Vaidik Dharm Mahotsav

Vaidik Dharm Mahotsav was organized by Arya Pratinidhi Sabha Varanasi

जिला आर्य प्रतिनिधि सभा वाराणसी-चन्दौली के द्वारा १५३वें काशी शास्त्रार्थ के स्मृति में आयोजित वैदिक धर्म महोत्सव के तृतीय दिवस पर प्रातः कालीन सत्र में यज्ञोपरान्त मुख्य अतिथि सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य दिल्ली ने कहा कि यदि हमने महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की बातों को मान लिया होता तो उनके प्रादुर्भाव के पूर्व की समस्याएं आजादी के बाद भी आज भी बरकरार नहीं होतीं। इस्लाम जिस तरह से भारत में आया और अपना पांव पसारता गया और हमसब अपने आंख-कान बंद करके भाग्य और भगवान के भरोसे पड़ें रहें, परिणामस्वरूप हमसब गुलाम हो गएं इसका हमें आभास ही नहीं हुआ। सदियों तक वाह्य आक्रमण होते रहें, देश लुटता रहा, अपमानित होता रहा। पाखण्ड और अंधविश्वास में आकंठ डूबे रहने के कारण न तो हम अपने देवताओं को बचा पाएं और न ही राष्ट्रीय अस्मिता और स्वाधीनता को । फलस्वरूप देश सदियों तक लूटपाट, नरसंहार और अपमान के घूंट पीता रहा। जो देश अपने इतिहास को विस्मृत कर देता है, उसका भूगोल भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहता, टूटता-फूटता और खंडित हो जाता है। भाषा-भूषा, साहित्य और संस्कृति को प्रदूषित कर भारत को चिरकाल तक गुलाम बनाए रखने के ब्रिटिश साम्राज्य के षड्यंत्र को महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने छिन्न भिन्न कर दिया । इस्लाम, ईसाइयत, ब्रिटिश साम्राज्यवाद और पौराणिक पाखंडियों के चौतरफा प्रहार को झेलते हुए भी ऋषि दयानन्द जी ने देश, धर्म, समाज और संस्कृति के उद्धार के कार्य को करना बंद नहीं किया । देश धर्म के सुधार और संरक्षण के लिए ही उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की थी, जो आज भी अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा है। इस अवसर पर आर्य जगत के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान आचार्य शिवकुमार शास्त्री, आचार्य सत्यपाल आर्य, स्वामी केवलानंद, रामसेवक आर्य, सोमेन्द्र आर्य, कैलाश कर्मठ आदि विद्वानों व भजनोपदेशकों ने अपने विचार व्यक्त कियें। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलासभा के प्रधान प्रमोद आर्य 'आर्षेय', संचालन महामंत्री डॉ. शम्भुनाथ शास्त्री ने किया तथा धन्यवाद सत्येन्द्र आर्य ने दिया । अंत में शान्तिपाठ के साथ सभा २०२३ में पुनः मिलने हेतु विसर्जित हुई।

 

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