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Released of Sadhak ki Sadhana Souvenir

11 Aug 2017
Rajasthan, India
ज़िला आरय परतिनिधि सभा कोटा

कोटा। कोटा एवं आसपास के क्षेत्र में समाज के विकास में श्रीकृष्ण साधक का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है। उनके किये गये कार्यों का ही परिणाम है कि आज आर्य समाज कोटा अपने कार्यों से प्रगति के पथ पर सतत आगे बढ़ रहा है। उक्त विचार एमडीएच के चैयरमेन महाशय धर्मपालजी ने कोटा के सुप्रसिद्ध आर्य व्यक्तित्व विचार श्रीकृष्ण साधक के जीवन पर प्रकाशित स्मारिका के विमोचन के अवसर पर अपने संदेश में व्यक्त किये।

 

जिला आर्य प्रतिनिधि सभा कोटा द्वारा प्रकाशित स्मारिका साधक की साधना के नई दिल्ली में विमोचन के इस अवसर पर महाशय जी ने कहा कि श्रीकृष्ण साधक का व्यक्तित्व अत्यन्त मिलनसार रहा है। सच्चे अर्थों में वे आर्यपुत्र हैं।

 

इस अवसर पर विनय आर्य महामंत्री दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा ने कहा कि श्रीकृष्ण साधक जी का जीवन अन्यों के लिए प्रेरणादायी रहा है। आपकी प्रेरणा से अनेकों युवक आर्यसमाज से जुड़े। सिद्धान्तभूषण एवं सिद्धान्त शास्त्री जैसी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने हेतु प्रेरित कर आपने उन्हें निष्ठावान आर्य बनाया।

 

श्रीकृष्ण साधक के जीवन पर इस स्मारिका के प्रकाशक जिला आर्य प्रतिनिधि सभा कोटा के प्रधान अर्जुनदेव चड्ढा ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीकृष्ण जी एक कुशल संगठनकर्ता थे। हाड़ौती अंचल की विभिन्न आर्य समाजों को एकसाथ मिलकर काम करने के लिए आपने हाड़ौती क्षेत्रीय आर्य विभिन्न आर्य समाजों को एकसाथ मिलकर काम करने के लिए आपने हाड़ौती क्षेत्रीय आर्य उपप्रतिनिधि सभा कोटा का गठन किया। उनके बताये पथ पर जिला आर्य प्रतिनिधि कोटा आज की सभी आर्य समाजों के साथ मिलकर आर्य समाज एवं वेद प्रचार का कार्य कर रही है।

 

कार्यक्रम में ओमप्रकाश आर्य उपप्रधान दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा ने कहा कि श्रीकृष्ण साधक का शिक्षक होना हमेशा उन्हें शिक्षा के प्रति अपने कत्र्तव्यों का बोध कराता रहता था। कोटा में डीएवी की स्थापना में आपका योगदान अविस्मरणीय है। श्रीराम विद्यालय डीसीएम कोटा तथा क्षेत्र के अनेकों राजकीय विद्यालयों के विकास में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

 

स्मारिका के विमोचन के लिए जिला आर्य प्रतिनिधि सभा कोटा के प्रधान अर्जुनदेव चड्ढा के नेतृत्व में एक शिष्टाचार मण्डल जिसमें आचार्य अग्निमित्र शास्त्री, स्मारिका के सम्पादक ओमप्रकाश आर्य, अरविन्द पाण्डेय  à¤ªà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ आर्यसमाज गायत्री विहार तथा श्रीकृष्ण साधक के सुयोग्य पुत्र डॉ. वेदप्रकाश गुप्ता, सूरजचंद गुप्ता ने महाशय धर्मपाल से उनके कीर्तिनगर स्थित कार्यालय में भेंट की एवं उन्हें विमोचन प्रतियां प्रदान की। विमोचन के अवसर पर श्रीकृष्ण साधक मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा महाशय जी को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। श्रीकृष्ण साधक मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा महाशयजी को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। सम्मान के इस अवसर पर जिला सभा कोटा द्वारा महाशय धर्मपाल जी का केसरिया पगड़ी, मोतियों की माला एवं ओम का पटका ओढाकर अभिनंदन किया गया।

