
Tankara
टंकारा का शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
का शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°-यह वहीं मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है, जहां पर बालक मूलशंकर ने मातà¥à¤° 14 वरà¥à¤· की आयॠमें शिव उपासना, शिवदरà¥à¤¶à¤¨, शिवपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हेतà¥, पिता के आदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° शिवरातà¥à¤°à¤¿ का उपवास रखा था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ (मूलशंकर) ने अपने पिता जी से शिव की महिमा सà¥à¤¨à¤•र शिवाराधना-उपवास का निशà¥à¤šà¤¿à¤¯ किया। टंकारा उस रातà¥à¤°à¤¿ को उस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पिता और अनà¥à¤¯ अनेक महनà¥à¤¤, पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ और पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ वहां पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤‚ग न हो जाय, इसलिठजागते रहे और जब-जब आलस या निनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ आने का अवसर होता तो ठणà¥à¤¡à¥‡ जल से आà¤à¤–ों पर पानी के छिटे मारकर जागते रहे। लगà¤à¤— आरà¥à¤§ रातà¥à¤°à¤¿ से पूरà¥à¤µ ही सà¤à¥€ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤, महनà¥à¤¤, पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ और ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पिता आदि सो गये और गहन निदà¥à¤°à¤¾ में खरà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‡à¤‚ à¤à¤°à¤¨à¥‡ लगे, लेकिन कोमल हृदय बालक मूल शंकर जागते रहे।
कà¥à¤› समय पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ आरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में कà¥à¤› चूहे, वहाठआ जाते है और शिव पिणà¥à¥œà¥€ पर कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¾ करने लगे और वहां पर रखा पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ आदि à¤à¥€ खा गये तथा मल-मूतà¥à¤° आदि à¤à¥€ वही शिव पिणà¥à¥œà¥€ पर विसरà¥à¤œà¤¿à¤¤ करने लगे। यह देखकर ऋषि दयाननà¥à¤¦ को महान आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विचार किया यह पतà¥à¤¥à¤°-पाषाण की मूरà¥à¤¤à¤¿ सचà¥à¤šà¤¾ शिव नहीं हो सकती, जो शिव अपनी रकà¥à¤·à¤¾ नहीं कर सकता वह à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की कà¥à¤¯à¤¾ रकà¥à¤·à¤¾ करेगा।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रातà¥à¤°à¤¿ में ही पिता को जगाकर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किये, लेकिन पिता उचित जबाब नहीं दे सके। उसके बाद बालक मूलशंकर घर आकर वà¥à¤°à¤¤ à¤à¤‚ग कर लेते है। यह शिव रातà¥à¤°à¤¿ और शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° था, जहां पर बालक मूलशंकर को आगे ऋषि बनने का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गया था।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के लिठतो यह शिव रातà¥à¤°à¤¿ सचमà¥à¤š में कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की रातà¥à¤°à¤¿ बन गयी और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सचà¥à¤šà¤¾ ततà¥à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया। फिर जीवन में दूबारा पतà¥à¤¥à¤°-पाषाण पूजा के चकà¥à¤•र में नहीं पड़े।
काश! इस घटना से शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके हम à¤à¥€ अपने जीवन का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कर सके।