मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ कैसे बन सकेंगे पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤?
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Rajeev ChoudharyDate
11-Apr-2017Category
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11-Apr-2017Download PDF
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मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में अब कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ का कोरà¥à¤¸ कर पूजा-पाठकरा सकेगा. पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार à¤à¤• साल के इस कोरà¥à¤¸ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से करने जा रही है. इस कोरà¥à¤¸ में किसी जाति या धरà¥à¤® की बाधà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं होगी. कोरà¥à¤¸ का संचालन सà¥à¤•à¥‚ल शिकà¥à¤·à¤¾ विà¤à¤¾à¤— के महरà¥à¤·à¤¿ पतंजलि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के जरिठकिया जाà¤à¤—ा. शायद मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार का यह फैसला देश में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ की टपकती छत पर कà¥à¤› देर ही सही मिटटी डालने का कारà¥à¤¯ करें. पर इस पूरी खबर से सवालों के अंकà¥à¤° फूटते जरà¥à¤° दिखाई दे रहे है. सरकार के इस कदम का बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ समाज à¤à¤• बार विरोध करने जा रहा है. जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो पिछले साल मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शिवराज सिंह चौहान ने अनà¥à¤¸à¥‚चित जाति विà¤à¤¾à¤— को à¤à¤• योजना पर काम करने को कहा था, जिसके जरिठदलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को पंडिताई और पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ बनने का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ दिया जाना था. सरकार की मंशा दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के यà¥à¤µà¤¾à¤“ं से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£à¥‹à¤‚ की तरह पूजा, पाठ, यजà¥à¤ž हवन और अनà¥à¤¯ मांगलिक कारà¥à¤¯ करवाने की थी. सरकार की इस योजना के ख़िलाफ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ लामबंद हो गठथे और पूरे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ थे. इसके बाद सरकार को अपने कदम पीछे ख़ींचने पड़े थे. à¤à¤• बार सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ वैसी ही बनती जा रही है. हालाà¤à¤•à¤¿ मीडिया इस पà¥à¤°à¥‡ मामले को मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से जोड़कर दिखा रहा है जबकि सरकार के फैसले में जाति धरà¥à¤® की सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से कोई बाधà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नही है. इसमें सिख, इसाई, बोदà¥à¤§ या अनà¥à¤¯ मजहब के लोग à¤à¥€ आ सकते है.
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस फैसले का विरोध किया जाना कितना जायज है या नहीं इस पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करने के बजाय यहाठउठरहे सवाल जरà¥à¤° जायज है. इसमें à¤à¤• बात तो यह कि समाज परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ और विकसित होते हà¥à¤ आज à¤à¤¸à¥‡ दौर में आ गया है कि अब पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ सामाजिक ढांचे कायम रखना कठिन है. इस कारण आज जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पिछड़ी जाति कहा जाता रहा है वह पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤µà¤¾à¤¦ और राजनीतिक, सामाजिक शोषण को खà¥à¤²à¤•à¤° चà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥€ देने के मूॠमें है. और सही à¤à¥€ है जहाठतक हमारा मानना है धरà¥à¤®, देश या समाज पर किसी à¤à¤• जाति वरà¥à¤£ का सà¥à¤µà¤®à¤¿à¤¤à¥à¤µà¥à¤¯ कैसे हो सकता है? दूसरा यह à¤à¤²à¥‡ ही सरकार का राजनैतिक फैसला हो लेकिन धरà¥à¤® राजनीति की बजाय आसà¥à¤¥à¤¾ का विषय है और आसà¥à¤¥à¤¾ सीधे-सीधे उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ के साथ उस धरà¥à¤® के मूल सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों से जà¥à¤¡à¥€ होती है. आखिर कैसे à¤à¤• मजहब से जà¥à¤¡à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤¸à¤°à¥‡ धरà¥à¤® के मूल सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त उसके करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड आदि का आसà¥à¤¥à¤¾ लगà¥à¤¨ के साथ पालन करेगा? और यदि वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से या जीवकोपारà¥à¤œà¤¨ के लिठवह à¤à¤• मà¥à¤–ोटा लगाकर इस कारà¥à¤¯ को करें à¤à¥€ तो हम समà¤à¤¤à¥‡ है कि यह धारà¥à¤®à¤¿à¤• रीति-नीति का सिरà¥à¤« उपहास होगा.
