The Arya Samaj | Obituary : Acharya Gyaneshwar, Bikaner

Acharya Gyaneshwar

(Bikaner, Rajasthan, India)

14 November 2017

Vanprasth Sadhak Ashram

वानप्रस्थ साधक आश्रम, आर्यवन, रोजड़, गुजरात के अधिष्ठाता, ओजस्वी एवं कान्तिकारी वैदिक प्रवक्ता, आचार्य ज्ञानेश्वर जी का 14 नवम्बर रात्रि करीब 1 बजे ह्रदयघात से देहावसान हो गया है! उनके पार्थिव शरीर को आश्रम के विशाल भवन में दर्शनार्थ रखा गया व दिनांक 15 नवम्बर 2017 को प्रातः 10 बजे अन्त्येष्टि संस्कार सम्पन्न कराया गया, जिसमें सार्वदेशिक सभा के प्रधान श्री सुरेशचन्द्र आर्य एवं दिल्ली सभा के उप प्रधान श्री शिव कुमार मदान सहित देश-विदेश से सैंकड़ों आर्य जनों ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि सभा दिनांक 16 नवम्बर को सम्पन्न हुई। बीकानेर के एक प्रतिष्ठित स्वर्णकार परिवार में जन्में आचार्य जी एम. ए. प्रथम वर्ष का अध्ययन करते हुए युवा अवस्था में ही आर्य समाज के संपर्क में आये।

लगभग 25 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग के कुछ दिनों बाद ही आर्य जगत की विभूति योगनिष्ठ स्वामी सत्यपति जी से संपर्क हुआ। उनके निर्देश अनुसार आर्ष गुरुकुल कालवा में आचार्य बलदेव जी नैष्ठिक के पास लगभग साढ़े छः वर्ष व्याकरण महाभाष्य का अध्ययन किया। तत्पश्चात गुरुकुल काँगड़ी के उपकुलपति प्रो. रामप्रसाद जी वेदालंकार से निरुक्त अध्ययन तथा स्वामी दिव्यानन्द जी से काव्यालंकार व छंदशास्त्र का भी अध्ययन किया। उच्च स्तर के योगाभ्यास व दर्शनों के अध्ययन हेतु 1986 में आर्यवन, रोजड, गुजरात में आयोजित दर्शन योग प्रशिक्षण शिविर में सम्मिलित हुए। आचार्य ज्ञानेश्वर जी ने देश-विदेश में सैकडों क्रियात्मक ध्यान योग प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से हजारों साधकों का अध्यात्म मार्ग प्रशस्त किया। योग एवं अध्यात्म संबंधित साहित्य, ग्रंथ, पुस्तक- पुस्तिकाए, चार्ट, कैलेंडर, फोल्डर, पत्रक आदि स्वरूप में लाखों की संख्या में प्रकाशित कराके देश-विदेश के हजारों घरों मे निःशुल्क वितरण कराया। एक विशेष योजना अग्निहोत्र प्रशिक्षण केंद्र जिसमें यज्ञ में प्रयुक्त जड़ी-बूटियों एवं पात्रों आदि की प्रदर्शनी, विडियो थिएटर तथा यज्ञ शाला आदि का निर्माण कराया जिसमें प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक अखण्ड अग्निहोत्र विगत 2 वर्षों से चल रहा हैं | आचार्य जी नें भारत के अनेक प्रान्तों में वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ- साथ कृक्त बार विदेश यात्राएं भी की। आपने दर्शन योग महाविद्यालय तथा वानप्रस्थ साधक आश्रम जैसी परियोजनाओं के साथ विश्व कल्याण धर्मार्थ न्यास, वैदिक आध्यात्मिक न्यास तथा विचार टी.वी. आदि संस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया। कच्छ के भूकंप, सूरत की बाढ़ का प्रकोप आदि प्राकृतिक आपदाओं में पीड़ितों की सहायता का कार्य भी विशाल स्तर पर किया। आज आचार्य जी हमारे मध्य में नहीं रहे, परन्तु आप उनके तपस्वी, कर्मठ, परोपकारमय जीवन व कार्यों की सुगन्ध प्रेरणा पुंज बनकर हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।

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