मेरी आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾


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Prakash AryaDate
18-Apr-2016Category
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29-Apr-2016Download PDF
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इस आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ में धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया था। इस कारण 23 मारà¥à¤š 2016 को दिलà¥à¤²à¥€ से सिड़नी के लिठबाय à¤à¤¯à¤° रवाना हà¥à¤†, 24 मारà¥à¤š की सà¥à¤¬à¤¹ 9.30 बजे सिडनी पहà¥à¤‚चा।
सिडनी में à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर शà¥à¤°à¥€ योगेष आरà¥à¤¯ लेने के लिठआठथे। उनके साथ निवास सà¥à¤¥à¤² पर पहà¥à¤‚चा, वहीं मेरे ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ और सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° ककà¥à¤· में की गई। 25 मारà¥à¤š को यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के साथ चरà¥à¤šà¤¾ की अलग से यह कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित किया गया था। इसमें सà¤à¥€ यà¥à¤µà¤¾à¤“ं (लड़कें और लड़कियों) ने à¤à¤¾à¤— लिया। शेनमारà¥à¤• सà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ जगदीष जी साथ में थे। इस चरà¥à¤šà¤¾ में अनेक पà¥à¤°à¤·à¥à¤¨ पूछे, कà¥à¤› उपदेषातà¥à¤®à¤• चरà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ की।
रातà¥à¤°à¤¿ 7 बजे से 9 बजे तक उपदेष का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शेनमारà¥à¤• आरà¥à¤¯ समाज सà¥à¤¥à¤² पर रखा गया। अचà¥à¤›à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थी। माईक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ठीक थी, संगत के लिठतबले की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी।
रातà¥à¤°à¤¿ में 2 घणà¥à¤Ÿà¥‡ से अधिक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चला। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में उपदेष व à¤à¤œà¤¨ दोनों की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं ने बहà¥à¤¤ पसनà¥à¤¦ किया तथा बड़े धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से सà¥à¤¨à¤¾, बाद में लगà¤à¤— पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने आकर मà¥à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥‡à¤‚ट की तथा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ बताते हà¥à¤ अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ कहा। (वैसे किसी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने कारà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤·à¤‚सा सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• को अचà¥à¤›à¤¾ लगता है, इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से मेरे पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से सामानà¥à¤¯ जन सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ हैं, आननà¥à¤¦ ले रहे हैं यह तो ठीक लगा, किनà¥à¤¤à¥ साथ ही यह दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† कि आरà¥à¤¯ समाज में शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ व वकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं का सà¥à¤¤à¤° कैसा हो गया। मेरे जैसे साधारण जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अदà¥à¤à¥à¤¤ और अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ कहकर पà¥à¤°à¤·à¤‚सा करना हमारे सà¥à¤¤à¤° की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को दरà¥à¤·à¤¾à¤¤à¤¾ है। यह मन को दà¥à¤ƒà¤–ी à¤à¥€ करता रहा।)
दूसरे दिन फिर सायं 7 से 9 उपदेष व à¤à¤œà¤¨ हà¥à¤, तीसरे दिन रविवार था, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 10 से 12.30 तक का समय मà¥à¤à¥‡ दिया गया।
उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ की अपेकà¥à¤·à¤¾ और अचà¥à¤›à¥€ थी, इन दिनों में à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं की वही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ होती रही। बहà¥à¤¤ सराहा वृदà¥à¤§à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ ने आषीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देकर अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤·à¤‚सा की। मà¥à¤à¥‡ लगा कि मेरी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से बहà¥à¤¤ अधिक मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन हो रहा है। मन में विचार करता रहा कि कà¥à¤¯à¤¾ वासà¥à¤¤à¤µ में मेरा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¤¸à¤¾ ही है कà¥à¤¯à¤¾ ? उसका सà¥à¤¤à¤° à¤à¤¸à¤¾ है जो सारे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इतना पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो रहे हैं, बार-बार तारीफ कर रहे हैं ? वैसे मेरे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में पहले à¤à¥€ सराहा किनà¥à¤¤à¥ जितना समà¥à¤®à¤¾à¤¨ व सराहना यहां की, उसकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ मैंने कà¤à¥€ नहीं की थी। मेरे लिठउनका इतना à¤à¤¾à¤µ विà¤à¥‹à¤° होना à¤à¤• सà¥à¤–द आषà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ था, अकलà¥à¤ªà¤¨à¥€à¤¯ था, साथ ही à¤à¤• चिनà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ थी।
