के बारें में à¤à¤¤à¤°à¥‡à¤¯à¤¾à¤°à¤£à¥à¤¯à¤• में लिखा है, जिसमें बताया है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर के आधार पर वीणा का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है - "अथ खलà¥à¤µà¤¿à¤¯à¤‚ दैवी वीणा à¤à¤µà¤¤à¤¿ तदनà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤°à¤¸à¥Œ मानà¥à¤·à¥€ वीणा à¤à¤µà¤¤à¤¿" - à¤à¤¤.आ. 5.3
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जैसे शरीर समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ दैव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ वीणा है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ वीणा है।
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में न केवल संगीत में शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— दिखाया है, बलà¥à¤•à¤¿ यजà¥à¤ž आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— दिखाया है, साथ ही मिटà¥à¤Ÿà¥€ के खिलौने और मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है -
जैसे - मिटà¥à¤Ÿà¥€ के पशॠ- "मृनà¥à¤®à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯à¥ हैके कà¥à¤°à¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤¿" - शत.बà¥à¤°à¤¾. 6-10-38
चमकीले बरà¥à¤¤à¤¨ और हाथी आदि - यतॠà¤à¤µ शिलà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¤¿, à¤à¤¤à¥‡à¤·à¤¾à¤‚ शिलà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¤¾à¤‚ ..... हसà¥à¤¤à¥€,कंस, रथशिलà¥à¤ªà¤‚ - गो.बà¥à¤°à¤¾. 5-8-7
वेदों और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में ये शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के कà¥à¤› उदाहरण यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से दिठगये है, यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ को आधार बनाकर ही अनेकों विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का उपदेश ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है, जिसमें शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है, इस शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त यजà¥à¤ž वेदी निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के माधà¥à¤¯à¤® से ईटों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£, ईटों के सांचों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और ईटों के जोड़ के लिठलेप और जà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥€ गणित, ईटों के चिनाई की विधि ऋषियों ने बताई है।
जैसे कि हमे आपसà¥à¤¤à¤®à¥à¤¬ शà¥à¤²à¥à¤¬à¤¸à¥‚तà¥à¤° में ईटों के सांचों का वरà¥à¤£à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है -
"करणानीषà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¥‚षसà¥à¤¯ पञà¥à¤šà¤®à¥‡à¤¨ कारयेतà¥"- आप. शà¥à¤²à¥à¤¬. 9.13 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईटों के सांचों का नाप पà¥à¤°à¥‚ष के à¤à¤• पंचमांश लें।
मानव शà¥à¤²à¥à¤¬à¤¸à¥‚तà¥à¤° में बताया है कि ईटों के सांचों का नाप ईटों से 1/30 à¤à¤¾à¤— जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लेना चाहिठ-
"सदा च तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¤• à¤à¤¾à¤—मिषà¥à¤Ÿà¤•à¤¾ हà¥à¤°à¤¸à¤¤à¥‡ कृता।
तावतà¥à¤¸à¤®à¤§à¤¿à¤•à¤‚ कारà¥à¤¯à¤‚ करणठसममिछता।। - मानव शà¥à¤²à¥à¤¬. 10.2.2
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शà¥à¤¦à¥à¤§ नापों की ईटों के लिठसांचों को 1/30 à¤à¤¾à¤— बडा बनाना चाहिà¤à¥¤
शà¥à¤²à¥à¤¬à¤¸à¥‚तà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ऋषि मिटà¥à¤Ÿà¥€ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ ही ईटों को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मानते है और उसी का उपदेश करते हà¥à¤ लिखते है -
"अमृनà¥à¤®à¤¯à¥€à¤à¤¿à¤°à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤à¤¿à¤°à¥à¤¨ संखà¥à¤¯à¤¾ पूरयेतà¥"- बौधा.शà¥à¤²à¥à¤¬. 2.38 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ बिना मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बनाई ईंटों से विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ पूरी न करें।
ईटों के चिनने की à¤à¥€ विधि इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में बताई गयी है -
"à¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤°à¥à¤œà¤¯à¥‡à¤¤à¥"- बौ.शà¥. 2.22 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चिनाई में ईटों के à¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ को टालें।
अधरोतà¥à¤¤à¤°à¤¯à¥‹à¤ƒ पारà¥à¤¶à¥à¤µà¤¸à¤‚धान à¤à¥‡à¤¦à¤¾ इति उपदिशनà¥à¤¤à¤¿ - बौ.शà¥. 2.23 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नीचे और ऊपर की तह मे होने वाली ईटों को जोडें।
