आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ कठà¥à¤† (जमà¥à¤®à¥‚- कशà¥à¤®à¥€à¤°) में इस वरà¥à¤· का वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मास का आयोजन 16 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से 15 अगसà¥à¤¤ तक à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ मनाया गया। दोपहर 2 से 5 बजे तक सतà¥à¤¸à¤‚ग होता था। पहले सतà¥à¤¸à¤‚गी माताà¤à¤‚ à¤à¤œà¤¨à¤—ाती थी फिर आगंतà¥à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ महानà¥à¤à¤¾à¤µ à¤à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ करते थे।
इस अवसर पर à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶à¤• शà¥à¤°à¥€ राजवीर सिंह आरà¥à¤¯ (मà¥à¥›à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र), उपदेशक शà¥à¤°à¥€ विजय शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी (अमृतसर) और आचारà¥à¤¯ आनंद पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जी (होशंगाबाद) ने रोजà¤à¤• वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पर चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ व आतंकवाद की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ के साथ ईशà¥à¤µà¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की। समाज के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त संचालित डी ठवी के छातà¥à¤°à¤¾à¤•à¥‹ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ दिठव छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व वैदिक विचारधारा के संसà¥à¤•à¤¾à¤° देने का निवेदन किया।
समापन समारोह व पूरà¥à¤£à¤¾à¤¹à¥à¤¤à¤¿ में 21 यजà¥à¤ž वेदियों पर 50 दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿ परिवार यजमान के रूप में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। आचारà¥à¤¯ जी ने इनससंसà¥à¤¥à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ रहने का आगà¥à¤°à¤¹ किया।
अनेक घरो में à¤à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त अलग से उपदेश किये। आतंक के साये में रह रहे अतà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ सà¤à¥€ लोगों को पà¥à¤°à¥‡à¤® करà¥à¤£à¤¾ व आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® की इस डोर से बंधना à¤à¤¾ गया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के संयोजक शà¥à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤à¥‚षण आननà¥à¤¦ (मà¥à¤¨à¤¿à¤œà¥€) ने सà¤à¥€ का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और दिसमà¥à¤¬à¤° में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ मंदिर से बाहर निकलकर बड़े गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड में à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ की वेद कथा के आयोजन की घोषणा की।
- गायतà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ आरà¥à¤¯, महामनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€