मजहब ठमोहबà¥à¤¬à¤¤ से à¤à¤Ÿà¤• गया हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯
Author
Vinay AryaDate
08-Jul-2020Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
2219Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
08-Jul-2020Top Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- नई शिकà¥à¤·à¤¾ नीति का आधार सà¥à¤µà¤¾à¤—त योगà¥à¤¯ लेकिन गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कहाठहै?
- Satyanand Stokes- A Saga of an American Aryan Sage
- मजहब ठमोहबà¥à¤¬à¤¤ से à¤à¤Ÿà¤• गया हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯
- बदसूरत होते पारिवारिक रिशà¥à¤¤à¥‡
- कोरोना में चीन का हाथ या चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ का
जब परम धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€ और तपशà¥à¤µà¥€ शिव को à¤à¤¾à¤‚ग पीने वाला कहा जाने लगे, जब जà¥à¤žà¤¾à¤¨, नीति और धरà¥à¤® के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी को रसिक, ठाकà¥à¤° कहा जाने लगे और जब धरà¥à¤® के गà¥à¤°à¥à¤“ं का अपने मंचो से मà¥à¤²à¥‡à¤šà¥à¤›à¥‹à¤‚ का गà¥à¤£à¤—ान करने पर जनता तालियाठबजाती हो तो समठलीजिये कि योगà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ के अà¤à¤¾à¤µ में हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¤Ÿà¤• गया है। हमने मोरारि बापू की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मजहब ठमोहबà¥à¤¬à¤¤ पà¥à¥€à¥¤ बापू अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के 167 वें पेज पर कह रहे है कि राम-राम पà¥à¤¤à¥‡ मेरी जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ तो पवितà¥à¤° हो ही चà¥à¤•à¥€ है, आज कà¥à¤°à¤†à¤¨ पॠलूà¤, और पवितà¥à¤° हो जाà¤à¤—ी। कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• पड़ता है जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ पर वेद के शà¥à¤²à¥‹à¤• हो या पवितà¥à¤° कà¥à¤°à¤†à¤¨ की आयतें। à¤à¤¸à¥€ ना जाने कितनी उटपटांग बातें उकà¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में à¤à¤°à¥€ पड़ी है। केवल à¤à¤• बापू को ही दोष देना उचित नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ रामपाल हो या देवी चितà¥à¤°à¤²à¥‡à¤–ा कोई à¤à¥€ कहीं à¤à¥€ कथा के नाम पर धरà¥à¤® के नाम पर अपनी गदà¥à¤¦à¥€ सजा ले रहा है।
धरà¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के à¤à¤• कहावत है कि सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ और योगà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ का होना बेहद जरà¥à¤°à¥€ है, यदि इनमें से à¤à¤• à¤à¥€ चीज कम है तो इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ को à¤à¤Ÿà¤•à¤¨à¥‡ से कोई नही रोक सकता है। à¤à¤• समय à¤à¤• कालखंड à¤à¤¸à¤¾ था जब यहाठन योगà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ बचें थे और ना सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¥¤ तब इस वैदिक धरा पर विदेशियों का शासन हो गया था। इसी से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर दà¥à¤–ी होकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद जी खड़े हà¥à¤ और लोगों को अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के अंधकार से बाहर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का मारà¥à¤— दिखलाया। लेकिन आज जैसे ही साधन और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ आगे बà¥à¤¾ दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ उन लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€à¥œ जोड़कर वही अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ परोसी जा रही है। हालाà¤à¤•à¤¿ थोड़ी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह à¤à¥€ है कि आज के वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ जीवन में समय के अà¤à¤¾à¤µ ने लोगों को हर विषय में शौरà¥à¤Ÿà¤•à¤Ÿ करने के लिठमजबूर कर दिया है। मन है, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ है, लेकिन समय की कमी है जिसके चलते लोग इन विषयों पर न कहीं चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं और न ही किसी सà¥à¤¯à¥‹à¤—à¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का सतà¥à¤¸à¤‚ग करते हैं à¤à¤¸à¥‡ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो à¤à¥€ तो कैसे?
