Human welfare and world peace unity Yagya
Why need to huge yagya in Delhi IAMS - 2018
08 Oct 2018
Delhi, India
Delhi Arya Pratinidhi Sabha
जरा सोचिये! कà¥à¤¯à¤¾ नजारा होता होगा जब वैदिक काल में सैंकड़ों-हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लोग à¤à¤• साथ मिलकर यजà¥à¤ž करेंगे। हालाà¤à¤•ि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में हर घर में à¤à¥€ दैनिक यजà¥à¤ž होते थे किनà¥à¤¤à¥ इसके उपरानà¥à¤¤ à¤à¥€ पहले बड़े-बड़े राजा महाराजा à¤à¥€ यजà¥à¤ž के रहसà¥à¤¯ को à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•ार समà¤à¤¤à¥‡ थे। समाज को à¤à¤• करने लिठवह बड़े-बड़े यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का आयोजन किया करते थे। पाणà¥à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ ने योगिराज कृषà¥à¤£ की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ से राजसूय यजà¥à¤ž कराया था। मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम ने अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§à¤¾à¤¦à¤¿ बहà¥à¤¤ बड़े- बड़े यजà¥à¤ž कराये थे। दà¥à¤·à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ के पà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤°à¤¤ के à¤à¤• सहसà¥à¤¤à¥à¤° अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§ यजà¥à¤ž का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। महाराजा अशà¥à¤µà¤ªà¤¤à¤¿ ने ऋषियों को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कहा था हे- महाशà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹! मेरे राजà¥à¤¯ में कोई चोर, कृपण, शराबी विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरे राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• नागरिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ यजà¥à¤ž करता है। तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का आधार यजà¥à¤ž ही थे। असल में इस पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥‚मि में इतने यजà¥à¤ž होते रहे कि हमारा देश ही यजà¥à¤žà¤¿à¤¯ देश कहलाया।
जहाठबड़े-बड़े सà¥à¤¤à¤° पर यजà¥à¤ž होते थे उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को तीरà¥à¤¥ मान लिया जाता था। पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, काशी, रामेशà¥à¤µà¤°à¤®à¥ आदि सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤à¤µ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ से ही हà¥à¤† है। हमारे वेद शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पनà¥à¤¨à¤¾-पनà¥à¤¨à¤¾ यजà¥à¤ž की महिमा से à¤à¤°à¤¾ पड़ा है जिनमें कहा गया है यजà¥à¤žà¤œà¥à¤ž से परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं। माना जाता है यजà¥à¤ž à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है जो बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤£à¥à¤¡ की ‘‘महान शकà¥à¤¤à¤¿’’ परमपिता परमातà¥à¤®à¤¾ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ जोड़ने की कोशिश करती है यानि समसà¥à¤¤ सनातन संसà¥à¤•ृति का ईशà¥à¤µà¤° की उपासना का à¤à¤• ही ढंग यजà¥à¤ž था
किनà¥à¤¤à¥ आज यह गौरवशाली परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ सी हो गयी है। इस कारण यजà¥à¤ž की इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को बचाठरखने और विकसित करने तथा सनातन संसà¥à¤•ृति को à¤à¤• करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से इस वरà¥à¤· दिलà¥à¤²à¥€ में होने वाले अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आरà¥à¤¯ महासमà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में आरà¥à¤¯ समाज ने सामूहिक रूप से यजà¥à¤ž करने हेतॠदस हजार के करीब लोगों को à¤à¤•तà¥à¤° कर, à¤à¤• समय, à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और à¤à¤•रूपता में à¥à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ के लिठयजà¥à¤ž करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया है। यजà¥à¤ž का यह विराट सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास में अपने आप में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• उदाहरण होगा जिसमें समसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के याजà¥à¤žà¤¿à¤• उतà¥à¤¤à¤° से दकà¥à¤·à¤¿à¤£ तक और पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° से लेकर पशà¥à¤šà¤¿à¤® तक के आरà¥à¤¯à¤œà¤¨ à¤à¤¾à¤— लेंगे। à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर वैदिक काल के