मेरी पाकिसतान यातरा


Author
Gauri Shankar BhardwajDate
25-Jul-2015Category
विविधLanguage
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Sandeep AryaUpload Date
27-Jul-2015Download PDF
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आरय समाज के इतिहास में वैदिक धरम वं आरय समाज के संगठन के विसतार तथा परचार-परसार में संयकत पंजाब का अतयंत महतवपूरण सथान रहा है आरय समाज दवारा धरम सधार वं सामजिक, सांसकृतिक व शैकषणिक करांति का मखय सथल लाहौर ही रहा। सवनाम धनय सवामी शरदधाननद जी, महातमा हंसराज जी, लाला लाजपत राय, पं. गरदतत विदयारथी, महातमा आननद सवामी, डॉ. मेहर चंद महाजन, महाशय कृषण जी, पं. चमूपति जी, लाला मूलराज जी, महाशय राजपाल जी व बकशी टेकचंद जी आदि महान आरय विà¤à¥‚तियों का करमसथल संयकत राजय पंजाब विशेषकर लाहौर ही रहा। सी पणय à¤à¥‚मि के दरशन करने की मेरी उतकंठअà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ जागृत हो गयी, जब मैंने परसिदध लेखिका शरीमती पदमा सचदेवा के क लेख में पढ़ा कि ‘जिना लाहौर नहीं वेखया, वो जमया ही नहीं।’ पाक अधिकृत पंजाब विशेषकर लाहौर सदृश आरय समाज के अतीत के गौरव सथलों को देखने की उतकंठा अतयंत बलवती हो गयी।
पाकिसतान का वीजा मिलना अतयंत दषकर है। मैं पाक वीजा परापति के लि काफी दिन से परयासरत था। सौà¤à¤¾à¤—यवश दिलली गरदवारा परबंधक कमेटी के सहयोग से वैशाली परव पर पाक सथित तिहासिक गरदवारों के दरशन करने वाले सिख जतथा के साथ जाने का मे वीजा मिल गया। 11 अपरैल को परातः 9 बजे हम अटारी बॉरडर पर पहंच गये। वहां इममीगरेशन तथा कसटम विà¤à¤¾à¤—ों दवारा जांच करने के पशचाज लगà¤à¤— 3 बजे पाकिसतान के लि टरेन रवाना हई। विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय के à¤à¥€à¤·à¤£ हतयाकाणड तथा लोहमरषक घटनाओं को याद करके सा लगा कि हम क अंधेरी गफा में परवेश कर रहे हैं। विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय तो मानो पंजाब की नदियों का पानी शराब बन गया था, जिसे पीकर लोग हैवान बन गये थे। इंसानियत मर गयी थी, लेकिन वकत के साथ फिजां बदल गयी। लाहौर पहंचने पर हमारा डर पूरणतः समापत हो गया। लाहौर सटेशन पर सामानय व शांत वातावरण था। लाहौर पर टरेन केवल 5 मिनट रकी, जहां से हमें लगà¤à¤— 300 किलोमीटर दूर पंजा साहिब गरदवारे के निकटवरती ‘हसन अबदाल’ सटेशन जाना था। विदित हो कि ‘हसत अबदाल’ वही सथान है जहां तक चीन अपने सीमावरती शहर से रणनीतिक सड़क बना रहा है। हम लमबे रासते में रावी व ेलम नदियां पार करके गजंरावाला, लालामूंसा, वजीराबाद, ेलम तथा रावलपिंडी आदि शहरों से होकर गजरे। रावलपिंडी का बहत सनदर सटेशन है। वहां थोड़ी देर ही टरेन रकी। समपूरण रासते पर गाड़ी के दोनों ओर लोगों ने परसनन मदरा में हाथ हिलाकर हमारा à¤à¤¾à¤µ à¤à¤°à¤¾ सवागत किया। यह देख कर निराशा हई कि रासते में पड़े अधिकांश मकानों में पलसतर नहीं था। हमें पाकिसतान में कहीं विकास नजर नहीं आया।
