योगीराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ महाराज का असली जनà¥à¤®
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Rajeev ChoudharyDate
22-Aug-2016Category
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HindiTotal Views
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amitUpload Date
23-Aug-2016Download PDF
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अगसà¥à¤¤ माह में हम योगीराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी महाराज का पà¥à¤¨à¤ƒ जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ मना रहे हैं। वही शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी महाराज जिसे पौराणिकों ने लीलाधर, रसिक, गोपी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€, कपड़े चोर, माखन चोर और न जाने कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ लिखा। जिससे उनका मनोरथ तो पूरा हो गया लेकिन कहीं न कहीं योगीराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• चरितà¥à¤° नषà¥à¤Ÿ हो गया। पूरा विवरण लिखने के पूरà¥à¤µ à¤à¤• छोटी सी घटना उदाहण सà¥à¤µà¤°à¥‚प देना चाहूà¤à¤—ा कि छतीसगॠराजà¥à¤¯ में à¤à¥‹à¤²à¥‡-à¤à¤¾à¤²à¥‡ लोगों को à¤à¤• पादरी पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ दे रहा था साथ ही साथ बेहद सरल तरीके से अपने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¥€ रखता जैसे वो पूछता किसी की हतà¥à¤¯à¤¾ करना पाप है या पà¥à¤£à¥à¤¯? शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ कह उठते पाप| फिर पूछता चोरी करना अचà¥à¤›à¥€ बात है या बà¥à¤°à¥€? लोग कहते बà¥à¤°à¥€| अब पादरी ने पूछा तà¥à¤® सब à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ को मानते हो ना? सà¤à¥€ ने à¤à¤• सà¥à¤° में कहा, हाठमानते है| अचानक पादरी ने चेहरे पर गंà¤à¥€à¤° à¤à¤¾à¤µ बनाकर कहा इसी वजह से तà¥à¤® लोग गरीब और दरिदà¥à¤° हो कि à¤à¤• चोर को à¤à¤—वान मानते हो| गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से कà¥à¤› à¤à¥œà¤• गये| पादरी का सà¥à¤µà¤° धीमा पड़ गया और उसने सफाई देते हà¥à¤ कहा à¤à¤¸à¤¾ मैं नहीं आप लोगों के ही गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ कहते है| à¤à¥€à¥œ से पहले तो इकà¥à¤•à¤¾-दà¥à¤•à¥à¤•à¤¾ इसके बाद बहà¥à¤®à¤¤ से आवाज़ आनी शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ कि हाठहमने à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾ है| à¤à¤• धीमी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ के साथ पादरी का होसला बॠगया उसने अपने शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से हमारे महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ पर अधिक तेज हमला किया| और अंत में उसने कहा छोडो इन राम और कृषà¥à¤£ को यदि सचà¥à¤šà¥‡ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤¤à¥à¤° को जानना है तो अपनी दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ दूर करनी है तो जीसस को जानों| कहानी मातà¥à¤° समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ को है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वैदिक धरà¥à¤® को हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® बनाने वालों ने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जीवनी इस कदर बिगाड़ दी और उनमे इस तरह से संशय पैदा कर दिठजिसका फायदा हमेशा से अनà¥à¤¯ मत के लोग उठाते आये है|
आज बड़ा दà¥à¤ƒà¤– होता है कि जब-जब आरà¥à¤¯ समाज ने हमेशा अपने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को आरोपों से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने का काम किया लोगों को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सतà¥à¤¤à¤¾ का बोदà¥à¤§ कराया तब-तब उलà¥à¤Ÿà¤¾ उन लोगों ने आरà¥à¤¯ समाज पर आरोप जड़ने की कोशिश की आरà¥à¤¯ समाज à¤à¤—वान को नहीं मानता| आरà¥à¤¯ समाज पर आरोप लगाने वाले उन पाखंडियों ने कà¤à¥€ सोचा है कि योगिराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£à¤šà¤‚दà¥à¤° जी महाराज के चरितà¥à¤° को किस तरह उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पेश किया लिख दिया 16 हजार गोपियाठथी, वे छिपकर कपडे चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ जाया करते थे, गीत बना दिठकि मनिहार का वेश बनाया शà¥à¤¯à¤¾à¤® चूड़ी बेचने आया, अशà¥à¤²à¥€à¤² कथा जोड़ दी कि उनके आगे पीछे करोड़ो सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ नाचती थी वो रासलीला रचाते थे| यदि कोई हमारे सामने हमारे माता-पिता के बारे में à¤à¤¸à¥€ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करे तो कà¥à¤¯à¤¾ हम सहन करेंगे? नहीं ना! तो फिर आरà¥à¤¯ समाज कैसे सहन करे? à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को समà¤à¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है| शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• पातà¥à¤° है जिनका वरà¥à¤£à¤¨ सबने अपने-अपने तरीके से किया सबने कृषà¥à¤£ के जीवन को खंडो में बाà¤à¤Ÿ लिया सूरदास ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचपन से बाहर नही आने दिया