अगर कोरोना नहीं गया तो।


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Rajeev ChoudharyDate
08-Apr-2022Category
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RajeevUpload Date
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अभी थोड़ी देर पहले छत से सड़कों देख रहा था। इक्का-दुक्का लोग दिख रहे हैं, सब कुछ शांत है जैसे समय ठहर सा गया हो। दरवाजा बंद करके अंदर बैठा ही था कि चिड़ियाएं के चहकने की आवाज़ सुनाई दी। सोच रहा हूँ जहाँ हर समय गाड़ियों के हार्न, स्कूटर कार की आवाज़ें सुनाई देती थीं, आज वहां चिड़ियाएं की चहकने आवाज कहाँ से आ गई..?
हम तो भूल ही गए थे ना कि ये भी कोई जीव होते हैं और इस पृथ्वी पर इनका भी हिस्सा है। क्योंकि भाई हम तो इंसान ना सड़के हमारे, जंगल हमारे, आसमान हमारा, सब जगह कब्ज़ा हमारा। फिर ये चिड़ियां क्यों चहक रही हैं?
ध्यान आया, दुनिया का सबसे ताकतवर जीव जिसे इंसान कहते हैं, घरों में कैद है। एक छोटे से महीन से वायरस से डरकर, जो इतना सूक्ष्म है कि सूक्ष्मदर्शी से देखना पड़ता है, उसी के डर से अमेरिका जैसी सुपर पावर डुबक गई, दुनिया में सबसे बड़ी सेना रखने वाला चीन घुटनों पर ला दिया। इटली के डॉक्टर इंसान जैसा दूसरा जीव बनाने की तैयारी में थे, अब अपने इंसानों को भी नहीं बचा पा रहे हैं।
स्पेन के नास्तिक जो कहते थे ‘भगवान कुछ नहीं होता सब फालतू की चीजें हैं’, वो खौफ में हाथ जोड़े खड़े हैं कि अब ईश्वर ही किसी तरह स्पेन के लोगों को बचा सकता है।
उत्तर कोरिया का तानाशाह जो दुनिया को मिटाने की बात करता था, आज अपने ही लोगों को नहीं बचा पा रहा है और खुद को इस्लाम का रहनुमा बताने वाला ईरान अपने देश के मुसलमानों के शवों को छिपा रहा है।
अगर अभी इंसान अपनी किसी ताकत के बल के अहंकार में जी रहा है, तो भूल जाइए कि हम भी कुछ हैं और कुछ कर सकते हैं! कोरोना अभी एक ट्रेलर है, इसे देखकर समझ जाइए कि पूरी पृथ्वी की तस्वीर कैसी होगी। क्योंकि ट्रेलर में ही सब रिश्ते-नातों के पैर उखड़ते दिखाए दे रहे हैं। एक बेटा मां से दूर भाग रहा है, एक पत्नी पति से कह रही है आप बाहर से आए हो मुझसे और बच्चों से दूर ही रहना। विदेश से कोरोना पीड़ित बेटे को मां कह रही है सीधा घर मत आना कुछ दिन कहीं बाहर बिता लेना। जो प्रेमी प्रेमिका का हाथ पकड़ साथ जन्मों तक के वादे कर रहा था वो गायब हो गया। दोस्त दोस्त को घर नहीं बुला रहा है। ये कैसी खामोशी है? घर में सन्नाटा पसरा है, लोग अलग-अलग कमरों में बैठे हैं। जहाँ बाहर कभी इंसानों की भीड़ थी आज कोरोना घूमा रहा है, कोई पुलिस वाला चालान काटने की हिम्मत नहीं कर रहा है। रफाल, अपाचे, चिनूक जैसे लड़ाकू विमान मिसाइल परमारण बम लिए दुनिया की सभी सेनाएं सेना बेबस नजर आ रही है। हर जगह लॉकडाउन है, स्कूल बंद, शहर बंद, बस बंद ट्रेन हवाई जहाज सब कुछ बंद है। एकदम मध्यकाल की तरह राजधानी दिल्ली में बाहर से आए लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर वापस अपने घरों के लिए पैदल जा रहे हैं।
इटली में विज़्ञान लाचार दिख रहा है, बड़ी-बड़ी गाड़ियां खाली हैं महंगे बंगले खाली पड़े हैं। यहां तक कि धर्मस्थल बंद हो गए मैंने देखा रोम में वेटिकन सिटी के पादरी को अकेला खाली जीसस से प्रार्थना करते हुए। दुनिया के दूसरे हिस्से में वाला पोप अपने ही देश में मास्क लगाकर रहम की भीख मांग रहा है। भारत में चंगाई सभा लगाकर मरीज़ों का इलाज करने वाले इसाई पादरी पवित्र जल का छींटा देकर गंभीर रोगों को भगाने का ढोंग करने वाले सीनटाइज़र का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यानि सब की पोल खुल गई या कहो सब की अकड़ निकल गई। अभी तक यह सब कुछ हल्के-फुल्के मूड में देखते थे लेकिन अब सब कुछ यथार्थ में घट रहा है.. लगता है तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया है। जिसमें एक तरफ इंसान द्वारा इजाद की गई सारी विज्ञान की ताकत है दूसरी तरफ सूक्ष्म सा वायरस जो पूर्व में हुए दो विश्व युद्धों की तरह लाखों-करोड़ों की जान ले सकता है।
लोग स्क्रीन पर मृतकों के आंकड़े पढ़ रहे हैं, संक्रांतियों की संख्या बताई जा रही है। जिन्दा बचे इंसानों को बचाने की जद्दोजहद हो रही है। लेकिन सवाल ये है आखिर कब तक? यदि अभी भी प्रकृति से लड़ना नहीं छोड़ा तो इस ट्रेलर के बाद की मूवी की कल्पना आप नहीं कर सकते। क्योंकि आपने इस ट्रेलर की भी कल्पना नहीं की थी। अभी भी वक्त है संभल जाइए। एक दिन तालियाँ थालियाँ बजाकर महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया जा सकता है लेकिन महमारी को अब लंबे समय चकमा नहीं दिया जा सकता। समुंदर से पिघल तक जमीन से लेकर आसमान तक, जीवों पर दिया से लेकर से पशु पक्षियों तक यदि हमने प्रकृति को अपना नहीं समझा तो प्रकृति भी हमसे कोई लगाव नहीं करेगी वो भला अपना दुश्मन को अपना क्यों समझेगी। वो अपना बदला लेगी। एक झटके में इंसानी ताकत के गुरूर को तोड़ डालेगी। ध्यान रहे सूरज फिर निकलेगा, पक्षी फिर भी चहकेंगे, हवाएँ भी होंगी लेकिन हम और तुम ना होंगे…
लोग फिर एक चिट्ठियाँ ने चहकना शुरू कर दिया अब मुझसे चिट्ठियाँ की व्यथा पर लिखी महादेवी वर्मा की कविता की कुछ पंक्ति याद गई।
घर में पेड़ कहाँ से लाएँ,
कैसे यह घोंसला बनाएँ!
कैसे फूटे अंडे जोड़े,
किससे यह सब बात कहेंगी!
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?"
– राजीव चौधरी
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