कहीं कीरà¥à¤¤à¤¨ मणà¥à¤¡à¤²à¥€ में बैठगये, फोन में या टीवी में दो à¤à¤œà¤¨ सà¥à¤¨ लिà¤, कहीं कथा सà¥à¤¨ ली या सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤• मंदिर में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चà¥à¤¾ दिया तो सोच लिया कि हमने धरà¥à¤® पॠलिया और हम धारà¥à¤®à¤¿à¤• हो गये। बस इसी सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤•, मासिक, छमाही या वारà¥à¤·à¤¿à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का लाठकथावाचक उठा रहे है। आजकल कथावाचकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच सनातन धरà¥à¤® को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित किया जा रहा है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अब राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संत की उपाधि से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नहीं मिलती जब तक इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संत नहीं कहा जाà¤à¥¤ इसी अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पद के लालच में ये लोग सनातन मंचो से जीसस की करà¥à¤£à¤¾ का बखान कर रहे है, इमाम हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ के किसà¥à¤¸à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾ रहे है। मोहà¥à¤¹à¤®à¤¦ साहब को दया का सागर और योगिराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी पर आरोप लगाने के साथ उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को शराबी उपदà¥à¤°à¤µà¥€ बता रहे है।
इनकी मारà¥à¤•à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤‚ग इतनी जबरदसà¥à¤¤ है कि मलà¥à¤Ÿà¥€à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨à¤² कमà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ चकà¥à¤•à¤° खा जाये। विदेशों में जाते है वहां बड़े-बड़े आसान सजाते है कि देखकर ही सामानà¥à¤¯ जनमानस देखते ही ढेर हो जाता है। इनके ललाट पर फैशनेबल तिलक, डिजाइनदार वसà¥à¤¤à¥à¤° और हाथों में अंगà¥à¤ ी सोने का कड़ा गले में ढाई तीन सौ गà¥à¤°à¤¾à¤® का चैन लोग देखकर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो जाते हैं और समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि ये तो उचà¥à¤š कोटि के बड़े संत, महासंत हैं।
इसी मारà¥à¤•à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤‚ग की देन है मोरारि बापू जब रामकथा नहीं होती तो बापू वाराणसी के मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•à¤¾ घाट पर चले जाते है। जहाठमà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया जाता है। बापू वहां बैठकर अपने à¤à¤• शिषà¥à¤¯ का मंगल विवाह रचाते है, पता था आलोचना होगी लेकिन ये à¤à¥€ पता था कि नाम होगा। इसी तरह बापू मà¥à¤‚बई के वैशà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को कथा में आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने उनके घरों में गये, लोगों को बताया कि मानस में वैशà¥à¤¯à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤Šà¤‚गा। कà¤à¥€ मानस में हिजड़े को पैकेज बनाकर कथा वाचन किया। जाहिर सी बात है कि आलोचना हà¥à¤ˆ लेकिन लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¥€ मिली। चूà¤à¤•à¤¿ फिलà¥à¤® का विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ करना हो तो हिंदू धरà¥à¤® को अपमानित कर दो फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ हिट हो जाती है ठीक वैसे ही इनके साथ साथ औरों ने इसे औजार बना लिया।
हम बापू के वेशà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के बीच कथा करने की आलोचना नहीं कर रहे है। अचà¥à¤›à¤¾ होता है बापू मासिक तà¥à¤°à¤¿à¤®à¤¾à¤¸à¤¿à¤• यह कथावाचन करते, उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सà¥à¤•à¥‚लों में à¤à¥‡à¤œà¤¤à¥‡ है। अपने टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के माधà¥à¤¯à¤® से उनके लिठकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ योजनाओं का आरमà¥à¤ करते जिससे उनका इस नरक à¤à¤°à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी से हमेशा पीछा छà¥à¤Ÿ जाता है, कà¥à¤¯à¤¾ आरà¥à¤¯ समाज रेगर समाज से लेकर दलित à¤à¤µà¤‚ अनेकों समाज के लिठà¤à¤¸à¥‡ कारà¥à¤¯ किये जो इतिहास में आज à¤à¥€ अंकित है।