 

विमोचन के इस अवसर पर सतीश चड्ढा महामंत्री केन्द्रीय आर्यसमाज दिल्ली ने कहा कि श्री साधक जी का जीवन सादगीपूर्ण रहा है। निरभिमानिता आपके व्यक्तित्व का एक गुण रहा है। जो उनसे मिलता वो होके रह जाता। कुशल संगठनकर्ता होने का परिचय उन्होंने अनेक अवसरों पर दिया। निश्चित ही इस स्मारिका से नवयुवकों को आर्य समाज से जुड़ने एवं आगे बढने की प्रेरणा मिलेगी।

 

आर्य समाज के समर्पित व्यक्तित्व श्रीकृष्ण साधक की इस स्मारिका के सम्पादक ओमप्रकाश आर्य ने स्मारिका के बारे में जानकारी संदेश में कहा कि आर्य समाज के विद्वानों एवं समर्पित व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी आर्य पुरूषों पर आधारित इस प्रकार स्मारिकाओं का प्रकाशन भावी पीढ़ी के लिए पथ प्रदर्शक बन मील का पत्थर साबित होगी।

 

ऐसी स्मारिकाओं में आर्य समाज के समर्पित व्यक्तियों का अनुभव, कार्यशैली, समस्या समाधान के कौशल, संगठन, मार्ग में आई कठिनाईयों एवं वैदिक साहित्य तथा वेद प्रचार प्रसार की पद्धति का समावेश होता है। श्रीकृष्ण साधक जी ने उन परिस्थितियों में भी आर्य समाज का कार्य किया। आज जितने साधक नहीं थे, लेकिन मन में ऋषि मिशन को आगे बढाने की दृढ़ इच्छा शक्ति थी।

 

इस अवसर पर पतंजलि योग समिति के राज्य प्रभारी अरविन्द पाण्डेय ने श्री साधक जी के साथ अपने अनुभवों को अभिव्यक्त करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि क्षेत्रीय स्तर के आर्य विद्वानों, प्रचारकों, कार्यकर्ताओं एवं समर्पितजनों के जीवन पर प्रकाशित स्मारिकाओं एवं जीवन चरित्र से स्थानीय नवयुवकों एवं आर्यजनों को कार्य करने की एक अलग ही प्रेरणा मिलती है। स्थानीय आर्यसमाज के इतिहास से जुड़कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।

 

स्मारिका विमोचन के इस अवसर पर श्रीकृष्ण साधक के सुयोग्य सुपुत्र डाॅ. वेदप्रकाश गुप्ता ने अपने जीवन को पूज्य बाबूजी के दिये संस्कारों का परिणामरूप बतलाते हुए अपने आभारोद्गार में कहा कि स्मारिका के प्रकाशन में प्रकाशक, लेखक, सम्पादक एवं आर्थिक सहयोग करने वाले सभी धन्यवाद के पात्र हैं और उससे अधि कवे सराहनीय हैं जिन्होंने इस प्रकार की उच्च सोच रखकर इसे प्रकाशित कराया।

 

साधक की साधना स्मारिका के विमोचन के इस अवसर पर महाशय धर्मपाल चैयरमेन एमडीएच, विनय आर्य महामंत्री दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा, ओमप्रकाश आर्य उपप्रधान दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा, सतीश चड्ढा मंत्री केन्द्रीय आर्य सभा दिल्ली, अर्जुनदेव चड्ढा प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा कोटा, स्मारिका सम्पादक ओमप्रकाश आर्य रावतभाटा, वैदिक विद्वान अग्निमित्र शास्त्री, पतंजलि योग समिति राजस्थान के राज्य प्रभारी अरविन्द पाण्डेय तथा श्रीकृष्ण साधक के सुपुत्र डॉ. वेदप्रकाश गुप्ता, भतीजे सूरजमल गुप्ता तथा एमडीएच कार्यालय के वरिष्ठजन उपस्थित रहे।

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