Ved Prachar Festival

08-Oct-2012 to 14-Oct-2012
01:00 am Onwards

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dabwali
 
Dabwali-0
India
 

मण�डी ड�ववाली..... आर�य समाज मण�डी ड�बवाली क वार�शिक वेद�प�रचार उत�सव बडी धूमधाम से आज सम�पन�न हो गया । बडे श�रद�धा व उल�लास से सम�पन�न इस उत�सव के इस समापन�न के अवसर पर पन�डित कमलेश शास�त�री प�रोहित आर�य समाज ने तीन क�ण�डीय यग�य मे उपस�थित सम�दाय से प�र�णाह�ति डलवाइ । इस यग�य पर डा. जे �स. हरचन�द, डा. रमफ़ल आर�य,डा. अन�श�ल सचदेव , श�री दयाराम आर�य , श�री क�लभ�शन सिन�गला,श�री भारत भूशण वर�मा , श�री स�शान�त गर�ग, श�री वीरेन�द�र छाबडा,श�री भीमरय आर�य, श�री प�रदीप स�खीजा तथा इन� सब का परिवार यग�य�मान स�वर�प सम�मिलत ह�ये ।
यग�य के उपरान�त आर�य प�रतिनिधि सभा,हरियाणा से पधारे आर�य भजनोपदेशक पन�डित सत�य�पाल मध�र तथा वयोव�रिद�ध भजनोपदेशक पण�डित ओम प�रकाश� वर�मा जी ने आर�य समाज के महान कवि व भजनोपदेशक स�वर�गीय पण�डित प�रकश चन�द�र कविरत�न के भजन का गायन किया , जिस के शब�द थे : -
विश वेदना का घूंट पिये जा रहा हूं ।
फ़िर भी त�म�हीं को याद किये जा रहा हूं ॥
आ�गा कभी तो मेरे जीवन में प�रिय वसन�त
इसी आशा में जी� जा रहा हूं ॥
इस भजन के सम�बन�ध मे इन बताते ह�ये वर�मा जी ने बताया कि मैं �क बार कवि प�रकाश जी के पास गया । वह गथिया रोग से पूरी तरह से ग�रसित हो च�के थे, उंगलियां म�ड च�की थीं , पांव भी काम नहीं कर रहे थे, पूरा समय उन�हे शैय�या पर निकालना होता था किन�त� मस�तिश�क पूरी तरह स�वस�थ व गतिशील था । प�रात:काल का समय था । मैंने कहा पण�डित जी आज �क �सा स�न�दर भजन लिखे, जिसे सायंकाल गाया जावे । रोग से ब�री तरह ग�रसित पण�डित जी ने यह गीत लिखा जिसे सायंकाल गाते ह�ये बडा आनन�द आया । इस गीत में कवि ने अपनी शारीरिक अवस�था का वर�णन बडे ही मार�मिक धंग से किया है तथा स�पश�ट किया है कि शारीरिक रूप से अशक�त होते ह�ये भी उन�हे परम पिता परमात�मा से कोयी शिकायत नहीं है । इस रोग के कारण उन�हे अपार कश�ट हो रहा है किन�त� तो भी प�रभ� स�मरण को नहीं भ�ला रहे । निरन�तर उस प�रभ� को याद कर रहे हैं तथा आशा करते हैं कि कभी तो उस प�रभ� की उन पर क�रिपा होगी , कभी तो वह प�रभ� उन पर दया करेगे , जिससे उनके जीवन में �क बार फ़िर से बहार आ जावेगी तथा यह जीवन प�न: आनन�द से खिल उथेगा । रोग शैय�या से यह कितना स�न�दर सन�देश दिया है स�वर�गीय कविरत�न प�रकाश जी ने । जो लोग संकट के समय घबराते नहीं वह कश�ट मे भी इस प�रकार का आनन�द पाते हैं ।