लेकिन बापू को अपने धरà¥à¤® और समाज की परवाह नहीं है बापू को तो निज जीवन में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की ऊंचाई चाहिठइसलिठबापू हरि बोल हरि बोल के अली बोल मोला बोल à¤à¥€ बोलने लगते है। ये à¤à¥€ कहिये कि अब कथाओं के बीच बीच में à¤à¤œà¤¨ को दà¥à¤µà¤¿à¤…रà¥à¤¥à¥€ बनाकर, संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सौहारà¥à¤¦ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने के नाम पर, अली मौला और अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ हू अकबर का चलन शूरू किया गया है जो अब कथा पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ हिंदू समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¥€ दो पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बंट कर रह गया। जो कथा का वाचन, शà¥à¤°à¤µà¤£, उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, शà¥à¤¦à¥à¤§ मन के साथ पवितà¥à¤° कामना जैसी विषयों को जानते हैं वे इस चलन का विरोध करने लगे हैं। जो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हैं जिसे संत और कथावाचक की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ ही नहीं पता वह संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥€à¤• सौहारà¥à¤¦ के नाम पर कà¥à¤¤à¤°à¥à¤• करने लगा है। कथा में माहौल बनाने के लिठमहिलाओं के नृतà¥à¤¯ को आवशà¥à¤¯à¤• बताने लगा है साथ में आनंद लेने के नाम पर समरà¥à¤¥à¤¨ में उतर गया है।
लेकिन सतà¥à¤¯ ये है कि आज के कथावाचक न संत हैं और न ही साधू, बस मृदà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ हैं, और मन से धन पिपासू हैं। जैसे फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में गाने के लिठलटके à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ होते हैं, वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का जखीरा होता है वैसे ही इनके कथा पंडालों में à¤à¥€ लटके à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ को खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® देखा जा सकता है। कà¥à¤¯à¤¾ कोई बता सकता है कि शà¥à¤•à¤¦à¥‡à¤µ जी, वैशमà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¤¨ जी, वशिषà¥à¤ जी या सनत कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी कथा में à¤à¤œà¤¨ à¤à¥€ गाये थे? कोई नृतà¥à¤¯ गान à¤à¥€ हà¥à¤† था? कोई संगीत मंडली à¤à¥€ होती थी? à¤à¤—वान के धरà¥à¤®à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶, उपदेश, उनके लीलाओं की गà¥à¥ समीकà¥à¤·à¤¾, यहां तक कि उनके आदरà¥à¤¶ चरितà¥à¤° की चरà¥à¤šà¤¾ तो दूर की बात है ये तो शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤µ को à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं कर पाते। महिलाà¤à¤ कैमरे के सामने खूब नृतà¥à¤¯ करती हैं और कैमरा हटा बस सब à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ उतर गयी। दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इसà¥à¤²à¤¾à¤® में कटà¥à¤Ÿà¤°à¤¤à¤¾ बॠरही है, उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हिंदूओं की नृशंस हतà¥à¤¯à¤¾ की जा रही है, इनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है, शासन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लोकतंतà¥à¤° और धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ के नाम पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चà¥à¤ª कर दिया जा रहा है,संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥€à¤• तनाव बताकर डरा दिया जा रहा है। à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सनातन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ चले तो कैसे चले? आने वाले दिनों में कथा सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ जाà¤à¤‚ तो हो सकता है कि à¤à¤œà¤¨ के बदले गजल और कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€ के साथ ही साथ फिलà¥à¤®à¥€ नगमें सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दे तो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ मत किजिà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जहाठविरोध किठवहीं पर कà¥à¤› समरà¥à¤¥à¤¨ करने वाले मरने मारने पर आ जाà¤à¤‚गे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ है ना इसमें सनातन धरà¥à¤® को à¤à¤¸à¥‡ ही लोग चलाà¤à¤‚गे।
ALL COMMENTS (0)