The Arya Samaj | News of Arya Pratinidhi Sabha Fiji

Ved Prachar in Fiji

04 Jul 2023
Rotuma, Fiji
आर्य प्रतिनिधि सभा फिजी

जब एक पुस्तक ने फिजी देश के हिन्दू का भविष्य ही बदल दिया....

साल 1874 ब्रिटेन ने फिजी द्वीप को अपने नियंत्रण में लेकर इसे अपना एक उपनिवेश बना लिया था..इसके बाद वो हजारों भारतीय मजदूरों को यहां पांच साल केअनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) पर गन्ने के खेतों में काम करने के लिए ले आए थे और उनके सामने ये शर्त रख दी थी कि पांच साल पूरा होने के बाद अगर वो जाना चाहें तो जा सकते हैं, लेकिन अपने खर्चों पर और अगर वो पांच साल और काम करते हैं तो उसके बाद उन्हें ब्रिटिश जहाज भारत पहुंचाएंगे. ऐसे में ज्यादातर मजदूरों ने काम करना ही उचित समझा था, लेकिन बाद में वो भारत लौट नहीं पाए और फिजी के ही होकर रह गए. ये सभी मजदूर हिन्दू थे. ज़ब इंसान अपने देश और धर्म से दूर हो जाता है तब वह अपनी संस्कृति और धर्म को भूलने लगता है. फिजी में भी कुछ ऐसा ही हुआ. अधिकतर हिन्दू अपना धर्म भूलने लगे. कोई हिन्दू संस्था उनकी सुध लेने वाली नहीं थी. ज़ब यह बात आर्य समाज को पता चली तो साल 1904 में आर्य समाज के लोग फिजी पहुंचे. मन में हौसला था तो हाथ में सत्यार्थ प्रकाश... लोगों से मिले और आर्य समाज की स्थापना की. आर्य समाज की स्थापना ने वहां युवा, शिक्षित और प्रगतिशील हिंदुओं को अपनी तरफ आकर्षित किया. बीसवीं सदी के पहले तीन दशकों के दौरान, आर्य समाज फिजी में भारतीय समुदाय की एकमात्र आवाज बन गया और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि जब फिजी के भारतीयों ने राजनीतिक अधिकार प्राप्त किया तब विधान परिषद में पहुँचने वाले सभी भारतीय सदस्य आर्य समाजी थे. फिजी में भारतीयों पर आर्य समाज का प्रभाव ऐसा बढ़ा कि सन 1959 तक आर्य समाज राजनीति में प्रमुख शक्ति बन गया. फिजी में आज भी आर्य समाज ही भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बोलता है तथा इसकी गतिविधियाँ दिखाई देती हैं. फिजी का आर्यसमाज अनेक धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थायें चलाता है. हाल ही में दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य जी वैदिक प्रचार के लिए फिजी पहुंचे, उन्होंने वहाँ आर्य समाज द्वारा संचालित स्कूल, यूनिवर्सिटी और गुरुकुल देखे जिनमे ना केवल भारतीय समुदाय के बच्चे पढ़ते है बल्कि फिजियन बच्चे भी शिक्षा ले रहे है. एक बहुत बड़ा समुदाय हिंदी भाषा बोलता है. इस कारण अगर आज फिजी को कोई मिनी हिंदुस्तान कहता है तो मन गर्व से भर उठता है कि मात्र एक सत्यार्थ प्रकाश ने ना केवल फिजी के हिन्दुओं का धर्म बचाया, भाषा बचाई, बल्कि भारतीय भाषा संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को भी फिजी में स्थापित किया...साथ ही फिजी में नमस्ते जैसा अभिवादन दिया. सोचिये अगर समय रहते आर्य समाज ना पहुंचा होता तो आज फिजी के हिन्दुओं की भाषा उनका धर्म और संस्कृति क्या होती!!

 

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