अगर एक किसी ऋषिचालक को विमान का पायलट बना दिया, अगर किसी चारपाई बनाने वाले को उपग्रह बनाने को दे दिया जाये और अगर कक्षा तीन के छात्र को किसी विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया जाये तो नतीजा क्या होगा शायद आप बख़ूबी जानते हैं, किन्तु इस देश में आज दो काम ऐसे हैं जिन्हें कोई भी कर सकता है — एक तो टिकटोकर पर टिकटोकरिया बनना और दूसरा कथावाचक बनना। देवी चित्रलेखा, मुरारी बापू, चिम्याण्ड जैसे लोग कम थे कि अब एक और कथावाचक बाबा गुरु घण्टाल मैदान में आ गया। ये नाम इनके प्रचार सुना कर हमने इन्हें दिया है। वरना पछास पचपन माला गले में डाले इन महाराज का नाम है स्वामी राघवाचार्य।

स्वामी जी कथा कर रहे हैं और बीच में कह रहे हैं कि स्त्रियों को गायत्रीमंत्र का जाप करने का कोई अधिकार नहीं है, महाराज ने तर्क देते हुए इसका कारण भी बताया कि स्त्रियों का यज्ञोपवीत संस्कार नहीं होता, इस कारण वो गायत्री का जाप नहीं कर सकती।

हमें नहीं पता ये लोग कौनसे स्कूल में ये सब पढ़कर आते हैं इनके गुरु घण्टाल कौन होते हैं। इन्हें अपने सनातन वैदिक धर्म का ज्ञान कितना होता है। या जब इन्हें अपने धर्म और संस्कृति का मूल ज्ञान नहीं है तो ये पश्चिम की दु:खान क्यों नहीं खोल लेते, उसी में मिलावट करले कम से कम फिर धर्म में मिलावट होने से तो बच जाएगा। क्योंकि जब हम इनका ये मिलावटी ज्ञान पढ़ते और सुनते हैं तो अब इन पर गुस्सा नहीं बल्कि दया आने लगी है कि भाई अब तो रुक जाओ ये अपना प्राइवेट ज्ञान कब तक जनता के बीच फैलोगे। और इस महान वैदिक धर्म इस महान सनातन संस्कृति का नाश कब तक करोगे।

सिर्फ राहवाचारी ही नहीं पिछले दिनों एक लाइव कार्यक्रम में एक ज्योतिषी भी फेंक रहा था कि गायत्री मंत्र का जाप करने से महिलाओं के अंदर पुरुषों के गुण आने लगते हैं, वो सिर्फ यहां नहीं रुका बल्कि आगे बोला कि उनके चेहरे पर दाढ़ी मूंछ के रूप में अवांछित बाल आने लगते हैं, उनके हार्मोन्स में बदलाव होने लगते हैं और वो देखते देखते पुरुष बन जाती है। अब इस तकनीक को सुनकर हंसी भी आई कि अगर ऐसा संभव होता है तो भारत में इतने बड़े स्तर पर कन्या भ्रूणहत्या नहीं होती, जिनके घर तीन-तीन बेटियाँ हैं और बेटा नहीं है वो एक बेटी को गायत्री मंत्र का जाप करा देते तो एक का तो बेटा बन जाता। बाक़ी दो बेटियाँ रह जातीं।

केयर हंसी से अधिक तो दुःख और उस ज्योतिष की मानसिकता पर तरस आया। क्योंकी कै बाजे शौध में ये साबित हो चुका है कि गायत्री मंत्र के जाप से मानसिक शांति, गुस्ता कम आता है और बुढ़ि तेज होती है। लेकिन फिर भीHammer मन में एक संशय जुरूर हुआ कि क्यों ना किसीvedic वेदों के जपता से पूँछ लिया जाये कि अखिर गायत्री मंत्र जप से क्या ऐसा संबंध है, क्याisaka जाप से स्त्री का पुरुष बन जाता है और इसी कारन उसे गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।