हम लगà¤à¤— रातरि 11 बजे ‘पंजा साहिब गरदवारा’ पहंचे यहां से सिंध नदी केवल 40 किलोमीटर तथा पेशावर 120 मिलोमीटर दूर है। समपूरण कषेतर अतयंत संवेदनशील है। सरकषा जेंसियों का जबरदसत घेरा था। वहां 3 दिन के परवास में हमें गरदवारे से बाहर नहीं जाने दिया गया। वैशाली के दिन सीमा परानत फरटियर के अलप संखयकों के मामलों के मंतरी सरदार सवरण सिंह से à¤à¥‡à¤‚ट हई जो कई साल दिलली में रहे हैं। 14 अपरैल को हम ‘गरदवारा ननकाना साहिब’ पहंच। यह किलेनमा विशाल गरदवारा है। गरदवारे में हजारों कमरे हैं। यहां गरदवारे से बाहर जाकर शहर में घूमने की पूरी आजादी मिली। 16 अपरैल को ननकाना साहिब से बस दवारा शेखपरा जिला सथित ‘गरदवारा सचचा सौदा’ दरशनारथ गये तथा सायंकाल वापस ननकाना साहिब आ गये। अब तो ‘ननकाना साहिब’ नाम से क अलग जिला बना दिया गया है। 17 अपैरल को हम ननकाना साहिब से टरेन से रवाना होकर सायंकाल ‘गरदवारा डेरा साहिब’ लाहौर पहंचे। लाहौर में à¤à¥€ क ‘शाहदरा’ उपनगर है, जहां से ननकाना साहिब जाने के लि रेलवे लाइन बदलनी पड़ती है। गरदवारा डेरा साहिब में हमारे à¤à¥‡à¤‚ट ‘वाकयू टरसट परॉपरटी बोरड’ के अधिकारियों से हई। समरण रहे कि पाक सथित सà¤à¥€ गरदवारे, हिनदू मंदिरों तथा अनय अलप संखयक सथानों का नियंतरण व वयवसथा वाकयू टरसट परोपरटी बोरड दवारा की जाती है समपूरण यातरा के दौरान परतयेक गरदवारे में आवास, à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा सनान वं सफाई की अतयंत सनदर वयवसथा थी। मेरा परिचय जानकर अधिकारियों ने मेरा विशेष धयान रखा। उनहोंने मे लाहौर घमाने की वयवसथा की। 18 अपरैल को बोरड के कनिषठअधिकारी मे पराने शहर ले गये जो परानी दिलली जैसा है हमने वहां ‘वचछोवाली आरय समाज’ तलाशने की कोशिश की किनत सफलता नहीं मिली। वहां आरय समाज का नाम ही किसी ने नहीं सना था कयोंकि 70 वरषों से अधिक आय वाला वहां कोई वयकति नहीं मिला।
19 अपरैल को बोरड के सरवोचच अधिकारी फ.सी.स. सवयं मे अपनी कार में बैठा कर लाहौर के दरशनीय सथान दिखाने ले गये। सरवपरथम हम शाही किला देखने गये, जिसकी बनियाद महाराज लव ने रखी थी। किले में क लव का मंदिर à¤à¥€ है, जिसे ‘परेम का मंदिर’ टेमपल ऑफ लव à¤à¥€ कहा जाता है। बाद में किले का अधिकांश à¤à¤¾à¤— मगल समराटों ने बनवाया तथा अंत में इसका कछ à¤à¤¾à¤— अंगरेजों ने बनवाया। ततपशचात हम पाक मीनार देखने गये जिस पर 1940 में मसलिम लीग दवारा पारित पाकिसतान निरमाण का परसताव अंकित है। ततपशचात हम अपनी यातरा के सरवाधिक महतव पूरण सथल डी..वी. कॉलेज को देखने गये। सिविल लाइंस सथित यह कॉलेज अब ‘राजकीय इसलामियां कॉलेज ’ के नाम से विखयात है। सरव परथम कॉलेज को देखकर मैं अतयंत रोमांचित हो उठा था, जिसने देश को अनेक मूरधनय नेता, सवतंतरता सेनानी, साहितयकार, वैजञानिक व कलाकार दिये, किनत बाद में मेरा मन तीवर अवसाद से à¤à¤° गया। काश! लाहौर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में होता! कॉलेज के मखय दवार के दोनों ओर मंदिर नमा ढांचे बने ह हैं। अनदर ‘डी..वी.’ कॉलेज के निरमाण के लि सफेद पतथरों पर हिनदी व अंगरेजी में दान दाताओं की सूची अंकित है जिसमें अंकित अधिकांश हिनदू नाम है। कॉलेज परिसर में यजञ वेदी के अवशेष à¤à¥€ हैं।
