Annual Festival and Vyakhyanmala
10 Mar 2019
India
आरय समाज करोल बाग
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ करोल बाग, नई दिलà¥à¤²à¥€ के वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ à¤à¤µà¤‚ अमर बलिदानी पंडित लेखराम जी के 122वें बलिदान दिवस के अवसर पर दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के सहयोग से लेखराम सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ का आयोजन 10 मारà¥à¤š, 2019 को आरà¥à¤¯ समाज करोलबाग के सà¤à¤¾à¤—ार में समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ जिसका विषय था – “à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अंखडता राषà¥à¤Ÿà¤¨à¥à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤¦ में ही निहित है।“ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का आरमà¥à¤ करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€ कीरà¥à¤¤à¤¿ शरà¥à¤®à¤¾ ने कहा कि 19वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ जन-जन में जागृत करने का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤¯ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को जाता है। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पाकर 1857 का सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® लड़ा गया। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के विचारों से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर लाला लाजपत राय, शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ वरà¥à¤®à¤¾, रामपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤², à¤à¤—त सिंह, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¹à¤¨à¤¨à¥à¤¦, à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦, वीर सावरकर और अनेक सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सैनानियों ने आजादी के लिठबलिदान दिया।
मà¥à¤–à¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, लेखक, कशà¥à¤®à¥€à¤° विषयों के विशेषजà¥à¤ž शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤¶à¥€à¤² पंडित ने पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ अवधारणा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° नहीं रहा, यह केवल पिछली शताबà¥à¤¦à¥€ में ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤° इकाई के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤†, का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बहà¥à¤¤ तारà¥à¤•à¤¿à¤• विचारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खंडित किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के रूप में कम से कम 5000 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से तो सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है ही। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ यानि निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° सरà¥à¤®à¤ªà¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अखणà¥à¤¡à¤¤à¤¾ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखा जा सकता है।
आचारà¥à¤¯ वेद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को शरीर के रूप से समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा कि जब तक शरीर के सब अवयव संयà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ संयोजित ढंग से सोचते व कारà¥à¤¯ नहीं करते तब तक शरीर पà¥à¤·à¥à¤Ÿ व सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ नहीं रह सकता। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के सà¤à¥€ अंगो को à¤à¥€ संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ के लिठसामूहिक समरà¥à¤ªà¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अखंडता को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखा जा सकता है। निरà¥à¤à¤¯à¤¤à¤¾ जीवन और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का मूल ततà¥à¤µ है। इसलिठसंसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे अपनी संतति में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित करना चाहिà¤à¥¤
आचारà¥à¤¯ गवेनà¥à¤¦à¥à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने पंडित लेखराम जी के जीवन पर बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ दिया तथा उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जनसमूह ने बलिदानी लेखराम जी को à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि à¤à¥‡à¤‚ट की।
अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥€à¤¯ वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ देते हà¥à¤ मेजर डॉ.रविकांत जी ने सà¤à¥€ आयोजकों और उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बहनों à¤à¤µà¤‚ बनà¥à¤§à¥à¤“ं को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया तथा आहवाहन किया कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अखंडता के लिठतà¥à¤¯à¤¾à¤— और बलिदान देने को ततà¥à¤ªà¤° रहे।