“कà¥à¤¯à¤¾ हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® पिछले जनà¥à¤® का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® नहीं है?â€
Author
Manmohan Kumar AryaDate
26-Nov-2018Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
04-Dec-2018Download PDF
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वेद और वैदिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ को सनातन, अजनà¥à¤®à¤¾, अमर, अविनाशी, जनà¥à¤® व मरण के बनà¥à¤§à¤¨ में बनà¥à¤§à¤¾ हà¥à¤† और करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤¾ और उसके फलों को à¤à¥‹à¤—ने वाला माना गया है। वेद कà¥à¤¯à¤¾ हैं? वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाकर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अमैथà¥à¤¨à¥€ कर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अंगिरा नाम वाले चार ऋषियों को दिया था। अनेक तरà¥à¤• व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिदà¥à¤§ होता है। इसका à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ तो यह है कि जब संसार में कोई गà¥à¤°à¥, शिकà¥à¤·à¤•, माता-पिता, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, à¤à¤¾à¤·à¤¾ आदि नहीं थी तब आदि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को परमातà¥à¤®à¤¾ ने वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। यदि परमातà¥à¤®à¤¾ वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न देता तो अदà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤§à¤¿ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति à¤à¤¾à¤·à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होने व à¤à¤¾à¤·à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ न कर सकने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के कारण मूक व बधिर की तरह अथवा à¤à¤¾à¤·à¤¾ के न होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बहà¥à¤¤ पहले ही समापà¥à¤¤ हो गया होते। ईशà¥à¤µà¤° चेतन और सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होने से सरà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है। जिस तरह से पिता अपने पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देता व दिलाता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ अपनी पà¥à¤°à¤œà¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देता है। वेदों की सà¤à¥€ बातें तरà¥à¤• व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से सिदà¥à¤§ है। वेदों ने ईशà¥à¤µà¤° का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प बताया है वह सतà¥à¤¯ है और उसे पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों के लोग मानते हैं। हां, अपने-अपने मत की अलà¥à¤ª, नà¥à¤¯à¥‚न व वेद विपरीत शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के कारण वह इसे अपनी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के कारण खà¥à¤² कर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं कर पाते। वेद ईशà¥à¤µà¤° को सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ देने वाला होने सहित उनका पालनकरà¥à¤¤à¤¾ बताते हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर नहीं है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर तो जड़ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से मिलकर बने हैं। इन शरीरों में जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® करने की शकà¥à¤¤à¤¿ है वह इसमें अनादि काल से असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ रखने वाली जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के कारण है। यह आतà¥à¤®à¤¾ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ पिता व माता के शरीरों में परमातà¥à¤®à¤¾ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होती है। उसके बाद जब माता के गरà¥à¤ में आतà¥à¤®à¤¾ का शरीर पूरà¥à¤£ रूप से बन जाता है, तब गरà¥à¤ काल के दस मास बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® होता है। जीवित शरीर में आतà¥à¤®à¤¾ होने का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ यह है कि मृतà¥à¤¯à¥ होने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का शरीर जड़वतॠव निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जाता है। इसका à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° कारण शरीर से चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾ का अपने सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर सहित निकल जाना होता है। जब तक शरीर में आतà¥à¤®à¤¾ होता है तब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ रहता और आतà¥à¤®à¤¾ उसमे रहकर सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ता रहता है। अनेक मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी मृतà¥à¤¯à¥ का पूरà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤¸ à¤à¥€ हो जाता है। वह पहले ही अपने परिवारजनों को बता देते हैं कि अब उनके जाने का समय आ गया है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जाना होगा। अनेक महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को अपने अनà¥à¤¤à¤¿à¤® समय पर सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से आतà¥à¤®à¤¾ को शरीर को निकालते à¤à¥€ देखा गया है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने विषपान के कारण जरà¥à¤œà¤°à¤¿à¤¤ शरीर से अपनी आतà¥à¤®à¤¾ को ईशà¥à¤µà¤° का गà¥à¤£à¤—ान करते हà¥à¤ मास, पकà¥à¤·, दिन व तिथि आदि पूछ कर, शरीर को शà¥à¤¦à¥à¤§ कर व नये शà¥à¤¦à¥à¤§ वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण कर ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ लमà¥à¤¬à¥€ शà¥à¤µà¤¾à¤‚स à¤à¤° कर अपनी आतà¥à¤®à¤¾ को शरीर से बाहर निकाल दिया था। यदि शरीर में आतà¥à¤®à¤¾ न होती तो ऋषि दयाननà¥à¤¦ और कà¥à¤› अनà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को इससे मिलती जà¥à¤²à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं थी। आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ होना सतà¥à¤¯ है। वह जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ माता के गरà¥à¤ में आती है और मृतà¥à¤¯à¥ के समय शरीर को छोड़कर ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ व वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से निकल जाती है। ईशà¥à¤µà¤° के करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ जनà¥à¤® विषयक नियमों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› समय बाद उस मृतक आतà¥à¤®à¤¾ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® हो जाता है। अतः जनà¥à¤®-मरण सिदà¥à¤§ होने के साथ मृतà¥à¤¯à¥ के बाद आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बने रहना à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है।
पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के विषय में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया जाता है कि यदि यह हमारा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है तो हमें अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं होतीं? इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि मृतà¥à¤¯à¥ होने पर हमारा पूरा शरीर जिसमें हमारा मन, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤•, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ सहित सà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती हैं, आतà¥à¤®à¤¾ से पृथक हो जाते हैं और उनसे यà¥à¤•à¥à¤¤ शरीर को अगà¥à¤¨à¤¿ को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर नषà¥à¤Ÿ कर दिया जाता है। पूरà¥à¤µ शरीर के न रहने और उसकी आतà¥à¤®à¤¾ को नये जनà¥à¤® से लगà¤à¤— 10 महीनों तक तो मां के गरà¥à¤ में रहना ही पड़ता है। इन 10 महीनों व शैशव काल में मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की बातों की विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ हो जाती है। हम जानते हैं कि हम जो शबà¥à¤¦ व वाकà¥à¤¯ बोलते हैं, उनमें से पांच दस वाकà¥à¤¯ बोलने के बाद यदि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दोहराना हो तो हम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उसी शà¥à¤°à¥ƒà¤–ंला व कà¥à¤°à¤®à¤¬à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ में दोहरा नहीं सकते। हमने कल रात में कà¥à¤¯à¤¾ खाया, परसो दिन में व रात को कà¥à¤¯à¤¾ खाया था, हम पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ à¤à¥‚ल जाते हैं। तीन चार दिन पहले जो खाया-पीया होता है, वह किसी को सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं रहता। हमने कल, परसों व उससे पूरà¥à¤µ के दिनों में किस रंग व वसà¥à¤¤à¥à¤° पहने थे, दो-चार दिनों में कब-कब किस-किस से मिले थे, यह à¤à¥€ याद नहीं रहता। यदि हमें दो चार दिन की बातें ही याद नहीं रहती, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम à¤à¥‚ल जाते हैं तो फिर पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® जिसमें हमारा शरीर हमसे पृथक हो गया तथा 10 महीनों व उससे कà¥à¤› अधिक का समय हमारे पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो गया, à¤à¤¸à¥‡ में पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ का सà¥à¤®à¤°à¤£ न रहना समà¥à¤à¤µ नहीं होता और इसमें कोई आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात नहीं है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मन à¤à¤• समय में à¤à¤• ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है। उसे हर समय अहसास व विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रहता है कि उसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ है। अतः इस कारण à¤à¥€ वह पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं कर पाता। à¤à¤• कारण यह à¤à¥€ होता है कि जनà¥à¤® लेने से सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के किशोर अवसà¥à¤¥à¤¾ में आने तक माता-पिता व अनà¥à¤¯ परिवार जनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बोली व कही जाने वाली अनेक बातों के संसà¥à¤•à¤¾à¤° आतà¥à¤®à¤¾ व मन पर अंकित हो जाते हैं। इस लिये à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ धूमिल पड़ जाती हैं। इस कारण à¤à¥€ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं रह पातीं।
परमातà¥à¤®à¤¾ ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ के अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होने के कारण à¤à¥‚लने का नियम बनाकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ का लाठही किया है। इस उदाहरण पर विचार करें कि पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® में मैं राजा था तथा इस जनà¥à¤® में अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारण मेरा à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¨ व अà¤à¤¾à¤µà¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ परिवार में जनà¥à¤® हो गया। यदि मà¥à¤à¥‡ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का पूरा वृतानà¥à¤¤ सà¥à¤®à¤°à¤£ रहेगा तो मेरा यह जीवन पिछले जनà¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को याद कर व इस जनà¥à¤® की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर विचार कर दà¥à¤ƒà¤– मनाने में ही वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो जायेगा। अतः हमें ईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना चाहिये कि हमें पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं हैं। हम à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जनà¥à¤® के बाद से ही पूरà¥à¤µ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ कर नया जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं और इस जनà¥à¤® का à¤à¤°à¤ªà¥‚र आननà¥à¤¦ ले सकते हैं। यह ईशà¥à¤µà¤° की हम पर बहà¥à¤¤ बड़ी कृपा है।