ततपशचात हम लाहौर के परखयात बाजार अनारकली गये यह दिलली के चांदनी चैक जैसा ही है किनत चांदनी चैक से कम चैड़ा और अधिक लमबा है। यहां कपड़ों, जेवरातों, जूतों तथा क ओर रेसटोरेंट व खाने-पीने की दकाने हैं। यहां हमने आरय समाज अनार कली का महान ‘आरय समाज मंदिर’ देखा, हृदय असीम शरदधा से परिपूरण हो गया। ततपशचात हम ‘शहीद à¤à¤—त सिंह चैक’ देखने गये। इसी सथल पर सवतंतरता संगराम के पराकरमी योदधा, अमर शहीद à¤à¤—त सिंह को फांसी दी गयी थी। पाकिसतान सरकार ने कछ समय पहले ही अधिकृत तौर पर इस सथल का नाम ‘शहीद à¤à¤—त सिंह’ चैक घोषित किया है। मैं और पाक अधिकारी शरदधा से नतमसतक होकर खड़े रहे ततपशचात हमने सचिवालय, विधान सà¤à¤¾ à¤à¤µà¤¨, हाई कोरट,सर गंगाराम असपताल वं आधनिक मॉल देखे।
हमने अपने समपूरण पाक परवास में पाकिसतान के जन-मानस के वयवहार और परतिकरियाओं का गहनता से अधययन किया और पाया कि पाकिसतान के जन सामानय जनों में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोागों के परति कोई कटता नहीं है, अपित à¤à¤¾à¤°à¥€ उतसकता, सदà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, सौहारद व मेल-मिलाप की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤‚ हैं। केवल क पलिस अधिकारी ने म से शिकायत à¤à¤°à¥‡ सवर में कहा था कि हिनदतान ने हमारी नदियों में आने वाला पानी रोक लिया है जिससे हमारी नदियां सूखी पड़ी हैं इस कारण हमारी खेती को बहत नकसान हो रहा है। वासतव में à¤à¤¾à¤°à¤¤-पाक वैमनसय की जड़ पाक के राजनीतिजञ, मलला-मौलवी तथा सेना है। 20 अपरैल को लगà¤à¤— 11 बजे हम अटारी बॉरडर पर वापस आ गये। पाक के धारमिक मामलों के मंतरी व वरिषठअधिकारी अटारी तक हमें बिदा करने आये। इस परकार आरय समाज के अतीत के गौरवशाली सथलों को देखने का अविसमरणीय अवसर परापत हआ। मैं आरयों को आहवान करता हूं कि वे पाक जाकर आरय समाज की गौरव पूरण ांकी अवशय देखें।
आरय समाज के इतिहास में वैदिक धरम वं आरय समाज के संगठन के विसतार तथा परचार-परसार में संयकत पंजाब का अतयंत महतवपूरण सथान रहा है आरय समाज दवारा धरम सधार वं सामजिक, सांसकृतिक व शैकषणिक करांति का मखय सथल लाहौर ही रहा। सवनाम धनय सवामी शरदधाननद जी, महातमा हंसराज जी, लाला लाजपत राय, पं. गरदतत विदयारथी, महातमा आननद सवामी, डॉ. मेहर चंद महाजन, महाशय कृषण जी, पं. चमूपति जी, लाला मूलराज जी, महाशय राजपाल जी व बकशी टेकचंद जी आदि महान आरय विà¤à¥‚तियों का करमसथल संयकत राजय पंजाब विशेषकर लाहौर ही रहा। सी पणय à¤à¥‚मि के दरशन करने की मेरी उतकंठअà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ जागृत हो गयी, जब मैंने परसिदध लेखिका शरीमती पदमा सचदेवा के क लेख में पढ़ा कि ‘जिना लाहौर नहीं वेखया, वो जमया ही नहीं।’ पाक अधिकृत पंजाब विशेषकर लाहौर सदृश आरय समाज के अतीत के गौरव सथलों को देखने की उतकंठा अतयंत बलवती हो गयी।
