महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦à¤•à¥ƒà¤¤ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की आदà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• व पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक’
Author
Manmohan Kumar AryaDate
18-Apr-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
HindiTotal Views
1228Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
19-Apr-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- कया आपको याद है?
- स�वामी श�रद�धानंद जी का महान जीवन कथन
- सनामी राहत कारय 2004
- सवामी दरशनाननद जी महाराज
- सवामी शरदधाननद जी का हिंदी परेम
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी से दीकà¥à¤·à¤¾ लेकर सनॠ1863 में वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ आरमà¥à¤ किया था। इसके लिठवह दीकà¥à¤·à¤¾ सà¥à¤¥à¤²à¥€ मथà¥à¤°à¤¾ से आगरा आये थे और वहां लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक रहे थे। यहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संवतॠ1920 विकà¥à¤°à¤®à¥€ में अपने पà¥à¤°à¤¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-विधि’ लिखकर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की थी। यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ उपलबà¥à¤§ नहीं होता। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के à¤à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ महातà¥à¤®à¤¾ आदितà¥à¤¯ मà¥à¤¨à¤¿ वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¥€ जी से हमें जानकारी मिली थी कि यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ अडà¥à¤¯à¤¾à¤°, तमिलनाडू के केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤¾à¤²à¤¯ में उपलबà¥à¤§ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां से इसकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की थी। बाद में वह पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनके मितà¥à¤° पà¥à¤°. उपेनà¥à¤¦à¥à¤° राव उनसे मांगकर ले गये थे। यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के पास पड़ी रही। कालानà¥à¤¤à¤° में उनका देहानà¥à¤¤ हो गया। उनका परिवार à¤à¥€ à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² से समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ हैदराबाद आदि किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चला गया। अतः यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हमें म. आदितà¥à¤¯ मà¥à¤¨à¤¿ जी से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न हो सकी। इसके लिठहमने à¤à¥€ अडà¥à¤¯à¤¾à¤° पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ को पतà¥à¤° लिखा था परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसका कोई उतà¥à¤¤à¤° नहीं दिया। अकोला, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के शà¥à¤°à¥€ राहà¥à¤² आरà¥à¤¯ à¤à¥€ इस आदि सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¤°à¤¤ हैं। हो सकता है कि उनको यह पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाये। इसके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाने पर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की उस सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ विधि की उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाद में सनॠ1875 में लिखी गई पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿ में दी गई सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ विधि से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ कर उनमें अनà¥à¤¤à¤° को देखा व जाना जा सकता है। इससे यह à¤à¥€ पता चल सकता है कि कà¥à¤¯à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी बाद की सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ विधि में कोई सà¥à¤§à¤¾à¤° व परिवरà¥à¤¤à¤¨ किया था अथवा नहीं? यह à¤à¥€ समà¥à¤à¤µ है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ अपने गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजानà¥à¤¦ जी से सिखी हो और वही उनकी आदà¥à¤¯ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ विधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का आधार बनी हो।
आज हम पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी की नितà¥à¤¯ करà¥à¤® विधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• देख रहे थे। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने ‘‘बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¯à¤œà¥à¤ž-सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾” शीरà¥à¤·à¤• से निमà¥à¤¨ विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। वह लिखते हैं कि ‘पंच महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¯à¤œà¥à¤ž है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¯à¤œà¥à¤ž के दो à¤à¤¾à¤— हैं-सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ और सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯=वेदादि सचà¥à¤›à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¥¤ इन में सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤® करनी चाहिà¤, और सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¥¤’ ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ विषयक अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥’ शीरà¥à¤·à¤• से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निमà¥à¤¨ विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। ‘‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ को अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µ देते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन में सब से पà¥à¤°à¤¥à¤® ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-विधि’ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• वि.