इस अवसर पर आर�य जगत मे वैदिक उदात भावनाओं का संचार करने के लिये देश भर मे घूम रहे डा. अशोक आर�य की �क प�स�तक " आजादी के दीवाने " , जिस का प�रकाशन आर�य प�रकाशन दिल�ली ने किया है , का विमोचन पन�डित ओम�प�रकाश वर�मा जी ने आर�य समाज गिद�डबाहा के संरक�शक ष�री मदनलाल आर�य जी के सहयोग से किया । इस अवसर पर प�स�तक का परिचय देते ह�ये डा. अशोक आर�य ने बताया कि आजादी के दीवानों पर इससे पूर�व भी बह�त सी प�स�तके लिखी गयी हैं किन�त� यह प�स�तक उन सब से क�च�छ अलग ही है । इस प�स�तक की विशेशता यह है कि इस मे हैदराबाद के शहीदों तथा सत�याग�रहियों का भी वर�णन किया गया है , इस प�स�तक मे आर�य समाज के शहीदों का भी वर�णन है, इस प�स�तक मे महिलाओं पर ह�� अपमान जनक अत�याचारो का भी वर�णन है तथा इस प�स�तक मे देश की आजादी के लिये फ़ांसी पर �ूलने वाले वीरों की सूची भी दी गयी है । इन विश�यों पर इससे पूर�व कभी किसी ने कलम नहीं उटायी थी ।
इस अवसर पर डा. आशोक आर�य की दूसरी प�स�तक " देश भक�त महिला�ं " का भी विमोचन श�रीमती कंचन हरचन�द ने श�रीमती नीलम राय के सहयोग से किया । इस प�स�तक के सम�बन�ध मे भी बताते ह�ये डा. आशोक आर�य ने कहा कि यह प�स�तक भी अपने आप में विलक�शणता समेटे ह�ये हॆ । इस प�स�तक में बताया गया है कि आजादी की लडायी मे महिलाओं का बलिदान व त�याग प�रूशों से कहीं अधिक है । प�रूशों को तो केवल जेल ही जाना पडा या अंग�रेज� के ड�ण�डे ही खाने पडे किन�त� महिलाओ को तो अपने सतीत�व की रक�शा भी उन विदेशी दरिन�दों से जेल मे रहते ह�ये करनी होती थी । अपने सतित�व की रक�शा करते ह�ये तो कयी बार उन�हें अपनी जान से भी हाथ धोना पडा किन�त� फ़िर भी वह बलिदानी पथ से पीछे नहीं हटीं । इस प�स�तक में भी हॆदराबाद मे ह�ये अत�याचारो का विस�तरित वर�णन किया गया है ।
इस अवसर पर सब यजमानों को आशीर�वाद देते ह�ये उन�हें सजिल�द सत�यार�थप�रकाश भेंट किया गया । डा. नरेन�द�र क�मार वधवा संरक�शक आर�य समाज ने आये ह�ये सब विद�वानों तथा श�रोताओं का धन�यवाद किया । मंच संचालक डा. अशोक आर�य ने सहयोग के लिये सब का धन�यवाद किया तथा कहा कि विगत चोदह वर�शों से इस समाज का यह वेद प�रचार उत�सव निरन�तर हो रहा है । विगत वर�श उत�सव के अतिरिक�त �क अन�य कार�यक�रम भी किया गया । आप सब के सहयोग से हम� ने यह कार�य क�रम किये । यदि इस पकार ही सहयोग बना रहा तो हम आगामी वर�शों मे प�रतिमाह �क बडा कार�यक�रम करने का यत�न करेंगे । अन�त में प�न: सबका धन�यवाद करते ह�ये शान�ति पाथ के साथ कार�यवाही का समापन�न किया गया ।

Report by :


ड. अशोक आर�य
१०४ - शिप�रा अपार�ट�मेन�ट, कौशाम�बी, २०१०१०
गाजियाबाद, उ. प�र. भारत
चलवार�ता : ०९७१८५२८०६८, ०९३५४८४५४२६
e mail : ashokarya1944@ewdiffmail.com



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