Gurugram Hindu Adhyatmik and Sewa Mela

Gurugram Hindu Adhyatmik and Sewa Mela organised by Delhi Arya Pratinidhi Sabha

05 Feb 2017
India
Delhi Arya Pratinidhi Sabha

अतीत का एक हल्का सा झरोखा, एक क्षण को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हम अपने देश के किसी गाँव में हों। अपनी सांस्कृतिक पोशाकें पहन कर घूमते बच्चे, किसी महिला के हाथ में हाथ की आटा चक्की तो कोई पुरुष हाथ की चारा काटने की मशीन पर खड़ा दिखाई दे रहा था, यह नजारा हिन्दू आध्यात्मिक सेवा मेला गुरुग्राम हरियाणा में देखने को मिला। जिसमे उत्तर  à¤­à¤¾à¤°à¤¤ के करीब 400 हिन्दू संगठनों ने भाग लिया। आर्य समाज ने इस मेले में अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज की। दो फरवरी से पांच फरवरी तक चलने वाले इस मेले में देश की सांस्कृतिक और आध्यत्मिक छठा देखते ही बन रही थी। दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वाधान में आर्य समाज के वैदिक साहित्य का स्टाल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। अखण्ड भारत की कल्पना के साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और सेवा कार्यों की झलक दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए हरियाणा में पहली बार इस मेले का आयोजन किया गया। हरियाणा के गुरुग्राम स्थित सेक्टर -29 लेजर वैली मैदान में पहली बार आयोजित हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का उद्घाटन आचार्य देवव्रत जी महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश ने किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘‘भारतीय हिन्दू अध्यात्मवाद वैदिक संस्कृति पर आधारित  à¤¹à¥ˆà¥¤ वेदों में अध्यात्म व भोगवाद पर गंभीर चिंतन किया गया है। यजुर्वेद के 40 वें अध्याय का पहला श्लोक हमें यह बताता है कि संसार के कण-कण में ईश्वर विद्यमान है।

वैदिक संस्कृति पर आधारित हमारी भारतीय संस्कृति भोगवाद का विरोध नहीं करती लेकिन मनुष्य को सीख देती है कि उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का त्यागपूर्वक भोग करो। इसलिए हमें संसार में उपलब्ध सभी प्राकृतिक संसाधनों का भोग यह समझ कर करना चाहिए की यह दुनिया किसी और की नहीं यानी ईश्वर की है। इसका नाजायज दोहन नहीं किया जाना चाहिए। अगर इस चिंतन को दुनिया आत्मसात कर ले तो आतंकवाद जैसी समस्या के लिए दुनियां में कोई जगह नहीं रहेगी।’’ मेले के उद्घाटन के पश्चात् महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने आर्य समाज दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा और विचार टीवी के संयुक्त स्टाल संख्या 197-198 का फीता काटकर उद्घाटन किया। दिल्ली सभा की ओर से उन्हें ‘ओझ्म्’ शब्द का प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे जेबीएम ग्रुप के चेयरमैन श्री एस. के. आर्य ने स्टाल पर दीप प्रज्ज्वलित किया।

आचार्य जी ने अपने सम्बोधन में आगे इस बात पर भी गहरी चिंता व्यक्त की कि ‘‘आज का चिंतन पश्चिम से प्रभावित है जो ईट डिन्न्ंक एंड बी मैरी के क्षणिक सिद्धांत पर आधारित है। इसका स्रोत यूरोप रहा है जहाँ केवल वर्तमान जन्म की चिंता की जाती है अगले जन्म की परिकल्पना बिल्कुल नहीं की जाती। इस कारण दुनिया आज समस्याओं से घिरी है क्योंकि यूरोपीय सोच में सहअस्तित्व के लिए कोई जगह नहीं है।

उन्होंने याद दिलाया कि हमारे वेदों में स्वयं भगवान ने कहा है कि यह दुनिया, पहाड़, नदी, नाले, जीव-जन्तु मैंने दिए हैं। इसे अपना समझ कर भोग मत करो। उन्होंने कहा कि भगवान ने प्रकृति में हर चीज किसी उद्देश्य से दी है।’’ राज्यपाल ने अध्यात्म के दो शब्द अस्तेय व अपरिग्रह की व्याख्या कर यूरोप व भारतीयचिंतन को परिभाषित किया। भारतीय चिंतन कहता है कि यह विश्व आपका नहीं है क्योंकि जब आपका जन्म हुआ तब आप दुनिया लेकर नहीं आये थे और जब मृत्यु होगी तब भी आप दुनिया को साथ लेकर नहीं जायेंगे। उनके शब्दों में इसका मतलब साफ है कि यह सृष्टि परमात्मा की बनाई हुई ही नहीं बल्कि हर वस्तु में परमत्मा व्याप्त है। इसीलिए वेदों में भगवान ने कहा है कि यदि तू मुझे प्राप्त करना चाहता है तो मेरे बनाये सभी प्राणियों से तू प्रेम कर और सबका ख्याल रख। यहां तक कि तू सबमें मुझे ही देख, मेरा ही दर्शन कर। आचार्य देवव्रत ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय चिंतन को यदि विश्व में सभी मानने लग जाएं तो दुनिया में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं रहेगी क्योंकि भारतीय चिंतन वाला व्यक्ति प्राणी मात्र में अपनी आत्मा व परमात्मा को देखता है। इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में जेबीएम ग्रुप के चेयरमैन एस के आर्य ने कहा कि इस मेले का आयोजन 6 बिंदुओं-वन एवं वन्य प्राणियों, पर्यावरण, मानवीय मूल्यों, नारी सम्मान, देशप्रेम तथा सांस्कृतिक सुरक्षा को लेकर किया जा रहा है। इन 6 बिंदुओं के माध्यम से हमारी समझ संस्कृति को लोगों विशेषकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है। इस मेले में सैनिक सम्मान के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित गये, जिसमें देश की सेवा करते हुए परमवीर चक्र पाने वाले जवानों को सम्मानित किया गया। परमवीर वंदन नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में रिटायर जनरल जी. डी. बक्सी समेत सैकड़ों पूर्व सैनिकों ने हिस्सा लिया। इस मेले में 51 हजार विद्यार्थियों ने एक साथ वंदे मातरम गीत गाकर आकाश को गुंजायमान किया।

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