आज à¤à¥€ ईटों की चिनाई में यह विधि पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होती है।
चिनाई में जोडों को à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठऔर मजबूत पकड के लिठकई मिशà¥à¤°à¤£à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता था, जिनमें से à¤à¤• मिशà¥à¤°à¤£ की विधि हमें शतपथ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है -
"परà¥à¤£à¤•à¤·à¤¾à¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ªà¤•à¥à¤µà¤¾Sà¤à¤¤à¤¾ आपो à¤à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤¿" -शत.बà¥à¤°à¤¾. 6.5.1.1 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पलाश की गोंद, पानी में डालकर पानी को पकावें।
"अथाजरोमैः संजà¥à¤¯à¤¤à¤¿"- श.बà¥à¤°à¤¾. 6.5.1.4 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ इसमें फिर बकरें के लोमं मिलावें।
शरà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¶à¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‹à¤°à¤¸à¤ƒ तेन संयà¥à¤œà¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¥‡à¤®à¥à¤¨à¥‡ - शं.बà¥à¤°à¤¾. 6.5.1.6 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ फिर इसमें रेत, बजरी और लोह के चूरà¥à¤£ मिलावें और अचà¥à¤›à¥€ तरह गà¥à¤‚थे।
इस तरह के मिशà¥à¤°à¤£ का जोड़ सीमेणà¥à¤Ÿ से à¤à¥€ अधिक मजबूत होता है।
इस तरह पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ ईटों और मिशà¥à¤°à¤£ से à¤à¤µà¤¨ और शालादि का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जाता था तथा यजà¥à¤ž में यजà¥à¤žà¤µà¥‡à¤¦à¥€ और चैतà¥à¤¯ आदि का।
à¤à¤µà¤¨ à¤à¤µà¤‚ यजà¥à¤žà¤µà¥‡à¤¦à¥€ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के अलावा शिलà¥à¤ª का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤•à¤¾à¤² में सेतॠनिरà¥à¤®à¤¾à¤£ में à¤à¥€ होता था, रामायण में नल-नील नामक शिलà¥à¤ª विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ और उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ सेतॠका वरà¥à¤£à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है - ते नगानॠनग समà¥à¤•à¤¾à¤¶à¤¾à¤ƒ शाखा मृग गण ऋषà¤à¤¾à¤ƒ || २-२२-५३
बà¤à¤¨à¥à¤œà¥à¤°à¥ वानरासॠततà¥à¤° पà¥à¤°à¤šà¤•à¤°à¥à¤·à¥à¤ƒ च सागरमॠ|
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वे वानर यà¥à¤¯à¤ªà¤¤à¤¿ परà¥à¤µà¤¤à¤¶à¤¿à¤–रों और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ को उखाड़ उखाड़ कर समà¥à¤¦à¥à¤° तट पर ला ला कर ढेर लगाने लगे ||
ते सालैः च अशà¥à¤µ करà¥à¤£à¥ˆà¤ƒ च धवैरॠवंशैः च वानराः || २-२२-५४
कà¥à¤Ÿà¤œà¥ˆà¤°à¥ अरà¥à¤œà¥à¤¨à¥ˆà¤¸à¥ तालैसॠतिकलैसॠतिमिशैरॠअपि |
बिलà¥à¤µà¤•à¥ˆà¤ƒ सपà¥à¤¤à¤ªà¤°à¥à¤£à¥ˆà¤¶à¥à¤š करà¥à¤£à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥ˆà¤¶à¥à¤š पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¿à¤¤à¥ˆà¤ƒ || २-२२-५५
चूतैः च अशोक वृकà¥à¤·à¥ˆà¤ƒ च सागरमॠसमपूरयनॠ|
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ -उन लोगो ने साखू ,अशà¥à¤µà¤•à¤°à¥à¤£ ,धब ,बांस ,कौरेया ,अरà¥à¤œà¥à¤¨ ,ताल ,तिलक ,तिमिश .बैल ,सपà¥à¤¤à¤µà¤°à¥à¤£à¤¾ ,फà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ कà¥à¤¨à¥ˆà¤° ,आम और अशोक के पदों से समà¥à¤¦à¥à¤° को पाट दिया |
तालानॠदाडिमगà¥à¤²à¥à¤®à¤¾à¤‚शà¥à¤š नारिकेलविà¤à¥€à¤¤à¤•à¤¾à¤¨à¥ || २-२२-५à¥
करीरानॠबकà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥à¤¨à¤¿à¤®à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥ समाजहà¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤ƒ |
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ - वे ताड़ ,अनार ,नारियल ,कतà¥à¤¥à¤¾ ,बेहडा ,मोलसिटी ,खदिर और नीम के पेड़ो को इधर उधर से लाकर वहा डालने लगे |
हसà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥ महाकायाः पाषाणांशà¥à¤š महाबलाः || २-२२-५८
परà¥à¤µà¤¤à¤¾à¤‚शà¥à¤š समà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¾à¤Ÿà¥à¤¯ यनà¥à¤¤à¥à¤°à¥ˆà¤ƒ परिवहनà¥à¤¤à¤¿ च |
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ - हाथी के समान ,शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ , दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤¯ यंतà¥à¤° से बड़े बड़े परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को को उखाड़ कर वहा पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ लगे |
पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤£à¥ˆà¤°à¥ अचलैः सहसा जलमॠउदà¥à¤§à¤¤à¤®à¥ || २-२२-५९
समà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¤à¤®à¥ आकाशमॠअपासरà¥à¤ªà¤¤à¥ ततसॠततः |
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ -उन पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के बड़े बड़े टà¥à¤•à¥œà¥‡ को जल में डालने पर जल आकाश की तरफ उछलता और फिर नीचे गिर जाता |
