137th Rishi Sammelan celebrated

Maharshi Dayanand Smriti Bhawan Nyas Celebrated 137TH Rishi Sammelan celebrated as Sankalp Diwas

महर्षि दयानंद सरस्वती स्मृति भवन न्यास जोधपुर के तत्त्वाधान में वेदोद्वारक और आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती को जोधपुर में 29 सितंबर 1883 में विष दिये जाने की घटना की स्मृति में 137वां ऋषि सम्मेलन संकल्प दिवस के रूप में मनाया। कोरोना वायरस के प्रकोप में जारी प्रशासनिक मार्गदर्शन को ध्यान में रखते हुए भारत भर में आर्य विद्ववानों को इंटरनेट पर ही आमंत्रित कर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्व के समस्त आर्य समाजों की अंतर्राष्ट्रीय संस्था सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान सुरेश चन्द्र आर्य ने देश दुनिया की विषम और विषैली स्थितियों में कूरीतियों, अन्धविश्वासों और अत्यचार के युग में महर्षि द्वारा बताए वैदिक मार्ग को ही अमृत बताते हुए इस पर चलने की जरूरत बताई। महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा बनाई परोपकारिणी सभा के प्रधान आर्य विद्वान डॉ. वेदपाल ने महर्षि के समय के भारत और जौधपुर की परिस्थितियों का परिचय देते हुए कहा कि ऐसी भयानक खरतपतवार को हटाने के लिए महर्षि ने खंडन के तीक्ष्ण खंडे का प्रयोग किया। दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य जी ने अपने संबोधन में कहा कि अपने हित समझने में असमर्थ लोगों ने अमृतदाता महर्षि को पड़यंत्रपूर्वक विष दे दिया, जिसके कलंक से मुक्ति महर्षि की मान्यताओं को स्थापित करके ही मिल सकती है। मुख्य उद्बोधन में कमल किशोर आर्य ने महर्षि जी के सात गुणों का वर्णन करते हुए  वर्तमान समय में परोपकार की महत्ता हेतु संकल्पित होने का आह्वान किया। विमल शास्त्री जी ने सभा को संबोधित करते हुए दिल्ली स्तर पर चल रहे प्रकल्पों की जानकारी दी।कार्यक्रम मे शांति देवी, अशोक आर्य, अभिमन्यु आर्य एवं विक्रम आर्य ने ऋषि गुणगान के गीत प्रस्तुत किए। इस दौरान समाजसेवी व न्यूरोथेरेपिस्ट सतुसिंह मेड़तिया और सहयोगी पंकज जांगिड़ द्वारा इम्युनिटी मजबूत करने के लिए सभी को अमृतधारा की खुराक पिलाई गई। संस्था द्वारा सतुसिंह मेड़तिया और जांगिड़ को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। न्यास मंत्री किशनलाल गहलोत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

Yajurvded Parayan Mahayajya

Inauguration of New Building of Arya Samaj