कà¥à¤¯à¤¾ हमारा पहले à¤à¤• व अनेक बार मोकà¥à¤· हà¥à¤† है
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Manmohan Kumar AryaDate
26-Mar-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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UmeshUpload Date
26-Mar-2016Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ योनि मोकà¥à¤· का दà¥à¤µà¤¾à¤° है। मोकà¥à¤· दà¥à¤ƒà¤–ों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿ और जनà¥à¤®-मरण के बनà¥à¤§à¤¨ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ को कहते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं का जनà¥à¤® उनके पूरà¥à¤µ मà¥à¤¨à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों के à¤à¥‹à¤— के लिठहोता है। à¤à¤¸à¥€ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शà¥à¤ करà¥à¤® अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से अधिक होते हैं तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® और जब शà¥à¤ करà¥à¤® 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से कम होते हैं तो अनà¥à¤¯ योनियों में करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जनà¥à¤® होता है। अब यदि इस ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को जानकर कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ दृण संकलà¥à¤ª कर शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ले और अशà¥à¤ करà¥à¤® करना छोड़ दे तथा सà¤à¥€ शà¥à¤ करà¥à¤® यथा ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸-धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व समाधि का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸, दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, पितृ यजà¥à¤ž, बलिवैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µ यजà¥à¤ž और अतिथि यजà¥à¤ž सहित राषà¥à¤Ÿà¥à¤° धरà¥à¤® का पालन और परोपकार व सेवा आदि के करà¥à¤® करे, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ और कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ पृथक रहे तो कà¥à¤¯à¤¾ होगा? इसका à¤à¤• ही परिणाम है कि उसका मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® होगा। पशॠव पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि निकृषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों में इस लिठजनà¥à¤® नहीं होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसके शà¥à¤ करà¥à¤® 50 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक हैं। अब यदि वह व अनेक मनà¥à¤·à¥à¤¯ वेदोकà¥à¤¤ करà¥à¤®-फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को जानकर अपने सà¤à¥€ शà¥à¤ करà¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• करते है और उसमें फल की आसकà¥à¤¤à¤¿ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करते हà¥à¤ करते हैं तो उसका मोकà¥à¤· होना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। à¤à¤¸à¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की अवसà¥à¤¥à¤¾ को जीवनमà¥à¤•à¥à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ कहते हैं जो उसे मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कराती है। यह अवसà¥à¤¥à¤¾ à¤à¤• जनà¥à¤® वा अनेक जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकती है।
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अनादि, नितà¥à¤¯ व अनà¥à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हैं। इसका य ह अरà¥à¤¥ à¤à¥€ है कि हमारी इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पूरà¥à¤µ अननà¥à¤¤ बार यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी और पà¥à¤°à¤²à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ है और आगे à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही होगा। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ और पà¥à¤°à¤²à¤¯ का यह पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ सदैव चलता रहेगा। यदि हम à¤à¤• ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के 4.32 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की अवधि की बात करें और यह अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ व कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करें कि हर बार हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ बने हों और हमारी औसत आयॠ100 वरà¥à¤· रही हो तब à¤à¥€ à¤à¤• ही सृषà¥à¤Ÿà¤¿ काल में हमारे 4 करोड़ 32 लाख बार जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ होना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पूरà¥à¤µ अननà¥à¤¤ बार स़ृषà¥à¤Ÿà¤¿ होने के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ से तो हमारे अब तक अननà¥à¤¤ जनà¥à¤® हो चà¥à¤•à¥‡ हैं, अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है। अतः हम सब मनà¥à¤·à¥à¤¯ व जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के अननà¥à¤¤ जनà¥à¤® होने से अनेक बार हमारा मोकà¥à¤· होना à¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है। इस अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ से यह à¤à¥€ पता चलता है कि शायद ही कोई जीवयोनि à¤à¤¸à¤¾ हो जिसमें हमारा कई-कई बार जनà¥à¤® और मà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ न हà¥à¤ˆ हो। हमारे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बताते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मृतà¥à¤¯à¥ से जो à¤à¤¯ लगता है उसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण उसका मृतà¥à¤¯à¥ का पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ संसà¥à¤•à¤¾à¤° है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में अनेक बार मर चà¥à¤•à¤¾ है, इसलिठपूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ व सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण वह इस जनà¥à¤® में मरने से डरता है। यदि जीवातà¥à¤®à¤¾ का पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® न होता तो वह मरने से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ डरता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिसका अनà¥à¤à¤µ न हो उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ व à¤à¤¯ नहीं हà¥à¤† करता। अतः हमारी आतà¥à¤®à¤¾ का अनेक बार मोकà¥à¤· होना अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के आधार पर समà¥à¤à¤µ व सिदà¥à¤§ है।
