पिछले कई रोज़ पहले जोनपुर और अधिकांश दलितों पर हमला हुआ था, दलित बस्ती में 9 जून को मुसलिमों द्वारा हिवानीयत का ऐसा खेल खेला गया जिससे देखकर हर कोई हक्का-बक्का रह गया। उनकें घरों में आग लगाई गई, उनकें पशु मवेशी जलाए दिए उनकें घरों में आग लगाई गई, गरीबी दलित भाइयों के घर भी लूटे गये।

आग क्यौं लगाई गयी किसने लगाई कितनी रारजनीति इस पर हुई ये जानने के लिये 11 जुलाई 2016 को गुज़रात के ऊना में छलते हैं, 11 जुलाई 2016 को गुज़रात के ऊना में काफी दलित युवकों को मृत पाया की चर्चा निकाली गई।

निकालने की वजह से काफी कुछ उचित इनमादी गो रक्षक समिति का सदसय बताना वाले लोगों ने सलाह पर पीटा था। दलितों की पिटाई का वीडियो भी जारी किया था।

इस घटना पर प्रदर्शनमंती जी ने भी निंदा की और काफी गो रक्षककों को गुंडे तक बनाया था उन्हें जेल भी हुई तब जो होनी थी चाहे थी।

इस घटना को लेकर दलित जनता ने भी मेवाणी ने आंंदोलन किया और उनके दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला। समिति दलित जनता मैदान में आये हिंदू धरम को कोसा गया और उनके बौद्ध बन जाने तक मामला चल्ता रहा।iske बाद एक दूसरे मामा आला पर कई फ़रीदाबाद के सूनपेज़ गाँव में एक दलित परिवार को जिंदा जलाया गया। इस घटना में दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। इस मामले को लेकर भी देश भर समस्त दलित जनता मैदान में आये लेकिन जिससे यहाँ लोगों ने खूब चर्चा की और वह वहाँ पहले थे।

अब ताजा हालात पर बात करते हैं जो लोग खुद को दलित कहते हैं उनके लिए यह बात समज लेने बेहद जरुरी है कि उनके किलोफ कैसे खूब लोग स्वतंत्र रहा है और वह उन्हें अपने नेटा सुबहचिंतक समजने की भूळ कर रहे हैं। जिन वीर जायतीयों को मृगलकाल में दलित बनायां गया आज अंबेडकर जी का नाम लेकर आज के अध्यक्ष जोगेन्द्रनाथ मंडल सिर्फ़ उन्हका इस्तेमाल कर रहे हैं।

हरियाणा का सूनपेज़ हो या गुजऱात का आँना डोनोँं मामलोँं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोर मचाया गया, हम कहते हैं शोर मचाना गलत नहीं है लेकिन अपराज़ कभी भी हो या ज़ातीय भेदभाव हो शोर मचाना चाहिये लेकिन सवााल एक तरफ़ा शोर के शुरुआती से हैं।

आज बड़ी हारत की बात यह है कि खुद को धरम निरपेक्ष कहने वाली राजनैतिक पार्टीयां, समाजिक कारयकर्त्ता ज़ानें-मानी शख्सियतें और यहाँ तक कि दलित चिंतक का तमगा लिए लोगों ने भी ज़ौनपुर भदोई मामलोें पर रहस्यमयी चुप्पी ोढ़ ली है, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने तो हाल कर दी, भीम आर्मी को दलितों की चिँता के बहकाने की ये दलित चिंतक हैं या मुसलिम चिंतक?

कांग्रेसे महासचिवPriyanka गांधी और अखिलेश यादव से लेकर कम्युनिस्ट वामपंथी नेता सैताराम येचूर€,hederabad के मुस्लिम जय meem नेता असदुद्दीन ओवेसे€, जिग्नेेश मेवाण€, उमर अब्दुल्ला, दलित नेता प्रकाष अंबेडकर€, दिलीप मंडल और चंद्रभान प्रसाद ने इस बेहद भयावह घटना पर मौन साध रखा है, हां मायावती जी ने दलितों पर अत्याचार के मामलोँ में मुसलिम आरोपियोँ पर तुरं्त कारर्वाई के लिए योगी सरकार की सराहना जरूऱ की है।

भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद को अपने सीएएए के खिलाफ जामा मस्जिद और जमिया जाकर प्रदर्शकारियोँ के साथ हुडदंग मचाते देखा होगा लेकिन ज़ौनपुर की घटना पर उनकें मुनासिफ़ नहीं समझा ब्लकिए लुटेरोंं डंगाइयों पर कारर्वाई करने वाली सरकार पर हई सवााल उड़ा रहे हैं। इसे तरह Priyanka गांधी ने सोनभद्र में 10 आदिवासियोँ के हत्या पर 26 घंटोँ का धरना दिया था, लेकिन इस बार ऊंकी तरफ से कोई बयान नहीं आया।

यह पहली बार नहीं है, जब दलित मुसलमानों के हिँसा का शिकार बने हैं। मध्य प्रदेश के खंडवा में सोशल मीडिया पर डाली गई आपत्तिजनक पोस्ट का विरोध करने पर राजेश माली की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। हत्या करने वाले साथी आरपियों मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन्हेँ बेहद से पीटा बचाने की कोशिश करने पर उनके बहन शीला और चाचा पर भी हमला किया गया। लेकिंन सभी लोग, सेकुलर जया भीम जय माइम वाले गायक हो गये। उसीके परिहार के लिए न भाजपा के मेनामाख़ेज़े की आवाज निकली न वामन मेशराम को सुना, न राहुल रावण की दहाइ सुनी और न चंद्रशेखर रावण का भासन!

