87th Varshikotsav

87th Varshikotsav was organized by Arya Pradeshik Pratinidhi Upsabha Patna Bihar.

आर्य समाज बारो परिसर में आयोजित 87वां वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में चार दिवसीय वैदिक यज्ञ व विराट महासम्मेलन दिनांक 3 नवंबर से 6 नवंबर तक आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन आर्य युवा समाज के प्रधान सा डीएवी बेगूसराय के रीजनल डायरेक्टर श्री के के सिन्हा ने किया विशिष्ट अतिथि डॉक्टर मेजर रविशंकर सिंह थे जिनका स्वागत स्वागताध्यक्षा डा० ममता कुमारी ने किया कार्यक्रम का संयोजक डॉ अशोक थे इस सम्मेलन में के  देश के कई हिस्सों से बारो पहुंचे वैदिक विद्वानों ने विचार रखे।इस अवसर  पर यूपी के मुजफ्फरनगर से  वैदिक प्रवक्ता आचार्य योगेश भारद्वाज , बिजनौर यूपी से प्रसिद्ध भजनोपदेश पंडित योगेश दत्त आर्य , बरेली उत्तर प्रदेश से भजनोदेशक पंडित सत्यदेव शास्त्री, पटना से वैदिक प्रवक्ता पंडित संजय सत्यार्थी, दानापुर से भजनोपदेशक सत्य प्रकाश आर्य, पटना से स्वामी नित्यानंद सरस्वती पधारे। प्रथम दिवस 3 नवंबर को वेद सम्मेलन, 4 नवंबर को महिला सम्मेलन, 5 नवंबर को कर्म फल सिद्धांत एवं 6 नवंबर को राष्ट्र रक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया | सम्मेलन में बिहार के कई जिलों की प्रतिनिधि शामिल हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य योगेश भारद्वाज ने कहा कि कर्म फल सिद्धान्त से ही किसी व्यक्ति, परिवार, समाज व राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव दिखता है। कोई भी देश तब एक राष्ट्र कहलायेगा जब उसकी अपनी भूमि, लोग व उनके मालिकाना हक, राष्ट्र की अपनी संस्कृति हो। दुख होता है कि भारत में रहने वाले बहुत सारे लोग अपनी सनातनी धर्म बदल कर अपने कर्म कांड अन्य धर्मों से जोड़ रखे हैं। इसके कारण वैसे लोगों की आस्था, संवेदना, समर्पण भारत देश से कभी हो ही नहीं सकती। उनकी आस्था उन धर्म के संचालन करने वाले विदेशों से जुड़ी होगी। चिंतन करना होगा कि ऐसे में हमारा धर्म और देश कैसे सुरक्षित रहेगा। आर्य समाज राष्ट्र धर्म निभाता है। यह देश के लोगों को भारतीय होने का गर्व महसूस कराता है। यह महर्षि दयानंद की ही देन है जो अपनी देश के लोगों को संस्कृति की रक्षा और संस्कार देने के लिए लगातार तत्त्पर है। यूपी विजनौर से आये आचार्य योगेश दत्त आर्य, यूपी बरेली से आये आचार्य सत्यदेव शास्त्री, बिहार के दानापुर से आये सत्य प्रकाश आर्य व पटना से आये आचार्य संजय सत्यार्थी ने अपने सुमधुर भजनों के माध्यम से लोगों को कर्म फल सिद्धान्त के लाभ व हानि बताए। बताया कि पाप कर्म शरीर से नहीं होता है जो गंगा में स्नान करने से धूल  सकता है। पाप या पुण्य मन से होता है। मन को पानी से नहीं धोया जाता है। इसके प्रायश्चित के लिए ध्यान, योग व यज्ञ करने की जरूरत है। वक्ताओं ने लोगों को सुकर्म कर अपने पीढ़ी को योग्य नागरिक बनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आर्य समाज बारो के प्रधान श्री रविंद्र नाथ आर्य, मंत्री श्री राजेंद्र आर्य, कोषाध्यक्ष कैलाश आर्य, मीडिया प्रभारी संतोष आर्य, सुधीर आर्य, डॉक्टर सुधीर पासवान, राजन आर्य, नंदकिशोर, अग्निवेश सुशांत, गोविंद, विष्णु, सोनू, सुखेन श्याम आर्य, मनोज आर्य।

 

 

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