किनà¥à¤¤à¥ इतना लाठअवषà¥à¤¯ हà¥à¤†, जिससे सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ व चेतना का संचार हà¥à¤†, आरà¥à¤¯ समाज के कारà¥à¤¯ को गति मिली, यह मेरा और सà¤à¥€ पदाधिकारियों का मानना रहा।
चैथा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® ....................... सà¤à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अलग से à¤à¤• होल में आयोजित किया गया। इसमें आरà¥à¤¯ समाज के सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ सनातनधरà¥à¤®à¥€ à¤à¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ यहां डेढ़ घणà¥à¤Ÿà¥‡ का समय निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया गया।
उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यहां à¤à¥€ सà¤à¥€ ने इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤·à¤‚सा की। कई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पूरà¥à¤µ के तीन दिनों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में न आ पाने का अफसोस किया।
इसमें आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ विषà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚ महासà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– डाॅ. निहालसिंह जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ सरकार ने à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¤¨à¤• पद से अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ किया है, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¸à¥‡ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की आवषà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ बताते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤·à¤‚सा की à¤à¤µà¤‚ आगे पà¥à¤¨à¤ƒ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बड़े सà¥à¤¤à¤° पर आयोजन करवाने का कहा।
सिडनी की इस पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ में नवयà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿, पदाधिकारियों की सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से यहां आरà¥à¤¯ समाज को गति मिलना निषà¥à¤šà¤¿à¤¤ है। शà¥à¤°à¥€ जगदीष जी, योगेषजी, बृजपालसिंहजी, पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦ आरà¥à¤¯ जी और à¤à¥€ अनेक सहयोगी संलगà¥à¤¨ है। पà¥à¤¨à¤ƒ बड़े सà¥à¤¤à¤° पर आयोजन की रूपरेखा बनाने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया है। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इतना था कि कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सिडनी से काफी दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अनà¥à¤¯ शहर बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤¬à¥‡à¤¨ व मेलबरà¥à¤¨ में à¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठपहà¥à¤‚चे, यह बड़ा आषà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ जनक रहा।
दिनांक 1 से 3 अपà¥à¤°à¥‡à¤² का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤¬à¥‡à¤¨ में रखा गया था। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आरà¥à¤¯ समाज सà¥à¤¥à¤² पर रखा गया। मेरे ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤•à¤°à¤®à¤ªà¤¾à¤²à¤¸à¤¿à¤‚ह जी के निवास पर की। इस परिवार ने à¤à¤• परिवार के सदसà¥à¤¯ के समान ही सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ व समà¥à¤®à¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की, मैं उनका बहà¥à¤¤ आà¤à¤¾à¤°à¥€ हूं। अब आरà¥à¤¯ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ व सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं सबको साथ लेकर चलते हैं।
पहला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सायंकाल 6.30 से 9 बजे तक रखा गया। इसमें आरà¥à¤¯ समाज के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤, कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® हà¥à¤†, पहले दिन ही सà¤à¥€ को बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा। यहां तो सिडनी से à¤à¥€ अधिक रिसà¥à¤ªà¤¾à¤‚स मिला। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ आननà¥à¤¦ विà¤à¥‹à¤° हो रहा था। किनà¥à¤¤à¥ मैं बार-बार सोचता रहा कि मैं à¤à¤¸à¤¾ तो कà¥à¤› नहीं कह रहा, या गा रहा हूं जो इतना अचà¥à¤›à¤¾ हो जितना ये सब पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रहे हैं। हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आता और कहता यह पहला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® à¤à¤¸à¤¾ हो रहा है, आज तक कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤› पौराणिक बनà¥à¤§à¥‚ पूरे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤, यह आरà¥à¤¯ जनों को विषेष सà¥à¤–द लग रहा था। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® तीन दिन का था, किनà¥à¤¤à¥ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने विचार करके उसे 5 दिन का करने का मà¥à¤à¤¸à¥‡ आगà¥à¤°à¤¹ किया, मैंने सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और 1 से 5 अपà¥à¤°à¥‡à¤² तक बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¤¬à¥‡à¤¨ में कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® हà¥à¤†à¥¤ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं में आरà¥à¤¯ समाज के व गैर आरà¥à¤¯ समाजी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होते रहे, कà¥à¤› नठवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आरà¥à¤¯ समाज से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡à¤—ें, उनसे पृथक से चरà¥à¤šà¤¾ की गई।
