मनà¥à¤·à¥à¤¯ मरने से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डरता है

Author
Manmohan Kumar AryaDate
05-Feb-2016Category
शंका समाधानLanguage
HindiTotal Views
2670Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
06-Feb-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- शांति पाà¤
- ईशवर-ईशवर खेलें
- ईशवर व उसकी उपासना पदधतियां. क वा अनेक
- कया आप सवामी हैं अथवा सेवक हैं
- कया वेशयावृति हमारी संसकृति का अंग है ?
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
मनà¥à¤·à¥à¤¯ मरने से डरता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ इस लिठविचारणीय है कि हम सà¤à¥€ इस दà¥à¤ƒà¤– से यदा-कदा तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होते रहते हैं। कई बार मनà¥à¤·à¥à¤¯ को कोई रोग हो जाता है तो उसके मन में à¤à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है कि हो न हो, मैं जीवित रहूंगा या मर जाउगां? जब तक चिकितà¥à¤¸à¤• व जांच रिपोरà¥à¤Ÿ से पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ न हो जाये कि यह रोग ठीक हो सकता है, रोगी की सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नहीं होती। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को कोई à¤à¤¯à¤‚कर रोग होता है तो चिकितà¥à¤¸à¤• व परिवार जन उसे बताते ही नहीं कि कहीं à¤à¤¯ के कारण यह जलà¥à¤¦à¥€ न मर जाये? वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आने पर मृतà¥à¤¯à¥ की तिथि पास आने लगती है। सà¤à¥€ यह कहते सà¥à¤¨à¥‡ जाते हैं कि à¤à¤• दिन सà¤à¥€ को जाना है परनà¥à¤¤à¥ अपने बारे में विचार करने पर डर लगता है। अपने बारे में इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ को सà¤à¥€ टाले रहते हैं। मृतà¥à¤¯à¥ का यह डर सà¤à¥€ को लगता है। इसका कारण कà¥à¤¯à¤¾ है, यह विचारणीय है। हम सांप से अधिक डरते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमने सà¥à¤¨ रखा है कि सांप के काटने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है। यदि हमें कोई चींटी व अनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° जीव काट ले जिससे हमें खतरा न हो, तो हमें डर नहीं लगता। अनेक मामलों में मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ का कारण डर ही होता है। हमने à¤à¤• घटना पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¨à¥€ थी जो शायद सतà¥à¤¯ घटना पर आधारित है। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपनी à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ का छपà¥à¤ªà¤° ठीक कर रहा था। उसने अनà¥à¤à¤µ किया कि उसके पैर में जैसे किसी चींटी आदि ने काट लिया हो। बात सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विशेष पर खà¥à¤œà¤²à¥€ कर आई-गई हो गई। à¤à¤• दो वरà¥à¤· बाद फिर वही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ छपà¥à¤ªà¤° को हटा कर नया लगा रहा था तो उसने देखा कि छपà¥à¤ªà¤° में à¤à¤• मरे हà¥à¤ सांप की खाल पड़ी है। उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ घटना याद हो आई कि उसे किसी चींटी आदि ने काटा था, परनà¥à¤¤à¥ सांप की उस खाल को देख कर उसे निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† कि इसी सांप ने उसे काटा होगा। यह विचार कर वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इतना डरा कि इस डर से ही उसकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। अतः हमें अपने परिवार व परिचितों आदि की मृतà¥à¤¯à¥ को देखकर व रोगादि होने पर यदा-कदा अपनी मृतà¥à¤¯à¥ का डर सताता रहता है। किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की मृतà¥à¤¯à¥ के कई कारण हो सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ à¤à¤¯ के कारण à¤à¥€ बहà¥à¤§à¤¾ मृतà¥à¤¯à¥ हो जाया करती हैं। अतः जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मृतà¥à¤¯à¥ के डर से निजात पानी चाहिये। मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ को दूर कर उसे अपनी वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• व सामानà¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥ तक à¤à¤¯à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना चाहिये।
