बूलीवूड के मशहूर अभिनेताओं सहित कई राजपूत ने मुंम्बई में अपने घर में फैन्सी लगाकर जान दे दी है। सूत्रों के अनुसार जवान जवान था अभी 34 साल का है। मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पिछले छह महीनों से डिप्रेशन से गुजर रहा था और अब अमर अवसाद ज्यादां बढ़ने के कारण अपने जीवन्लीला ही समाप्त कर ली।

सूत्रों के अनुसार का निधन अपूर्णीय क्षति है। चारों ओर शोक की लहर है। हर कोई अपने तर्क से औरको शोधांजलि दे रहा है। ट्वीटर, फेसबुक और व्हाट्सप्प पर अपनी फिल्मों और सिरयल्स के सीन के साथ लोग अपने दु:ख को व्यक्त और साझा कर रहे हैं।

भारत के कई बड़े युवा पेंपर और पोर्टल भी अपनी श्रद्धांजलि प्रर्दान कर रहे है, न्यूज 24 ने लिखा रिप सूचना सहित राजपूत, एक्टर्स की मौत के बाद बॉलीवुड में पसरा सननाटा, इसके अलावा नई दुनियां अखबार ने लिखा रिप सूचना सहित राजपूत सूचना की मौत की खबर सुनकर बेशुध हुए पिता... इसके अलावा हिन्दुस्थान टाइम्स और टाइम्स नाऊ समेत कई ने रिप सूचना सहित राजपूत लिखकर श्रद्धांजलिज और अपनी खबर प्रकाशित की।

तेजी से भागती दोड़ती जिन्दगी और इंटरनेट की दुनिया में आज प्रत्त्येक वर्ड का शॉर्टकट प्रयोकिया जाने लगा है, जिससे गूड़ मॉर्निंग के लिए सिर्फ़ जी एम लीख देते और गूड़ नाईट के लिए जी एन् लीख देते है।
इस तरह से एक शब्द है रेस्ट इन पीस इस शब्द के लिए आर आइ पी यानि रिप का प्रयोकिया जाता है, लगभग 8वींं शताब्दी के दौरान कई के मर्ने पर उसे दबनाते हुए यहाँ वाक्य इसाई कैथोलिक अंतिम संस्कार समारोहों का एक हिस्‍सा बना।
उसके लिए एक विशेष प्रार्थना की जाती थी,
यानि रिप लेटिन भाषा का एक ऐसा शब्द है जिस्का हिंदी में अर्थ होता है शांति से आराम करो।
अब तुमहें कहें जाने की जरूरत नहीं है मृतलब ये आत्‍मा के लिए नहीं है रिप शब्द शरीर के लिए है क्योंकि इसाई अथवा मुस्लिम मन्न्याताओं के अनुसार जब कही जजमेंट डे आते हुए पाया जाता, उस दिन कब्र में पड़े ये सबी शव दोबारा जीवित हो जायेंगे तब तक उस दिन के इंतजार में रेस्ट एंड पीस यानि शांति से आराम करो।
कुछ शब्दों का छलन बिना विचारे तेजी से फैल जाता है अधिकारियों लोग उन्हींं का प्रयोकरने लगतें हैं कुछ को पता नहीं और कुछ आधुनिक बनने की होड़ में ऐसा करते हैं।
इसाई समुदाय और मुस्लिम समुदाय में पुनर्जन्म को नहीं माना जाता उन्हके अनुसार इंसान एक बार जन्म लेता है और मर्ने के बाद कब्र में में जजमेंट डे या क्यामत तक इंतजार करता है।
लेकिन सनातन धर्म और विज़्ञान इस बात के पक्ष में नहीं हैं,inka मानना है कि आत्‍मा कभी आराम नहीं करती, मृत्य के पश्चात दूसरा जन्म तीसरां जन्म जब तक आत्‍मा बहुत महान कार्य करते मोक्श तक नहीं जाती तब तक उसकी याता यात्रा जारी रहती है।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि आत्मा का कोई पृष्ठ नहीं होता उसको यातरा अनंन्त है। अभी तक जब हमारें किसी प्रयि रिस्तेदार मित्र Sage सम्बन्धी के मऊत हो जाती थी तो हम कुच इस तरह अपनी संवेदना व्यक्त करते थे...

