108 Kundiya Maha Yajya

14 Feb 2023
India
परानतीय आरय वीर दल बंगाल

प्रान्तीय आर्य वीर दल बंगाल द्वारा त्रिवेणी कुम्भ संचालक समिति एवं आर्य समाज बांसबेड़िया के संयुक्त तत्वावधान में सैकड़ों वर्षों से लुप्त,सुप्त पड़े गौरवमयी तीर्थ त्रिवेणी संगम हुगली के कुम्भ मेले में 108 कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन किया गया। वेद एवं व्याकरण के विद्वान स्वामी उद्बीथानन्द जी के ब्रह्मत्व वैदिक गुरुकुलम् बिड़ा एवं कन्या निर्माण गुरुकुल लालुआ गेडिया के वेदपाठी बालक एवं बालिकाओ ने पवित्र वेद की ऋचाओं से यज्ञ सम्पन्न कराया। इस अवसर पर देश के कौने कौने से पधारे लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, स्नानार्थ पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने पावन धर्म ग्रन्थ वेद के पवित्र मन्त्रों से इस महायज्ञ में आहुति प्रदान कर पुण्यार्जन किया, साथ ही पुलवामा में हुए आतंकी हमले की चतुर्थ वर्षी पर उपस्थित भारी जनसमुदाय ने बलिदानियों को श्रद्धाञ्जलि समर्पित कर कृतज्ञता अर्पित की। इस पावन अवसर पर प्रान्तीय आर्य वीर दल संगम के संचालक आचार्य योगेश शास्त्री ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए उन्होंने बताया हमारी सनातन संस्कृति जो कभी विश्व गुरु के रूप में सारे जगत का मार्गदर्शन करती थी, हमारे आलस्य और प्रमाद के कारण उसमें कुछ न्यूनताएं आईं, जिसका दुष्परिणाम हमारे सामने है, पवित्र त्रिवेणी की तरह हमारे हजारों तीर्थ स्थान लुप्त और सुप्त पड़े हुए अपने वंशज पुत्रों को निहार रहे हैं कि कोई तो आए जो हमारा पुनरुद्धार करें, यज्ञ की सुगन्धि से सुगन्धित कर, चेतना पूर्ण बनाएं। आचार्य श्री ने कहा महर्षि दयानन्द सरस्वती वर्तमान युग के महान निर्माता हैं जिन्होंने हमें इस यज्ञ के प्रकाश से परिपूर्ण कर बताया कि यही स्वर्ग का सच्चा मार्ग है । जो हमारे जीवन में आए दुर्गुण ,दुर्व्यसन रूपी नरक को भस्म कर के जीवन को सत्पथ पर लाकर हमें  स्वर्ग देता है तथा हमें अपने पूर्वजों की आत्मा के अनुकूल कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने बताया महर्षि दयानन्द ही इस युग के उद्धारक हैं जिन्होंने मातृशक्ति को शिक्षा का अधिकार , धार्मिक कृत्यों को करने का अधिकार, धर्म शास्त्रों को पढ़ने का अधिकार और स्वर्ग की ओर ले जाने वाले इस यज्ञ  एवं वेदपाठ का अधिकार दिलाया, "आओ लौट चलें वेदों की ओर" का पावन का नारा दिया। दयानन्द ना आते तो विश्व की आधी आबादी नारी शक्ति अशिक्षित ही रह जाती तथा पाखण्ड और आडम्बरों में भटकती रहती । इस अवसर पर पं बिभाष सिद्धान्त शास्त्री, श्रीमती वेद प्रभा शास्त्री पूर्वमेदिनीपुर, श्री बंशरोपन आर्य ने भी विचार प्रस्तुत किये, क्षेत्रीय आर्य समाजों से श्री विनोद कुमार आर्य खडदह, श्री राजाप्रसाद आर्य कांचरापाडा, श्री श्रीकान्त शर्मा रिषडा, श्री राम जी आर्य चांपदानी, श्री कपिल देव आर्य, श्री विजय आर्य गारुलिया, श्री राजेन्द्रलाल प्रसाद कोन्नगर, श्री दिवाकर गुप्त, श्री आशीष आर्य तेलनीपाड़ा, श्री साधन मुखर्जी हावड़ा, श्रीअसीम दास, श्री शुभम श्रीवास्तव, श्री अमित कुमार साव, श्री सचिन आर्य, श्री अशोक आर्य बांसबेडिया आदि सभी कार्यकर्ताओं के विशेष सहयोग से कार्यक्रम पूर्ण रूप से सफल हुआ।

 

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