à¤à¤¯ का यदि कारण ढूंढा जाये तो अनà¥à¤¯ कारणों में हमारे अनà¥à¤¦à¤° यह पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ का संसà¥à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जब तक जिस चीज का संसà¥à¤•à¤¾à¤°=संयोग व पूरà¥à¤µ अनà¥à¤à¤µ न हà¥à¤† हो, उसको उसके लाà¤-हानि व सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं होता। मान लीजिठकि मेरे सामने खाने का à¤à¤• नया पदारà¥à¤¥ या फल रख दिया गया है। मैं इस वसà¥à¤¤à¥ को जीवन में पहली बार देख रहा हूं। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता कि यह सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ है, मीठा है, खटà¥à¤Ÿà¤¾ या अनà¥à¤¯ किसी सà¥à¤µà¤¾à¤¦ का है। इसको जब पहली बार जिहà¥à¤µà¤¾ पर रखता हूं तो मà¥à¤à¥‡ उसके सà¥à¤µà¤¾à¤¦ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है, उससे पूरà¥à¤µ नहीं। शरीर पर उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ के लिठविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की शरण लेनी पड़ती है। इसके बाद मैं जब उस वसà¥à¤¤à¥ व पदारà¥à¤¥ को देखता हूं तो मà¥à¤à¥‡ पूरà¥à¤µ का वह अनà¥à¤à¤µ सà¥à¤®à¤°à¤£ हो आता है और अपनी पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैं उसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता-कराता हूं। हमें मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ सताता है तो इसका अरà¥à¤¥ यह हà¥à¤† कि हमें इसका पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ अनà¥à¤à¤µ है। यह अनà¥à¤à¤µ इस जनà¥à¤® का तो निशà¥à¤šà¤¯ ही नहीं है, अतः यह अनà¥à¤à¤µ पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® व जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का सिदà¥à¤§ होता है। इस आधार पर जीवातà¥à¤®à¤¾ वा मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होता है। योगदरà¥à¤¶à¤¨ में इसे अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ का नाम दिया है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ योगदरà¥à¤¶à¤¨ के पांच पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर ले तो उसे इन पांच कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ अविदà¥à¤¯à¤¾, असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾, राग, दà¥à¤µà¥‡à¤· और अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को जानने से मृतà¥à¤¯à¥ व अनà¥à¤¯ à¤à¤¯à¥‹à¤‚ से सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल सकती है। à¤à¤¯ को पूरी तरह से दूर करना योग साधना का निरनà¥à¤¤à¤° अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करते हà¥à¤ समाधि को सिदà¥à¤§ करने पर होता है। इसके लिये अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ग योग की शरण ही à¤à¤• मातà¥à¤° उपाय है। मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ को दूर करने और बार-बार के जनà¥à¤® मरण के दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठही मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि करते हà¥à¤ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करता है। यह योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ ही मृतà¥à¤¯à¥ की यथारà¥à¤¥ औषधि है।
यह मृतà¥à¤¯à¥ रूपी दà¥à¤ƒà¤–, à¤à¤¯ आदि पांच कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ अविदà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ के कारण होता है। इस à¤à¤¯ का कारण कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अविदà¥à¤¯à¤¾ है, अतः अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर होने पर मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ दूर होना समà¥à¤à¤µ है। अतः पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपनी अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर करनी चाहिये। अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर करने के उपाय व साधन का नाम ही वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ है। केवल विषय को पढ़ लेने से पूरा लाठनहीं मिलता, इसके लिये औषधि के रूप में साधन व उपाय à¤à¥€ करने होते हैं जो कि योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व यौगिक जीवन ही है। इसी लिठसृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से विवेकयà¥à¤•à¥à¤¤ लोग योग की शरण में जाकर जीवन को सफल व उनà¥à¤¨à¤¤ करते रहे हैं। योगदरà¥à¤¶à¤¨ में मृतà¥à¤¯à¥ के कà¥à¤²à¥‡à¤¶ को अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ नाम दिया गया है। इसको बताते हà¥à¤ योगदरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि ने कहा है कि ‘सà¥à¤µà¤°à¤¸à¤µà¤¾à¤¹à¥€ विदà¥à¤·à¥‹à¤½à¤ªà¤¿ तथारूढ़ोऽà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶à¤ƒà¥¤’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के वशीà¤à¥‚त जो नैसरà¥à¤—िकरूप से पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होने वाला मतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ है, जो विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ मूरà¥à¤–ों के ऊपर समानरूप से सवार रहता है, उसे अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ नामक कà¥à¤²à¥‡à¤¶ कहा जाता है। महरà¥à¤·à¤¿ पंतजलि के इस सूतà¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° आचारà¥à¤¯ उदयवीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ लिखते हैं कि संसार में आजाने पर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की यह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है कि वह सदा à¤à¤¸à¤¾ ही बना रहे। à¤à¤¸à¤¾ कà¤à¥€ न हो, कि वह न रहे। यह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ के मृतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ को पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करती है। सरà¥à¤µà¤¸à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤£ अपढ़ मूरà¥à¤– पामर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को नहीं जानता व समà¤à¤¾à¤¤à¤¾, उसकी à¤à¤¸à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बने, तो कोई आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं, परनà¥à¤¤à¥ जो विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ हैं, शासà¥à¤¤à¥à¤° के पारदरà¥à¤¶à¥€ हैं, जानते हैं कि जो जनà¥à¤® लेता है वह मरता अवशà¥à¤¯ है, वे à¤à¥€ मूरà¥à¤–ो के समान मृतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ से घबराते हैं। यह à¤à¤¯ न केवल मानव में, अपितॠकृमि कीट पतंग आदि कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° पाणियों तक में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। जैसे ही किसी के सनà¥à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¸à¤‚कट आये, वह उससे बचने का ततà¥à¤•à¤¾à¤² उपाय करता है और à¤à¤¸à¥‡ संकट के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सदा सतरà¥à¤• व सावधान रहता है।
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° को किसी से à¤à¤¯ अथवा किसी वसà¥à¤¤à¥ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आकरà¥à¤·à¤£ तà¤à¥€ होता है, जब उसने उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अथवा वसà¥à¤¤à¥ का पà¥à¤°à¤¥à¤® अनà¥à¤à¤µ किया हो। परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• जीवन में पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¥‚त पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ ने अà¤à¥€ तक मृतà¥à¤¯à¥ के दà¥à¤ƒà¤– का अनà¥à¤à¤µ नहीं किया होता। अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मरते-जाते दीखने पर à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की उस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ में कोई अनà¥à¤¤à¤° नहीं आता, कि-मैं कà¤à¥€ न मरूं, सदा à¤à¤¸à¤¾ ही बना रहूं। आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उपदेश à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ इस दिशा में कोई कारगर नहीं होते। इससे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है, कि पहले जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ ने मृतà¥à¤¯à¥ के तीवà¥à¤° दà¥à¤ƒà¤– का अनà¥à¤à¤µ किया है। उसी से जनित संसà¥à¤•à¤¾à¤° इस जीवन में निमितà¥à¤¤à¤µà¤¶ उà¤à¤°à¤¨à¥‡ पर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ को à¤à¤¯ से बेचैन बनाये रखते हैं। यह ‘अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶’ नाम मृतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ का कà¥à¤²à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° में समानरूप से पाया जाता है। चाहे कोई कà¥à¤¶à¤² हो, या अकà¥à¤¶à¤², मृतà¥à¤¯à¥ का अवसर सबके लिये समानरूप से आता है, और समानरूप से सबको à¤à¤¯à¤¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ करता है। इन कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ करने और इनसे बचने के लिये साधक को सदा निरà¥à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ उपायों के अनà¥à¤·à¥à¤ ान में पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² बना रहना चाहिये। इसके बाद के सूतà¥à¤° में महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि ने कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को दूर करने का उपाय बताते हà¥à¤ कहा है कि इन पांचों कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को अपने