मां और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ बढ़कर हैं’
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Manmohan Kumar AryaDate
07-May-2016Category
संसà¥à¤®à¤°à¤£Language
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UmeshUpload Date
11-May-2016Download PDF
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8 मई, 2016 को मातृतà¥à¤µ दिवस है। माता की महतà¥à¤¤à¤¾ को रेखांकित करने के लिठयह परà¥à¤µ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर मनाया जाता है। आज के संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गया है कि लगता है कि हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को ही à¤à¥‚ल गये हैं, अपने निकट संबंधों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का बोध होना तो बाद की बात है। अतः वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— में हमें जो काम पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने का है, उसे à¤à¥€ वरà¥à¤· में केवल à¤à¤• दिन याद कर ही समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ चल पड़ी है। वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पांच अनिवारà¥à¤¯ दैनिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बिना किसी वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ व नागा किये करने होते हैं। यह करà¥à¤® हैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® यजà¥à¤ž वा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, दूसरा अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° वा देवयजà¥à¤ž, तीसरा पितृ यजà¥à¤ž, चौथा अतिथि यजà¥à¤ž और पांचवा बलिवैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µ यजà¥à¤žà¥¤ पितृ यजà¥à¤ž में माता-पिता व घर के वृदà¥à¤§ सà¤à¥€ का मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨, सेवा-शà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾, आजà¥à¤žà¤¾ पालन, उनको à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤° व औषध आदि से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ रखना आदि करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। यह करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ वरà¥à¤· में à¤à¤• बार नही अपितॠपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ और हर समय करने के होते हैं। धनà¥à¤¯ हैं हमारे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ही मातृ वा पितृ यजà¥à¤ž को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने का विधान किया था। यदि इस मातृ-पितृ यजà¥à¤ž को à¤à¤¾à¤°à¤¤ सहित विशà¥à¤µ में उसकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° किया जाता तो आज मदरà¥à¤¸ डे घोषित करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं थी।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस लिठकहा जाता है कि वह à¤à¤• मननशील पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने मनन व चिनà¥à¤¤à¤¨ करने का गà¥à¤£ अनà¥à¤¯ किसी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ को नहीं दिया। मनन का अरà¥à¤¥ है कि उचित व अनà¥à¤šà¤¿à¤¤, करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ आदि का चिनà¥à¤¤à¤¨ कर अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करना। जब माता का विषय आता है तो हमें करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करते समय यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना पड़ता है कि हमारा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ ही माता के जनà¥à¤® देने के कारण है। यदि हमारी मां न होती तो हम संसार में आ ही नहीं सकते है। इतना ही नहीं पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• माता दस माह तक अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को अपनी कोख वा गरà¥à¤ में धारण कर अनेकविध उसका पालन व रकà¥à¤·à¤¾ करती है। इस कारà¥à¤¯ में उसे अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कषà¥à¤Ÿ होते हैं जो केवल à¤à¤• मां ही जान सकती है। पà¥à¤°à¤¸à¤µ पीड़ा तो पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ ही है। इससे बड़ी पीड़ा शायद ही अनà¥à¤¯ कोई हो जिससे होकर हर सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ता हो? सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® हो जाने पर à¤à¥€ कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ अपना कोई काम नहीं कर सकती। उसे समय पर दà¥à¤—à¥à¤§à¤ªà¤¾à¤¨, आहार, वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण, मालिश व सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, मल-मूतà¥à¤° साफ करना आदि सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ मां को ही करने होते हैं। यदि यह सब कारà¥à¤¯ किसी नौकरानी से कराये जाते तो 24 घंटे के लिठ3 नौकरानियां रखनी पड़ती। कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• रूप में मान लेते हैं कि 8 साल तक बचà¥à¤šà¥‡ के सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने के लिठà¤à¤• नौकरानी रखते और उसे सरकारी चतà¥à¤°à¥à¤¥ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ का वेतन देते तो यह धनराशि 20,000x3x12x8 = 57,60,000 रूपये हो जाते हैं। इसके अतिरिकà¥à¤¤ निवास गृह, दà¥à¤—à¥à¤§à¤ªà¤¾à¤¨, आहार, वसà¥à¤¤à¥à¤° व औषधि को à¤à¥€ जोड़ा जाय तो यह राशि आरमà¥à¤ के 8 वरà¥à¤· के लिये ही लगà¤à¤— 1 करोड़ रूपये हो जाती है। यह तो 8 साल की बात की। माता तो अपने जीवन की अनà¥à¤¤à¤¿à¤® सांस तक हमारा रकà¥à¤·à¤£ व पोषण करती है। माता के इस उपकार का बदला सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ आजकल किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से दे रही हैं, यह किसी से छà¥à¤ªà¤¾ हà¥à¤† नहीं है। इसी कारण मदरà¥à¤¸ डे का आरमà¥à¤ किया गया है जिससे सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ अपनी-अपनी माताओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का विचार कर उनका यथोचित पालन करें।
