आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ है।
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Dr. Vivek AryaDate
06-May-2017Category
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PraveshUpload Date
06-Jun-2017Download PDF
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(इतिहास का à¤à¤• लà¥à¤ªà¥à¤¤ पृषà¥à¤ )
अविà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पंजाब का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विशेष रूप से लाहौर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की गतिविधियों का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– केंदà¥à¤° तो था। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पंजाब कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के साथ साथ सिनà¥à¤§ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ खूब फैला। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पंजाब की मिटटी विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आकà¥à¤°à¤®à¤£ से पीछे à¤à¤• हज़ार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से लहूलà¥à¤¹à¤¾à¤¨ थी उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सिंध का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° से अछà¥à¤¤à¤¾ नहीं था। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° सिंध में किसी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ रोग की अचूक औषधि जैसा था। सिंध की धरती पर सदैव अजेय रहने वाले हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की पहली हार मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ बिन कासिम से राजा दाहिर को मिली। अपने पिता की हार और अपने राजà¥à¤¯ की तबाही का बदला राजा दाहिर की वीर बेटियों ने उसी के बादशाह से अपने ही सेनापति को मरवा कर लिया था। राजा दाहिर का पूरा परिवार अपनी मातृà¤à¥‚मि की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठबलिदान हो गया। सिंध का अंतिम शासक मीर था। मीर में अनेक दोष थे। मीर को पता चला कि उसके हिनà¥à¤¦à¥‚ दीवान गिदà¥à¤®à¤² की बेटी बहà¥à¤¤ खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है तो उसने गà¥à¤¦à¥à¤®à¤² के घर पर उसकी बेटी को लेने की लिठडोलियाठà¤à¥‡à¤œ दी। बेटी खाना खाने बैठरही थी तो उसके पिता ने बताया की यह डोलियाठमीर ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने हरम में बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¥‡à¤œà¥€ है। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अà¤à¥€ निरà¥à¤£à¤¯ करना है। यदि तà¥à¤® तैयार हो तो जाओ। पिता के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में निराशा और गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ à¤à¤²à¤• रहा था। बेटी ने फौरन अपना निरà¥à¤£à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾ दिया “आप अà¤à¥€ तलवार लेकर मेरा सर काट दीजिये, जाने का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं उठता।” पिता को à¤à¤¸à¤¾ उतà¥à¤¤à¤° मिलने का पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी बेटी को बचपन से धरà¥à¤® और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° दिठथे। बिना किसी संकोच के पिता ने तलवार उठाई। à¤à¥‚खी बेटी ने सर à¤à¥à¤•à¤¾à¤¯à¤¾ और बाप की तलवार ने काम कर दिया। वह पिता जिसने लाड़ पà¥à¤¯à¤¾à¤° से अपनी बेटी को जवान किया था à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ के लिठà¤à¥€ न रà¥à¤•à¤¾à¥¤ परिणाम यह हà¥à¤† की मीरों ने दीवान गिदà¥à¤®à¤² को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ कर दिया पर वे और उनका परिवार इतिहास में अपने धरà¥à¤® और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के रकà¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¤• बार फिर राजा दाहिर के परिवार के समान अमर हो गया।
मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सिंध में आये। इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• तलवार का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कबà¥à¤° परसà¥à¤¤à¥€,पीर पूजा और सूफी विचारधारा ने ले लिया। कई हिनà¥à¤¦à¥‚ पीरों के मà¥à¤°à¥€à¤¦ बन गठजिनकी हिनà¥à¤¦à¥‚ औरतें पीरों पर जाकर तावीज़ आदि ले आती थी। हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ में वृदà¥à¤§à¤¿ ही हà¥à¤ˆà¥¤ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं का मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनना अब à¤à¥€ पहले की तरह ही जारी था। कहीं से किसी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ के हिनà¥à¤¦à¥‚ बनने की खबर नहीं आती थी। 