ये कहाt है स्त्री को अधिकारी नहीं है तो शिव शंकर महाराज के साथ माता पार्वती जी विराजमान है, विष्णु के साथ लक्ष्मी जी विराजमान है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के साथ माता सीता जी विराजमान है। इस के अलावा सम्य सम्य पर अनेकोंvedic विदुषियों भी यहाँ पर पैदा हुई है। मैत्रेय, लोपमुद्रा जोशा गर्गी समेत अनेक ऋषिकाओं का जिकर भीHammer शास्त्रों मिलता है कही भीvedic धर्म में महिलाओं के लिए ऐसी कोई बात नहीं लिखी। बल्कि आज जो यथावाचक कह रहे हैं खुदvedic धर्म को गहराई से जानने परखने वाले गुरुकुलों की आध्यारा ही iska कमजोर कर रही हैं।

ये कहते है स्त्री को अधिकारी नहीं है तो शिव शंकर महाराज के साथ माता पार्वती जी विराजमान है, विष्णु के साथ लक्ष्मी जी विराजमान है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के साथ माता सीता जी विराजमान है। इसके अलावा सम्य सम्य पर अनेकों वैदिक विदुषियों भी यहाँ पर पैदा हुई है। मैत्रेय, लोपमुद्रा जोशा गर्गी समेत अनेक ऋषिकाओं का जिक्र भीHammer शास्त्रों मिलता है कही भीvedic धर्म में महिलाओं के लिए ऐसी कोई बात नहीं लिखी। बल्कि आज जो यथावाचक कह रहे हैं खुदvedic धर्म को गहराई से जानने परखने वाले गुरुकुलों की आख़र्या ही iska कमजोर कर रही हैं।

असल में देखा जाये स्वयम् का अधिकार एवं योग्यता गुरु के अभ्यास में हिन्दू समाज और कठावाचक भटक गये हैं, आम तौर पर लोगों को पता ही नहीं चलता है कि संस्कत किसे कहते हैं और महत्वपूर्ण किसे, विद्वान किसे कहते हैं और तपस्वी किसे, साधक किसे कहते हैं और कठावाचक किसे। दरअसल आज जितने कठावाचक हैं वे ही संतो हो गये और वही माता भी औरiska फैदा़ उ ठाकर ये कठावाचक मलाई कर रहे हैं और अपने धर्म का नाश भै। कहाों में शेरों शायरों, चुटकुले और मनोरंजन के साधन के अल्लाह मौला नमाज आजान करके भीज़ जुटाने लगे ताकि हर तरह की सोच वाले आकार इन्हें तलाश करें।

अब इन्होने आसान तरीके का ढूँढ लिया जिससे फिल्म का विज़्ञापन करना हो तो हिन्दू धर्म को अपनानित कर दो फिल्में हिट हो जाती है वहीक वैसे हीinke साथ साथ औरों ने इसेøjार बना लिया। वैसे युवाओं युवतियाँ आजकल वंंदावन के कथा प्रमुख्षण संस्तानों से काफी महीनों का कोर्स करते हैं और रंग विरंगे तिलक लगाकर या कहें कि फैशनেবল तिलक लगाकर आजकल टीवी चैनलों पर आ जाते हैं बस जरुरत है किसी को प्रयासित करने की। चुकी ये लोग शूरू शूरू में कम पैसे में आ जाते हैं इसके अलावा कमेटियों को भी कूछ पैसे बछ जाते हैं और इन्हें भी टीवी चैनलों पर लोक्रियता मिलती है तो ऐसे गंजोश से छोटे मोटे कठाकारा को उन्से परेशाना कर्यों न मिले परिनाम है कि कथा वाचन और कथा श्रवण अब उतना महत्त्वपूर्ण नहीं रहा जितना महत्त्वपूर्ण हो गया लोगों का मनोरंजन और ये लोग धर्म की आज में मनोरंजन कर रहे हैं न इन लोगों को अपने धर्म का जाग्राण न इन्हें व्यक़्तिगत जाग्राण बस माइका सामना लगे दो इनकी दो कोडी स्क्रिप्ट चालू हो जाती है।

इसीलिएinke जाल में मत आइए धर्म आपका है अपने गुरु खुद बनिए आप महिला हो या पुरुष छोेते हो या बढ़े गायतरी मन्त्य़र महामन्त्र है मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति की और ले जाता है सबह उकऱ पांच मिनट जुरूर जाप कीजिये इससे आपके मन को शांति और इनड़ोंगियों के मुंह परिणाम ज़रू लगेगा।

 


 

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