बाद समसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के आरà¥à¤¯à¤œà¤¨ इस तरह के आयोजन में इससे पहले शायद ही à¤à¤•तà¥à¤° हà¥à¤ होंगे। इसकी आवशà¥à¤¯à¤•ता इसलिठà¤à¥€ महसूस हà¥à¤ˆ कि आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में यदि देखें तो बौहॠधरà¥à¤® को मानने वाले विशà¥à¤µ में पचास करोड़ से अधिक लोग हैं जो अपने बौहॠपरà¥à¤µ को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, à¤à¤• जगह à¤à¤•तà¥à¤° होकर अपनी धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤•ता का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ करते है। इसी तरह इसà¥à¤²à¤¾à¤® मत को मानने वाले लोग ईद के मौके या पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को अपनी वेश-à¤à¥‚षा परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त ढंग से पहनकर अपने-अपने घरों से दरगाह या मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ परिसर में नमाज के लिठà¤à¤•तà¥à¤° होते हैं तथा à¤à¤• कà¥à¤°à¤® à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ में अपनी इबादत करते दिखते हैं। शायद यह इनकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ होता है और इसाई मत को मानने वाले लोग à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• रविवार को जमा होते हैं तथा à¤à¤• साथ ससà¥à¤µà¤° अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं |
इन सबके विपरीत जब हम अपने सनातन धरà¥à¤® को देखते हैं तो à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› देखने को नहीं मिलता। कà¥à¤› दिवसों जैसे मंगलवार या शनिवार या फिर उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ या तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ आदि में लोग मंदिरों में à¤à¤•तà¥à¤° तो होते हैं लेकिन घंटों अपनी-अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की बारी आने की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करते रहते हैं। लमà¥à¤¬à¥€-लमà¥à¤¬à¥€ कतारें मंदिरों में आसानी से देखी जा सकती हैं। इस तरीके में न तो हमें समरसता देखने को मिलती, न à¤à¤•रूपता और न ही à¤à¤•ता दिखाई देती है।
यह सोचने वाली बात है कि जिनकी आसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं की जड़ें विदेशों में हैं वे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ शैली के नाम पर à¤à¤•तà¥à¤° हैं और जिनकी जड़ें हजारों वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं में विकसित हà¥à¤ˆ वे सब अलग-अलग तरीके लिठबैठे हैं। आखिर इसका उपाय कà¥à¤¯à¤¾ है? धारà¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से कम होती à¤à¤•ता का इलाज कà¥à¤¯à¤¾ है? आखिर धारà¥à¤®à¤¿à¤• रूप से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के समय लोगों में सामाजिक à¤à¤•ता, धारà¥à¤®à¤¿à¤• समानता, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की à¤à¤•रूपता कैसे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो?
आज यह विचारणीय पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि à¤à¤•रूपता की ये जड़ आखिर कहाठहै और उसे कैसे सींच सकते हैं। जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हम à¤à¤• समय à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बिना किसी à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के, बिना किसी कथित ऊंच-नीच के और गरीबी-अमीरी से अलग हटकर इस कारà¥à¤¯ में नींव के पतà¥à¤¥à¤° से लेकर आधार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ पर टिकी छत तक का काम कर सकें। इसका à¤à¤• ही उपाय है और वह सामूहिक à¤à¤•रूप यजà¥à¤žà¥¤
सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सोचिये कà¥à¤¯à¤¾ नजारा होगा जब à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हजारों लोग उमड़ेंगे। यजà¥à¤ž का महाआयोजन होगा और हजारों कंठों से वेद की वाणी à¤à¤• साथ वायà¥à¤®à¤‚डल में गà¥à¤‚जायमान होगी। इस यजà¥à¤ž को à¤à¤• विशाल वैशà¥à¤µà¤¿à¤• नाम देना होगा वह नाम जो जोड़ कर रखेगा समसà¥à¤¤ सनातन वैदिकधरà¥à¤® को, मिटायेगा जातीयता के à¤à¥‡à¤¦ को, रकà¥à¤·à¤¾ करेगा धरà¥à¤® और समाज की जो समसà¥à¤¤ संसार को à¤à¤• ही सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देगा कि हमारी वंशावली ऋषि परिवारों से आरमà¥à¤ होती है। अपने पूवरà¥à¤œà¥‹à¤‚ का धरà¥à¤®, उनकी दी संसà¥à¤•ृति, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का सà¥à¤µà¥ˆà¤šà¥à¤›à¤¿à¤• पालन उपासना की à¤à¤•रूपता यजà¥à¤ž के अलावा à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है ?