सूरदास के कृषà¥à¤£ कà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ से बड़े नहीं हो पाते। बड़े कृषà¥à¤£ के साथ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता नहीं कà¥à¤¯à¤¾ खतरा था? इसलिठअपनी सारी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡ उनके बचपन पर ही थोफ दी? रहीम और रसखान ने उनके साथ गोपियाठजोड़ दी, इन लोगों ने वो कृषà¥à¤£ मिटा दिया जो शà¥à¤ को बचाना, अशà¥à¤ को छोड़ना सिखाता था| कृषà¥à¤£ की बांसà¥à¤°à¥€ में सिवाय धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और आनंद के और कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं था पर मीरा के à¤à¤œà¤¨ में दà¥à¤– खड़े हो गये पीड़ा खड़ी हो गयी। हजारों सालों तक कृषà¥à¤£ के जीवन को हर किसी ने अपने तरीके से रखा à¤à¤¾à¤—वत कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ लगे| कृषà¥à¤£ का असली चरितà¥à¤° जो वीरता का चरितà¥à¤° था जो साहस का था| जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का था जो नीति का था जिसमें यà¥à¤¦à¥à¤§ की कला थी वो सब हटा दिया नकली खड़ा कर दिया जिसका नतीजा आने वाली नसà¥à¤²à¥‡à¤‚ नपà¥à¤‚सक होती गयी | हमारी अहिंसा की बात के पीछे हमारी कायरता छà¥à¤ª कर बैठगई है | हम नहीं लड़े, बाहरी लोग हम पर हावी हो गये, हमें गà¥à¤²à¤¾à¤® बना लिया और फिर हम उसकी फ़ौज में शामिल होकर उसकी तरफ से दूसरों से लड़ते रहे | हम गà¥à¤²à¤¾à¤® à¤à¥€ रहे और अपनी गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ बचाने के लिठलड़ते रहे कà¤à¥€ हम मà¥à¥šà¤² की फ़ौज में लड़े तो कà¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ की फ़ौज में | नहीं लड़े तो केवल अपनी सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिà¤| फिर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद जी आये हमारे सामने कृषà¥à¤£ के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को रखा हमें बताया कि हम लड़ तो रहे पर अपने लिठनहीं अपितॠदà¥à¤¸à¤°à¥‡ के लिठलड़ रहे है, उठो लड़ो अपने लिठलड़ो| योगिराज की नीति उनकी यà¥à¤¦à¥à¤§ कला को समà¤à¤¾à¤¯à¤¾| अरà¥à¤œà¥à¤¨ नाम मनà¥à¤·à¥à¤¯ का है कृषà¥à¤£ नाम चेतना का है जो सोई चेतना को जगा दे उसी जागà¥à¤°à¤¤ चेतना का नाम कृषà¥à¤£ है| जो अपने धरà¥à¤® व देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आतà¥à¤®à¤¾ को जगा दे उसी नाम कृषà¥à¤£ है|
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का चशà¥à¤®à¥‡ से कृषà¥à¤£ को नहीं समà¤à¤¾ जा सकता| कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ वहां सिवाय मकà¥à¤–न और चोरी के आरोपों के अलावा कà¥à¤› नहीं मिलेगा| इसà¥à¤•à¤¾à¤¨ के मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में नाचने से कृषà¥à¤£ को नहीं पाया जा सकता| उसके लिठअरà¥à¤œà¥à¤¨ बनना पड़ेगा तà¤à¥€ कृषà¥à¤£ को समà¤à¤¾ जा सकता है| पहली बात कोई अवतार नहीं होता हर किसी के अनà¥à¤¦à¤° ईशà¥à¤µà¤° का अंश है इस संसार में सब अवतार है| हाठयह सतà¥à¤¯ है कृषà¥à¤£ जैसा कोई दूसरा उदहारण फिर पैदा नहीं हà¥à¤†| यदि सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की बात आये तो कृषà¥à¤£ जैसा उदहारण नहीं मिलेगा बà¥à¤¦à¥à¤§ ने सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से को दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने से मना किया| महावीर ने तो उसे मोकà¥à¤· के लायक ही नहीं समà¤à¤¾ मोहमंद ने उसे पà¥à¤°à¥à¤· की खेती कहा, तो जीसस ने तो उनके बीच पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ करने से मना कर दिया| कृषà¥à¤£ ने शायद à¤à¥‚लकर à¤à¥€ जरा-सा à¤à¥€ अपमान किसी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का नहीं किया। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति कृषà¥à¤£ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करती रही होगी लेकिन इन à¤à¥‚ठके ठेकेदारों ने खà¥à¤¦ नारी जाति का शोषण करने के लिठयोगिराज के महान चरितà¥à¤° को रासलीला से जोड़ दिया| हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ रोज उस à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के करीब पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है, अत: हमे समठलेना चाहिठकि जहाठकृषà¥à¤£ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ बनेगी वहीं कृषà¥à¤£ का विचार दफ़न हो जायेगा| जहाठकृषà¥à¤£ को अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ में लपेटा जायेगा वहीं धरà¥à¤® की हानि होगी जो लोग सोचते है कृषà¥à¤£ फिर धरà¥à¤® की हानि होने पर अवतार लेंगे विधरà¥à¤®à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ का नाश करेंगे तो सोचे धरà¥à¤® का असल नाश किसने किया उस पादरी ने या उसे चोर और रसिक लिखने वाले ने? तो मारा कौन जायेगा? धरà¥à¤® की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ में कृषà¥à¤£ हमेशा से जीवित है बस जिस दिन यह अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के अंधकार का पतà¥à¤¥à¤° हटेगा फिर कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤® दिखाई देगा| उनका विराट सà¥à¤µà¤°à¥‚प दिखाई देगा।
Namste, bhai sahab
Hakit main bhav vibor kar diya apke lekh ne.