धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ की धमकी और राजनितिक नाटक
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Vinay AryaDate
21-Oct-2019Category
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राजनितिक संकट से निकलने के लिठधरà¥à¤® को हथियार बनाना आज राजनेताओं का शोक बन गया है या मजबूरी, इस पर शोध होना जरà¥à¤°à¥€ सा हो गया है। हाल ही में बहà¥à¤œà¤¨ समाज पारà¥à¤Ÿà¥€ की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· मायावती ने à¤à¤• फिर धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ की धमकी दी है। अबकी बार महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के दौरान नागपà¥à¤° में à¤à¤• जनसà¤à¤¾ को संबोधित करने पहà¥à¤‚चीं और कहा कि वह à¤à¥€ बाबा साहब à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ आंबेडकर की तरह मैं à¤à¥€ बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ बनने के लिठदीकà¥à¤·à¤¾ अवशà¥à¤¯ लूंगी लेकिन यह तब होगा जब इसका सही समय आ जाà¤à¤—ा।
हालाà¤à¤•à¤¿ इससे पहले à¤à¥€ मायावती कई बार यह धमकी दे चà¥à¤•à¥€ है। थोड़े समय पहले आजमगॠमें à¤à¤• रैली को संबोधित करते हà¥à¤ बसपा अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· मायावती ने कहा था अगर सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ दलों ने दलितों, मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और आदिवासियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी सोच नहीं बदली तो वे लाखों समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ के साथ बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अपना लेगी। लेकिन वोटों की राजनीति की धारà¥à¤®à¤¿à¤• बà¥à¤²à¥ˆà¤•à¤®à¥‡à¤²à¤¿à¤‚ग में इस बात का जवाब कौन देगा कि अपने समरà¥à¤¥à¤•à¥‹ यानि दलितों, मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और आदिवासियों में उसके साथ उसके कितने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समरà¥à¤¥à¤• बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे?
इस बार à¤à¥€ उनके à¤à¤¾à¤·à¤£ से पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा है कि जैसे वह मोदी सरकार और उसके समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हिंदूवादी दलों को चेतावनी दे रही हो कि मैं दलितों की विशाल आबादी का धरà¥à¤® बदलकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बौदà¥à¤§ बना दूंगी तो तà¥à¤® हिंदà¥à¤¤à¥à¤µ की राजनीति कैसे करोगे? मायावती के बारे में कहा जाता है कि बाबा साहेब à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ अंबेडकर के धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ के पचास साल पूरे हà¥à¤ तो मायावती 14 अकà¥à¤¤à¥‚बर 2006 को नागपà¥à¤° बौदà¥à¤§ दीकà¥à¤·à¤¾à¤à¥‚मि गईं थी, जहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहले किठगठवादे के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अपना लेना था। यह वादा कांशीराम ने किया था कि बाबा साहेब के धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ की सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयंती के मौके पर वह खà¥à¤¦ और उनकी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ मायावती बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अपना लेंगे। उसी दौरान मायावती ने वहां बौदà¥à¤§ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥‚ओं से आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ तो लिया लेकिन सà¤à¤¾ में कहा, मैं बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® तब अपनाऊंगी जब आप लोग मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बना देंगे। बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ à¤à¥€ सोच में पड़ गठकि यह विशà¥à¤¦à¥à¤§ धरà¥à¤® के नाम पर राजनीति कर रही है।
जनवरी, 1956 में दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¤• साधारण परिवार में जनà¥à¤®à¥€ मायावती 1984 में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनती है। गरीब दलित दबे कà¥à¤šà¤²à¥‡ वरà¥à¤— की राजनीति करते-करते 1995 को देश के सबसे बड़े राजà¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की मà¥à¤–à¥à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और देखते-देखते करोड़ो अरबों रूपये की मालकिन बन जाती है। परनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में मायावती अपने राजनीतिक जीवन के संकट काल से गà¥à¤œà¤° रही हैं, इस वरà¥à¤· समाजवादी पारà¥à¤Ÿà¥€ के साथ गठबंधन किया कà¥à¤› सीट à¤à¥€ हासिल की पर गठबंधन नवजात अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही दम तोड़ गया। लिहाजा वह अब अकेली है तो वो वह सब कà¥à¤› करेगी जो उसे सतà¥à¤¤à¤¾ तक पहà¥à¤‚चा सकता है। शायद उनकी चिंता इस बात को लेकर à¤à¥€ कि सामाजिक रूप से दलितों को अलग रखने की जो खाई उसने खोदी थी फिलहाल वह खाई पटती नजर आ रही है।
आज नेताओं को धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ की धमकी या इस तरह के राजनितिक नाटक से बाज आना चाहिà¤à¥¤ धरà¥à¤® के नाम पर गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ करना बंद होना चाहिà¤à¥¤ राजनेताओं को à¤à¥‚ख, बेरोजगारी, कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤£ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° आदि समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिठराजनेता जब धरà¥à¤® को निज सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठउपयोग करें तो धरà¥à¤® का इससे बड़ा दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ होता होगा? लेकिन धरà¥à¤® और राजनीति के घालमेल के कारण विचितà¥à¤° परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होती जा रही हैं। जिसमें जितने सवाल हैं उतने जवाब नहीं हैं। धरà¥à¤® और राजनीति का घालमेल सदियों से होता आ रहा है किनà¥à¤¤à¥ इसका वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प काफी वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ करने वाला है। कला, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से लेकर अब धरà¥à¤® à¤à¥€ राजनीति के मंचो पर खड़ा नजर आ रहा है। यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी और कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥€ ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हमेशा बनी बनी रहेगी, यह सवाल à¤à¥€ सामने खड़ा है?