सारे शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ व à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ से सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहे। पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ जे. डी. हरिजी, राजेष जी, मूलचनà¥à¤¦à¤œà¥€, शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤•à¤°à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी व अनेक महिलाओं ने यहां तक कहा कि आज तक à¤à¤¸à¤¾ आयोजन नहीं सà¥à¤¨à¤¾ और न कà¤à¥€ यहां हà¥à¤†à¥¤ सà¤à¥€ पà¥à¤¨à¤ƒ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के आयोजन की योजना बनावेगें तथा कम से कम 7 से 10 दिन देने का आगà¥à¤°à¤¹ किया है। कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मेलबरà¥à¤¨ में कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ हेतॠआने का कह रहे थे।
निषà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° व सही निरà¥à¤¦à¥‡à¤·à¤¨ की कमी रही है। उसी का परिणाम है छोटे से कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को à¤à¥€ इतना महतà¥à¤µ दिया जाता है। यह मेरे जैसे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ से ऊपर रहा।
मेलबरà¥à¤¨ -
मेलबरà¥à¤¨ में 8 से 10 अपà¥à¤°à¥‡à¤² तक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित किया गया। यह कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® 3 सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अलग-अलग आयोजित किया गया।
यहां के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठयह à¤à¤• अलग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° था। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•, वकà¥à¤¤à¤¾ के रूप में या à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के लिठआते रहे। मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤› विषयों पर अपने विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उसी से संबंधित à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की जाती थी। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ यही जन सामानà¥à¤¯ को अचà¥à¤›à¤¾ लगा और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसे बहà¥à¤¤ ही सराहा।
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पौराणिकों की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€à¤–ासी होती थी। अपनी सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक चरà¥à¤šà¤¾ के साथ ही रामायण, गीता, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¥€ उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किठगà¤, बार-बार सतà¥à¤¯ सनातन धरà¥à¤® की चरà¥à¤šà¤¾ होती रही। इससे आरà¥à¤¯ समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पौराणिकों का रूà¤à¤¾à¤¨ बढ़ा और 7 पौराणिक आरà¥à¤¯ समाज से जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ के लिठनाम और पता देकर गà¤à¥¤ सनातन धरà¥à¤®, रामायण मणà¥à¤¡à¤² के अनेक सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¥‡à¤‚ट कर अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सराहना व संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की। आरà¥à¤¯ समाज के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ दिखे तथा पà¥à¤¨à¤ƒ शीघà¥à¤° à¤à¤¸à¤¾ ही आयोजन करने का आगà¥à¤°à¤¹ किया।
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इतना रहा कि सिडनी निवासी जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सिडनी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में à¤à¤¾à¤— लिया वे मेलबरà¥à¤¨ फिर कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होने आà¤à¥¤
अपने वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤à¤µ व विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ को देखने पर इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® से आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ के आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और à¤à¤¾à¤µà¥€ योजना को à¤à¤• चेतना मिली, यह पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ बार-बार à¤à¤¾à¤°à¤¤ की ओर से पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होने पर सनातनधरà¥à¤®à¥€ के à¤à¤• सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ संगठन का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हो सकता है।
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