कà¥à¤¯à¤¾ हम सब दहेज के खिलाफ है
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Rajeev ChoudharyDate
17-Apr-2017Category
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HindiTotal Views
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17-Apr-2017Download PDF
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वो जितना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लाà¤à¤—ी इस कà¥à¤² का समाज में इतना ही मान बà¥à¥‡à¤—ा.
दहेज के लिठनई नवेली दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ की हतà¥à¤¯à¤¾, दहेज के लिठमहिला की हतà¥à¤¯à¤¾, दहेज के लिठयà¥à¤µà¤¤à¥€ को घर से निकाला या फिर दहेज की मांग पूरी न होने पर महिला पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°. इस तरह की खबरें अकà¥à¤¸à¤° हमारें बीच से निकलकर अख़बारों की सà¥à¤°à¥à¤–ियाठबनती है. अधिकांश खबरें उस वरà¥à¤— से जà¥à¤¡à¥€ होती है जिसे हम पà¥à¤¾ लिखा सà¤à¥à¤¯ वरà¥à¤— कहते है. गरीब तबके से इस तरह की खबर बहà¥à¤¤ कम ही सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आती है. देखा जाये तो आमतौर पर हम सब दहेज के खिलाफ है. बस सिवाय अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की शादी छोड़कर. कà¥à¤› इस तरह की सोच लेकर कि इसमें सारा दिखावा हो जाये कोई यह ना कह दे कि शादी में कà¥à¤› कमी रह गयी.
हाल ही में बिहार के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° ने बाल विवाह और दहेज पà¥à¤°à¤¥à¤¾ जैसी समाज की बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को खतà¥à¤® करने के लिठलोगों से अपील की है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लोगों से कहा कि वे आगे से à¤à¤¸à¥€ शादियों का बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° करें, जहां पर दहेज का लेन-देन हो. उनका कहना है कि शादी में जाने से पहले इस बात की जाà¤à¤š कर ले कि कहीं उस शादी में दहेज का लेन देन तो नहीं हà¥à¤† है और अगर हà¥à¤† है, तो वे à¤à¤¸à¥€ शादियों में ना जाà¤. à¤à¤¸à¤¾ करने से समाज को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ ढंग से मदद मिलेगी. निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही यह नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° का à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤—त योगà¥à¤¯ कदम है. यदि समाज इसका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करें. तो ही हम सब मिलकर समाज से à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ खतà¥à¤® कर सकते है. à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ जिसे हमने मान समà¥à¤®à¤¾à¤¨ का विषय बना लिया है. संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में, कहे तो ये पà¥à¤°à¤¥à¤¾ इस उपधारणा पर आधारित बन गयी कि पà¥à¤°à¥à¤· सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ होते है और अपनी ससà¥à¤°à¤¾à¤² में हर लड़की को अपने संरकà¥à¤·à¤£ के लिये रà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤‚ या समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ अपने साथ अवशà¥à¤¯ लानी चाहिये. वो जितना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लाà¤à¤—ी इस कà¥à¤² का समाज में इतना ही मान बà¥à¥‡à¤—ा.
गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से देखा जाये तो दहेज पà¥à¤°à¤¥à¤¾ हमारे सामूहिक विवेक का अहम हिसà¥à¤¸à¤¾ बन गयी है और पूरे समाज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर ली गयी है. à¤à¤• तरह से ये रिवाज समाज के लिये à¤à¤• नियम बन गया है जिसका सà¤à¥€ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनà¥à¤¸à¤°à¤£ होता है, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ ये है कि यदि कोई दहेज नहीं लेता है तो लोग उससे सवाल करना शà¥à¤°à¥ कर देते है और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते है. या फिर यह कहते है कि परिवार या लड़के में कà¥à¤› कमी होगी तà¤à¥€ दहेज की मांग नहीं की! पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल राजा महाराजा तथा धनवान लोग सेठसाहूकार अपने बेटियों के शादी में हीरे, जवाहरात, सोना, चाà¤à¤¦à¥€ आदि पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ से दान दिया करते थे. धीरे -धीरे यह पà¥à¤°à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¥‡ विशà¥à¤µ में फैल गई और समाज जिसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर ले वह दोष à¤à¥€ गà¥à¤£ बन जाता है. इस कारण नारी को पà¥à¤°à¥à¤· की अपेकà¥à¤·à¤¾ निमà¥à¤¨ समà¤à¤¾ जाने लगा. यधपि पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बेटी को उपहार देना ये सà¥à¤µà¥ˆà¤šà¥à¤›à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ थी. पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤• à¤à¤¾à¤— अपनी