अपने कारणों जिनसे यह उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ व होते हैं, उनमें विलय कर देने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ लोग मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ से छूट पाते हैं। इस विषय को सà¥à¤¸à¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ व विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानने के लिठयोगदरà¥à¤¶à¤¨ पर आचारà¥à¤¯ उदयवीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की टीका पढ़नी आवशà¥à¤¯à¤• है। इससे न केवल मृतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ के कà¥à¤²à¥‡à¤¶ का निवारण होगा वहीं अनà¥à¤¯ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के लाठà¤à¥€ अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ को वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व शेष जीवनकाल में हो सकते हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ मरने से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डरता है, इसका à¤à¤• उतà¥à¤¤à¤° हमारे सामने यह आया है कि जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के मृतà¥à¤¯à¥ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° वा अनà¥à¤à¤µ जीवातà¥à¤®à¤¾ पर हैं। उनके कारण ही हमें मृतà¥à¤¯à¥ का डर सताता है। इस à¤à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ कारणों में अविदà¥à¤¯à¤¾ नामक कà¥à¤²à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है जिसे, व अनà¥à¤¯ कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को à¤à¥€, यदि हटा दिया जाये तो मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ दूर हो सकता है। योगदरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° ने इससे पूरà¥à¤£à¤°à¥‚पेण बचने के लिठलिठअषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ग योग की रचना की है। समाधि अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर ही यह अविदà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ दूर होती है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ इसका साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ उदाहरण हैं। उनके जीवन के उतà¥à¤¤à¤° काल में मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¤à¥€ तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ नहीं किया। इस मृतà¥à¤¯à¥à¤à¤¯ को यदि अधिक सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहा जाये तो इस उदाहरण से कह सकते हैं। जब हम किसी सà¥à¤–कारी वसà¥à¤¤à¥ जो हमसे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है व हमारा अंग नहीं है, अपनी समठलेते हैं, तो इसका कारण उस वसà¥à¤¤à¥ से हमारा राग व मोह होना होता है। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤–कारी वसà¥à¤¤à¥ के दूर होने, छीनने व छूटने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से दà¥à¤ƒà¤– होता है। अपने अपने शरीर से à¤à¥€ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का मोह व राग हो गया है। यह शरीर मेरा व हमारा अवशà¥à¤¯ है परनà¥à¤¤à¥ यह ‘‘मैं” नहीं है। मैं व मेरा दो अलग सतà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। मैं ‘मैं’ हूं और मेरा मà¥à¤ मैं से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है। मेरी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मैं नहीं अपितॠमà¥à¤à¤¸à¥‡ पृथक मेरी है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मेरा शरीर, मेरा हाथ, आंख, नाम व पैर आदि मेरे अवशà¥à¤¯ हैं परनà¥à¤¤à¥ मà¥à¤à¤¸à¥‡ व मैं से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हैं। इस à¤à¥‡à¤¦ को जान लेने और इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने से à¤à¥€ अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ कटता वा कम होता है। इस सतà¥à¤¯ को जानकर ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ यदि जीवन में आचरण करेगा तो उसके मृतà¥à¤¯à¥ के à¤à¤¯ में कà¤à¥€ आयेगी। उसके जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होगी और जब वह संसार छोड़ेगा तो सामानà¥à¤¯ जनों की अपेकà¥à¤·à¤¾ वह दà¥à¤ƒà¤–ी नहीं होगा। उसे यह निशà¥à¤šà¤¯ होगा कि मृतà¥à¤¯à¥ के बाद उसे उसके करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° उनà¥à¤¨à¤¤ व अवनत जीवन मिलेगा जहां वह उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ मोकà¥à¤· तक जा सकेगा। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के साथ लेख को विराम देते हैं।
ALL COMMENTS (0)