‘मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम अपना जीवन बनाने का संकलà¥à¤ª लेने का परà¥à¤µ है रामनवमी’
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Manmohan Kumar AryaDate
16-Apr-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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UmeshUpload Date
16-Apr-2016Download PDF
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सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम à¤à¤µà¤‚ महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी का जनà¥à¤® होना आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के लिठअति गौरव की बात है। यदि यह दो महापà¥à¤°à¥à¤· न हà¥à¤ होते तो कह नहीं सकते कि मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का जो पतन हà¥à¤† और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के काल तक आते-आते वह जैसा व जितना बचा रहा, बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वह बच पाता, इसमें सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ है? यह à¤à¥€ कह सकते है कि यदि वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से बची à¤à¥€ रहती तो उसकी जो अवसà¥à¤¥à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के काल में रही व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में है, उससे कहीं अधिक दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती। अतः मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम व महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ व उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ रामायण को हम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद सनातन वैदिक धरà¥à¤® के रकà¥à¤·à¤• के रूप में मान सकते हैं।
मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ था जिस पर महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ने उनका इतना विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ महाकावà¥à¤¯ लिख दिया जिसका आज की आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ में समà¥à¤®à¤¾à¤¨ है? इसका à¤à¤• ही उतà¥à¤¤à¤° है कि शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ होते à¤à¥€ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से सरà¥à¤µà¤¤à¥‹-महान थे। उनके समान मनà¥à¤·à¥à¤¯ उनके पूरà¥à¤µ इतिहास में हà¥à¤† या नहीं कहा नहीं जा सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण के समान उससे पूरà¥à¤µ का इतिहास विषयक कोई गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤§ नहीं है और अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी के समय में à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ नहीं था। शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾à¤¯à¥à¤— में हà¥à¤ थे। तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ यà¥à¤— वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के कलियà¥à¤— से पूरà¥à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— से à¤à¥€ पूरà¥à¤µ का यà¥à¤— है। कलियà¥à¤— 4.32 लाख वरà¥à¤· का होता है जिसके वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में 5,116 वरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं। इससे पूरà¥à¤µ 8.64 हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ का दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤† जिसके अनà¥à¤¤ में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† था। इस पर महरà¥à¤·à¤¿ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ने इतिहास के रूप में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखा जिसमें योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, अरà¥à¤œà¥à¤¨ आदि पाणà¥à¤¡à¤µ à¤à¤µà¤‚ कौरव वंश का वरà¥à¤£à¤¨ है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नà¥à¤¯à¥‚नतम 8.64+0.051=8.691 लाख वरà¥à¤· से à¤à¥€ सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ की धरती पर शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ वा जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ थे। यह शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी à¤à¤¸à¥€ पिता व माता की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ थे जो आरà¥à¤¯à¤°à¤¾à¤œà¤¾ थे और जो ऋषियों की वेदानà¥à¤•à¥‚ल शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं का आचरण वा पालन करते थे। शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की माता कौशलà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ वैदिक धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¾à¤¯à¤£ नारी थी जो पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व दैनिक अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करती थीं।
वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ने शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के जीवन पर रामायण गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की? इस संबंध में रामायण में ही वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है कि वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के à¤à¤• महान कवि थे। वह à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का इतिहास लिखना चाहते थे जो गà¥à¤£ करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में अपूरà¥à¤µ, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯ हो। नारद जी से पूछने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का जीवन वृतानà¥à¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ कर दिया जिसको वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ने सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर रामायण नामक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखा। आरà¥à¤¯à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से आज लाखों वरà¥à¤· बाद à¤à¥€ यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ शà¥à¤¦à¥à¤§ रूप में न सही, अपितॠकिंचित पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ªà¥‹à¤‚ के साथ उपलबà¥à¤§ होता है जिसे पढ़कर शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के चरितà¥à¤° किंवा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व कृतितà¥à¤µ को जाना जा सकता है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण को पढ़ा है वह जानते हैं कि शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° के समान इतिहास में à¤à¤¸à¤¾ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ चरितà¥à¤° उपलबà¥à¤§ नहीं है और न हि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में आशा की जा सकती है। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अनेक ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हà¥à¤ हैं जिनका जीवन व चरितà¥à¤° à¤à¥€ आदरà¥à¤¶ है परनà¥à¤¤à¥ शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का उदाहरण अनà¥à¤¯à¤¤à¤® है। इतिहास में योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी, à¤à¥€à¤·à¥à¤® पितामह, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर जी और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ आदि के महनीय जीवन चरितà¥à¤° à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ होते हैं, परनà¥à¤¤à¥ शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के जीवन की बात ही निराली है। वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ने जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनके जीवन के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ पहलà¥à¤“ं का रोचक और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ वरà¥à¤£à¤¨ किया है वैसी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° व à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ रचना अनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की उपलबà¥à¤§ नहीं होती है। इतना यहां अवशà¥à¤¯ लिखना उपयà¥à¤•à¥à¤¤ है कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का जीवन à¤à¥€ संसार के महान पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤¯à¤¤à¤® है जिसे सà¤à¥€ देशवासियों व धरà¥à¤®à¤œà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ बनà¥à¤§à¥à¤“ं को पढ़कर उससे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेनी चाहिये।
शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषतायें कà¥à¤¯à¤¾ हैं जिनके कारण वह देश व संसार में अपूरà¥à¤µ रूप से लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ हà¥à¤à¥¤ इसका कारण है कि वह à¤à¤• आदरà¥à¤¶ पà¥à¤¤à¥à¤°, अपनी तीनों माताओं का समान रूप से आदर करने वाले, आदरà¥à¤¶ à¤à¤¾à¤ˆ, आदरà¥à¤¶ पति, गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ शिषà¥à¤¯, आदरà¥à¤¶ देशà¤à¤•à¥à¤¤, वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ साकार पà¥à¤°à¥‚ष, शतà¥à¤°à¥ पकà¥à¤· के à¤à¥€ हितैषी व उनके अचà¥à¤›à¥‡ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने वाले, अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के आदरà¥à¤¶ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ सà¥à¤°à¥‹à¤¤, सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ वा धरà¥à¤® का पालन करने वालों के रकà¥à¤·à¤•, धरà¥à¤®à¤¹à¥€à¤¨à¥‹à¤‚ को दणà¥à¤¡ देने वाले व उनके लिठरौदà¥à¤°à¤°à¥‚प, आदरà¥à¤¶ राजा व पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¾à¤²à¤•, वैदिक धरà¥à¤® के पालनकरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ व धारणकरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ सहित यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ आदि के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। इतना ही नहीं à¤à¤¸à¤¾ कोई मानवीय शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£ नहीं था जो उनमें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ न रहा हो। यदि à¤à¤¸à¥‡ व इससे à¤à¥€ अधिक गà¥à¤£ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ में हों तो वह समाज व देश का पà¥à¤°à¤¿à¤¯ तो होगा ही। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ ने शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी को महापà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° के समान पूजनीय तक बना दिया। बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤® हैं, ईशà¥à¤µà¤° नहीं। अजनà¥à¤®à¤¾ व सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® ले ही नहीं सकता। यही कारण है कि रामायण को इतिहास का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने उसे विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पाठविधि में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ किया है।
उपलबà¥à¤§ साहितà¥à¤¯ के आधार पर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• ही रामायण वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पतन होना आरमà¥à¤ हो गया। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ जो महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक देश व विशà¥à¤µ की à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी, उसके पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में à¤à¥€ कमी आने लगी और उसमें विकार होकर नई नई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ बनने लगी। इस का परिणाम यह हà¥à¤† कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनेक à¤à¥‚à¤à¤¾à¤—ों में समय के साथ अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡ व बोलियां असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आईं जो समय के साथ पलà¥à¤²à¤¿à¤µà¤¿à¤¤ और पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¿à¤¤ होती रहीं। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में कमी से वेदों व वैदिक धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में à¤à¥€ विकृतियां उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने लगीं जिसके परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प देश में अवतारवाद की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में हिंसा, मांसाहार का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व उसका वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, छà¥à¤†à¤›à¥‚त, सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदाधिकार से वंचित करने, बालविवाह, परà¥à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤¾, जैसे विधान बने। समय के साथ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ होती गई। वैषà¥à¤£à¤µà¤®à¤¤ ने शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी को ईशà¥à¤µà¤° का अवतार मानकर उनकी पूजा आरमà¥à¤ कर दी गई। देश में मà¥à¤¦à¥à¤°à¤£ कला का आरमà¥à¤ न होने से अà¤à¥€ हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का ही पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° था। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कम हो जाने व नाना à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व बोलियों के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आने के कारण धरà¥à¤® व करà¥à¤® को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से कथा आदि की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ की गई। शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व पूजा का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ बढ़ रहा था। सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से à¤à¤¸à¥‡ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के यà¥à¤— में गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी का जनà¥à¤® होता है और उनके मन में शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का जीवनचरित लिखने का विचार उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। इसकी पूरà¥à¤¤à¤¿ रामचरित मानस के रूप में होती है। यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लोगों की बोलचाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में होने के कारण इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ने रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होने का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया। इसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व पाठहोने लगा। देश के अनेक à¤à¤¾à¤—ों में उन-उन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के कवियों ने वहां की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण व रामचरित मानस से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पाकर शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के पावन जीवन व चरितà¥à¤° को परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने वाले अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखे जिससे देश à¤à¤° में रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अवतार माने जाने लगे व उनकी पूजा होने लगी। आज à¤à¥€ यह चल रही है परनà¥à¤¤à¥ विगत à¤à¤• सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में देश में नाना मत, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯, धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥‚ आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं जिससे शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° जी की पूजा कम होती गई व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की बढ़ती गई। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में कà¥à¤¯à¤¾ होगा उसका पूरा अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं लगाया जा सकता। हां, इतना कहा जा सकता है कि रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की पूजा कम हो सकती है और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले नये नये गà¥à¤°à¥‚ओं की पूजा में वृदà¥à¤§à¤¿ होगी। मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी की पूजा व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने मà¥à¤—लों के à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आकà¥à¤°à¤®à¤£ व धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ की। यदि शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° जी की पूजा पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ न होती तो कह नहीं सकते कि धरà¥à¤® की अवनति किस सीमा तक होती। संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में यह कह सकते हैं कि रामायण और रामचरितमानस ने मà¥à¤—लों व मà¥à¤—ल शासकों के दमनचकà¥à¤° के काल में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की धरà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ है।
शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का जीवन विशà¥à¤µ की मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के लिठआदरà¥à¤¶ है। उसका विवेकपूरà¥à¤µà¤• अनà¥à¤•à¤°à¤£ जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कराने वाला है। वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से हम पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर अपने जीवन को वेदानà¥à¤—ामी बना सकते हैं जैसा कि शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी व उनके समकालीन महरà¥à¤·à¤¿ बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी आदि ने बनाया था। इसमें महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का जीवन व दरà¥à¤¶à¤¨ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सहायक à¤à¤µà¤‚ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• है। रामनवमी मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥‚षोतà¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी का पावन जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ है। उसको मनाते हà¥à¤ हमें धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करने और धरà¥à¤® के विरोधियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखते हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना है जो कि शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी करते थे। हमें यह à¤à¥€ लगता है कि आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समय में शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° जी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ हà¥à¤ हैं व अब उनका आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ उनके समान नई पीढ़ी के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का कारà¥à¤¯ कर रहा है। इस कारà¥à¤¯ में हमारे सैकड़ों गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² लगे हà¥à¤ हैं। हमारे अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, साधॠव महातà¥à¤®à¤¾ शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी के समान वेद मारà¥à¤— पर चल रहे हैं। आज रामनवमी को हमें शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° जी को ईशà¥à¤µà¤° मानकर नहीं अपितॠसंसार के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम महापà¥à¤°à¥‚ष के रूप में उनका आदर व समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करना है और उनके जीवन से शिकà¥à¤·à¤¾ लेकर उनके अनà¥à¤°à¥‚प अपने जीवन को बनाना है। इसी के साथ विचारों को विराम देते हैं।
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