पिछले साल भी मध्यप्रदेश के सागर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने धर्मप्रसाद अहिरवार की हत्या कर दी थी। एक वर्ष ने घर में गुड़स्कर धर्मप्रसाद अहिरवार को आग लगा दी थी, जिसके कारण उनकी मौत हो गयी। मुजफ्फरनगर के डंगों में मुसलमानों के अक्रोश के कारण दलितों को अपने घर छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। तब उन्हेँ बचाने मायावती आईं, न दलित-मुस्लिम एक़ता का समर्��न करने वाला कोइ नेता आया।

ज्यादा पुराना इतिहास उलझाने की जरूरत नहीं है आज मेवात के मुस्लिम आबादी धीरें-धीरे दलितों के शासन घाट पर कब्जा कर रही है। साथ ही सरकार द्वारा मुहैया कराए गए उन्नके प्लॉट भी समुदाय विशेष के लोगों द्वारा धीरें-धीरे हज़पे जा रहे हैं। वहीं, मारपीट, उदारी का पैसा मांगने पर हमले की घटना‍एं तो मांनो बेहद सामान्य हो गई हैं। पूर्व नियायाधीश पवन कुमार की जांच रिपोर्ट के अनुसार मेवात में मुस्लिम समुदाय का अल्पसंख्यक दलितों पर अत्याचार इतनां भैषण है कि जिले के करीब 500 गांवों में से 103 गांव एसे हैं जो हिन्दू विहीन हो चुके हैं। 84 गांव एसे हैं, जहाँं अब केवल 4 या 5 हिन्दू प्रवास पर शेष हैं।

मेवात के हालात पर सब मोन हैं क्योंकि इनहें दलितों की अवाज उचाने के लिए नहीं बल्कि जोसे क़तित ब्राह्मणवाद, मनूस्मृति को कोसने, हिन्दुओं को गाली देने के लिए फंड मिल रहा है? जब दश देश भर में सियाएे विरोधी प्रयासोजित प्रदर्श्न करवाए जा रहे थे, तब खुद को दलितों का नेता कहने वाला चंद्रशेखर खूब सुरक्षियों में आया था। खुद को बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों का उद्धराधिकारी बताने वाले इन्हताओं ने दशकों तक बाबा साहेब के विचारों के साथ धोखा किया और आज दलितों को एक ऐसी दलदल में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है, जहाँं उन्की जिंदगी और मौत का फैसलां मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं?

दालत सामना को अब यह समारोह जाना चाहिए कि येнета अपनी राशि के लिए उनमें उन्हेँ किस दलदल में दाखेल रहे हैं। दालित मुस्लिम एक्टा के नाम पर उन्हेँ एसे बंध अन्येरे कमरे में दाखेला जा रहा है, जहाँ उनकी ज़िंदगी चंद ‘शांतिप्रिय’ गुंडों के रहमो करम पर टिकी होगी। बाबा साहब ने इस समसया को आजादी से पहले ही पहचाना था। अपनी किताब पाकिस्तान एंड पार्टीशन आफ इंडिया में डॉ. आंबेडकर जी साज लिहा था मुस्लिमान मानवमात्र के भाइचारे में विशवास नहीं करते। इस्लाम में भाइचारे का सिद्धांत मानव जाति के भाइचारे से नहीं हैं। यह मुस्लिमानों तक सीमित भाइचारा है। समूदाय के बहार वालों के लिए उन्हेँ पास दुष्मनी नफरत तिरस्कार के सिवाय कुछ भी नहीं हैं।

अभी भी वक्त है कि सामना वीडियो तस्वीरों के इस श्रृंखल को समझें। ये सामना में विज़टन छोड़ना करना चाहिए। बाबा साहब के संदेश को आत्मसात करें उन्हकी लिखी किताबें पढ़े वामन मेश्राम राक़ी रावण जीग्नेश मेवानी मीना आमखेज़े जैसे उम्मीदवारों के सांगोपों से बढ़े जो आंबेडकर जी का नाम लेकर दालित मुस्लिम एक्टा का ढोंग कर अपनी राजनैतिक कर रहे हैं। जब्कि बाबा साहेब कभी भी दालित मुस्लिम एक्टा के पक्षकधर नहीं रहे।

 

 

 


 

ALL COMMENTS (0)