मैंने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को देखा

Author
Manmohan Kumar AryaDate
26-Apr-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
27-Apr-2016Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन काल में अनेक लोग उनके समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये और उनके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व उनकी जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से आलोकित व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤› उदाहरण वेदवाणी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी ने पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के मारà¥à¤š, 1985 अंक में पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी का à¤à¤• लेख ‘‘ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन की कà¥à¤› अपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ घटनाà¤à¤‚” पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कर दिठहैं। यहां हम पà¥à¤°à¤¥à¤® दो उदाहरण पाठकों के लाà¤à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं।
उदाहरण 1
शà¥à¤°à¥€ पं. धरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤µ जी देहरादून वाले चार पांच वरà¥à¤· काशी में पिदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते रहे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ‘काशी के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ और ऋषि दयाननà¥à¤¦’ à¤à¤• लेख 1936 ई. में दिया था। ‘पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ उरà¥à¤¦à¥‚ सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤• में छपा था। दà¥à¤ƒà¤– की बात है कि यह लेख अधूरा छपा था। इसमें आपने लिखा कि आपके गà¥à¤°à¥ और काशी के ‘पà¥à¤°à¤®à¥à¤–’ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दामोदर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने à¤à¤• बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया कि वह काशी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का मà¥à¤– बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के तेज से चमक दमक रहा था। वह धारा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोलते थे। मà¥à¤– à¤à¤¸à¥‡ चमक रहा था जैसे सूरà¥à¤¯à¥¤ बोलते हà¥à¤ à¤à¤¸à¥‡ लगते थे जैसे सिंह गरà¥à¤œà¤¨à¤¾ कर रहा हो। उनके à¤à¤¾à¤·à¤£ से सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा जाता था। उनकी जैसी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ काशी का कोई पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ न बोल सकता था। वह बहà¥à¤¤ बड़े पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ थे, इसमें कोई सनà¥à¤¦à¥‡à¤¹ नहीं।
उदाहरण 2
काशी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ à¤à¤• अनà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ (जिनका नाम देना पं. धरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤µ जी छोड़ गये) के सामने पं. अखिलाननà¥à¤¦ के विचार सà¥à¤¨à¤•à¤° किसी ने ऋषि को गाली दे दी तो वह कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गये। उस दिन कà¥à¤› पढ़ाया ही नहीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ तब कहा कि काशी शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ में उनकी ओर कोई देख à¤à¥€ न सकता था। वह (दयाननà¥à¤¦) अकेला निरà¥à¤à¥€à¤• घूमता था। वह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ निषà¥à¤•à¤²à¤‚क था।
यह दोनों घटनायें हमें अचà¥à¤›à¥€ लगी। पाठकों को à¤à¥€ पसनà¥à¤¦ आयेंगी, à¤à¤¸à¥€ आशा करते हैं। पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक जी और पं. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी का यथायोगà¥à¤¯ सतà¥à¤•à¤¾à¤°à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
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