डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° और यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤
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Dr. Vivek AryaDate
11-Aug-2017Category
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11-Aug-2017Download PDF
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डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° और यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤
तमिलनाडॠमें पेरियार के शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने ने à¤à¤• नया तमाशा रचा है। वैसे पहले à¤à¥€ इस विकृत मानसिकता वाले लोगों ने सेलम,तमिलनाडॠमें à¤à¤—वान राम की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को जूते की माला पहनाकर उनका जà¥à¤²à¥à¤¸ निकाला था। उनका कहना था कि à¤à¤—वान राम दलित विरोधी थे। इस बार की हरकत में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सूअर को यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ पहनाकर अपनी कà¥à¤‚ठा का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया है। à¤à¤¸à¥€ हरकते करने वाले मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¤ ईसाई या मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ होते है। जो अपनी राजनीतिक महतà¥à¤µà¤•à¤¾à¤‚शा को पूरा करने के लिठà¤à¤¸à¥€ हरकतें करते हैं। दलित नाम का परिवेश धारण कर दलितों को à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ करते है। गौर करने लायक बात यह है कि इस हरकत की खबर पर सबसे अधिक वो दलित उछल रहे हैं, जो अपने आपको डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° का शिषà¥à¤¯ बताते हैं। वे यह à¤à¥€ à¤à¥‚ल जाते हैं कि डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से महारों (दलितों) का यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤° करवाते थे। पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ देखिये-
अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° जी ने बमà¥à¤¬à¤ˆ में "समाज समता संघ" की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कि जिसका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ अछूतों के नागरिक अधिकारों के लिठसंघरà¥à¤· करना तथा उनको अपने अधिकारोंके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सचेत करना था। यह संघ बड़ा सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ था। इसी समाज के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में 500 महारों को जनौउ धारण करवाया गया ताकि सामाजिक समता सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की जा सके। यह सà¤à¤¾ बमà¥à¤¬à¤ˆ में मारà¥à¤š 1928 में संपनà¥à¤¨ हà¥à¤ˆ जिसमें डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° à¤à¥€ मौजूद थे।
(डॉ बी आर अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤°- वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ कृतितà¥à¤µ पृषà¥à¤ 116-117)
डॉ0 अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° जी के 6, सितमà¥à¤¬à¤°-1929 के ’बहिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤‘ में यह समाचार पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† था कि ’मनमाड़ के महारों (दलितों) ने शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£à¥€ मनायी।‘ 26 वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ धारण किये। यह समारोह मनमाड़ रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के पास डॉ0 अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤°à¤œà¥€ के मितà¥à¤° शà¥à¤°à¥€ रामचनà¥à¤¦à¥à¤° राणोजी पवार नांदगांवकर के घर में समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† था।
डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने जिस कारà¥à¤¯ में अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ दिखाई। उसी कारà¥à¤¯ का ये लोग परिहास कर रहे है। ये लोग à¤à¤• और तथà¥à¤¯ à¤à¥‚ल जाते है। जिसका वरà¥à¤£à¤¨ डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने अपनी लेखनी में किया है। डॉ जी लिखते है कि शूदà¥à¤° राजाओं और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के बीच अनवरत संघरà¥à¤· होते रहते थे और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के हाथों अनेक कषà¥à¤Ÿ और अपमान सहने पड़े। शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये उतà¥à¤ªà¥€à¤¡à¤¼à¤¨ और पीड़ाओं से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होकर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ ने फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ का उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करवाना बंद कर दिया। उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° से वंचित होने पर शूदà¥à¤° जो कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ थे उनका सामाजिक हà¥à¤°à¤¾à¤¸ हो गया। ('शूदà¥à¤° कौन थे' के सातवें संसà¥à¤•à¤°à¤£-2013 के पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨ का पृषà¥à¤ 3 और 4)।
संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के न होने से कितनी हानि होती है। इसे डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते है।
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ किस लिठरखते हैं ? यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ केवल विदà¥à¤¯à¤¾ का à¤à¤• चिहà¥à¤¨ है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ और वैशà¥à¤¯ ये तीन वरà¥à¤£ शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वरà¥à¤£ है। इसलिठये तीनों जनेऊ धारण करते है। शूदà¥à¤° अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वरà¥à¤£ का नाम है। इसलिठवह जनेऊ धारण नहीं करता। मगर चारों वरà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ से लेकर शूदà¥à¤° आरà¥à¤¯ कहलाते है। यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ में तीन सूतà¥à¤° होते है। तीनों सूतà¥à¤° ऋषिऋण, पितृऋण और देवऋण। ऋषिऋण बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ धारण कर वेद विदà¥à¤¯à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से, गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर उतà¥à¤¤à¤® संतानोतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ से और देवऋण मातृà¤à¥‚मि की सेवा से निवृत होता हैं। संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में तीनों ऋणों से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को उसके करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का बोध करवाया जाता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बोध का नाम है। वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कोई à¤à¥€ शूदà¥à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बन सकता है और कोई à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ शूदà¥à¤° बन सकता है। इसलिठशूदà¥à¤° शबà¥à¤¦ को दलित कहना à¤à¥€ गलत है। यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ संसà¥à¤•à¤¾à¤° को जानकर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦, मनà¥à¤µà¤¾à¤¦ के जà¥à¤®à¤²à¥‡ के साथ नतà¥à¤¥à¥€ कर अपनी हताशा ,निराशा का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया जा रहा हैं। अंत में मैं यही कहना चाहà¥à¤à¤—ा कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨, लाठआदि को न जानकर वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ के तमाशे करने से किसी का हित नहीं होगा।
---डॉ विवेक आरà¥à¤¯
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