1878 में à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ यà¥à¤µà¤• ठारà¥à¤®à¤² मखीजाणि à¤à¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ लड़की के चकà¥à¤•à¤° में फà¤à¤¸à¤•à¤° मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन गया। जबकि वह पहले से ही विवाहित और à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ का बाप à¤à¥€ था। ये मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लड़कियां आमतौर पर नाचने वाली होती थी जो धनी हिनà¥à¤¦à¥‚ यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ को अपना शिकार बनाती थी। कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद उसकी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बीवी का देहांत हो गया। ठारॠशेख को अब अपने पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ परिवार की याद आई। उसने वापिस हिनà¥à¤¦à¥‚ बनना चाहा पर किसी ने उसकी न सà¥à¤¨à¥€à¥¤ अंत में बाबा गà¥à¤°à¥à¤ªà¤¤à¤¿ साहिब ने शà¥à¤¦à¥à¤§ करके वापिस उसका नाम ठारà¥à¤®à¤² रख दिया। परनà¥à¤¤à¥ दीवान शौकिराम ने उसका कड़ा विरोध किया। इस कारण हिनà¥à¤¦à¥‚ लोगों में इसकी बड़ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ जिसका हिनà¥à¤¦à¥‚ यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ पर विपरीत पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा और कई यà¥à¤µà¤• मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनने को तैयार हो गà¤à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• मामला 1891 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में आया। दीवान सूरजमल दीवान शौकिराम का सौतेला à¤à¤¾à¤ˆ का था। दीवान सूरजमल और उसका बेटा दीवान मेवाराम à¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन गया था। उसने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ और दोनों बेटियों को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनने का आगà¥à¤°à¤¹ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मना कर दिया, जिसके लिठवह कोरà¥à¤Ÿ में चला गया। आखिर वह केस हार गया। दीवान हीरानंद ने उन दोनों हिनà¥à¤¦à¥‚ लड़कियों का रातोंरात हिनà¥à¤¦à¥‚ यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ से विवाह कर दिया। दीवान मेलाराम उनके पतियों के खिलाफ à¤à¥€ कोरà¥à¤Ÿ में गया पर हार गया। सिंध का हैदराबाद नगर जिसका असली नाम नारायण कोट था में अनेक हिनà¥à¤¦à¥‚ यà¥à¤µà¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनते जा रहे थे पर हिनà¥à¤¦à¥‚ जाति कबूतर के समान आंख बंद कर सो रही थी। à¤à¤¸à¥€ विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी विचारधारा से अनेक यà¥à¤µà¤• धरà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ दीवान दयाराम गिदूमल, दीवान नवलराय और दीवान गà¥à¤²à¤¾à¤¬ सिंह ने पंजाब आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ को तार à¤à¥‡à¤œ कर सूचित किया की हिनà¥à¤¦à¥‚ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनते जा रहे है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैसे à¤à¥€ रोको। कोई उपदेशक या पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• ततà¥à¤•à¤¾à¤² à¤à¥‡à¤œà¥‹à¤‚। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ (तब महातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤‚शीराम) से विचार कर आरà¥à¤¯ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤° पंडित लेखराम और पंडित पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤‚द ने सिंध में आकर विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ मोरà¥à¤šà¤¾ संà¤à¤¾à¤² लिया। दोनों महान आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं ने न दिन देखा न रात। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जिस à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ का पता चलता कि वह मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनने जा रहा है, तो वे à¤à¤Ÿ उसके पास पहà¥à¤à¤š जाते और उसे समà¤à¤¾ बà¥à¤à¤¾ कर वापिस से हिनà¥à¤¦à¥‚ बना लेते। हालत इतने नाजà¥à¤• थे की आचारà¥à¤¯ कृपलानी का à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन गया था। जिसे शà¥à¤¦à¥à¤§ करके वापिस हिनà¥à¤¦à¥‚ बनाया गया। दोनों विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने अपने पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से हिनà¥à¤¦à¥‚ जनता में आतà¥à¤® विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ पैदा कर दिया था। इन दोनों ने विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के किले के किले तोड़ डाले। 1893 तक आते आते हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में वापिस जान में जान आ गई और सिंध के अनेक शहरों में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गà¤à¥¤
