The Arya Samaj | News of Madhya Bhartiya Arya Pratinidhi Sabha

Inauguration of Arya Samaj Camp at Ujjain Kumbh Singhast Mela -2016

22 Apr 2016
India
मधय भारतीय आरय परतिनिधि सभा

प्रति 12 वर्ष में सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक नगरी उज्जयिनी में एक भव्य एवं विशाल कार्यक्रम सिहस्थ महापर्व आयोजित होता है | विश्वभर में सम्भवत: कुम्भ व् सिहस्थ ही दो ऐसे विशाल आयोजन है, जिसमे करोड़ों लोगों की उपस्थिति होती है एवं धर्म के नाम पर करोड़ों श्रद्धालु और जिज्ञासु इसमें भाग लेते है |

अवसर बहुत अच्छा है करोड़ों व्यक्तियों का किसी धार्मिक भावना से एक जगह एकत्रित होना अपने आप में एक बड़ा उपलब्धि है किन्तु इसका आध्यामिक लाभ आने वाले किस रूप में और कितना उठाते है, इस पर विचार करना चाहिए | इसी विचार से महर्षि दयानन्द सरस्वती ने हरिद्वार कुम्भ मेले में पाखण्ड खंडिनी पताका फहराकर हजारों व्यक्तियों तक वैदिक विचारधारा को पहुँचाया था | इस अवसर पर आध्यात्मिक विचारों के लिए करोड़ों व्यक्तियों को यहाँ आकर यदि सत्य सनातन वैदिक ज्ञान का अमृत प्राप्त हो जावे तो उनका आना पूर्ण सार्थक हो सकता है |

वर्तमान समय में आज जन सामान्य सनातन धर्म के सत्य स्वरूप से दूर होता जा रहा है | धर्म कर्म और ईश्वर के नाम पर भटक कर या तो अशांत जीवन जी रहा है या फिर ढोंगियों के चंगुल में फंसकर धन आदि की हानि करता नजर आता है |

यही एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी प्राचीन वैदिक संस्कृति, संतान धर्म के सन्देश और हमारे विद्वान वैज्ञानिक ऋषियों की विचारधारा को करोड़ों व्यक्ति के मद्य प्रसारित कर सकते है | यह मानवीय विडम्बना है आज सत्य ज्ञान के आभाव में अंधविश्वास, पाखण्ड कुरीतियाँ और तरह तरह धर्म और भगवान उत्पन्न होते जा रहे है |

इसलिए इस अवसर पर सत्य ज्ञान एवं वैदिक विचारधारा को प्रवाहित करने हेतू वैदिक विद्वान् सन्यासी, भजनोपदेशक, संगीताचार्य, वेदपाठी विदुषी आचार्य एवं गुरुकुल की ब्रहमचारिणीयों को आमंत्रित किया गया है | इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर साहित्य एवं सामग्री हेतु भव्य स्टालए सुन्दर आकर्षक यज्ञशाला एवं ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी निर्मित की जा रही है यह कार्य रचनात्मक मानव कल्याण के लक्ष्य को लेकर किया जा रहा है | आशा करते है आप सभी लोगों के सहयोग से सकारात्मक परिणाम होगा | (आर्य समाज तत्वावधान मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा,)  

36th Annual Function

Yajna, Ved Pravachan and Sangeetmay Sh Ramnavmi Katha