भगवान आर्यों को पहली लगन लगा दे |
वैदिक धर्म की खातिर मिटना इन्हें सिखा दे || 
 
फिर राम कृष्ण निकलें घर-घर गली-गली से | 
अर्जुन व कर्ण जैसे योद्धा रणस्थली से ||
 
भीष्म से ब्रह्मचारी और भीम महाबली से | 
गौतम कणाद जैमिनी ऋषिवर पतंजलि से || 
 
फिर से कोई दयानंद जैसा ऋषि दिखा दे |
भगवान आर्यों को पहली लगन लगा दे ||
 
ऐसे हों लाल पैदा खेलें जो गोलियों से | 
भूमि को तृप्त करदें श्रद्धा की झोलियों से || 
 
गूंजे यह देश मेरा शेरो की बोलियों से | 
बिस्मिल गुरु भगत सिंह वीरों की टोलियों से || 
 
इन को वतन की खातिर फांसी पे भी हँसा दे | 
भगवान आर्यों को पहली लगन लगा दे || 
 
कोई लेखराम जैसा गुरुदत्त सा आज होवे | 
कोई श्रद्धानन्द होवे कोई हंसराज होवे ||
 
बढती बीमारियों का फिर से इलाज होवे |
नेतृत्व जिनका पाकर उन्नत समाज होवे || 
 
बेधड़क लाजपत सा फिर से पथिक बना दे | 
भगवान आर्यों को पहली लगन लगा दे || 
 
वैदिक धर्म की खातिर मिटना इन्हें सिखा दे |
भगवान आर्यों को पहली लगन लगा दे ||

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