बेटी को उपहार के रà¥à¤ª में देना à¤à¤• पिता का नैतिक करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ माना जाता था लेकिन तब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ शोषण की पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ नहीं थी जहाठदà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ के परिवार से दूलà¥à¤¹à¥‡ के लिये कोई à¤à¤• विशेष माà¤à¤— की जाये, ये à¤à¤• सà¥à¤µà¥ˆà¤šà¥à¤›à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी. इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ने दहेज पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का रà¥à¤ª ले लिया. जबकि à¤à¤• सामाजिक बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के रà¥à¤ª में यह पà¥à¤°à¤¥à¤¾ न केवल विवाह जैसे पवितà¥à¤° बंधन का अपमान करती है बलà¥à¤•à¤¿ ये औरत की गरिमा को घोर उलà¥à¤²à¤‚घित और कम करती है
दहेज के लिठहिंसा और हतà¥à¤¯à¤¾ में आज बड़ा सवाल बन चूका है. राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अपराध रिकॉरà¥à¤¡ बà¥à¤¯à¥‚रो के आंकड़े बताते हैं. देश में औसतन हर à¤à¤• घंटे में à¤à¤• महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है. केंदà¥à¤° सरकार की ओर 2015 में जारी आंकड़ों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, बीते तीन सालों में देश में दहेज संबंधी कारणों से मौत का आंकड़ा 24,771 था. जिनमें से 7,048 मामले सिरà¥à¤« उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ से थे. इसके बाद बिहार और मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में कà¥à¤°à¤®à¤¶: 3,830 और 2,252 मौतों का आंकड़ा सामने आया था. इसमें सोचने वाली बात यह कि सामाजिक दबाव और शादी टूटने के à¤à¤¯ के कारण à¤à¤¸à¥‡ बहà¥à¤¤ कम अपराधों की सूचना दी जाती है. इसके अलावा, पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अधिकारी दहेज से समà¥à¤¬à¤‚धित मामलों की à¤à¤«.आई.आर, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कारणों जैसे दूलà¥à¤¹à¥‡ के पकà¥à¤· से रिशà¥à¤µà¤¤ या दबाव के कारण दरà¥à¤œ नहीं करते. दूसरा आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤°à¤¤à¤¾ की कमी और कम शैकà¥à¤·à¤¿à¤• के सà¥à¤¤à¤° के कारण à¤à¥€ बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥€ महिलाà¤à¤‚ अपने ऊपर हो रहे दहेज के लिये अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° या शोषण की शिकायत दरà¥à¤œ नहीं करा पाती.
इसमें किसी à¤à¤• समाज या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. पिछले वरà¥à¤· ही बीà¤à¤¸à¤ªà¥€ पारà¥à¤Ÿà¥€ के राजà¥à¤¯à¤¸à¤à¤¾ सांसद नरेंदà¥à¤° कशà¥à¤¯à¤ª और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ को पà¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤§à¥ की हतà¥à¤¯à¤¾ के मामले में गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया गया था. दूसरा बिहार के पूरà¥à¤µ सीà¤à¤® जीतनराम मांà¤à¥€ की बेटी और नाती दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दहेज के लालच में हतà¥à¤¯à¤¾ का मामला सामने आया था. कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यही है कि दहेज पà¥à¤°à¤¥à¤¾ पूरे समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ है जो समाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· या अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रà¥à¤ª से समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ और पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ की जाती है और आने वाले समय में à¤à¥€ इस समसà¥à¤¯à¤¾ के सà¥à¤§à¤°à¤¨à¥‡ की कोई उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की किरण à¤à¥€ नजर नहीं आती.
à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ लोगों के लिये मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ है और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन शैली और आराम की खोज में लोग अपनी पतà¥à¤¨à¥€ या बहूओं को जलाकर मारने की हद तक जाने को तैयार हैं. आज कानून से बà¥à¤•à¤° जन-सहयोग जरूरी है. खासकर महिलाओं को आगे आना होगा जब हर à¤à¤• घर परिवार में महिला समाज ही इसके खिलाफ खड़ा होगा तो निसंदेह यह बीमारी अपने आप साफ हो जाà¤à¤—ी. साथ ही यà¥à¤µà¤¾ वरà¥à¤— के लोगो को आगे आना जाहिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से बिना दहेज के विवाह करके आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करना चाहिà¤. सोचिये आखिर कब तक विवाहित महिलाà¤à¤‚ दहेज के लिये निरंतर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° और दरà¥à¤¦ को बिना किसी उमà¥à¤®à¥€à¤¦ की किरण के साथ सहने के लिये मजबूर होती रहेगी?
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