संसार में ईशà¥à¤µà¤° और धरà¥à¤® à¤à¤• हैं’

Author
Manmohan Kumar AryaDate
26-Mar-2016Language
HindiTotal Views
2136Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
28-Mar-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
कà¥à¤¯à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° और धरà¥à¤® आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हैं अथवा यह बातें मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पर आधारित हैं? संसार में बहà¥à¤¤ से नासà¥à¤¤à¤¿à¤• हà¥à¤ हैं, अब à¤à¥€ है, जिनके अपने-अपने मत à¤à¥€ हैं, वह ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करते। कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤® शबà¥à¤¦ से गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ व घृणा है। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि यदि ईशà¥à¤µà¤° व धरà¥à¤® हैं ही नहीं, तो फिर इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की कब व किसने उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की? यदि ईशà¥à¤µà¤° को न माने तो फिर इस संसार की रचना व उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का कोई बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¸à¤‚गत सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हमें पता होना चाहिये। कà¥à¤¯à¤¾ यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ बिना किसी ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ बना है अथवा हमेशा से बना बनाया है। à¤à¤¸à¥‡ अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ हमारे समà¥à¤®à¥à¤– आते हैं। उनका जब विवेचन करते हैं तो हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि यह संसार सà¥à¤µà¤®à¥‡à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ बिना किसी सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ सतà¥à¤¤à¤¾ के उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हो सकता। उतà¥à¤¤à¤° केवल इस बात का दिया जाना है कि सूकà¥à¤·à¥à¤® व सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सतà¥à¤¤à¤¾ हो सकती है और आंखों से दिखाई न देना विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के किसी नियम व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त होता है जो कि समà¥à¤à¤µ है असमà¥à¤à¤µ नहीं। हम संसार में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देखते हैं। हमें उन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• शरीर ही दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होते हैं। उनमें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ आतà¥à¤®à¤¾ वा चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ जिसके शरीर में होने पर शरीर जीवित रहता व अपने शरीर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करता हैं, उस जीवातà¥à¤®à¤¾ की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ में शरीर अचेत व निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जाता है जिसे हम उस मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की मृतà¥à¤¯à¥ होना कहते हैं, शरीर में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ यह आतà¥à¤®à¤¾ वा चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ किसी को दिखाई नहीं देती परनà¥à¤¤à¥ सà¤à¥€ इसको मानते हैं। शरीरों में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व सूकà¥à¤·à¥à¤® सतà¥à¤¤à¤¾ है जो कि à¤à¤• चींटी व हाथी के शरीर में à¤à¤• जैसी होती है। अब यदि शरीरसà¥à¤¥ जीवातà¥à¤®à¤¾ दिखाई नहीं देती तो इससे à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® जिसे सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿à¤¸à¥‚कà¥à¤·à¥à¤® कह सकते हैं, वह सतà¥à¤¤à¤¾ जो सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और चेतन हो, अवशà¥à¤¯ हो सकती है जो होने पर à¤à¥€ दिखाई न दे, यह समà¥à¤à¤µ है। उसका लकà¥à¤·à¤£ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ कà¥à¤¯à¤¾ है? इसका उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ हमें बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व विवेक तथा वेदादि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मिलता है। यह निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ व रचित संसार उसी सतà¥à¤¤à¤¾ की रचना है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ की गई रचना के किठरचनाकार व रचयिता का होना होना अपरिहारà¥à¤¯ वा अनिवारà¥à¤¯ है। हम संसार में बने अपनी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को देखते हैं तो à¤à¤¸à¤¾ कोई पदारà¥à¤¥ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर नहीं होता कि जो सà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¿à¤¤ हो वा जिसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने न बनाया हो। बाजार में सà¤à¥€ उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ वसà¥à¤¤à¥à¤ किसी न किसी उदà¥à¤¯à¥‹à¤— आदि में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होती हैं जिसमें पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤¥ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का