पाकिसतान का वीजा मिलना अतयंत दषकर है। मैं पाक वीजा परापति के लि काफी दिन से परयासरत था। सौà¤à¤¾à¤—यवश दिलली गरदवारा परबंधक कमेटी के सहयोग से वैशाली परव पर पाक सथित तिहासिक गरदवारों के दरशन करने वाले सिख जतथा के साथ जाने का मे वीजा मिल गया। 11 अपरैल को परातः 9 बजे हम अटारी बॉरडर पर पहंच गये। वहां इममीगरेशन तथा कसटम विà¤à¤¾à¤—ों दवारा जांच करने के पशचाज लगà¤à¤— 3 बजे पाकिसतान के लि टरेन रवाना हई। विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय के à¤à¥€à¤·à¤£ हतयाकाणड तथा लोहमरषक घटनाओं को याद करके सा लगा कि हम क अंधेरी गफा में परवेश कर रहे हैं। विà¤à¤¾à¤œà¤¨ के समय तो मानो पंजाब की नदियों का पानी शराब बन गया था, जिसे पीकर लोग हैवान बन गये थे। इंसानियत मर गयी थी, लेकिन वकत के साथ फिजां बदल गयी। लाहौर पहंचने पर हमारा डर पूरणतः समापत हो गया। लाहौर सटेशन पर सामानय व शांत वातावरण था। लाहौर पर टरेन केवल 5 मिनट रकी, जहां से हमें लगà¤à¤— 300 किलोमीटर दूर पंजा साहिब गरदवारे के निकटवरती ‘हसन अबदाल’ सटेशन जाना था। विदित हो कि ‘हसत अबदाल’ वही सथान है जहां तक चीन अपने सीमावरती शहर से रणनीतिक सड़क बना रहा है। हम लमबे रासते में रावी व ेलम नदियां पार करके गजंरावाला, लालामूंसा, वजीराबाद, ेलम तथा रावलपिंडी आदि शहरों से होकर गजरे। रावलपिंडी का बहत सनदर सटेशन है। वहां थोड़ी देर ही टरेन रकी। समपूरण रासते पर गाड़ी के दोनों ओर लोगों ने परसनन मदरा में हाथ हिलाकर हमारा à¤à¤¾à¤µ à¤à¤°à¤¾ सवागत किया। यह देख कर निराशा हई कि रासते में पड़े अधिकांश मकानों में पलसतर नहीं था। हमें पाकिसतान में कहीं विकास नजर नहीं आया।
हम लगà¤à¤— रातरि 11 बजे ‘पंजा साहिब गरदवारा’ पहंचे यहां से सिंध नदी केवल 40 किलोमीटर तथा पेशावर 120 मिलोमीटर दूर है। समपूरण कषेतर अतयंत संवेदनशील है। सरकषा जेंसियों का जबरदसत घेरा था। वहां 3 दिन के परवास में हमें गरदवारे से बाहर नहीं जाने दिया गया। वैशाली के दिन सीमा परानत फरटियर के अलप संखयकों के मामलों के मंतरी सरदार सवरण सिंह से à¤à¥‡à¤‚ट हई जो कई साल दिलली में रहे हैं। 14 अपरैल को हम ‘गरदवारा ननकाना साहिब’ पहंच। यह किलेनमा विशाल गरदवारा है। गरदवारे में हजारों कमरे हैं। यहां गरदवारे से बाहर जाकर शहर में घूमने की पूरी आजादी मिली। 16 अपरैल को ननकाना साहिब से बस दवारा शेखपरा जिला सथित ‘गरदवारा सचचा सौदा’ दरशनारथ गये तथा सायंकाल वापस ननकाना साहिब आ गये। अब तो ‘ननकाना साहिब’ नाम से क अलग जिला बना दिया गया है। 17 अपैरल को हम ननकाना साहिब से टरेन से रवाना होकर सायंकाल ‘गरदवारा डेरा साहिब’ लाहौर पहंचे। लाहौर में à¤à¥€ क ‘शाहदरा’ उपनगर है, जहां से ननकाना साहिब जाने के लि रेलवे लाइन बदलनी पड़ती है। गरदवारा डेरा साहिब में हमारे à¤à¥‡à¤‚ट ‘वाकयू टरसट परॉपरटी बोरड’ के अधिकारियों से हई। समरण रहे कि पाक सथित सà¤à¥€ गरदवारे, हिनदू मंदिरों तथा अनय अलप संखयक सथानों का नियंतरण व वयवसथा वाकयू टरसट परोपरटी बोरड दवारा की जाती है समपूरण यातरा के दौरान परतयेक गरदवारे में आवास, à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा सनान वं सफाई की अतयंत सनदर वयवसथा थी। मेरा परिचय जानकर अधिकारियों ने मेरा विशेष धयान रखा। उनहोंने मे लाहौर घमाने की वयवसथा की। 18 अपरैल को बोरड के कनिषठअधिकारी मे पराने शहर ले गये जो परानी दिलली जैसा है हमने वहां ‘वचछोवाली आरय समाज’ तलाशने की कोशिश की किनत सफलता नहीं मिली। वहां आरय समाज का नाम ही किसी ने नहीं सना था कयोंकि 70 वरषों से अधिक आय वाला वहां कोई वयकति नहीं मिला।