सं. 1920 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की थी। (हमें वह उपलबà¥à¤§ नहीं हà¥à¤ˆ-शà¥à¤°à¥€ मीमांसक जी)। तदननà¥à¤¤à¤° उनके नाम से छपे ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾à¤µà¤¿à¤§à¤¿’ के दो संसà¥à¤•à¤°à¤£ हमारे संगà¥à¤°à¤¹ म सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं। ये तीन संसà¥à¤•à¤°à¤£ उस समय के हैं, जब ऋषि दयाननà¥à¤¦ निसà¥à¤¸à¤‚ग अवधूत अवसà¥à¤¥à¤¾ में विचरण करते थे। वि.स. 1931 से वे वैदिकधरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ पाखणà¥à¤¡-मतों क खणà¥à¤¡à¤¨ में विशेषरूप से पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हà¥à¤, और गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥-लेखन-कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। उसके पà¥à¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सब से पà¥à¤°à¤¥à¤® ‘पंचमहायजà¥à¤ž-विधि’ का वि.सं. 1932 में बमà¥à¤¬à¤ˆ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ किया। इसमें मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ केवल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤à¤¾à¤·à¤¾ में दिया गया था। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में होने के कारण जनसाधारण को लाठकम होता है, यह विचार कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसमें कà¥à¤› परिशोधन करके à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥-सहित वि. सं. 1934 में पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया। (सं. 1932 में मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ न देने का à¤à¤• कारण यह हो सकता है कि उस समय तक उनकी हिनà¥à¤¦à¥€ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ शà¥à¤¦à¥à¤§ व परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ नहीं हà¥à¤ˆ थी जो कि बाद के वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में हो गई। इसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के संशोधित संसà¥à¤•à¤°à¤£ में किया है-लेखक)। आजकल आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में यही संसà¥à¤•à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• माना जाता है। इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ वि.सं. 1940 में परिशोधित ‘संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿’ में पंच-महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से वरà¥à¤£à¤¨ किया है।”
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांस जी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन में सब से पà¥à¤°à¤¥à¤® ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-विधि’ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• वि.सं. 1920 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की थी। (हमें वह उपलबà¥à¤§ नहीं हà¥à¤ˆ-शà¥à¤°à¥€ मीमांसक जी)। तदननà¥à¤¤à¤° उनके नाम से छपे ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾à¤µà¤¿à¤§à¤¿’ के दो संसà¥à¤•à¤°à¤£ हमारे संगà¥à¤°à¤¹ म सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं। ये तीन संसà¥à¤•à¤°à¤£ उस समय के हैं, जब ऋषि दयाननà¥à¤¦ निसà¥à¤¸à¤‚ग अवधूत अवसà¥à¤¥à¤¾ में विचरण करते थे।’ इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से यह आà¤à¤¾à¤¸ होता है कि पं. मीमांसक जी वा रामलाल कपूर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में ऋषि के नाम से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¥à¤® व आदि सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¿à¤§à¤¿ के जो दो संसà¥à¤•à¤°à¤£ थे वा हैं, वह पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ के ही पà¥à¤¨à¤®à¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤°à¤£, अनà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व संशोधित संसà¥à¤•à¤°à¤£ हो सकते हैं। इन दोनों संसà¥à¤•à¤°à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž व अपरिचित है। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लाया जाना चाहिये जिससे इनकी रकà¥à¤·à¤¾ हो सकेगी। à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤• होने के कारण à¤à¥€ इनकी रकà¥à¤·à¤¾ करना उचित है। हो सकता है कि इससे ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संवंतॠ1920 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§ व अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ की किंचित अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पूरà¥à¤¤à¤¿ हो जाये।
हमारा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आरà¥à¤¯à¤œà¤—त को आदà¥à¤¯ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾-विधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• विषयक तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचित कराना है। इसी उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से हमने यह लेख पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। रामलाल कपूर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ, रेवली, सोनीपत, हरयाणा के अधिकारियों व इसकी मासिक पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ वेदवाणी के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• महोदय से à¤à¥€ हम निवेदन करते हैं कि वह पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में उपलबà¥à¤§ इन दो संसà¥à¤•à¤°à¤£à¥‹à¤‚ को ढूंढ कर इनकी सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ फोटो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वेदवाणी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करने की कृपा करें जिससे धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगत के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¶à¥€à¤² और खोज पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को लाठहोगा।
ALL COMMENTS (0)