à¤à¤• उदारण यह à¤à¥€ ले सकते हैं कि हमारे परिवार में किसी अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाये तो उससे हम दà¥à¤ƒà¤–ी रहेंगे। यदि हमें यह दà¥à¤ƒà¤– हर समय सà¥à¤®à¤°à¤£ रहेगा तो हम जीवन को धैरà¥à¤¯ व शानà¥à¤¤à¤¿ से चला नहीं पायेंगे। कोई à¤à¥€ घटना, पà¥à¤°à¤¿à¤¯ व अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ घटती है तो उसके बाद से ही हम उसे à¤à¥‚लना आरमà¥à¤ हो जाते हैं और हमारा दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥€ समय के साथ कम होता जाता है। अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ के समय परिवारजनों को जो दà¥à¤ƒà¤– होता है उतना दà¥à¤ƒà¤– कà¥à¤› घंटे बात नहीं रहता। दो चार दिनों में तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ सामानà¥à¤¯ हो जाता है। ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ घटनाओं को à¤à¥‚ल जाने का जो सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ हमें दिया है, वह हमारे लिये हितकर है।
पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ इस बात में à¤à¥€ है कि संसार में कोई नया पदारà¥à¤¥ बनता नहीं है। इसका तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि अà¤à¤¾à¤µ से à¤à¤¾à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शूनà¥à¤¯ से किसी नये पदारà¥à¤¥ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नहीं होती। कोई मौलिक पदारà¥à¤¥ होगा, उसी से परमातà¥à¤®à¤¾ या मनà¥à¤·à¥à¤¯ रचना कर सकते हैं। हम मकान बनाते हैं तो हमें इसमें मिटà¥à¤Ÿà¥€, ईंट, बजरी, चूना व सीमेंट तथा सरियों आदि की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। यह परमातà¥à¤®à¤¾ ने पहले से ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में सà¥à¤²à¤ करा रखे हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ का शरीर जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से परमातà¥à¤®à¤¾ माता के गरà¥à¤ में बनाता है जिसका जनà¥à¤® लेने के बाद à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि करके विकास व विसà¥à¤¤à¤¾à¤° होता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ अनादि, अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व नितà¥à¤¯ है। यदि परमातà¥à¤®à¤¾ इसको बार बार जनà¥à¤® न दे तो इसे सà¥à¤– नहीं मिल सकता। ईशà¥à¤µà¤° सामरà¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ है, अतः उस पर दोष आयेगा यदि वह आतà¥à¤®à¤¾ को जनà¥à¤® देने की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ होने पर à¤à¥€ जनà¥à¤® न दे। ईशà¥à¤µà¤° हमसे अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है। वह हमें इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की आलोचनाओं का अवसर ही नहीं देता। अतः वह आतà¥à¤®à¤¾ को मृतà¥à¤¯à¥ के बाद शीघà¥à¤° जनà¥à¤® देता है। किसी कारणवश जब शरीर आतà¥à¤®à¤¾ के रहने के योगà¥à¤¯ नहीं रहता तो मृतà¥à¤¯à¥ होती है और मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जो करà¥à¤®à¤¾à¤¶à¤¯ होता है उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उसका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® व नया जनà¥à¤® होता है। जनà¥à¤®-मरण का यह चकà¥à¤° अनादि काल से चला आ रहा है और अननà¥à¤¤ काल तक चलता रहेगा। यह जनà¥à¤® व मरण का चकà¥à¤° कà¤à¥€ समापà¥à¤¤ होने वाला नहीं है। हां, अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ जिसमें ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ को जानना, ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करना, सबसे पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤µà¤• सतà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके व ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करके मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ को मोकà¥à¤· मिल जाता है। मोकà¥à¤· की 31 नील 10 खरब और 40 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की अवधि पूरà¥à¤£ होने पर पà¥à¤¨à¤ƒ जनà¥à¤®-मरण का चकà¥à¤° आरमà¥à¤ हो जाता है। हम à¤à¥€ अनादि काल से जनà¥à¤® व मरण के बनà¥à¤§à¤¨ में बनà¥à¤§à¥‡à¤‚ हà¥à¤ हैं और मोकà¥à¤· मिलने तक और उसके बाद à¤à¥€ मोकà¥à¤· की अवधि पूरी होने पर हमारा जनà¥à¤® व मरण का चकà¥à¤° पà¥à¤¨à¤ƒ आरमà¥à¤ हो जायेगा।
हमारा यह जनà¥à¤® पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® है और हमारा आने वाला व उसके बाद के सà¤à¥€ जनà¥à¤® पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होंगे। हमारे जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प, गà¥à¤£, करà¥à¤® और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को जानकर तथा आतà¥à¤®à¤¾ से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° करना है और आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प परमातà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर आननà¥à¤¦ में विचरना है। हम पाठक मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से निवेदन करेंगे कि वह जीवन व मरण तथा मोकà¥à¤· से जà¥à¥œà¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¨à¥‡ के लिये ऋषि दयाननà¥à¤¦ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सहित उपनिषद, दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें। इससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसार के सà¤à¥€ जटिल पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का समाधान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा। ओ३मॠशमà¥à¥¤
--मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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