अब हम à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर और विचार करते हैं कि जब हमारा अनेक बार मोकà¥à¤· हो चà¥à¤•à¤¾ है और शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ आधार पर 36,000 बार सृषà¥à¤Ÿà¤¿ होने और पà¥à¤°à¤²à¤¯ के काल तक की अवधि के 8.64 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक मोकà¥à¤· में रह चà¥à¤•à¥‡ हैं तो मोकà¥à¤· के बाद जनà¥à¤® होने पर हम व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ व जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— और बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके इतने गिर गये कि वह आज मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ योनियों में पहà¥à¤‚च गये हैं जहां उनको नानाविध असहनीय दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ने पड़ रहे हैं और फिर à¤à¥€ वह सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥à¤§ होकर जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहे हैं। शायद इसी लिठहमने अनेक वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¨à¤¾ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के गिरने की à¤à¥€ कोई सीमा नहीं है, यह सिदà¥à¤§ हो रहा है और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ व उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ कà¥à¤› विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को देखकर यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व ऊपर उठने की à¤à¥€ कोई सीमा नहीं है। आज का मनà¥à¤·à¥à¤¯ कितना गिर चà¥à¤•à¤¾ है, यह इस बात से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि यदि कोई किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मोकà¥à¤· व जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ विषयक वैदिक सतà¥à¤¯ विचारों से परिचित कराना चाहें तो वह सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को तैयार नहीं होता है। आज सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®-मत-मजहब-गà¥à¤°à¥-रिलीजन आदि में बंटे हà¥à¤ हैं और अपने अपने मत में सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जो बताया गया है उसमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¤à¥€ शंका ही नहीं होती जबकि वैदिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विचार करने पर उनकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ असतà¥à¤¯ वा अधूरी पाई जाती हैं। इसे संसार का सबसे बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ कह सकते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जिसको परमातà¥à¤®à¤¾ ने सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ के विवेक की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ दी हà¥à¤ˆ है वह अपने यथारà¥à¤¥ हित मोकà¥à¤· व जीवनोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की बातों को à¤à¥€ जानबूà¤à¤•à¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से ओà¤à¤² करता है। इसका परिणाम जो हो सकता है वह वैदिक मत के लोग à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जानते हैं। इतना सब होते हà¥à¤ à¤à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ (1825-1883) अपने समय में सतà¥à¤¯ वैदिक मत वा धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के इस महान कारà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हà¥à¤ थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की चिनà¥à¤¤à¤¾ न कर अपना à¤à¤•-à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया था। धनà¥à¤¯ हैं महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ व उनकी पहली व दूसरी पीढ़ी के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• आदरà¥à¤¶ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ किया था। आज à¤à¥€ हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में अनेक विजà¥à¤ž लोग इस मोकà¥à¤· मारà¥à¤— के पथ के अनà¥à¤—ामी हैं जिनमें हम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤ªà¤¤à¤¿ जी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चितà¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी और शà¥à¤°à¥€ सतà¥à¤¯à¤œà¤¿à¤¤à¥ आरà¥à¤¯ जी के नाम ले सकते हैं। हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि आज का समय à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— का है। लोगों की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® व उसके पालन में बहà¥à¤¤ कम है। हमें लगता है कि अब लोग à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦ से उबने लगे हैं। आने वाला समय आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤µà¤¾à¤¦ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ यौगिक जीवन व इससे मानसिक सà¥à¤– शानà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का होगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव जी का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ à¤à¥€ लोगों को इसी दिशा में आगे बढ़ा रहा है। यह à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¯ है कि बड़े से बड़ा à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• आननà¥à¤¦, ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ का आननà¥à¤¦, से बड़ा नहीं हो सकता। अतः वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हर यà¥à¤— व समय की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।
लेख को विराम देने से पूरà¥à¤µ हम महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ में बिना शरीर के आननà¥à¤¦ à¤à¥‹à¤—ने के समाधान विषयक विचारों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं। वह लिखते हैं कि जैसे सांसारिक सà¥à¤– शरीर के आधार से à¤à¥‹à¤—ता है वैसे परमेशà¥à¤µà¤° के आधार मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के आननà¥à¤¦ को जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥‹à¤—ता है। वह मà¥à¤•à¥à¤¤ जीव अननà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® में सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¨à¥à¤¦ घूमता, शà¥à¤¦à¥à¤§ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को देखता, अनà¥à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ मिलता, सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ को कà¥à¤°à¤® से देखता हà¥à¤† सब लोक लोकानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ मे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जितने ये लोक दीखते हैं, और नही दीखते उन सब मे घूमता है। वह सब पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जो कि उस के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आगे हैं सब को देखता है। जितना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अधिक होता है उसको उतना ही आननà¥à¤¦ अधिक होता है। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ में जीवातà¥à¤®à¤¾ निरà¥à¤®à¤² होने से पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ होकर उस को सब सनà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤¨ यथावतॠहोता है। यह जानने योगà¥à¤¯ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जब तक मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं होगा तब तक जनà¥à¤® मरण व नाना योनियों में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करेगा जिससे वह दà¥à¤ƒà¤–ों से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं हो सकता। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ किसी à¤à¥€ मत व मतानà¥à¤¤à¤° वाले को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकती है। इसके लिठमोकà¥à¤· के साधनों को अपनाना होगा जो केवल वेदों व वैदिक जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में ही उपलबà¥à¤§ हैं। हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं, अतः हम सबको मनन कर हमें जीवन-मृतà¥à¤¯à¥ व मोकà¥à¤· के रहसà¥à¤¯ को यथारà¥à¤¥ रूप में जान व समà¤à¤•à¤° अपने दà¥à¤ƒà¤–ों का अधिकाधिक निवारण करने हेतॠययोगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना समीचीन है।
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