Arya Samaj Sthapna Diwas

Arya Samaj Sthapna Diwas was organized by Saevadeshik Arya Veer Dal Jaipur Rajasthan.

वैशाली नगर गांधी पथ स्थित जानकी मैरिज गार्डन में एक साथ 200 कुंडो में 15,000 से अधिक आहुतियां देकर नववर्ष तथा आर्य समाज स्थापना दिवस  प्राचीन भारतीय ऋषि महर्षियों द्वारा प्रतिपादित परंपरागत वैदिक विधि से बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसमें पांच टीन  गिर गाय का शुद्ध देसी  घी , समिधा में गोकाष्ठ तथा आम की लकड़ी, शाकल्य में गिलोय, कपूर काचरी, इंद्रजौ, लोबान, गूगल, छरीला, अगर, तगर ,नागरमोथा, इलायची आदि रोगनाशक, सुगंधित, पुष्टिकारक सामग्री का प्रयोग किया गया, परोपकारिणी सभा अजमेर के मंत्री एवं दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़ गुजरात के अध्यक्ष मुनि सत्यजित् ने वैदिक मंत्रों की व्याख्या करते हुए बताया कि परमपिता परमात्मा ने सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम यज्ञ का ही विधान किया गया है तब से लेकर आज तक मनुष्य मात्र के कल्याण की यह परंपरा अनवरत चल रही है, कार्यक्रम में मुनि ऋतमा जी ने  जीवन में प्रसन्न रहने के मनोवैज्ञानिक उपाय बताएं, दीपक शास्त्री ने- जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान यज्ञ से, आदि सुमधुर भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित जन समूह का मन मोह लिया, कार्यक्रम का संचालन एवं वेदपाठ आचार्य रविशंकर आर्य , आचार्य सर्वमित्र आर्य ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता महेंद्र  यादव ने की। सार्वदेशिक आर्य वीर दल के प्रधान संचालक सत्यवीर आर्य के नेतृत्व में संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन किया गया तथा समाज सेवा में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को महर्षि दयानंद का चित्र देखकर सम्मानित किया गया , आर्य समाज राजापार्क के कार्यकारी प्रधान रवि नैयर ने  समस्त श्रद्धालुओं को यज्ञ जैसे पवित्र,श्रेष्ठ कार्य में उपस्थित होने के लिए तथा सम्मानित होने वाले व्यक्तियों को शुभकामनाएं दी, आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के उपप्रधान देवेंद्र शास्त्री ने उपस्थित जनसमुदाय का धन्यवाद करते हुए बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के अवसर पर 200 कुंड बनाए गए,  महान् क्रांतिकारी  देशभक्त राजगुरु ,सुखदेव ,भगत सिंह को उनके बलिदान दिवस पर कार्यक्रम में स्मरण किया गया। कार्यक्रम में आर्य वीर दल के जयपुर संभाग संचालक सुभाष आर्य, वैदिक उपदेशक अंकुश आर्य, वेदप्रकाश आर्य, बंशीधर आदि अनेक कार्यकर्ताओं ने अपना अमूल्य योगदान दिया।

 

Sawami Omanand Saraswati Smriti Diwas

Janchetna Mahayajya