समà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¥ कà¥à¤·à¥‹à¤à¤¯à¤¾à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤ªà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¤ƒ समनà¥à¤¤à¤¤à¤ƒ || २-२२-६०
सूतà¥à¤°à¤¾à¤£à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤—ृहà¥à¤£à¤¨à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¤à¤®à¥ शतयोजनमॠ|
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ - इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° चारो तरफ से पतà¥à¤¥à¤° ,लकड़ी गिरा गिरा कर वानरों ने समà¥à¤¦à¥à¤° जल को खलबला दिया ,वहा कितने ही वानर १०० योजन लमà¥à¤¬à¥‡ सूत से पà¥à¤² की सिधाई को ठीक करते थे |
नलः चकà¥à¤°à¥‡ महासेतà¥à¤®à¥ मधà¥à¤¯à¥‡ नद नदी पतेः || २-२२-६१
स तदा कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¥‡ सेतà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¨à¤°à¥ˆ रà¥à¤˜à¥‹à¤°à¤•à¤°à¥à¤®à¤à¤¿à¤ƒ |
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ -इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नल के घोरकरमा वानरों की साहयता से समà¥à¤¦à¥à¤° के ऊपर पà¥à¤² बाà¤à¤§à¤¾ गया |
यह उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ शिलà¥à¤ª का नमूना है यह पà¥à¤² कितना मजबूत होगा कि आज à¤à¥€ लाखों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद इसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ देखा जा सकता है।
शिलà¥à¤ªà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ में सहायक यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और वेधशाला निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में à¤à¥€ होता था। लगध मà¥à¤¨à¤¿ के वेदांग जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में वेधशाला का उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है -
"इतà¥à¤¯à¥à¤ªà¤¾à¤¯à¤¸à¤®à¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹ à¤à¥‚योेेेsपà¥à¤¯à¤¹à¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤•à¤²à¥à¤ªà¤¯à¥‡à¤¤à¥à¥¤
जà¥à¤žà¥‡à¤¯à¤°à¤¾à¤¶à¤¿à¤‚ गताà¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤‚ विà¤à¤œà¥‡à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤°à¤¾à¤¶à¤¿à¤¨à¤¾à¥¤à¥¤ - वेदाग यजà¥.41
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में बताठगठसà¤à¥€ तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सदैव पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· वेध उपाय दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ करना चाहिà¤à¥¤
यहाठउपाय शबà¥à¤¦ वेधोपाय का संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ रूप है।
यातायात में नौका और विमान,रथादि निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ के कारण ही समà¥à¤à¤µ है, इसमें विमानशासà¥à¤¤à¥à¤° में विमानशिलà¥à¤ª के रहसà¥à¤¯ का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ करते हà¥à¤, महरà¥à¤·à¤¿ à¤à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤œ लिखते है - "वेगसामà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥ विमानोणà¥à¤¡à¤œà¤¾à¤¨à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¤¿" - विमानशासà¥à¤¤à¥à¤° 1.1 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गतिसामà¥à¤¯ से विमान कहलाते है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के तà¥à¤²à¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¾à¤° से विमान निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है।
इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वैदिक वाङà¥à¤®à¤¯ में शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आà¤à¥‚षण, वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°, ईटों और ईटों से à¤à¤µà¤¨, शालादि निरà¥à¤®à¤¾à¤£, मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ खिलौनों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤µà¤‚ सेतà¥, विमान आदि निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। सिंधू सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, बेबीलोन, मिसà¥à¤¤à¥à¤°, तà¥à¤°à¥à¤• आदि सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मंदिरादि निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में इनहीं शà¥à¤²à¥à¤¬à¤¸à¥‚तà¥à¤°à¥‹à¤‚ का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ देखा जा सकता है। इनहीं की शिलà¥à¤ª विदà¥à¤¯à¤¾ और जà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾ से यह सब निरà¥à¤®à¤¾à¤£ समà¥à¤à¤µ हà¥à¤† है।
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