आरà¥à¤¯ कौन थे? जवाब यहाठमिलेगा
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Rajeev ChoudharyDate
13-Sep-2018Category
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13-Sep-2018Download PDF
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आरà¥à¤¯ कौन थे पहली बात तो यह कोई पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं है. किनà¥à¤¤à¥ सन 1920 के बाद से इसे पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ बनाकर सबसे पहले अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ इतिहासकारों और उनके बाद कà¥à¤› à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहासकारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इतना उलà¤à¤¾à¤¯à¤¾ गया कि आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पीà¥à¥€ के सामने आरà¥à¤¯ कौन थे, कहाठसे आये थे? वह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ थे या बाहरी थे? वह किस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ थे, उनका मूल धरà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ था? आदि-आदि सवाल पर सवाल खड़े किये गये. धीरे-धीरे काल बदल रहा है, देश में सरकारे बदल रही है, इतिहासकार बदले, सोच बदली यदि कà¥à¤› नहीं बदला सिरà¥à¤« à¤à¤• सवाल कि आरà¥à¤¯ कौन थे.?
हाल ही में हरियाणा के राखीगà¥à¥€ से मिले 4,500 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ कंकाल के “पेटà¥à¤°à¤¸ बोन” के अवशेषों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का पूरा परिणाम सामने आने जा रहा है à¤à¤• बार फिर रटे-रटाये सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚त को सिदà¥à¤§ करने की तैयारी चल रही कि कà¥à¤¯à¤¾ हड़पà¥à¤ªà¤¾ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के लोग संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ और वैदिक हिंदू धरà¥à¤® की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ थे? असल में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤¾ तथा पà¥à¤£à¥‡ के डेकà¥à¤•à¤¨ कॉलेज के कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ डॉ. वसंत शिंदे की अगà¥à¤†à¤ˆ वाली à¤à¤• टीम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 2015 में की गई खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के बहà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ और लंबे समय से रोककर रखे गठपरिणामों में à¤à¤¸à¥‡ अब खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‡ होने वाले हैं. à¤à¤• कंकाल को आधार बनाकर à¤à¤• बार फिर यही साबित करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जायेगा कि आरà¥à¤¯ बाहरी और हमलावर थे.
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब 1920 के दशक में सिंधॠघाटी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ पहली बार खोजी गई थी, तब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ ने इसे ततà¥à¤•à¤¾à¤² पूरà¥à¤µ-वैदिक काल की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सबूत के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° लिया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯ आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• नया सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त दिया और कहा कि उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤® से आठआरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने हड़पà¥à¤ªà¤¾ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को पूरी तरह नषà¥à¤Ÿ करके हिंदू à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नींव रखी.
हालाà¤à¤•à¤¿ वसंत शिंदे यह मत रखते हैं कि जिस तरह से राखीगà¥à¥€ में समाधियां बनाई गई हैं वह पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• वैदिक काल सरीखी है. साथ ही वह ये à¤à¥€ जोड़ते हैं कि राखीगà¥à¥€ में जिस तरह से समाधि देने की परंपरा रही है वह आज तक चली आ रही है और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग इसका पालन करते हैं. लेकिन इसके साथ ही वह जोड़ते है कि यह वही काल है जिसमें आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ माना जाता है, जैसा कि आरà¥à¤¯ आकà¥à¤°à¤®à¤£ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त मानने वाले निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· निकालते हैं.
चलो à¤à¤• पल के लिठहम सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ लें कि पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वासà¥à¤¤à¤µ में सही हैं और 1800 ईसा पूरà¥à¤µ के बाद आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपमहादà¥à¤µà¥€à¤ª में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया और यहाठके मूलनिवासियों पर हमला कर विशाल à¤à¥‚à¤à¤¾à¤— पर कबà¥à¥›à¤¾ कर लिया. किनà¥à¤¤à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने योगà¥à¤¯ है कि राखीगà¥à¥€ या हड़पà¥à¤ªà¤¾ में किसी तरह की हिंसा, आकà¥à¤°à¤®à¤£, यà¥à¤¦à¥à¤§ का संकेत नहीं मिलता है. किसी तरह के विनाश का संकेत नहीं है और कंकालों पर किसी तरह की चोट का निशान नहीं है.
दूसरा आरà¥à¤¯ बाहरी और वेद को मानने वाले लोग थे यदि यह à¤à¤• पल को यह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया जाये तो आरà¥à¤¯ कहाठसे आये और जहाठसे वह आये थे आज वहां वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के लोग कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रहते है? कà¥à¤¯à¤¾ वहां à¤à¤• à¤à¥€ वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ नागरिक नहीं बचा था?
आज मातà¥à¤° à¤à¤• कंकाल के डीà¤à¤¨à¤ से यह साबित किया जा रहा है कि उसका डीà¤à¤¨à¤ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोगों से काफी मिलता है पर कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो सकता कि यह कंकाल किसी वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€, à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर निकले किसी जिजà¥à¤žà¤¾à¤¶à¥ अथवा किसी राहगीर का नहीं होगा? यदि कल दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मिले किसी कंकाल का डीà¤à¤¨à¤ उतà¥à¤¤à¤°-à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोगों से मिलता दिख जाये तब कà¥à¤¯à¤¾ यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त खड़ा कर दिया जायेगा कि आरà¥à¤¯ मूल निवासी थे और दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ हमलावर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤¦à¥à¤° के रासà¥à¤¤à¥‡ हमला किया और इस à¤à¥‚à¤à¤¾à¤— पर कबà¥à¥›à¤¾ कर लिया?
