आचार्य सत्यानंद जी वेद वागीश

(Jaipur, Rajasthan, India)

23 December 2019

पण्डित जी का जन्म १० अक्टूबर १९३३ को राजस्थान में अजमेर जिले की लीडी नामक ग्राम में श्री ओंकार सिंह आर्य एवं श्रीमती सुगनी बाई के कृषक परिवार में हुआ | 
आरम्भिक शिक्षा लीडी में होने के पश्चात् सन् १९४३ में स्वामी व्रतानंद जी के गुरुकुल चित्तौड़गढ़ में प्रवेश लिया | यहाँ आपने निरन्तर १४ वर्ष तक पाणिनीय व्याकरण (महाभाष्य पर्यन्त), निरुक्त, छन्द, दर्शन एवं वेदादि शास्त्रों का आर्ष विद्या का अध्ययन किया और वेदवागीश की उपाधि प्राप्त की | आपके प्रमुख गुरुजन पं.शोभित मिश्र, पं.शंकरदेव जी, पं.भीमसेन जी आदि थे | गुरुकुलीय शिक्षा के पश्चात् आपने एम.ए. आदि की राजकीय परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं | 
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आपने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन कार्य किया | साथ ही जिज्ञासु छात्रों को अष्टाध्यायी - महाभाष्य की पद्धति से पढ़ाने की प्रक्रिया सतत बनी रही | कुछ काल तक परोपकारिणी सभा में ऋषि दयानन्द के ग्रंथों के संशोधन का दायित्व भी सम्भाला | 
आप संस्कृत व्याकरण के प्रौढ़ विद्वान एवं उत्तम वक्ता हैं | बहुत काल तक आप स्वतंत्र रूप से धर्मोपदेश तथा संस्कारादि कृत्य करते करवाते रहे | आचार्य निरञ्जन देव - (शङ्कराचार्य) आदि से आपके अनेक शस्त्रार्थ हुए | आपने पीराणा सम्प्रदाय के आचार्यों के साथ भी शास्त्रार्थ कर चुके हैं | 
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आपने नामनिधि, अंत्येष्टि संस्कार, पाणिनीय शब्दानुशासनम्, दयानन्द वेदभाष्य - भावार्थ प्रकाश (दो खण्ड), बुद्धि निधि, दयानन्द दृष्टान्त निधि, सुक्तिनिधि, भक्ति-सत्संग-कीर्तन, वेदसाहाय्यनिधि आदि ग्रन्थ लिखे हैं | आपने अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रंथों का सम्पादन भी किया है | 

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