असल में देखा जाये तो मायावती को वोट के अलावा न तो दलितों से कà¥à¤› लेना देना न धरà¥à¤® से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इससे पहले à¤à¥€ वह अनेकों मौकों पर बौदà¥à¤§ बनने की धमकी दे चà¥à¤•à¥€ है, इसी का परिणाम यह है कि इस बार बौदà¥à¤§ धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• नहीं लिया। जानकार कह रहे है कि आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की दौड़ में जब बाजार की शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ हैं, तो दलित केवल à¤à¤• राजनीतिक शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ बन कर रह गये है। कà¤à¥€ के समय में आदिवासी को साथ लेकर, पिछड़े कमजोर को सामाजिक रूप से उà¤à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ के लिठकांशीराम ने पारà¥à¤Ÿà¥€ का जो ढांचा खड़ा किया था, वह बिखरा ही नहीं, समापà¥à¤¤ à¤à¥€ हो गया है। आज दलितों, पिछडों, और अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को लेकर जो उसकी राजनीतिक जमीन थी, वह धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ है. कारण अधिकांश दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोग अपने नेताओं की हकीकत समठचà¥à¤•à¥‡ है। सबसे बड़ा सवाल à¤à¥€ यही है कि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बौदà¥à¤§ बनाकर मायावती कोई राजनीतिक उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हासिल करना चाहती हैं या दलितों का उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨? या फिर इसी तरह दलितों के नाम पर राजनीति की रोटी सिकती रहेगी।
हालाà¤à¤•à¤¿ धरà¥à¤® के बारे में सामानà¥à¤¯ रूप से कहा जाता है कि यह जीवन जीने का रासà¥à¤¤à¤¾ बताता है। लेकिन यदि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हालात पर गौर करें तो यह सतà¥à¤¤à¤¾ तक जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ तलाश करता है। आज के दौर के नेता न केवल धरà¥à¤® को बलà¥à¤•à¤¿ साधारण सी समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का à¤à¥€ राजनीतिकरण और धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤°à¤£ करने से नहीं चूकते। इसीलिठमायावती को हमारा सà¥à¤à¤¾à¤µ है बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® और महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ के नाम पर अपनी राजनितिक रोटी सेकने से पहले à¤à¤• बार महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ का जीवन पॠलेना चाहिठबà¥à¤¦à¥à¤§ मोकà¥à¤· (निरà¥à¤µà¤¾à¤£) के लिठराजपाट छोड़ा था और यह लोग अपने राजपाट के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठआज महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर रहे है। इस मामले में दलित चिंतक à¤à¤¸à¤†à¤° दारापà¥à¤°à¥€ कहते है कि धरà¥à¤® वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मामला है। वह चाहे कोई धरà¥à¤® अपना लें इसके लिठधमकी देने की कà¥à¤¯à¤¾ जरूरत है? फिर à¤à¥€ अगर मायावती बौदà¥à¤§ हो ही जाà¤à¤‚ तो सवाल ये à¤à¥€ है कि इससे किसी का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ होगा, और धरà¥à¤® बदल देने से मायावती का लाठकà¥à¤¯à¤¾ होगा?
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