यदि माता के दिल की बात की जाये तो माता के दिल में अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लिठजो पà¥à¤°à¥‡à¤®, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ व दरà¥à¤¦ होता है वह संसार के किसी अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ में कदापि नही हो सकता। यह अनà¥à¤à¤µ सà¤à¥€ का है। यदि इसका अनà¥à¤à¤µ करना हो तो किसी चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤²à¤¯ में शिशà¥à¤“ं के ककà¥à¤· में जा कर देखा जा सकता है कि जहां मातायें अपने रूगà¥à¤£ शिशà¥à¤“ं के लिठकिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से चिनà¥à¤¤à¤¿à¤¤ व दà¥à¤– से पीडि़त रहती हैं। माता की इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का जो ऋण सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ पर हो सकता है उसे संसार की कोई à¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ कà¥à¤› à¤à¥€ कर ले, कदापि चà¥à¤•à¤¾ नहीं सकती। इतना होने पर à¤à¥€ समाज में देखा जाता है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ व अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ के सà¥à¤•à¥‚लों व कालेजों में पढ़े लिखें शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ व सà¤à¥à¤¯ कहे जाने वाले लोग, धन समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ वाले सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤· दमà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ अपने माता-पिता व अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤•à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ तिरसà¥à¤•à¤¾à¤° व अपमान का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं। माता-पिता की उपेकà¥à¤·à¤¾ व तिरसà¥à¤•à¤¾à¤° की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ अमानवीय कारà¥à¤¯ तो है ही, साथ ही यह कृतघà¥à¤¨à¤¤à¤¾ रूपी महापाप है। यह जान लेना चाहिये कि संसार में कृतघà¥à¤¨à¤¤à¤¾ से बड़ा कोई पाप नही है। à¤à¤¸à¤¾ ही पाप मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस संसार व अपने उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ व यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ न कर और उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना आदि न करके करते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने गोरकà¥à¤·à¤¾ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया है कि कà¥à¤¯à¤¾ इससे अधिक कृतघà¥à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से गोहतà¥à¤¯à¤¾ करने, कराने में सहयोगी हैं अथवा इस पाप करà¥à¤® का विरोध नहीं करते, अनà¥à¤¯ कोई हो सकता है? अतः माता-पिता सà¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठसदैव पूजà¥à¤¯ हैं। सà¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से उनकी सेवा शà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤·à¤¾ किंवा सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करनी चाहिये जिससे उनके सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के वृदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में पहà¥à¤‚चने पर उनकी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¥€ उनकी देखà¤à¤¾à¤² व सेवा आदि करें।
माता व सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ विषयक कà¥à¤› उदाहरणों पर à¤à¥€ विचार करते हैं। सà¥à¤¨à¤¾ जाता है कि शंकराचारà¥à¤¯ बालक थे। पिता का साया उन पर नहीं था। माता उनका पालन करती थी। शंकराचारà¥à¤¯ जी को वैरागà¥à¤¯ हो गया था। वह संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लेना चाहते थे। à¤à¤• माता जिसकी à¤à¤• ही सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ हो, कैसे वह अपने à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° को संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ बनने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे सकती थी। बताते हैं कि मां को मनाने के लिठशंकराचारà¥à¤¯ जीà¤à¤• नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के लिठगये। माता को à¤à¥€ साथ ले गये होंगे। वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ मां को पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ और कहा कि à¤à¤• मगरमचà¥à¤› ने उनका पैरा पकड़ रखा है। वह कहता है कि संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ले लो नहीं तो वह मà¥à¤à¥‡ खा जायेगा। हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि उनकी माता बहà¥à¤¤ à¤à¥‹à¤²à¥€ रहीं होंगी। सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हित को सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ रखकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंकराचारà¥à¤¯ जी को संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की आजà¥à¤žà¤¾ दे दी। इस घटना से सिदà¥à¤§ है कि सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हित के लिठमाता अपने इषà¥à¤Ÿ व इचà¥à¤›à¤¾ को à¤à¥€ परवान चढ़ा सकती है। आज उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ व कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤¿à¤² à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ आदि के तप का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है कि देश पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ नासà¥à¤¤à¤¿à¤• नहीं बना। महरà¥à¤·à¤¿ मनॠऔर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का à¤à¥€ उदाहरण हमारे सामने है। महरà¥à¤·à¤¿ मनॠने अपने पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में कहा है कि ‘यतà¥à¤° नारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥ पूजà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥‡ रमनà¥à¤¤à¥‡ ततà¥à¤° देवता’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ मनॠका आशय है कि जहां मातृशकà¥à¤¤à¤¿ का सà¤à¥€ आदर करते वहां विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€-वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते वा निवास करते हैं। यह सà¤à¥€ अरà¥à¤¥ देवता शबà¥à¤¦ से अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¤ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के समय में मातृशकà¥à¤¤à¤¿ का घोर निरादर होता था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाल विवाह को अवैदिक ही घोषित नहीं किया अपितॠइसे मानवता के विरà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥€ सिदà¥à¤§ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समाज को à¤à¤• नया सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ दिया कि समसà¥à¤¤ पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ जिनमें जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है, उससे ऊपर उठकर पूरà¥à¤£ यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विवाह होना चाहिये। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने नारी जाति के गौरव को पà¥à¤¨à¤¸à¥à¤°à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने के लिठजितने कारà¥à¤¯ किये हैं, वह सब यà¥à¤—ानà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥€ हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाल विवाह व बेमेल विवाह का निषेध तो किया ही साथ ही उनकी वैदिक विचारधारा से सतीपà¥à¤°à¤¥à¤¾ जैसी सà¤à¥€ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का निषेध à¤à¥€ होता है। उनके विचारों का आशà¥à¤°à¤¯ लेकर समाज में विधवा विवाह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ जो अब à¤à¥€ जारी हैं। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व दलित शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‚षों वा अनà¥à¤¯ वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ के समान शिकà¥à¤·à¤¾ व वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अधिकार à¤à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की अनेक देनों में से à¤à¤• बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ देन है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने नारी को जगदमà¥à¤¬à¤¾ के उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¥ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¤¨à¤• गौरवपूरà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित किया। नारी जाति के लिठकिठगये हितकारी कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण में à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ राम ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ जी को ‘जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मिशà¥à¤š सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ादपि गरीयसी’ के वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की याद दिलाते हà¥à¤ कहा था कि कहीं कितना ही सà¥à¤–मय वातावरण कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो परनà¥à¤¤à¥ अपनी माता और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ बढ़कर होती है। ‘जनà¥à¤®à¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ादपि गरीयसी’ सूकà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से देश को आजाद कराने के लिठही शायद अपने शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहा कि कोई कितना ही करे किनà¥à¤¤à¥ जो सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ (जनà¥à¤®à¤à¥‚मि पर) होता है वह सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® होता है, अथवा मतमतानà¥à¤¤à¤° के आगà¥à¤°à¤¹ रहित, अपने और पराये का पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ शूनà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤œà¤¾ पर पिता और माता के समान कृपा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और दया के साथ à¤à¥€ विदेशियों का राजà¥à¤¯ (पर-राजà¥à¤¯ होता है सà¥à¤µ-राजà¥à¤¯ नहीं) पूरà¥à¤£ सà¥à¤–दायक नहीं है। यहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ माता व सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¤à¥‚मि वा जनà¥à¤®à¤à¥‚मि को सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ से जोड़़कर कहा कि सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯, सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ लोगों का राजà¥à¤¯, होगा तà¤à¥€ वह सà¥à¤µà¤°à¥à¤— के समान हो सकता है, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नहीं। हम यह à¤à¥€ बता दें कि माता शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ हमें जनà¥à¤® देने वाली माता के लिठही रूढ़ है परनà¥à¤¤à¥ उपकारों में मां से कहीं अधिक उपकार ईशà¥à¤µà¤° के हम पर हैं, इसलिये वह माता से à¤à¥€ अधिक पूजनीय व उपासनीय हैं। इसी कारण वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ सहित हमारे