केरल à¤à¤• सपना जमीन पर उतरा
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Rajeev ChoudharyDate
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17-Apr-2017Download PDF
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केरल के हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लिठà¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• दिन बन गया।
नागालैंड, बामनिया के बाद अब केरल सचमà¥à¤š यह सपना ही था कि कà¥à¤¯à¤¾ कà¤à¥€ इन जगहों पर à¤à¥€ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प में वैदिक मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की गूंज सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देगी। अतीत à¤à¤²à¥‡ ही इस बात का गवाह रहा हो कि दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¤à¥€ वेदों की à¤à¥‚मि था लेकिन वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिदृशà¥à¤¯ में वामपंथी इतिहासकारों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤¤à¤° और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ को आरà¥à¤¯ और दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ के नाम पर बाà¤à¤Ÿ दिया गया। जिसका लाठअनà¥à¤¯ मतमतानà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ की मिशनरियों ने à¤à¤• बड़े सà¥à¤¤à¤° पर धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण कर उठाया। लेकिन वहां आज जो à¤à¥€ बचा आरà¥à¤¯ समाज अपनी पूरी शकà¥à¤¤à¤¿ से उसे समेटने में मन, वचन और करà¥à¤® से जà¥à¤Ÿà¤¾ है। यदि इस कड़ी में बात दकà¥à¤·à¤¿à¤£ पशà¥à¤šà¤¿à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• राजà¥à¤¯ केरल की करें तो जहाठआज से पहले à¤à¤• हवन कà¥à¤‚ड रखने की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जमीन आरà¥à¤¯ समाज कहो या सनातन धरà¥à¤® के पास नहीं थी। वहां आज à¤à¤• बड़े à¤à¥‚à¤à¤¾à¤— पर महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी ने वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠà¤à¤• वेद रिसरà¥à¤š संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दान सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¥‡à¤‚ट कर दिया।
दूर-दूर तक फैली हरी-à¤à¤°à¥€ घाटियां, सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ मौसम, ऊंची-ऊंची चोटियां, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ से à¤à¤°à¥€ हवा जैसे कि यह धरती का सà¥à¤µà¤°à¥à¤— हो। इस धरा पर 2 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2017 का दिन आरà¥à¤¯ समाज के नेतृतà¥à¤¤à¥à¤µ में केरल के हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लिठà¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• दिन बन गया। पतली गलियों से जब हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¤• जà¥à¤Ÿ हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और बचà¥à¤šà¥‡ डकà¥à¤à¥ वेद रिसरà¥à¤š संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की ओर आते दिखाई दिठतो मन में खà¥à¤¶à¥€ की लहर दौड़ गयी। हर किसी के हाथ में à¤à¤• थैला था। जिसके अनà¥à¤¦à¤° अपना हवनकà¥à¤‚ड, समिधा, घृत का पातà¥à¤°, जल पातà¥à¤°, चमà¥à¤®à¤š, दीपक, और सामगà¥à¤°à¥€ थी। लोगों की इतनी बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ हम सब उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤• कोतà¥à¤¹à¤² का विषय थी। हमारे मन में अथाह हरà¥à¤· के साथ à¤à¤• चिंता à¤à¥€ बार-बार उà¤à¤° रही थी कि इतनी बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में आये लोगों को आयोजक किस तरह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करेंगे, पर देखते ही देखते 2 से 3 मिनट के अनà¥à¤¦à¤° हर कोई à¤à¤• दिशा à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ में बिना किसी बहस और बोलचाल के, बिना जाति रंग आदि के à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के सà¤à¥€ यजà¥à¤ž आसन मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में समान दूरी पर हवन कà¥à¤‚ड सामने रखकर यजà¥à¤ž के लिठतैयार थे। इसमें देखने वाली बात यह थी कि इस विशाल यजà¥à¤ž की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को सà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ ढंग से संचालित करने हेतॠकोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ की तैनाती à¤à¥€à¤‚ नहीं की गयी थी। हर कोई सà¥à¤µà¤¯à¤‚ में ही वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• दिखाई नज़र आ रहा था।
मंच पर वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठकरने वाले आचारà¥à¤¯ थे और मंच से नीचे महाशय जी समेत विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से आये आरà¥à¤¯ महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥¤ यजà¥à¤ž सà¥à¤¥à¤² के चारों ओर का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अपने नैसरà¥à¤—िक सौंदरà¥à¤¯ से चमक रहा था। हर किसी के चेहरे पर à¤à¤• अनूठी आसà¥à¤¥à¤¾, आà¤à¤¾ सतà¥à¤¯ सनातन धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दमक रही थी। संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¤• ओर समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें हिलोरें ले रही थीं तो दूसरी ओर हमारे मन में हरà¥à¤·, गरà¥à¤µ और शà¥à¤°(ा की लहरें उठरही थी। हजारों लोगों की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वातावरण शांत था फिर आचारà¥à¤¯ à¤à¤®. आर. राजेश के कंठसे ओ३म की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ हà¥à¤†à¥¤ इसके बाद हजारों लोगों के मà¥à¤– से à¤à¤• साथ à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में ओ३मॠकी धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ आचमन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के बाद अथरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से पूरा वातावरण वैदिक मय हो गया। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· या बचà¥à¤šà¥‡ और बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— शà¥( वैदिक मंतà¥à¤°à¤¾à¤‚ को उनकी यथारà¥à¤¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ बिना किसी (शबà¥à¤¦) व (सà¥à¤µà¤°) की तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ के पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• रूप से पूरी आसà¥à¤¥à¤¾ के साथ à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में लयब( बोल रहे थे। पà¥à¤°à¥à¤· समान रंग के कटीवसà¥à¤¤à¥à¤° तो महिलाà¤à¤‚ पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤° साड़ी धारण किये थीं। दूर-दूर तक जहाठतक नजर जाती हर किसी की शारारिक हलचल हाथ से लेकर होठतक सामान रूप से गति रहे थे। यह हवन यजà¥à¤ž सà¥à¤¬à¤¹ 7 बजे से शà¥à¤°à¥‚ होकर 8.30 बजे समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† जिसके उपरांत मलयालम à¤à¤¾à¤·à¤¾ में यजà¥à¤žà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤à¥ हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ का सामूहिक रूप से गान हà¥à¤† à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ कर हजारों लोगों ने माहौल को à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ बना दिया। शांति पाठके बाद यजà¥à¤ž कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का समापन हà¥à¤†à¥¤
कà¥à¤› लोग सोच रहे होंगे कि केरल के अनà¥à¤¦à¤° इस सपने का औचितà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ था। पर केरल के वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हालात को देखे तो यह सब नितांत जरूरी था पर आज लिखते हà¥à¤ खà¥à¤¶à¥€ हो रही कि जिस तरह वहां सामूहिक रूप से बिना à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के यजà¥à¤ž हà¥à¤† उसे देखकर लग रहा है कि महरà¥à¤·à¤¿ देव दयाननà¥à¤¦ जी का नारा था वेद की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ जलती रहे। जिसको लेकर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ आरà¥à¤¯ समाज पूरी निषà¥à¤ ा से वहां आगे बà¥à¤¾ रहा है।
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