अहंकार : अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ है
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Naveen AryaDate
31-Jul-2018Category
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RajeevUpload Date
31-Jul-2018Download PDF
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संसार में लोगों की अनगिनत इचà¥à¤›à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ होती हैं और उनकी पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवनà¤à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहता है । जब इन इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जब उन योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ आदि से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है तब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¦à¤° अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है, इसी अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को ही अहंकार कहा जाता है।
अहंकार à¤à¤• पदारà¥à¤¥ का नाम à¤à¥€ है जिसे ईशà¥à¤µà¤° ने हम सब जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठइस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के समय बनाया है । सांखà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° जब सतà¥à¤µ-रज-तम रूप मूल-पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करता है तो पहली वसà¥à¤¤à¥ महततà¥à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ नमक ततà¥à¤µ को बनाता है जिसके माधà¥à¤¯à¤® से हम किसी à¤à¥€ विषय में निरà¥à¤£à¤¯ करते हैं । उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ इस अहंकार नामक वसà¥à¤¤à¥ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करता है जिसके माधà¥à¤¯à¤® से हम अपने आपको अनà¥à¤à¤µ करते हैं । यदि ईशà¥à¤µà¤° यह अहंकार ही बनाकर न दे तो हम इतना à¤à¥€ जान नहीं सकते कि, - "मैं हूà¤" । अपने आप को जानने का यह à¤à¤• साधन मातà¥à¤° है । इस साधन के अतिरिकà¥à¤¤ अहंकार à¤à¤• और à¤à¤¸à¥€ वसà¥à¤¤à¥ है जब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिथà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के कारण यह कहता है कि "मैं ही हूà¤" । जिसको हम अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, घमणà¥à¤¡, गरà¥à¤µ और अहंकार आदि शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से कहते या वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं ।
अहंकार का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण है अविदà¥à¤¯à¤¾, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ । वासà¥à¤¤à¤µ में हमें अपने सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª के विषय में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ रहती है और अपने आप के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अधिक आसकà¥à¤¤ हो जाता है, कà¥à¤› à¤à¥€ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर लेता है तो उसको वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने साथ जोड़ लेता है और उसको अपना ही सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª वा सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ मान लेता है । यदि किसी के पास कà¥à¤°à¥‹à¤§ और अहंकार (अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨) है तो उसको किसी दूसरे शतà¥à¤°à¥à¤“ं की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यही उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को समूल नाश करने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि किसी ने कहा à¤à¥€ है कि "घमणà¥à¤¡ न करना जिंदगी में तक़दीर बदलती रहती है, शीशा वही रहता है बस तसà¥à¤µà¥€à¤° बदलती रहती है ।
यदि हम à¤à¤• पà¥à¤¯à¤¾à¤œ के बारे में विचार करते हैं तो, जब हम उसे छीलते हैं, तो उसमें से à¤à¤• के बाद à¤à¤• परत निकलती जाती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसके अंदर कोई गूदा ही नहीं होता है। इससे पृथक उसका अपना कोई अलग सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª होता ही नहीं है, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ का जो कà¥à¤› à¤à¥€ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया हà¥à¤† है वह सबकà¥à¤› उसके अपने सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª से अलग ही है और सदा अलग ही रहेगा, वह सब कà¥à¤› कà¤à¥€ à¤à¥€ उसका अपना हो ही नहीं सकता । जिस पर हम घमणà¥à¤¡ करते या अहंकार महसूस करते हैं, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम उन उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं से, सफलताओं से अपने आपको जà¥à¥œà¤¾ हà¥à¤† मानते हैं। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पास अपने-अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में काम, सफलता, परिवार या पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿, पद-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा, धन-संपतà¥à¤¤à¤¿, मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ आदि से संबंधित मिथà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, गरà¥à¤µ, घमणà¥à¤¡ या अहंकार होता है। अहंकार à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या दूसरे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच अंतर पैदा करता है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बिना नाम और पहचान के ही पैदा होता है। वह à¤à¥‚ल जाता है कि - वह मूल रूप से ईशà¥à¤µà¤° की ही à¤à¤• रचना है और जो कà¥à¤› à¤à¥€ योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है वह सब इसी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में ही ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है ।
वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अहंकार से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होता ? उसके मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण हैं मूरà¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अलà¥à¤ª जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाना, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-अधरà¥à¤®à¥€ को शारीरिक बल और कंजूस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को धन-वैà¤à¤µ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाना । लेकिन जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इन सब योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं, उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, सफलताओं को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हà¥à¤ à¤à¥€, वैदिक योगà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤“ं के सानिधà¥à¤¯ में रहकर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शà¥à¤¦à¥à¤§à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर तदनà¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है और वैदिक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤£, ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£ तथा महिमा का सà¥à¤®à¤°à¤£, मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का जप करना तथा अपने से अधिक योगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं को देखना आदि कारà¥à¤¯ करता है, तो उसमें अहंकार बहà¥à¤¤ कम होता है अथवा धीरे-धीरे नषà¥à¤Ÿ हो जाता है । जो योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ होता है वह सबकà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨,बल, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ आदि का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° को ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हà¥à¤ अपने वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को छोड़कर विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है वही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अहंकार से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है ।
यदि हम में किसी विषय को लेकर अधिक अहंकार या अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† है, तो उसी मिथà¥à¤¯à¤¾ अहंकार के कारण कà¤à¥€ हमें अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• दà¥:ख और हानि का समाना à¤à¥€ करना पड़ता है। यदि किसी à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या महिला की समय के साथ-साथ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ नषà¥à¤Ÿ होती जाती है और वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आती जाती है या बीमार हो जाती है तो वह उसे अपने अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के कारण सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही करना नहीं चाहता या चाहती और दà¥:खी हो जाते हैं । और इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अगर कोई धन-संपनà¥à¤¨à¤¤à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अचानक किसी कारण वशातॠà¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯-समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ नषà¥à¤Ÿ हो जाये तो वह उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को सहन नहीं कर पाता और इसके लिठअतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ दà¥:खी हो जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसने अपनी अहंकार से मिथà¥à¤¯à¤¾-मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ बना रखी है कि मैं ही सबसे संपनà¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हूठऔर सदा à¤à¤¸à¤¾ ही रहूà¤à¤—ा, कà¤à¥€ à¤à¥€ विपनà¥à¤¨à¤¤à¤¾ नहीं आà¤à¤—ी । कà¤à¥€-कà¤à¥€ अहंकार की वजह से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को जो मानसिक दà¥:ख पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है वह शारीरिक कषà¥à¤Ÿ से à¤à¥€ कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ असहनीय होता है।
यह अहंकार या अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ दोष है कि बहà¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤à¤¾à¤µ से à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¦à¤° घर किया हà¥à¤† रहता है । जब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करते हà¥à¤ ऊà¤à¤šà¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेता है और अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दोषों को छोड़ देता है, शांत, सरल, विनमà¥à¤°, इरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾-दà¥à¤µà¥‡à¤· रहित, कà¥à¤°à¥‹à¤§-रहित बन जाता है तो à¤à¥€ उसको अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ हो जाता है कि हमने à¤à¤¸à¥€ ऊà¤à¤šà¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया है । अतः इस दोष को बहà¥à¤¤ ही सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ से निरीकà¥à¤·à¤£ करके ईशà¥à¤µà¤° की सहायता से सब संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को नषà¥à¤Ÿ करना होता है, उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ ही हम ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦ में मगà¥à¤¨ होने के अधिकारी बन पाते हैं ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
Thanks for informing .god keep you happy