सà¤à¥€ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ को बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से मृतà¥à¤¯à¥ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व दोनों समय सायं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¯à¤œà¥à¤ž व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का विधान किया है। हमने 103 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार जी को बिसà¥à¤¤à¤° पर लेटे हà¥à¤ ही सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते देखा है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ ईशà¥à¤µà¤° इस संसार को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व इसका पालन आदि करने के कारण सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व संसार की माता है। सà¤à¥€ को उसके उपकारों को सà¥à¤®à¤°à¤£ कर सदा सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ उसका उपकृत अनà¥à¤à¤µ करना चाहिये। वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संसार में सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤µà¤‚ महान है। इसमें कहा गया है मातृदेवो à¤à¤µ, पितृदेवो à¤à¤µ, आचारà¥à¤¯ देवो à¤à¤µà¥¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¥à¤® माता पूजनीय देव है।
à¤à¤• बात की ओर हम और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिलाना चाहेंगे। कई परिवार आरà¥à¤¥à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से बहà¥à¤¤ कमजोर होते हैं जहां परिवार के सà¤à¥€ लोगों के à¤à¥‹à¤œà¤¨ की परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ नही होती। वहां कà¥à¤¯à¤¾ होता है? माताà¤à¤‚ बचा-खà¥à¤šà¤¾ वा आधा पेट à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही करती हैं। घर के अनà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही नहीं होता। हमने सà¥à¤¨à¤¾ व देखा à¤à¥€ है कि आरà¥à¤¥à¤¿à¤• अà¤à¤¾à¤µ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ à¤à¤• अपढ़ माता अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पालन करने के लिठमहीनें में 15 दिनों से अधिक दिन वà¥à¤°à¤¤ रखा करती थीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° परिशà¥à¤°à¤® व अलà¥à¤ª धनोपारà¥à¤œà¤¨ à¤à¥€ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤° पेट à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही नहीं कराया अपितॠसà¤à¥€ को शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया और उनकी सà¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ गेà¥à¤°à¤œà¥à¤à¤Ÿ व उसके समककà¥à¤· शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚। सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• था कि कम à¤à¥‹à¤œà¤¨, घर व बाहर काम करना, इससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ टूटना ही था। 50 वरà¥à¤· के बाद वह रोगों की शिकार हो गईं और संसार से असमय ही विदा हो गई। उनके विदा होने के बाद उनकी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ शायद इस बारे में विचार ही नहीं कर सकीं कि उनकी माता ने उनके लिठकितन तà¥à¤¯à¤¾à¤— व बलिदान किया था? देश में à¤à¤¸à¥€ लाखों व करोड़ों मातायें आज à¤à¥€ हैं। हमारा आज का समाज सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€-खà¥à¤¦à¤—रà¥à¤œ समाज है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने वेदों के आधार पर à¤à¤• नियम à¤à¥€ बनाया था कि सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सामाजिक सरà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करने वा नियम पालने में परतनà¥à¤¤à¥à¤° रहना चाहिये। इसमें निरà¥à¤¬à¤²à¥‹à¤‚ की सहायता व रकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है परनà¥à¤¤à¥ हमारा समाज आज à¤à¥€ इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ व विचारों से कोसों दूर है। इसे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ का अà¤à¤¾à¤µ ही कहा जा सकता है। अतः मदरà¥à¤¸ डे का मनाया जाना à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ ही कहा जा सकता है। à¤à¤²à¥‡ ही हम अपने माता-पिता की à¤à¤°à¤ªà¥‚र सेवा कर रहे हों, तब à¤à¥€ हम सबको इस दिन यह विचार अवशà¥à¤¯ करना चाहियें कि माता-पिताओं, मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मातओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿, सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के किस-किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के ऋण होते हैं। माताओं के उन तà¥à¤¯à¤¾à¤— व दà¥à¤ƒà¤–ों के लिठहम जो कà¥à¤› कर सकते हैं, वह धरà¥à¤® समठकर अवशà¥à¤¯ करें। मातृ सेवा à¤à¥€ परमधरà¥à¤® के समान सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। कोई सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ किसी कारण यदि अधिक सेवा आदि न à¤à¥€ कर सके तब à¤à¥€ उसे मधà¥à¤° वाणी से माता पिता का सतà¥à¤•à¤¾à¤° तो नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अवशà¥à¤¯ ही करलर चाहिये। शायद इतना करने से ही समाज के लोगों का मातृ ऋण कà¥à¤› कम हो जाये और वह परजनà¥à¤® में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दà¥à¤ƒà¤–ों से à¤à¤°à¥€ अधिक बà¥à¤°à¥€ à¤à¥‹à¤— योनि में न à¤à¥‡à¤œà¥‡ जायें। आज मातृतà¥à¤µ दिवस पर हम सà¤à¥€ को बधाई देते हैं और निवेदन करते हैं कि वह इस विषय पर कà¥à¤› समय चिनà¥à¤¤à¤¨ कर व अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤ªà¤¾à¤¤ कर उसमें सà¥à¤§à¤¾à¤° आदि की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विचार करें।
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