Huge Protest by Arya Samaj for saving cows

Arya Samaj's huge Protest to Memory of people sacrificed in Gau Raksha movement
07 Nov 2020
Delhi, India
Delhi Arya Pratinidhi Sabha
7 नंवबर 1966 के दिन गौ रक्षा आंदोलन में बलिदान हुए लोगों की स्मृति और गौ रक्षा के संकल्प को लेकर शनिवार 7 नंवबर 2020 को जंतर-मंतर पर एक विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया। आर्य समाज और राष्ट्र निर्माण पार्टी के द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन की अगुवाई दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान धर्मपाल आर्य और राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर विक्रम सिंह द्वारा की गई। इस मौके पर दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों से सैकड़ो आर्य कार्यकर्ता जंतर-मंतर पहुंचे।
जन समूह को संबोधित करते हुए दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान धर्मपाल आर्य ने 1966 के गौ रक्षा आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर गौ रक्षा के लिए सदा तत्पर रहे और आर्य समाज जिस प्रकार 1966 के इस आंदोलन के लिए सक्रिय भूमिका में रहा उसी सक्रिय भूमिका में आज भी गौरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर विक्रम सिंह द्वारा 1966 के गौ रक्षा आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी गई और सरकार से मांग की गई कि गौ रक्षा के लिए कठोर बनाए जाए। राष्ट्र निर्माण पार्टी के पार्टी महासचिव डॉ आनंद कुमार द्वारा भी गौ रक्षा के लिए गौ हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग की गई।
इस मौके पर डासना के देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ने कहा कि गो-माता के साथ क्रूरतापूर्ण, हिंसक और अमानवीय घटनाओं के घिनौनेपूर्ण कृत्यों पर लगाम लगाये जाने की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जाती रही है जिसके लिए अब राष्ट्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाया जाना चाहिए । इस अवसर पर गुरुकुल गौतमनगर दिल्ली के संचालक एवं प्राचार्य स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश के महामंत्री बृहस्पति आर्य, आर्य नेत्री कल्पना आचार्य, विम्मी अरोड़ा आर्य, कुंवरपाल शास्त्री भी उपस्थित रहे। आपको बता दे कि 7 नंवबर 1966 में गोरक्षा महाभियान समिति की अगुवाई में देश के संत समाज द्वारा दिल्ली के चांदनी चौक स्थित आर्य समाज दीवान हाल से गोरक्षा के लिए एक विशाल सत्याग्रह आरम्भ किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आंदोलन को दबाने के लिए निहत्थे संतों और अन्य प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दे दिए थे। इस गोलीकांड में सैकड़ों साधु संत और गोरक्षक मारे गए, और हजारों को तिहाड़ जेल में ठूंस दिया गया।