Purohit Avam Updeshak Prashikshan Shivir

18 Jan 2016
India
आर्य समाज ग्रेटर कैलाश पार्ट-1

आर्य समाज ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 दिल्ली द्वारा आयोजित पुरोहित एवम् उपदेशक शिविर के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली के यशस्वी प्रधान वयोवृद्ध आर्य नेता व प्रसिद्ध उद्योगपति एम.डी.एच. के सर्वेसर्वा महाशय धर्मपाल जी ने कहा कि आर्य समाजों के लिए सिद्धान्तनिष्ठ व प्रशिक्षित पुरोहितों व उपदेशकों की आवश्यकता है जिन्हें प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से परिपक्व बनाया जा सकता है।


आर्य समाज कैलाश-ग्रेटर कैलाश-1, नई दिल्ली द्वारा 16-18 जनवरी 2016 तक तीन दिवसीय आवासीय पुरोहित एवम्
उपदेशक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें देशभर के विभिन्न राज्यों से 35 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। इस
शिविर में भाग लेने के लिए दिल्ली के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, बिहार आदि से
अनेक भावना शील महिला-पुरुषों ने आवेदन किया था जिनमें से 35 प्रतिभागियों को चयनित कर बुलाया गया था।
15 जनवरी की सायंकाल ही प्रतिभागीगण शिविर स्थल पर पहुँच चुके थे। उनका शिविर संयोजक श्री राजीव चैधरी; उपप्रधान आर्य समाज ग्रेटर कैलाश-1 एवं उनके साथ श्री राजेन्द्र वर्मा, मंत्री श्री अमर सिंह पहल, श्री प्रताप गुल्यानी, कोषाध्यक्ष, श्री एस.सी. सक्सेना आदि ने उपस्थित रहकर स्वागत किया। उत्तराखण्ड सभा के छाया प्रधान-डा. विनय
विद्यालंकार ने प्रशिक्षुओं को शिविर की उपादेयता, प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए शिविर की विस्तृत रुपरेखा व नियमादि की जानकारी दी।
16 जनवरी की प्रातः 6 बजे से ध्यान कक्षा का संचालन डा. विनय विद्यालंकार ने किया। 8.30 बजे पंजीकरण व 9 बजे
विधिवत उद्घाटन सत्र प्रारम्भ हुआ जिसके मुख्य अतिथि आर्य समाज के संरक्षक प्रसिद्ध उद्योगपति हीरो ग्रुप के डायरेक्टर श्री योगेश मुंजाल जी रहे। सभी प्रशिक्षुओं का परिचय प्राप्त किया गया, शिविर की रुपरेखा रखते हए संयोजक राजीव चौधरी ने तकनीकी सत्रों का समस्त संचालन दायित्व डा. विनय विद्यालंकार जी को सौंपा। उद्घाटन के मुख्य अतिथि श्री योगेश मुंजाल जी ने कहा कि आर्य समाज के सिद्धान्त पूर्णतः वैज्ञानिक व सत्य है इनका प्रचार करने वाले पुरोहित व उपदेशक आदि व्यावहारिक व सैद्धान्तिक प्रशिक्षण लेगें तो सरल-सहज माध्यमों से वैदिक विचारों को जन-जन तक पहुँचाने में सफल होंगे।
उद्घाटन सत्र के बाद 10 बजे से तकनीकी सत्र प्रारम्भ हुए जिसमें वैदिक दर्शन एवं सिद्धान्त विषय पर प्रथम व्याख्यान
डा. विनय विद्यालंकार ने दिया जिसमें ईश्वर-जीव-प्रक्रति ; त्रैतवादद्ध की सत्ता पर वैज्ञानिक विधि से प्रकाश डाला।
अग्रिम सत्र में आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने कर्मकाण्ड विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें 16 संस्कारों की महत्ता बताते
हुए जन्म से पूर्व के तीन संस्कारों पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में मध्याहन भोजनोपरान्त पुनः डा. विद्यालंकार व आचार्य
वीरेन्द्र विक्रम जी के साथ आचार्य हरिप्रसाद जी के व्याख्यान हुए।

17 जनवरी का प्रारम्भ प्रातः कालीन योग व ध्यान की कक्षा से डा. विनय जी ने कराया। आज आर्य जगत् के सुप्रसिद्ध
वक्ता, विद्वान आचार्य डा. वागीश जी का सानिध्य एवं व्याख्यान प्रशिक्षुओं को प्राप्त हुआ। आचार्य जी ने वैदिक दर्शन
एवं सिद्धान्त, कर्मकाण्ड की व्यावहारिक व वैज्ञानिक उपादेयता तथा लोक व्यवहार विषय पर अपने व्याख्यान दिए।
शेष-आचार्य वीरेन्द्र विक्रम, डा. विनय जी व आचार्य हरिप्रसाद जी के भी व्याख्यान हुए। तृतीय दिवस 18 जनवरी 2016 को भी पूर्व कार्यक्रमानुसार चारों आचार्यों के आठ व्याख्यान हुए।
समापन सत्र में स्वामी प्रणवानन्द जी, स्वामी सम्पूर्णानन्द जी, महाशय धर्मपाल जी, श्री योगेश मुंजाल जी, एम.डी.एचसे
श्री राजेन्द्र जी व चारों आचार्यों का आशीर्वाद व समापन सन्देश प्राप्त हुआ। समापन अधिवेशन का संचालन समाज
के मन्त्री श्री राजेन्द्र वर्मा ने किया। इस प्रकार यह शिविर अत्यन्त सफलता के साथ पूर्ण हुआ।

Lala Lajpatrai Jyanti Samaroh

New Delhi World Book Fair 2016