सिंध में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से अनेक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आरà¥à¤¯ बने। उनके तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी-तपसà¥à¤µà¥€ जीवन आज à¤à¥€ हमें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ कर हमारा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करते रहते हैं। उनमें से à¤à¤• महान आतà¥à¤®à¤¾ पंडित जीवन लाल जी के जीवन चरितà¥à¤° का यहाठवरà¥à¤£à¤¨ किया जा रहा है। आप बचपन से ही अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विचारों के थे। इसलिठबड़े होने पर नौकरी छोड़कर कंडड़ी के सूफी फकीर मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ हसन के पहले शिषà¥à¤¯ फिर गदà¥à¤¦à¥€ के मालिक और सूफी महंत बन गà¤à¥¤ उनके शिषà¥à¤¯ हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में थे। सूफी मत में मांस और à¤à¤¾à¤‚ग का अतà¥à¤¯à¤‚त सेवन होता था। à¤à¤• बार वे सूफी मत का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते करते à¤à¤• रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर पधारे। उस रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के मासà¥à¤Ÿà¤° थे हाकिम राय आरà¥à¤¯à¥¤ आरà¥à¤¯ जी ने सूफी महंत जी को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराया और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चरà¥à¤šà¤¾ à¤à¥€ की। जब वे रेल में जाने लगे तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• कपड़े में लपेट कर दी और उसे पà¥à¤¨à¥‡ का वचन उनसे ले लिया। पंडित जी ने जब पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• खोल कर देखी तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बड़ा कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया कà¥à¤¯à¥‚ंकि उस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का नाम था “सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶” । परनà¥à¤¤à¥ उनके मन में नितà¥à¤¯ विचारों की नई नई लहरें आती रही , कà¤à¥€ मन आया की उसे फ़ेंक दे,कà¤à¥€ मन आया की मैं à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ देखू जिसकी हिनà¥à¤¦à¥‚यों, ईसाईयों और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯: सà¤à¥€ नेता निंदा करते हैं। फिर मन में आया की मैं इतना बड़ा फकीर हूà¤à¥¤ मेरे पूरे जीवन के परिशà¥à¤°à¤® को à¤à¤²à¤¾ à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• कैसे तोड़ सकती है? अंत में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निशà¥à¤šà¤¯ किया की सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को पॠकर उसकी परीकà¥à¤·à¤¾ करनी होगी। इतने सारे लोग इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में जो राय देते है। वह कहाठतक सतà¥à¤¯ है? उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• खोल कर उसे पà¥à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पà¥à¤°à¤¥à¤® समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में परमातà¥à¤®à¤¾ के सचà¥à¤šà¥‡ नामों और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ नामों के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ पढ़कर और ईशà¥à¤µà¤° की सचà¥à¤šà¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ और सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को जà¥à¤žà¤¾à¤¤ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सचà¥à¤šà¥‡ आनंद का आà¤à¤¾à¤¸ होने लगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सोचा कि जो गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करता है। वह नासà¥à¤¤à¤¿à¤• कैसे हो सकता है? जो ईशà¥à¤µà¤° को इतना महान बता सकता है। वह हिनà¥à¤¦à¥‚ विरोधी कैसे हो सकता है? वे समठगठकी यह षड़यंतà¥à¤° केवल और केवल विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद को बदनाम करने की वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ कोशिश है। उस दिन से उनके विचार सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद के लिठबिलकà¥à¤² बदल गà¤à¥¤ उसी काल में उनके à¤à¤• शिषà¥à¤¯ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिना बताये सिंध में ईशà¥à¤µà¤° का अवतार घोषित कर दिया और इस विषय में इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड की रानी और à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वाइसरॉय तक को पतà¥à¤° लिख दिया जिससे पूरे देश में आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ छिड़ गया। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पड़ने से उनके मन के विचारों में कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति का सूतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ हो चूका था। जिससे उनकी आतà¥à¤®à¤¾ ने इस अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ को छोड़ने और सतà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। वे सूफी मत और इसà¥à¤²à¤¾à¤® का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ में शामिल हो गà¤à¥¤ पंडित जीवनलाल जी का जीवन परिवरà¥à¤¤à¤¨ हमे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद के अनमोल सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ की मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— के लिठसदा ततà¥à¤ªà¤° रहना चाहिठका दरà¥à¤¶à¤¨ कराता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤•à¤° जाने कितनों का इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जीवन परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤† होगा।
सिंध का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥
मीरों के समय में सिंध के संजोगी परिवार मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बन गठथे। वे केवल नाम से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ थे। जबकि उनके रीती रिवाज़ आज à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के समान ही थे। क़ाज़ी आरफ गाà¤à¤µ में à¤à¤• संजोगी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ परिवार था। जिसके मà¥à¤–िया का नाम था परà¥à¤¯à¤²à¥¤ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के कारण परà¥à¤¯à¤² का हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से फिर से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ उसने वापिस हिनà¥à¤¦à¥‚ बनने से पहले à¤à¤• शरà¥à¤¤ लगाई। थोड़ी मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के वारà¥à¤·à¤¿à¤• उतà¥à¤¸à¤µ पर पंडितों और मौलवियों के बीच में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ रखा जाये। अगर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ जीत गये तो उनका परिवार हिनà¥à¤¦à¥‚ बन जायेगा और अगर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ जीते तो वे मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ ही रहेगे। 1934 में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के उतà¥à¤¸à¤µ में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ केसरी पंडित रामचंदà¥à¤° देहलवी जी, महातà¥à¤®à¤¾ आनंद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी (तब खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¤šà¤‚द जी), पà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ताराचंद गाजरा जी, पà¥à¤°à¥‹ हासानंद जी, पंडित उदयà¤à¤¾à¤¨à¥ जी, पंडित धरà¥à¤®à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ जी आदि पधारे। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ का विषय था ‘इसà¥à¤²à¤¾à¤® खà¥à¤¦à¤¾ का मज़हब है कà¥à¤¯à¤¾?’
जैसा की जग जाहिर है मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ लोग अपना पकà¥à¤· सिदà¥à¤§ न कर सके और वैदिक धरà¥à¤® की जीत हà¥à¤ˆà¥¤ हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में संजोगी वैदिक धरà¥à¤® में शामिल हो गà¤à¥¤ हवन आदि करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¤¿à¤¤ पहनाया गया। परà¥à¤¯à¤² का नाम बदल कर पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द रखा गया। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द के घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ रात को मà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने उनके घर पर हमला बोल दिया पर दंगे की आशंका पहले से ही थी इसलिठपहले से ही तैयार हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने गà¥à¤‚डों को पकड़ कर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के हवाले कर दिया और मामला शांत पड़ गया।
सिंध में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°