जैसे प्रिये चाचा जी का असमय हमारें बीच से जाना बहुत ही दुखद है, उन्हके साथ बिताये पल सदैव हम सबको उन्हके याद दिलाते रहेंगे , अक्सर मनुष्य की シャायद कही और hemase jyada आवश्यक्ता हो

या फिर इस तरह की मैँ अपने और आपके परिवार को हमेशा गहरी और सबसें गम्भीर संवेदना देना चाहताँ हूँ और आपके दादाजी की ज़वान से प्रेरण बाऐतें सदैव हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें..

असल में माँय्त्यू स्त्य है और शरीर नश्वर हैं, यह जानते हुए भी अपने बीच से किसी अपने के जाने का हम सबही को बेहद कष्ट होता हैं। हम अपने हृदय तल से शब्दों को अपने भावनाओं में प्रकट करते हैं तथा शोकाकुल परिवार कोिम्मत देते हैं और हर एक जगह में उन्हका साथ देने का विश्वास भी हम लोग उन्हें दिलाते हैं...

लेकिन आजकल किसी को अपने धर्म और संस्कृत के बारे में कुच समझाओ तो लोग आपके कट्टरता से रूढ़िवाद जोड़ देते हैं। रिप संस्कृतियाँ मोबाइल जनरेशन की एक सबसे बड़ी समस्या या कूपी-पेस्ट संस्कृत का नतीजा है। शायद रिप लिक्ना उनक लिए बुरा नहीं होता होगा वो शरीर में विश्वास करते हैं शरीर के शांति के लिए कह सकते हैं हें लेकिन यदि मृतक कोई स्नातन धर्म या जैन, बौद्ध या सिख धर्म का हो तो यह ग्लत है क्योंकि शरीर में नहीं आत्मा केिधान्त को मानने वाले लोग है।

आप इसाइयों की कबरों पर देखकर वहाँ मोटे मोटे अक्षरों में लिखा होता है रिप यहीं सेiska प्रसर और पुरस्कार मिशनरीज और कांन्वेंट स्कूलों से होता हुआ आज हार और फैलाई चूका है। इसाइ धर्म पुणर्जन्म में तो यकीं नहीं करता तो वो पुणरुत्थान को मानता है। पुणर्जन्म और पुनरुत्थान में अन्तर है। जहाँ एक ओर पुणर्जन्म में हम शरीर की नहीं आत्मा की बात करते हैं तो वहींं दू्सरी ओर पुनरुत्थान में आत्मा जसे कोइ चीज नहीं होती। वहां शरीर होता है जिसे दफनाया गया है और वह शरीर फिर एक दिन जीन्दा हो जायेगा।

वहींं दू़सरी और सनातन धर्म को मानने वाले मानते हैं कि शरीर शरीर नस्वर है और आत्मा अमर है। इसलिये शरीर को पंचतत्त्वों में विलीन करने हेतु उसे जलाया जाता है। तो रिप का कोई मतलब है नहीं बनता। गीता में तो आत्मा के लिए स्पष्ट कहा गया है नैनं चिन्दन्ति स्त्राणि नैनं दहति पावकं न चैवं क्लेदयं त्यजति मारुतः

अर्थात इस आत्मा को शरीर नहीं काट सकते,ISCO आग नहीं जलाया सकता,ISCO जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सूखा सकता है।

सनातन धर्म के अनुुसार मनुष्य की मृत्यु होते ही आत्मा निकलकऱ आत्मा अपनी यात्रा में निकल जाती है, या मोक्ष प्राप्त कर परम ब्रह्म में विलीन हो जाती है। हम यहाँ मानते हैं कि आत्मा अमर है और वो पुराणे शरीर को त्याग कर नए शरीर में चली जाती है या मोक्ष प्राप्त कर परम ब्रह्म में विलीन हो जाती है। सनातन धर्म में रिप जैंसा कोई भी नहीं। यहाँ तो उस दिवंगत आत्मा को एक प्रकार से कोसना हुआ कि तू यहाँ पड़े रह बेताओ कोइ अपने प्यारे सगे सम्बन्धी के लिए ऐसा भी भला कोई करता है। हालनकि संयुक्त सिंध ने अंत समय में जैंस रासते का चुनाव किया वह रास्ता वही नहीं था, आप अक्सर अभियिनेता थे लेखिन युवाओं के हीरो नहीं बन पाये।

RAJEEV CHOUDHARY

 

 


 

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