19 अपरैल को बोरड के सरवोचच अधिकारी फ.सी.स. सवयं मे अपनी कार में बैठा कर लाहौर के दरशनीय सथान दिखाने ले गये। सरवपरथम हम शाही किला देखने गये, जिसकी बनियाद महाराज लव ने रखी थी। किले में क लव का मंदिर à¤à¥€ है, जिसे ‘परेम का मंदिर’ टेमपल ऑफ लव à¤à¥€ कहा जाता है। बाद में किले का अधिकांश à¤à¤¾à¤— मगल समराटों ने बनवाया तथा अंत में इसका कछ à¤à¤¾à¤— अंगरेजों ने बनवाया। ततपशचात हम पाक मीनार देखने गये जिस पर 1940 में मसलिम लीग दवारा पारित पाकिसतान निरमाण का परसताव अंकित है। ततपशचात हम अपनी यातरा के सरवाधिक महतव पूरण सथल डी..वी. कॉलेज को देखने गये। सिविल लाइंस सथित यह कॉलेज अब ‘राजकीय इसलामियां कॉलेज ’ के नाम से विखयात है। सरव परथम कॉलेज को देखकर मैं अतयंत रोमांचित हो उठा था, जिसने देश को अनेक मूरधनय नेता, सवतंतरता सेनानी, साहितयकार, वैजञानिक व कलाकार दिये, किनत बाद में मेरा मन तीवर अवसाद से à¤à¤° गया। काश! लाहौर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में होता! कॉलेज के मखय दवार के दोनों ओर मंदिर नमा ढांचे बने ह हैं। अनदर ‘डी..वी.’ कॉलेज के निरमाण के लि सफेद पतथरों पर हिनदी व अंगरेजी में दान दाताओं की सूची अंकित है जिसमें अंकित अधिकांश हिनदू नाम है। कॉलेज परिसर में यजञ वेदी के अवशेष à¤à¥€ हैं।
ततपशचात हम लाहौर के परखयात बाजार अनारकली गये यह दिलली के चांदनी चैक जैसा ही है किनत चांदनी चैक से कम चैड़ा और अधिक लमबा है। यहां कपड़ों, जेवरातों, जूतों तथा क ओर रेसटोरेंट व खाने-पीने की दकाने हैं। यहां हमने आरय समाज अनार कली का महान ‘आरय समाज मंदिर’ देखा, हृदय असीम शरदधा से परिपूरण हो गया। ततपशचात हम ‘शहीद à¤à¤—त सिंह चैक’ देखने गये। इसी सथल पर सवतंतरता संगराम के पराकरमी योदधा, अमर शहीद à¤à¤—त सिंह को फांसी दी गयी थी। पाकिसतान सरकार ने कछ समय पहले ही अधिकृत तौर पर इस सथल का नाम ‘शहीद à¤à¤—त सिंह’ चैक घोषित किया है। मैं और पाक अधिकारी शरदधा से नतमसतक होकर खड़े रहे ततपशचात हमने सचिवालय, विधान सà¤à¤¾ à¤à¤µà¤¨, हाई कोरट,सर गंगाराम असपताल वं आधनिक मॉल देखे।
हमने अपने समपूरण पाक परवास में पाकिसतान के जन-मानस के वयवहार और परतिकरियाओं का गहनता से अधययन किया और पाया कि पाकिसतान के जन सामानय जनों में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोागों के परति कोई कटता नहीं है, अपित à¤à¤¾à¤°à¥€ उतसकता, सदà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, सौहारद व मेल-मिलाप की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤‚ हैं। केवल क पलिस अधिकारी ने म से शिकà
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