सिंध में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ समय à¤à¥€ था की जब à¤à¥€ कोई मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ अगर हिनà¥à¤¦à¥‚ कनà¥à¤¯à¤¾ या महिला को à¤à¤—ाकर ले जाता था तो कोई मà¥à¤à¤¹ à¤à¥€ न खोलता था। हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¤à¤¤à¥‡ थे की कानून का सहारा लेना बदनामी मोल लेने के बराबर है। इसलिठà¤à¤—वान की इचà¥à¤›à¤¾ समà¤à¤•à¤° चà¥à¤ª रहते थे। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने पहली बार हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को इस विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का सामना करने की शकà¥à¤¤à¤¿ दी। लरकाना जिले में अपर सिंध में à¤à¤• पीर का गाà¤à¤µ था। à¤à¤• अमीर हिनà¥à¤¦à¥‚ जमींदार à¤à¥€ उस गाà¤à¤µ में रहता था। उसकी दो जवान लड़कियां थी। à¤à¤• दिन वे पड़ोसी के घर पर गयी तो वापिस नहीं आई। पूरे गाà¤à¤µ में तलाशा गया पर कोई सà¥à¤°à¤¾à¤— नहीं मिला। अंत में मजबूर होकर जमींदार ने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ में शिकायत दरà¥à¤œ करवा दी। पूरे सिंध में शोर मच गया कि अगर à¤à¤• अमीर जमींदार की बेटियाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं हैं, तो à¤à¤• गरीब हिनà¥à¤¦à¥‚ की बेटी का कà¥à¤¯à¤¾ होगा? लगà¤à¤— à¤à¤• महिना बीत गया पर कोई सà¥à¤°à¤¾à¤— नहीं मिला। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤— दोड़ कर ठंडी पड़ गई। à¤à¤• दिन लरकाना सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर तीन जवान पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ उनके हाथ में à¤à¤• पोटली थी। शायद कà¥à¤› कपड़े थे। वहां से बस पकड़ कर वे अमà¥à¤°à¥‹à¤Ÿ शरीफ गाà¤à¤µ में पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ हर गà¥à¤°à¥‚वार को अमà¥à¤°à¥‹à¤Ÿ शरीफ गाà¤à¤µ में à¤à¤• मेला लगता था। जिसमे कई सौदागर समान का लेन देन करने आते थे। ये तीनों नौजवान à¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ जैसे कपड़े पहन कर उस मेले में पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ शाम को मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में नमाज अदा कर मौलवियों के साथ खाने पर बैठगà¤à¥¤ खाने के दौरान आपसी बातचीत में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह à¤à¥€ पता लगा की इस मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में तबलीगी का काम गà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से होता है। à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ जमींदार की दो लड़कियाठगà¥à¤ªà¥à¤¤ रूप से à¤à¤—ा कर लाई गई है। जिनकी कल ही तबलीगी अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ होना है। कà¥à¤› समय के बाद ये जवान चà¥à¤ªà¤•à¥‡ से वहाठसे खिसक गठऔर शà¥à¤°à¥€ गोविनà¥à¤¦à¤°à¤¾à¤® जी को जाकर सूचना दी। यह काम कितना खतरनाक था। आप इसकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कर सकते है। अगर à¤à¥‡à¤¦ खà¥à¤² जाता तो तीनों के टà¥à¤•à¥œà¥‡ हो जाते। गोविनà¥à¤¦à¤°à¤¾à¤® जी को शà¥à¤°à¥€ ताराचंद गाजरा जी ने सी आई डी के कारà¥à¤¯ पर लगा रखा था। उनके घर से वे तीनों डीसपी के घर पर पहà¥à¤à¤š गठऔर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सूचना दी। लड़कियों की जानकारी देने वालों पर 5000 का ईनाम था। डीसपी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अटाले के साथ मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ पर धावा बोल दिया। वहाठसे दोनों हिनà¥à¤¦à¥‚ लड़कियों मीरा और मोहिनी को बरामद कर लिया गया। मौलवियों के साथ तीन बाहर के चौकीदारों को à¤à¥€ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया। लड़कियों ने बयान दिया कि जब वे पड़ोस के घर से वापिस आ रही थी तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चादर डाल कर अगवा कर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ लाकर बंद कर दिया गया था। बाद में हमें मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनने का लालच दिया गया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें यह कहकर à¤à¥€ धमकाया कि यहाठसे तà¥à¤® कहीं पर à¤à¥€ नहीं à¤à¤¾à¤— सकती और हिनà¥à¤¦à¥‚ अब तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ वापिस नहीं लेंगे। कà¥à¤¯à¥‚ंकि अब तà¥à¤® पतित हो चà¥à¤•à¥€ हो। ध के समाचारों में यह मामला छाया रहा। अनेक मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® नेताओं को उन मौलवियों को मà¥à¤•à¥à¤¤ करवाने के लिठतार à¤à¥‡à¤œà¥‡ गठपर अंत में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सजा मिली। यह तीन आरà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर हिनà¥à¤¦à¥‚ लड़कियों की रकà¥à¤·à¤¾ करी थी का नाम था शà¥à¤°à¥€ निहाल चंद आरà¥à¤¯ जी, शà¥à¤°à¥€ चमनदास आरà¥à¤¯ जी और शà¥à¤°à¥€ लेखराज जी। सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ न बनाया होता तो à¤à¤¸à¥‡ शूरवीर पैदा ही नहीं होते। सोचिये सिंध में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की कà¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ होती?
कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के पनà¥à¤¨à¥‡ जलाने से दंगा होते होते बचा
शà¥à¤°à¥€ à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ आरà¥à¤¯ के बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² की à¤à¤• घटना का मैं यहाठवरà¥à¤£à¤¨ करना चाहूà¤à¤—ा जिसकी बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पर टिकी थी। जब वे छोटे थे तो मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में कà¥à¤› मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ लड़कों के साथ खेलते रहते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤¨ रखा था कि कà¥à¤°à¤¾à¤¨ शरीफ के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में अगर आग लगा दी जाये तो या तो कà¥à¤°à¤¾à¤¨ शरीफ हवा में जादू से उड़ जाता है अथवा आग ठंडी हो जाती है। कà¥à¤°à¤¾à¤¨ शरीफ कà¤à¥€ जल नहीं सकती। जिस मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में वे खेलते थे उस मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का दरवाजा नहीं था और à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ कà¥à¤°à¤¾à¤¨ जिसके पनà¥à¤¨à¥‡ अलग हो चà¥à¤•à¥‡ थे और जो पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में नहीं था वहाठमसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में रखा था। बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² की नासमà¤à¥€ और अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के चलते उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के कà¥à¤› पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में आग लगा दी। शाम को जब मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में बांग देने वाला आया तो उसने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की अवहेलना कह कर चारों तरफ शोर मचा दिया। मौलवी खास तौर पर à¤à¥œà¤• उठे। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ में रिपोरà¥à¤Ÿ लिखवाई गई। मामला तहसीलदार तक गया। तहसीलदार अकà¥à¤²à¤®à¤‚द था। उसने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ की बचà¥à¤šà¥‡ वहाठखेलते थे और मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का कोई दरवाजा नहीं था। बांग देने वाला à¤à¥€ मानता है कि कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के पनà¥à¤¨à¥‡ अलग अलग थे और अकà¥à¤¸à¤° उड़ जाते थे। फिर तो यह बांग देने वाले की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है कि वह मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ पर दरवाजा लगवाता और कà¥à¤°à¤¾à¤¨ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ ढंग से रखता। यदि वह à¤à¤¸à¤¾ करता तो यह घटना नहीं घटती। तब कहीं जाकर मामला शांत हà¥à¤† नहीं तो हिनà¥à¤¦à¥‚ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® दंगे की à¤à¤• और नींव पड़ जाती।
सूअर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हिंदà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾
शिकारपà¥à¤° और जैकोबाबाद में अकà¥à¤¸à¤° देखा जाता था कि कई मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® जमींदार हिनà¥à¤¦à¥‚ हरिजनों की बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ जाते और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इतना करà¥à¤œ दे देते कि वे जीवन à¤à¤° उसे न चà¥à¤•à¤¾ सके। करà¥à¤œ न चूका पाने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बना कर, अपने किसी नौकर से उनकी बहन या बेटी का निकाह à¤à¥€
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