वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. à¤à¤—वदतà¥à¤¤ रिसरà¥à¤šà¤¸à¥à¤•à¤¾à¤²à¤° और उनकी गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ समà¥à¤ªà¤¦à¤¾â€™

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Manmohan Kumar AryaDate
03-May-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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UmeshUpload Date
04-May-2016Download PDF
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पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ रिसरà¥à¤šà¤¸à¥à¤•à¤¾à¤²à¤° के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ कृतितà¥à¤µ से वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पीढ़ी के मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को परिचत कराने का विचार आया जिसका परिणाम आज का हमारा यह संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ विवरण व लेख है। पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक विषयों पर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सहायता से शोध के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• थे। आपका जनà¥à¤® वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पंजाब के अमृतसर में पिता लाला चनà¥à¤¦à¤¨à¤²à¤¾à¤² à¤à¤µà¤‚ माता शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ हरदेवी जी के यहां 27 अकà¥à¤¤à¥‚बर सनॠ1893 को हà¥à¤† था। आपकी इणà¥à¤Ÿà¤°à¤®à¥€à¤¡à¤¿à¤à¤Ÿ तक की शिकà¥à¤·à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ विषयों सहित हà¥à¤ˆ जिसके बाद आपने सनॠ1913 में बी.à¤. किया। बी.à¤. करने के बाद वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ को आपने अपने जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ बनाया। आपने à¤à¤®.à¤. नहीं किया इसके पीछे जो कारण था उसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी पर अपनी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में किया है। वह लिखते हैं कि पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के शà¥à¤°à¥€ ओंकारनाथ जी को उनके पूछने पर बताया था कि वह बहà¥à¤¤ सरलता से à¤à¤®.à¤. कर सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤®.à¤. की परीकà¥à¤·à¤¾ में अचà¥à¤›à¥‡ अंक पाने के लिठपाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤¯-अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की मिथà¥à¤¯à¤¾ बातें लिखनी पड़ती है। मैं उन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की à¤à¥‚ठी बातें लिख व बोल नहीं सकता। इस कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤®.à¤. नहीं किया जबकि आपने अनेक यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ को à¤à¤®.à¤. व पी-à¤à¤š.डी. कराया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी आपके गà¥à¤°à¥ थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ से योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ की विधि सीखी थी। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने बी.à¤. की परीकà¥à¤·à¤¾ डी.à¤.वी. कालेज से पास की और इसके बात इसी कालेज को अपनी अवैतनिक सेवायें पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कीं। सनॠ1921 में महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज ने आपको डी.à¤.वी. कालेज लाहौर के अनà¥à¤¸à¤‚धान विà¤à¤¾à¤— का अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनाया। डी.à¤.वी. कालेज के अपने कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में आपने लगà¤à¤— सात हजार हसà¥à¤¤à¤²à¤¿à¤–ित पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ वा उनकी पाणà¥à¤¡à¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का वहां संगà¥à¤°à¤¹ किया। 1 जून, सनॠ1934 को पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने डी.à¤.वी. कालेज की सेवा से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की और सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रà¥à¤ª से वैदिक साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤¸à¤‚धान में लग गये। डी.à¤.वी. कालेज की सेवा से मातà¥à¤° 41 वरà¥à¤· की आयॠमें तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देने से अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि वह डी.à¤.वी. में कारà¥à¤¯ से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ नहीं थे। यह à¤à¥€ हो सकता है कि ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ शासकों व उनके कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वहां कारà¥à¤¯ करने में असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ रही हो। हर कारà¥à¤¯ का कारण हà¥à¤† करता है। वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤¤à¤° पर कारà¥à¤¯ करने पर अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤¸à¤‚धान के लिठसाधन जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¤¾ कठिन होता है तथापि पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने इस कठिन मारà¥à¤— को चà¥à¤¨à¤¾ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व वैदिक साहितà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय सेवा की।
सनॠ1947 में देश का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ होने पर आप दिलà¥à¤²à¥€ आ गये और यहां पंजाबी बाग में अपना निवास बनवाकर रहने लगे। यहां रहते हà¥à¤ आप वैदिक विषयों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के लेखन, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अनà¥à¤¸à¤‚धान के कारà¥à¤¯ में संलगà¥à¤¨ रहे। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ परोपकारिणी सà¤à¤¾, अजमेर के सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ रहे। सà¤à¤¾ में आपकी नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ 4 मारà¥à¤š, 1923 को हà¥à¤ˆ थी। समय-समय पर आपने परोपकारिणी सà¤à¤¾ को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के à¤à¤µà¥à¤¯ व शà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ के विषय में मà¥à¤¦à¥à¤°à¤£, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ व पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ विषयक अपने उपयोगी सà¥à¤à¤¾à¤µ दिà¤à¥¤ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ इस सà¤à¤¾ की विदà¥à¤µà¤¤ समिति के सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ रहे। 22 नवमà¥à¤¬à¤°, सनॠ1968 को 75 वरà¥à¤· की आयॠमें दिलà¥à¤²à¥€ में आपका निधन हà¥à¤†à¥¤
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी ने तीन खणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में ‘वैदिक वांगà¥à¤®à¤¯ का इतिहास’ का लेखन किया जो आपकी अपने विषय की अपूरà¥à¤µ शोध कृति है। गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡ में वेद की शाखाओं का अनà¥à¤¸à¤‚धान पूरà¥à¤£ इतिहास है। इसका पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1934 में लाहौर से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡ में बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ à¤à¤µà¤‚ आरणà¥à¤¯à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का विवेचन हà¥à¤† है। इस दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤— के पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ डी.à¤.वी. कालेज लाहौर के शोध विà¤à¤¾à¤— की ओर सनॠ1927 में हà¥à¤† था। तीसरे à¤à¤¾à¤— में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का विवरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है जिसका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ सनॠ1931 में हà¥à¤† था। इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के तीनों à¤à¤¾à¤—ों का दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° पं. सतà¥à¤¯à¤¶à¥à¤°à¤µà¤¾ ने पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद सनॠ1974, 1976 व 1978 में सà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में किया। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ पर वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सनॠ1920 में, इसके बाद ऋगà¥à¤®à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ वेद विदà¥à¤¯à¤¾ निदरà¥à¤¶à¤¨ (सनॠ1959) तथा निरà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ (सनॠ1964) का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¥€à¤¯à¤¾ पंचपटलिका (सनॠ1920), अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¥€à¤¯à¤¾ माणà¥à¤¡à¥‚की शिकà¥à¤·à¤¾ (सनॠ1978), बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण के बाल, अयोधà¥à¤¯à¤¾ तथा अरणà¥à¤¯ काणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ का समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨, चारायणीय शाखा मंतà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤·à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, आथरà¥à¤µà¤£ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, धनà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का इतिहास, आचारà¥à¤¯ बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के राजनीति सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¥‚मिका आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ कà¥à¤› अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में दो लघॠमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखे जिनमें पà¥à¤°à¤¥à¤® है Extra Ordinary Scientific Knowledge in Vedic Works जो कि अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤°à¤¿à¤·à¤¦à¥ के दिलà¥à¤²à¥€ अधिवेशन में पठित शोधपूरà¥à¤£ निबनà¥à¤§ है। दूसरा लघॠगà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ Western Indologists : A study in Motives अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤-ततà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤£ धारणाओं का सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ खणà¥à¤¡à¤¨ (सनॠ1955) है।
पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी के इतिहास व à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ विषयक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति के मूल ततà¥à¤µ (सनॠ1951), à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· का इतिहास (1940), à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· का वृहद इतिहास दो à¤à¤¾à¤—ों में (सनॠ1960), à¤à¤¾à¤·à¤¾ का इतिहास, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का इतिहास, ऋषि दयाननà¥à¤¦ का सà¥à¤µà¤°à¤šà¤¿à¤¤ (लिखित वा कथित) जनà¥à¤® चरित, ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पतà¥à¤° और विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ के तीन à¤à¤¾à¤— à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का सà¥à¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ संसà¥à¤•à¤°à¤£ सनॠ1963। पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ के सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी ने पं. सनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤® बी.à¤. के सहयोग से हिनà¥à¤¦à¥€ मं अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ किया। इस गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤¾à¤µà¤²à¥€ का हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ का पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ राजपाल à¤à¤£à¥à¤¡ संस लाहौर से सनॠ1921 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था। आज à¤à¥€ इसी संसà¥à¤°à¤£ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¥à¤¦à¥à¤°à¤£ किया जाता है। हमें इस हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ को पढ़ने में कहीं कहीं कठिनाईयां हà¥à¤ˆà¤‚ थी। हमने इसके नये अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के लिठशà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤•à¤°à¤¦à¥‡à¤µ आरà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ मेरजा जी से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की थी। शà¥à¤°à¥€ घूडमल पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¥ नà¥à¤¯à¤¾à¤¸, हिणà¥à¤¡à¥‹à¤¨ सिटी को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ आदि कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सेवा देने वाले शà¥à¤°à¥€ आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¥€ जी ने गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤¾à¤µà¤²à¥€ का अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ से सà¥à¤—म हिनà¥à¤¦à¥€ में नया अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ का कारà¥à¤¯ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर दिया है। अब यह पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में है। हम आशा करते हैं कि नà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤•à¤°à¤¦à¥‡à¤µ आरà¥à¤¯ जी इसका शीघà¥à¤° नया à¤à¤µà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करायेंगे जिससे पाठकों को पढ़ने व समà¤à¤¨à¥‡ में सà¥à¤—मता होगी। पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ Storey of Creation उनके निधन के दो मास पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था। हमनें इस लेख को तैयार करने में डा. à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€à¤²à¤¾à¤² à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जी के आरà¥à¤¯ लेखक कोष से सामगà¥à¤°à¥€ ली है। इसके लिठहम इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लेखक का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सहित आà¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हैं।
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ जी के सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उचà¥à¤š कोटि के हैं जिनमें से अधिकांश अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¯ हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ का यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही कहा जा सकता है कि अनेक उपयोगी व महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ अपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गये थे परनà¥à¤¤à¥ इनका पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¥à¤¦à¥à¤°à¤£ न हो सका। पà¥à¤¨à¤ªà¥à¤°à¤°à¥à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ व पà¥à¤¨à¤°à¥à¤®à¥à¤¦à¥à¤°à¤°à¥à¤£ में à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के लोगों में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• खरीदने व पढ़ने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ में अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• हà¥à¤°à¤¾à¤¸ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ à¤à¤¸à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ है जो तà¤à¥€ सफल हो सकता है जब इसके सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¶à¥€à¤² हों और ऋषि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित अनà¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करें और à¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• के रूप में कारà¥à¤¯ करें। ऋषि मिशन से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ सà¤à¥€ लोगों में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रूचि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करना आरà¥à¤¯ नेताओं व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के सामने à¤à¤• बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ है। हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि आरà¥à¤¯ नेताओं à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को इस समसà¥à¤¯à¤¾ पर विचार मनà¥à¤¥à¤¨ करना चाहिये जिससे आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की बगिया सदैव हरी à¤à¤°à¥€ रहे। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में अनà¥à¤¸à¤‚धान व शोध के पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अदà¥à¤à¥à¤¦ वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. à¤à¤—वदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी को हमारा सशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤®à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि।
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