Tankara

टंकारा का शिव मन्दिर
: India, Gujarat, Tankara

टंकारा का शिव मन्दिर

का शिव मन्दिर-यह वहीं मन्दिर है, जहां पर बालक मूलशंकर ने मात्र 14 वर्ष की आयु में शिव उपासना, शिवदर्शन, शिवप्राप्त हेतु, पिता के आदेशानुसार शिवरात्रि का उपवास रखा था। ऋषि दयानन्द (मूलशंकर) ने अपने पिता जी से शिव की महिमा सुनकर शिवाराधना-उपवास का निश्चिय किया। टंकारा उस रात्रि को उस मन्दिर में ऋषि दयानन्द के पिता और अन्य अनेक महन्त, पण्डित और पुजारी भी वहां पर उपस्थित थे।

ऋषि दयानन्द ने व्रत भंग न हो जाय, इसलिए जागते रहे और जब-जब आलस या निन्द्रा आने का अवसर होता तो ठण्डे जल से आँखों पर पानी के छिटे मारकर जागते रहे। लगभग आर्ध रात्रि से पूर्व ही सभी पण्डित, महन्त, पुजारी और ऋषि दयानन्द के पिता आदि सो गये और गहन निद्रा में खर्राटें भरने लगे, लेकिन कोमल हृदय बालक मूल शंकर जागते रहे।

कुछ समय पश्चात् आर्धरात्रि में कुछ चूहे, वहाँ आ जाते है और शिव पिण्ड़ी पर क्रीडा करने लगे और वहां पर रखा प्रसाद आदि भी खा गये तथा मल-मूत्र आदि भी वही शिव पिण्ड़ी पर विसर्जित करने लगे। यह देखकर ऋषि दयानन्द को महान आश्चर्य हुआ और उन्होंने विचार किया यह पत्थर-पाषाण की मूर्ति सच्चा शिव नहीं हो सकती, जो शिव अपनी रक्षा नहीं कर सकता वह भक्तों की क्या रक्षा करेगा।

उन्होंने रात्रि में ही पिता को जगाकर प्रश्न किये, लेकिन पिता उचित जबाब नहीं दे सके। उसके बाद बालक मूलशंकर घर आकर व्रत भंग कर लेते है। यह शिव रात्रि और शिव मन्दिर था, जहां पर बालक मूलशंकर को आगे ऋषि बनने का ज्ञान प्राप्त हो गया था।

ऋषि दयानन्द के लिए तो यह शिव रात्रि सचमुच में कल्याण की रात्रि बन गयी और उन्होंने सच्चा तत्त्व प्राप्त कर लिया। फिर जीवन में दूबारा पत्थर-पाषाण पूजा के चक्कर में नहीं पड़े।

काश! इस घटना से शिक्षा प्राप्त करके हम भी अपने जीवन का कल्याण कर सके।