यह à¤à¤• कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ नहीं किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस समय à¤à¤¾à¤°à¤¤ था ही नहीं वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤• सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के केनà¥à¤¦à¥à¤° के रà¥à¤ª में आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने ही विकसित किया था. पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤• तरफ तो आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाहर से आने की सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त का समरà¥à¤¥à¤¨ करते हैं, दूसरी ओर उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ à¤à¤¾à¤·à¤¾ बोलने वाले सिंध के रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर रहे थे तो आखिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मूल निवासी थे कौन?
तीसरा आरà¥à¤¯ बाहरी थे, उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ थी. तो आज यह à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अलावा कहीं ओर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिखाई देती? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उतà¥à¤¤à¤° और à¤à¤¾à¤°à¤¤ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥, धारà¥à¤®à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ à¤à¤• हो गयी? अरबो, तà¥à¤°à¥à¤•à¥‹à¤‚ अफगानियों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर हमला किया अनेक लोग यहाठबस à¤à¥€ गये तो कà¥à¤¯à¤¾ उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾, उनका मत उनके देशों से समापà¥à¤¤ हो गया?
आज सामाजिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर वियतनाम, थाईलेंड, कमà¥à¤¬à¥‹à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾, इणà¥à¤¡à¥‹à¤¨à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾, सà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾, मà¥à¤¯à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤° आदि देशों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के चिनà¥à¤¹ मिलते है कà¥à¤¯à¤¾ इन देशों में à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया? हमें यह à¤à¥‚लना नहीं चाहिठकि आरà¥à¤¯, चाहे वे मूल रूप से मंगल के निवासी हों या फिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ वही थे. इस उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• à¤à¤•à¤¤à¤¾ को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के रूप में जाना जाता है, इसकी जड़ें वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में थीं जिसकी खनक पà¥à¤°à¥‡ देश में सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है.
आखिरकार, यदि वैदिक लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठविदेशी हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे 1800 ईसा पूरà¥à¤µ में कथित रूप से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•à¥‡ थे, तो फारसियों ने à¤à¥€ 1000 ईसा पूरà¥à¤µ के बाद फारस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया था तो कà¥à¤¯à¤¾ वह à¤à¥€ फारस के लिठविदेशी हैं? 2000 ईसा पूरà¥à¤µ के बाद गà¥à¤°à¥€à¤¸ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने वाले गà¥à¤°à¥€à¤•, वहां के लिठविदेशी हैं. फà¥à¤°à¤¾à¤‚सीसी फà¥à¤°à¤¾à¤‚स के लिठविदेशी हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ पहली शताबà¥à¤¦à¥€ ई.पू. में रोमन विजय के दौरान लैटिन उपनिवेशवादियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाया गया था. यदि सब विदेशी है तो कà¥à¤¯à¤¾ आज समसà¥à¤¤ संसार में कोई à¤à¥€ मूलनिवासी नहीं है. इससे पता चलता है कि यह सब हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ हिंदूओं को अपराधबोध से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ करने के लिà¤, आपस में बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ के लिठकालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• इतिहास घड दिया गया है.
वैदिक लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ हैं. इस तथà¥à¤¯ को कोई à¤à¥€ नहीं बदल सकता है कि यही वह वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ थी जिसने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के जनà¥à¤® को जनà¥à¤® दिया वैदिक धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ की मूल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है और कà¥à¤› à¤à¥€ इस तथà¥à¤¯ को बदल नहीं सकता है. बाकि कà¥à¤› महीनों में साफ हो जाà¤à¤—ा मगर अà¤à¥€ तक जो कà¥à¤› à¤à¥€ राखीगà¥à¥€ और यूपी के सिनोली में मिला है, उससे à¤à¤• बात तो साफ है कि इतिहास में कà¥à¤› तो जरूर बदलेगा?..राजीव चौधरी
Jiske Andar sabke prati Daya, binmrata,nayay, saneh, upkaar karne ki bhawana ho, jo dharm Ke raste Paar chalta Ho.,jo roti bilkhati huyi jeev atma ko sukh santi de, jinke ander sadachar Ho, jinke bavhaar se kisi ko kasth na Ho. Jo swarthi na Ho, jo parm gayani Ho jiske gyan se sansaar ka upkaar hota Ho, wahi arya hota hai. Arya koyi bhi Ho sakta hai, chahe o koyi bhi jati ya majhab ko jiske Andre ye Saab gun hai. Ved satya gyan ka bhandar hai, Ved Ke gyaan ko prapt karne ka sabka adhikaar hai. Rigveda ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, Yajurveda यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦S,amaveda सामवेद,Atharvaअथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦,(Ayurveda ,Dhanurveda,Gandharva Veda,Shilpa Veda (Sthapatya),Artha Veda).