दरअसल पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ दो शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से बना है ‘पर’ तथा ‘हित’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो दà¥à¤¸à¤°à¥‹ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की चिंता करे. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में आशà¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤®à¥à¤– को पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कहते थे जहां शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती थी. हालांकि यजà¥à¤ž करà¥à¤® करने वाले मà¥à¤–à¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कहा जाता था. यह पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ तरह के संसà¥à¤•à¤¾à¤° कराने के लिठà¤à¥€ नियà¥à¤•à¥à¤¤ होता था. इसमें गौरतलब यह कि वैदिक काल में पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ का कारà¥à¤¯ किसी जाति विशेष से जà¥à¤¡à¤¾ हà¥à¤† नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ ने मनमाने ढंग से ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ पर अधिकार कर यह पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर दिया कि यह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाया गया है और वेद पà¥à¤¨à¥‡-पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ का अधिकार केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को है. धीरे-धीरे यह सामनà¥à¤¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ बन गयी जिस कारण पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦ ‘परहित’ की बजाय सà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤ में निहित हो गया और यही से समाज में अशिकà¥à¤·à¤¾ और जातिवाद, छà¥à¤†à¤›à¥‚त आदि की विसंगति ने जनà¥à¤® ले लिया जो अब तक इसकी जकड में गिरफà¥à¤¤ है.
इस ताजा पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ को ही देखे तो नठसिरे से इस कोरà¥à¤¸ पर विवाद बà¥à¤¨à¥‡ की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है. बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ समाज के यà¥à¤µà¤¾ सरकार की इस कोशिश से ख़ासे नाराज हैं. इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ में से à¤à¤• अमिताठपाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ कहते हैं, “पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤¸à¤¾ काम नहीं है कि कोई à¤à¥€ कर ले. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से हिंदू धरà¥à¤® में बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ इसे करते चले आ रहे हैं. अब जहां तक सवाल है किसी à¤à¥€ धरà¥à¤® के लोगों को इसमें पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ देने का तो उसे किसी à¤à¥€ तरह से उचित नहीं कहा जा सकता.”
हालाà¤à¤•à¤¿ इनका यह कहना की इस कारà¥à¤¯ को सिरà¥à¤« बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ ही करा सकते है तो इसका कोई वैदिक पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ नहीं है. इसे सिरà¥à¤« à¤à¤• मनघडंत पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के सिवाय कà¥à¤› नहीं कहा जा सकता. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का नियम है कि सà¤à¥€ जातियाठईशà¥à¤µà¤° निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है ना कि मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है. सà¤à¥€ मानवों कि उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿, शारीरिक रचना, संतान उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि à¤à¤• समान होने के कारण उनकी à¤à¤• ही जाति हैं और वह है मनà¥à¤·à¥à¤¯. हाठयह उसके धारà¥à¤®à¤¿à¤• आचरण पर निरà¥à¤à¤° करता है यदि कोई वेद पढना चाहें वेद पाठन करें और यदि कोई यà¥à¤¦à¥à¤§ कोशल में निपà¥à¤£ है तो वह यà¥à¤¦à¥à¤§ करें किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ पर à¤à¤•à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° करना हमारी वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ है. सामाजिक वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ कायम रखने को इस तरह की à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियां फैलाना सिरà¥à¤« और सिरà¥à¤« अपना निहित सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करता है. इस कारण बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसका विरोध किसी à¤à¥€ रूप में जायज नहीं माना जा सकता.
मनà¥à¤·à¥à¤¯ और उसके समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की पहचान जनà¥à¤® के आधार पर करना समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के रंग या बनावट को जनà¥à¤® से जोड़े रखना अमानवीय, असामाजिक और मनà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤—ति का विरोधी कदम है. कà¥à¤› समय पहले की ही खबर थी कि राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में दलितों के à¤à¤• बड़े हिसà¥à¤¸à¥‡ ने अपने सामाजिक, पारिवारिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठखà¥à¤¦ के बीच से ही पंडित तैयार कर लिठहैं. राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के ये पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ अपने समाज में करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ान कराते हैं. ये दलित पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ वैसे ही करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करते हैं जैसे ऊà¤à¤šà¥€ जाति के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£. दलितों का कहना है इससे छà¥à¤†à¤›à¥‚त पर रोक लगेगी.
हालाà¤à¤•à¤¿ सरकार की यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‹à¤—िक शिकà¥à¤·à¤¾ नीति है लेकिन इसमें सबसे बड़ा सवाल यह कि कà¥à¤¯à¤¾ यह सब आसà¥à¤¥à¤¾ की नीति के अंतरà¥à¤—à¥à¤°à¤¤ आà¤à¤—ा? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उदहारण के तौर पर चले यदि कोई हमें कहे कि मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में अजान करने के लिठमासिक वेतन मिलेगा यदि जीविकापारà¥à¤œà¤¨ के लिठहम à¤à¤¸à¤¾ कर à¤à¥€ दे à¤à¥€ तो कà¥à¤¯à¤¾ हमारें अनà¥à¤¦à¤° उस मत के लिठउसी सà¥à¤µà¤°à¥‚प में आसà¥à¤¥à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होगी? शायद नहीं! इस कारण अनà¥à¤¯ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं को कैसे किस आधार पर माना जाये कि वह यह करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड उसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• मनोवृति, आसà¥à¤¥à¤¾ और पà¥à¤°à¥‡ मन से करेगा? मेरा मानना है जाति की दीवार अवशà¥à¤¯ गिरनी चाहिठपर इसमें कहीं à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• नीति या आचरण का उपहास न हो!!
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