सिकà¥à¤•à¤¿à¤® में कैसे दी आरà¥à¤¯ समाज ने दसà¥à¤¤à¤•
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Vinay AryaDate
08-Apr-2020Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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हिमालय की गोद हो, परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से घिरा शांति का वातवरण हो, सà¥à¤µà¤°à¥à¤— सी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ हो और उसके मधà¥à¤¯ में à¤à¤• यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ हो। जिसके चहूà¤à¤“र यजà¥à¤ž करते छातà¥à¤° छातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ हो। सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा आरà¥à¤¯ समाज मंदिर हो, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी का चितà¥à¤° अंकित हो तथा वैदिक उधघोष हो। तो सोचिठà¤à¤¸à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ जब धरा पर उतर रही हो तो महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के किस शिषà¥à¤¯ का मन ख़à¥à¤¶à¥€ से पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ नहीं होगा।
अब à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राजà¥à¤¯ सिकà¥à¤•à¤¿à¤® की धरा पर उतरने जा रही है, दिलà¥à¤²à¥€ सà¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सारà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾à¤“ं के पदाधिकारियों के अथक परिशà¥à¤°à¤®, महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ और आरà¥à¤¯ समाज के यशसà¥à¤µà¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ नेता वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सिकà¥à¤•à¤¿à¤® के महामहिम राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² गंगापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी से सहयोग से आरà¥à¤¯ समाज के à¤à¤µà¤¨ का शिलानà¥à¤¯à¤¾à¤¸ हो गया है। पिछले दिनों सिकà¥à¤•à¤¿à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® सिंह तमांग जी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ गरिमामयी गंगापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आरà¥à¤¯ समाज के सेवा कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआवंटित à¤à¥‚मि के कागजात दिलà¥à¤²à¥€ सà¤à¤¾ के महामंतà¥à¤°à¥€ विनय आरà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दयाननà¥à¤¦ सेवाशà¥à¤°à¤® संघ के महामंतà¥à¤°à¥€ जोगिनà¥à¤¦à¥à¤° खटà¥à¤Ÿà¤° को सौंपे थे। अब आरà¥à¤¯ समाज à¤à¤• नई इबारत लिखते हà¥à¤ सिकà¥à¤•à¤¿à¤® में शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सेवा का केंदà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने जा रहा है। इस केंदà¥à¤° से न केवल सिकà¥à¤•à¤¿à¤® की जनता को उचà¥à¤š गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ की शिकà¥à¤·à¤¾ का लाठमिलेगा बलà¥à¤•à¤¿ साथ ही साथ उचà¥à¤š मापदंड वाली सेवाओं का लाठà¤à¥€ मिल सकेगा।
सà¤à¥€ लोग à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति जानते है पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बार आरà¥à¤¯ समाज के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ में मंचो से à¤à¤• चिंता बार उठी है कि विदेशी मिशनरीज के कारण हम अपना पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ लगातार खोते जा रहे है। हालाà¤à¤•à¤¿ इस बीच इस चिंता से लड़ते, जूà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠअखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दयाननà¥à¤¦ सेवाशà¥à¤°à¤® संघ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯ समाज ने जिस तरीके से सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¦à¤° राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ जगाकर देश को à¤à¤• सूतà¥à¤° में जोड़ने का जो कारà¥à¤¯ किया वह अपने आप में बेहद बड़ा कारà¥à¤¯ रहा है।
असल में सिकà¥à¤•à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤— में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ है, हाथ के अंगूठे के आकार यह राजà¥à¤¯ पशà¥à¤šà¤¿à¤® में नेपाल तथा दकà¥à¤·à¤¿à¤£-पूरà¥à¤µ में à¤à¥‚टान से और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल से लगा हà¥à¤† है। हिनà¥à¤¦à¥€ से लेकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€, गोरखा नेपाली, à¤à¥‚टिया, लिंबू जैसी कई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता है। सामरिक à¤à¤µà¤‚ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रूप से महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इस राजà¥à¤¯ में बौदà¥à¤§ नेपाली के अतिरिकà¥à¤¤ मारवाड़ी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¥€ यहाठरहता है। à¤à¤• समय यह à¤à¤¾à¤— आरà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का केनà¥à¤¦à¥à¤° था और उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सिरमौर कहलाता था।