उपयोग करके सहायक मशीनों व उपकरणों से बनाता है। इससे यह à¤à¥€ जाना जाता है कि रचनायें दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती हैं। पà¥à¤°à¤¥à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯ कृत अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पौरूषेय और दूसरी ईशà¥à¤µà¤°à¤•à¥ƒà¤¤ जिसे अपौरूषेय कहते हैं। यह सारी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व इसके जल, वायॠआदि पदारà¥à¤¥ तथा पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ à¤à¤µà¤‚ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जगत अपौरूषेय सतà¥à¤¤à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाये गये पदारà¥à¤¥ हैं। ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाई गई सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को देखकर हम ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर सकते हैं।
हम देखते हैं कि इस पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ वा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का न कोई ओर है न छोर, अतः ईशà¥à¤µà¤° अननà¥à¤¤ सिदà¥à¤§ होता है। ईशà¥à¤µà¤° इसलिठदिखाई नहीं देता कि वह सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿à¤¸à¥‚कà¥à¤·à¥à¤® है। रचना सदैव जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤¨ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही समà¥à¤à¤µ होती है, अतः ईशà¥à¤µà¤° चेतन व सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž है। सà¥à¤– व आननà¥à¤¦ से रहित वा दà¥à¤ƒà¤–ी सतà¥à¤¤à¤¾ किसी महनीय कारà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ नहीं हो सकती, अतः ईशà¥à¤µà¤° का आननà¥à¤¦à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होना à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। यह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ असीम है अतः ईशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ असीम सिदà¥à¤§ होता है। आकारवाली वसà¥à¤¤à¥ वा सतà¥à¤¤à¤¾ सीमित होती है अतः ईशà¥à¤µà¤° अननà¥à¤¤ होने से निराकार है। अलà¥à¤ª सतà¥à¤¤à¤¾ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होती है और उसकी शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ सीमित होती है, अतः इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना को देखकर ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ व सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž सिदà¥à¤§ होता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विचार करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° का जो सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª समà¥à¤®à¥à¤– आता है वह वही है जो वेदों व वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के वेदानà¥à¤•à¥‚ल साहितà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। सà¤à¥€ मत व पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में इससे मिलता जà¥à¤²à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥‚प ही पाया जाता है। हां, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾à¤µà¤¶ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों में ईशà¥à¤µà¤° विषयक कà¥à¤› कलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ की गई हैं जो कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥‚लक, निराधार तथा असतà¥à¤¯ हैं। वेद ईशà¥à¤µà¤° को महानतम पà¥à¤°à¥à¤· जो कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° से रहित व सूरà¥à¤¯ के समान पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤®à¤¾à¤¨ वा आदितà¥à¤¯ वरà¥à¤£ वाला बताते हà¥à¤ उसे इस चराचर जगत के कण-कण में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वा विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ बताते हैं। दरà¥à¤¶à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि जिससे यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है, चलती है, पालन होता है व अनà¥à¤¤ में पà¥à¤°à¤²à¤¯ होती है, उसे ईशà¥à¤µà¤° कहते हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° का इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होना सिदà¥à¤§ होता है।
इससे पूरà¥à¤µ कि हम धरà¥à¤® की चरà¥à¤šà¤¾ करें जीवातà¥à¤®à¤¾ के विषय में कà¥à¤› बातें जान लेना आवशà¥à¤¯à¤• है। जीवातà¥à¤®à¤¾ तीन नितà¥à¤¯ व अनादि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में से à¤à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ है। यह तीनों ही सतà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® हैं परनà¥à¤¤à¥ तà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से सूकà¥à¤·à¥à¤® सत, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की सामà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। इससे à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® जीवातà¥à¤®à¤¾ है और इन दोनों से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® वा सरà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿à¤¸à¥‚कà¥à¤·à¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° है। कोई à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ न उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया जा सकता है और न ही किसी पदारà¥à¤¥ का नाश होता है। जीवातà¥à¤®à¤¾ व यह तीनों पदारà¥à¤¥ अविनाशी हैं। जीवातà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की तरह से à¤à¤• चेतन, अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, आननà¥à¤¦ से रहित वा आननà¥à¤¦ का अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¥€ व सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤•à¤¾à¤° पदारà¥à¤¥ है जिसका आकार à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® बिनà¥à¤¦à¥à¤µà¤¤ है। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से अनादि है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यह जीवातà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ अनादि काल से करà¥à¤®-फल के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में फंसी हà¥à¤ˆ है जो इसके बार-बार जनà¥à¤® व मृतà¥à¤¯à¥ के कारण बनते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® उà¤à¤¯ योनि है और अनà¥à¤¯ योनियां फल à¤à¥‹à¤— योनियां। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® जब होता है कि जब पूरà¥à¤µ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® में इसके पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ बराबर व पà¥à¤£à¥à¤¯ अधिक होते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® लेकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व सदकरà¥à¤® व धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कर विवेक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है जिससे इसकी 31 नील 10 खरब 40 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठजनà¥à¤® मरण से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ हो जाती है। इसके बाद पà¥à¤¨à¤ƒ जनà¥à¤® होता है और इसे सदाचार यà¥à¤•à¥à¤¤ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना होता अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ यह बनà¥à¤§à¤¨ में पड़कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ व योनियों में जनà¥à¤® मरण धारण करता रहता है। यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हमारी व हम सब की है।
अब धरà¥à¤® के बारे में विचार करते हैं। दरà¥à¤¶à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का नाम धरà¥à¤® है जिनसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ को इस जीवन में सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और मरने पर मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हाती है। धरà¥à¤® के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त मà¥à¤–à¥à¤¯ करà¥à¤® ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž, परोपकार, सेवा, देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आदि वेद विहित सतà¥à¤¯ करà¥à¤® आते हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में रची गई मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में विधान है कि धरà¥à¤® की जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठपरम पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ वेद हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करà¥à¤® धरà¥à¤® व वेद निषिदà¥à¤§ करà¥à¤® अधरà¥à¤® कहलाते हैं। इसको यह à¤à¥€ कह सकते हैं कि सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ करà¥à¤® धरà¥à¤® होते हैं और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अविदà¥à¤¯à¤¾, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व दूसरों के अपकार आदि के करà¥à¤® अधरà¥à¤® की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में आते हैं। धरà¥à¤® सà¥à¤– का कारण होता है और अधरà¥à¤® दà¥à¤ƒà¤– का कारण होता है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤¦à¥à¤§ हृदय वाला होता है वह जब आरमà¥à¤ में कोई गलत काम करता है तो उसके हृदय में à¤à¤¯ शंका व लजà¥à¤œà¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। और यदि वह अचà¥à¤›à¤¾ काम करता है तो उसके हृदय व मन में उस कारà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ व आननà¥à¤¦ की अनà¥à¤à¥‚ति होती है। यह अनà¥à¤à¥‚तियां हृदय में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से होते हैं। इस पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ से ईशà¥à¤µà¤° का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व उसका आतà¥à¤®à¤¾ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• वा सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होना सिदà¥à¤§ होता है। यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ इन पà¥à¤°à¤°à¥‡à¤£à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤°à¥‚प नहीं वरà¥à¤¤à¤¤à¤¾ है तो उसको यह अनà¥à¤à¥‚तियां होनी बनà¥à¤¦ हो जाती हैं। यह सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤à¤µ होता है। आज कल संसार में धरà¥à¤® के नाम पर अनेक मत-मतानà¥à¤¤à¤° चल रहे हैं जिनकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हैं। यह लोग अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सतà¥à¤¯ की कसौटी पर नहीं कसते जैसे कि हमारे वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• करते हैं। इससे इन मतों में मिथà¥à¤¯à¤¾à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° पाई जाती है। à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ देखा जाता है कि यह सब सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का विचार किये बिना ही अपने-अपने मत का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हैं और दूसरों को à¤à¤¯, पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ व सेवा आदि के नाम पर धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ करने में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ होते हैं। इतिहास इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की घटनाओं से à¤à¤°à¤¾ पड़ा है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ यह धरà¥à¤® नहीं, मत हैं और इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤– उठाने पड़ते हैं à¤à¤¸à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का विवकेपूरà¥à¤£ आंकलन है। यदि इतने मत व धरà¥à¤® न होते तो शायद विशà¥à¤µ में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ होती और अतीत में लोग अकारण मृतà¥à¤¯à¥ का गà¥à¤°à¤¾à¤¸ न बने होते। आजकल यह à¤à¥€ देखने को मिल रहा है कि धरà¥à¤® à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° बन गया है। आम जनता को यथारà¥à¤¥ धरà¥à¤®, उसकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तो होता नहीं है, अतः व चालाक व चतà¥à¤° गà¥à¤°à¥à¤“ं के वà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥‹à¤¹ व चकà¥à¤° में सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ फंस जाते हैं और अपनी धन-समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‡à¤‚ट करते रहते हैं। वह इसे धरà¥à¤® समà¤à¤¤à¥‡ हैं परनà¥à¤¤à¥ इससे देश व समाज कमजोर होता है। विचार करने पर यह सिदà¥à¤§ होता हैं कि संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• ही धरà¥à¤® है और वह है ‘सतà¥à¤¯, सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, सतà¥à¤¯ करà¥à¤®, सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ वा वेदाचरण’। धरà¥à¤® à¤à¤• होने का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार यह है कि इस संसार का रचयिता à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° है और उसकी उपासना उसके बताये वेद के आधार पर करना, वेदोकà¥à¤¤ करà¥à¤® व आचरण करना व निषिदà¥à¤§ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— ही धरà¥à¤® है। à¤à¤• राजा अपने देश व पà¥à¤°à¤œà¤¾ के लिठदो व अधिक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के नियम नहीं बनाता। ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• है अतः पूरी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठउसके नियम वा धरà¥à¤® à¤à¥€ à¤à¤• ही हो सकते हैं, à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नहीं। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° के नियमों की खोज कर उसी का आचरण करना चाहिये और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ गà¥à¤°à¥à¤“ं से बचकर शोषण से बचना चाहिये। यदि सतà¥à¤¯ धरà¥à¤® का आचरण नहीं करेंगे तो करà¥à¤® फल की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हमारी अवनति होकर हमें जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है। संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठईशà¥à¤µà¤° निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना का à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° है। सà¤à¥€ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं अनà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• कृतà¥à¤¯ करने के साथ इसका à¤à¥€ अरà¥à¤¥ सहित पाठव जप करना चाहिये जिससे अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के लाठहो सकते हैं। गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° है- ‘ओ३मॠà¤à¥‚रà¥à¤à¥à¤µà¤ƒ सà¥à¤µà¤ƒà¥¤ ततà¥à¤¸à¤µà¤¿à¤¤à¥à¤°à¥à¤µà¤°à¥‡à¤£à¥à¤¯à¤‚ à¤à¤°à¥à¤—ो देवसà¥à¤¯ धीमहि। धियो यो नः पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¥¤‘ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हे ओ३मॠनामी परमेशà¥à¤µà¤° ! आप मेरे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£ हैं, दà¥à¤ƒà¤–नाशक है व सà¥à¤–सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं। हम आपके गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने योगà¥à¤¯ सकल जगतॠके उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प व विशà¥à¤¦à¥à¤§ तेज को अपने à¤à¥€à¤¤à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ में धारण करें। हे पà¥à¤°à¤à¥ ! आप हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— में चलने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करें। यही आपसे हमारी विनती है। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं।
ALL COMMENTS (0)