धीरे-धीरे यहाठबौदà¥à¤§ मत पहà¥à¤‚चा लेकिन आज इस बौदà¥à¤§ और हिनà¥à¤¦à¥‚ मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ सिकà¥à¤•à¤¿à¤® राजà¥à¤¯ में पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में विदेशी मिशनरीज सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हà¥à¤ˆ और नेपाल और à¤à¥‚टान की तरह ही यहाठके चाय बागानों में काम करने वाले गरीब मजदूरों का धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। जैसे आज मेघालय में 75 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤, मिजोरम में 87 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤, नागालैंड में 90 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ आबादी ईसाई मत के मानने वालों की हो गयी है, इसी तरह धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण के कारण सिकà¥à¤•à¤¿à¤® में à¤à¥€ 8 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ के करीब राजà¥à¤¯ की आबादी पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•à¥€ है।
आरà¥à¤¯ समाज ने हमेशा से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धराधाम से जà¥à¥œà¥‡ मत समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया, वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ-साथ समाज सेवा के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बिना किसी à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के अपने कदम आगे बà¥à¤¾à¤¯à¥‡, लोगों को जागरूक किया और उन लोगों के मधà¥à¤¯ पहà¥à¤‚चा जो अपने सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• और धारà¥à¤®à¤¿à¤• असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ से दूर किये जा रहे है। ये कोई छिपा रहसà¥à¤¯ नहीं है कि पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ सहित लगà¤à¤— अà¤à¥€ आदिवासी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ईसाई मिशनरियाठतेजी से धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण कर रही हैं। इन आदिवासियों के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देने के नाम पर मिशनरी सà¥à¤•à¥‚लों में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ किया जा रहा है। इस छदà¥à¤® धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण से लड़ने का à¤à¤• ही उपाय है कि इन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में शिकà¥à¤·à¤¾ और अपनी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° किया जाये। आरà¥à¤¯ समाज ने इस चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और तेजी से इन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अपना कारà¥à¤¯ बà¥à¤¾ रहा है। आरà¥à¤¯ समाज चाहता है कि दूर दराज गाà¤à¤µà¥‹ और पहाड़ों में रहने वाले नागरिक à¤à¥€ सामानà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन शैली तथा उपलबà¥à¤§ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का उपà¤à¥‹à¤— करें। इसी कारण अब सिकà¥à¤•à¤¿à¤® की राजधानी गंगटोक में शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सेवा का केंदà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने जा रहा है। जिसमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ आरà¥à¤¯ समाज मंदिर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°, और यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर राजà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ नागरिक सोंपे जा सके।
दà¥à¤–द यह है कि जिस विराट वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और धरà¥à¤® पास राम और कृषà¥à¤£ जैसे महापà¥à¤°à¥à¤· रहे हो आज उस जाति को बहकाया जा रहा है पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ दिया जा रहा है, कारण हमने इन महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कैद कर इनके विचारों को à¤à¥à¤²à¤¾ दिया। हमने आजादी के बाद à¤à¥€ सही ढंग से होश नहीं समà¥à¤¹à¤¾à¤²à¤¾ और वनवासियों, आदिवासियों को शूदà¥à¤°, अछूत समà¤à¤•à¤° उनका निरादर किया जिसका लाठमत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ ने उठाया। किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤–द यह है कि आरà¥à¤¯ समाज ने इस पीड़ा को समà¤à¤¾ और परिणाम आज पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वैदिक नाद हो रहा है, इस कड़ी में सिकà¥à¤•à¤¿à¤® का जà¥à¥œà¤¨à¤¾ अपने आप में आरà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की मेहनत और अथक परिशà¥à¤°à¤® का परिणाम है कि à¤à¤• बार पà¥à¤¨: हजारों वरà¥à¤· बाद सिकà¥à¤•à¤¿à¤® की à¤à¥‚मि पर वैदिक मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठहोगा। असम नागालेंड तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ समेत कई राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बाद अब आरà¥à¤¯ समाज ने हिमालय की गोद में बसे सिकà¥à¤•à¤¿à¤® राजà¥à¤¯ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के सपनों की पताका फहरा दी जाà¤à¤—ी।
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